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यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
jy अध्या. 49 पेज 122-पेज 123 पैरा. 3
यीशु अपने प्रेषितों को दो-दो की जोड़ी में प्रचार करने भेज रहा है

अध्याय 49

यीशु प्रेषितों को प्रचार करना सिखाता है

मत्ती 9:35–10:15 मरकुस 6:6-11 लूका 9:1-5

  • यीशु गलील प्रदेश में फिर से प्रचार करता है

  • वह प्रेषितों को प्रचार करने भेजता है

यीशु लगभग दो साल से दिन-रात प्रचार काम में लगा हुआ है। क्या वह अब आराम करेगा? नहीं, बल्कि और भी ज़ोर-शोर से प्रचार करेगा। यीशु ‘गलील के सभी शहरों और गाँवों का दौरा करने निकल पड़ता है। वह उनके सभा-घरों में भी सिखाता है और राज की खुशखबरी का प्रचार करता है। वह लोगों की हर तरह की बीमारी और शरीर की कमज़ोरी दूर करता है।’ (मत्ती 9:35) वह देखता है कि इन जगहों में बहुत-से लोगों को प्रचार करना है। वह इतना सारा काम कैसे कर पाएगा?

जहाँ देखो लोग निराश हैं, भटके हुए से हैं। उन्हें दिलासे की ज़रूरत है। उनकी हालत ऐसी भेड़ों की तरह है जिनकी खाल खींच ली गयी हो और बिन चरवाहे के यहाँ-वहाँ भटकने के लिए छोड़ दिया गया हो। यीशु को लोगों पर तरस आता है और वह चेलों से कहता है, ‘कटाई के लिए फसल बहुत है मगर मज़दूर थोड़े हैं। खेत के मालिक से बिनती करो कि कटाई के लिए और मज़दूर भेजे।’​—मत्ती 9:37, 38.

यीशु के प्रेषित घर-घर जाकर राज का संदेश सुना रहे हैं

यीशु जानता है कि इतने बड़े इलाके में प्रचार कैसे हो पाएगा। वह अपने प्रेषितों की दो-दो की जोड़ी बनाता है और उन्हें प्रचार करने भेजता है। मगर भेजने से पहले वह उन्हें कुछ बातें समझाता है, ‘तुम गैर-यहूदियों के इलाके में या सामरिया के किसी शहर में मत जाना। सिर्फ इसराएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के पास जाना। और यह प्रचार करना, स्वर्ग का राज पास आ गया है।’​—मत्ती 10:5-7.

यीशु ने उन्हें जिस राज के बारे में प्रार्थना करना सिखाया था, उसी के बारे में उन्हें प्रचार करना है। इसका क्या मतलब है कि परमेश्‍वर का राज पास आ गया है? यही कि परमेश्‍वर का चुना हुआ राजा यीशु उनके बीच है। लेकिन लोग कैसे यकीन करेंगे कि इस राज के राजा ने ही अपने प्रेषितों को भेजा है? उन्हें यकीन दिलाने के लिए यीशु प्रेषितों को बीमारों को ठीक करने की और मरे हुओं को ज़िंदा करने की शक्‍ति देता है। और यह सब उन्हें मुफ्त में करना है। लेकिन अगर वे लोगों से पैसे नहीं लेंगे, तो उनके खाने-पीने का खर्चा कैसे चलेगा?

यीशु प्रेषितों से कहता है कि वे अपने खाने-पहनने का कोई इंतज़ाम न करें। वे सोने, चाँदी और ताँबे के पैसे न रखें। यहाँ तक कि खाने की पोटली, दो जोड़ी कपड़े या जूतियाँ भी न रखें। ऐसा क्यों? यीशु कहता है, “काम करनेवाला भोजन पाने का हकदार है।” (मत्ती 10:10) जो लोग उनका संदेश सुनेंगे, वे उनके खाने-पीने और रहने का इंतज़ाम कर देंगे। यीशु उनसे कहता है, “जब भी तुम किसी घर में जाओ, तो वहाँ तब तक ठहरो जब तक तुम उस इलाके में रहो।”​—मरकुस 6:10.

यीशु चेलों को यह भी बताता है कि प्रचार करते समय उन्हें लोगों के साथ कैसे पेश आना है: “जब तुम किसी घर में जाओ, तो घर के लोगों को नमस्कार करो। अगर वह घराना योग्य है, तो वह शांति जिसकी तुमने दुआ की थी, उस पर बनी रहेगी। लेकिन अगर वह योग्य नहीं है, तो शांति तुम्हारे पास लौट आए। अगर किसी घर या शहर में कोई तुम्हें स्वीकार नहीं करे या तुम्हारी नहीं सुने, तो वहाँ से बाहर निकलते वक्‍त अपने पैरों की धूल झाड़ देना।”​—मत्ती 10:12-14.

यह भी हो सकता है कि न सिर्फ एक घर में बल्कि पूरे शहर या गाँव में कोई भी चेलों का संदेश न सुने। यीशु बताता है कि ऐसे शहर या गाँव को बहुत बड़ी सज़ा मिलेगी। “न्याय के दिन सदोम और अमोरा का हाल उस शहर के हाल से ज़्यादा सहने लायक होगा।”​—मत्ती 10:15.

  • यीशु गलील में दोबारा कब प्रचार करता है? वहाँ लोगों की हालत कैसी है?

  • यीशु 12 प्रेषितों को प्रचार में कैसे भेजता है? वह उन्हें क्या समझाता है?

  • इसका क्या मतलब है कि परमेश्‍वर का राज पास आ गया है?

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