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  • यहोवा ने ‘आपके सिर के बाल भी गिन रखे हैं’
    प्रहरीदुर्ग—2005 | अगस्त 1
    • 6 प्रेरितों को क्यों डरने की ज़रूरत नहीं थी, यह समझाने के लिए यीशु ने दो दृष्टांत बताए। उसने कहा: “क्या पैसे में दो गौरैये नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। इसलिये, डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।” (मत्ती 10:29-31) गौर कीजिए, यीशु ने कहा कि मुसीबत के वक्‍त हमें नहीं डरना चाहिए क्योंकि यहोवा हममें से हरेक की फिक्र करता है। ज़ाहिर है कि प्रेरित पौलुस को भी ऐसा भरोसा था। तभी तो उसने लिखा: “यदि परमेश्‍वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है? जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?” (रोमियों 8:31, 32) इसलिए आपकी ज़िंदगी में चाहे जो भी समस्या आए, आप भी पूरा भरोसा रख सकते हैं कि जब तक आप उसके वफादार रहेंगे, तब तक वह आपकी देखभाल करता रहेगा। इस बात को और अच्छी तरह समझने के लिए आइए हम ऊपर बतायी यीशु की सलाह की नज़दीकी से जाँच करें।

      एक गौरैया की कीमत

      7, 8. (क) यीशु के ज़माने में गौरैयों को किस नज़र से देखा जाता था? (ख) मत्ती 10:29 में “गौरैये” के लिए उस यूनानी शब्द का क्यों इस्तेमाल किया गया है जिसका मतलब “छोटी गौरैये” है?

      7 यीशु के दृष्टांत इस बात को बहुत अच्छी तरह समझाते हैं कि यहोवा अपने हरेक सेवक का कितना खयाल रखता है। सबसे पहले गौरैयों का दृष्टांत लीजिए। यीशु के ज़माने में गौरैयों का मांस खाया जाता था। मगर आम तौर पर उन्हें फसलों को नुकसान पहुँचानेवाले पक्षियों में गिना जाता था। गौरैयों की तादाद इतनी ज़्यादा थी और वे इतनी सस्ती थीं कि दो गौरैयों की कीमत दो रुपए से भी कम थी। और चार रुपयों में चार नहीं बल्कि पाँच गौरैयाँ मिलती थीं। पाँचवीं तो मुफ्त में दी जाती थी, मानो उसकी कोई कीमत ही न हो!—लूका 12:6.

      8 यह भी सोचिए कि यह मामूली-सी चिड़िया कितनी छोटी होती है। दूसरी चिड़ियों के सामने एक बड़ी-सी गौरैया भी बहुत छोटी लगती है। मगर मत्ती 10:29 में जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “गौरैये” किया गया है, उसका मतलब खासकर छोटी गौरैया है। शायद यीशु एक ऐसी चिड़िया की तरफ प्रेरितों का ध्यान खींच रहा था जो सबसे छोटी हो।

      9. गौरैयों के बारे में यीशु के दृष्टांत से कौन-सा ज़रूरी मुद्दा साबित होता है?

      9 गौरैयों के बारे में यीशु के दृष्टांत से यह बेहद ज़रूरी मुद्दा साबित होता है: इंसान की नज़र में जिसकी कोई कीमत नहीं होती, उसे यहोवा परमेश्‍वर बहुत अनमोल समझता है। इस सच्चाई पर ज़ोर देने के लिए यीशु ने आगे कहा कि एक छोटी-सी गौरैया भी जब ‘भूमि पर गिरती है,’ तो यहोवा उस पर ध्यान देता है।c इससे मिलनेवाला सबक साफ है। अगर यहोवा परमेश्‍वर इतनी छोटी-सी चिड़िया पर ध्यान देता है जिसे लोग देखते तक नहीं, तो वह एक ऐसे इंसान की तकलीफों के बारे में कितना फिक्र करता होगा जिसने उसकी सेवा करने का फैसला किया है!

  • यहोवा ने ‘आपके सिर के बाल भी गिन रखे हैं’
    प्रहरीदुर्ग—2005 | अगस्त 1
    • c कुछ विद्वानों का कहना है कि गौरैया के ज़मीन पर गिरने का मतलब सिर्फ उसकी मौत नहीं है। वे कहते हैं कि मूल भाषा में यहाँ इस्तेमाल किए गए शब्दों का मतलब, दाने की तलाश में ज़मीन पर आना भी हो सकता है। अगर उन शब्दों का यही मतलब है, तो यह आयत दिखाती है कि परमेश्‍वर न सिर्फ गौरैया की मौत पर, बल्कि दिन-भर में वह जो-जो करती है, उसका पल-पल ध्यान रखता और उसका पालन-पोषण करता है।—मत्ती 6:26.

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