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  • अपनी मेहनत के कामों से खुशी पाइए
    “खुद को परमेश्‍वर के प्यार के लायक बनाए रखो”
    • 6, 7. लंबे अरसे से यीशु ने कड़ी मेहनत करने में क्या मिसाल कायम की है?

      6 यीशु ने भी एक लंबे अरसे से कड़ी मेहनत करने में मिसाल कायम की है। इंसान के रूप में पैदा होने से पहले उसने ‘स्वर्ग और धरती’ की चीज़ें बनाने में परमेश्‍वर का “कुशल कारीगर” बनकर काम किया। (कुलुस्सियों 1:15-17; नीतिवचन 8:22-31) धरती पर आने के बाद भी यीशु कड़ी मेहनत करता रहा। छोटी उम्र से ही, उसने बढ़ई का काम इतनी अच्छी तरह सीख लिया कि लोग उसे “बढ़ई” पुकारते थे।a (मरकुस 6:3) इस काम में कमर-तोड़ मेहनत करनी पड़ती थी और अलग-अलग किस्म के हुनर की ज़रूरत होती थी। उस ज़माने में न तो आरा-मिलें थीं, न लकड़ी के गोदाम थे जहाँ से कटी-कटाई लकड़ी खरीदी जा सके और न ही बिजली से चलनेवाले उपकरण थे, जिनसे झटपट काम निपटाया जा सके। कल्पना कीजिए कि यीशु कंधे पर कुल्हाड़ा लिए अपने काम के लिए लकड़ी का इंतज़ाम करने जा रहा है। सही पेड़ तलाशने के बाद, वह पेड़ काटने के लिए अपने कुल्हाड़े से उस पर चोट-पर-चोट कर रहा है और फिर शहतीरों को ढो-ढोकर उस जगह तक ले जा रहा है जहाँ उसका काम चल रहा है। क्या आप देख सकते हैं कि यीशु घर बनाने में लगा हुआ है? वह कड़ियाँ तैयार करता है और इसके बाद वह उन्हें छत पर लगा रहा है, दरवाज़े बना रहा है और घर का फर्नीचर तैयार कर रहा है। बेशक, यीशु अपने तजुरबे से जानता था कि हुनर और कड़ी मेहनत के साथ किया गया अच्छा काम मन को कितना संतोष देता है।

  • अपनी मेहनत के कामों से खुशी पाइए
    “खुद को परमेश्‍वर के प्यार के लायक बनाए रखो”
    • a जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “बढ़ई” किया गया है, वह “लकड़ी का काम करनेवाले कारीगर के लिए एक आम शब्द है, फिर चाहे वह मकान बनाता हो या घर का फर्नीचर या किसी और किस्म की लकड़ी की चीज़ें।”

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