नैतिक विशुद्धता जवानी की खूबसूरती है
“हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, . . . अपनी मनमानी कर और अपनी आँखों की दृष्टि के अनुसार चल। परन्तु यह जान रख कि इन सब बातों के विषय परमेश्वर तेरा न्याय करेगा।”—सभोपदेशक ११:९.
१, २. (अ) यहोवा युवजन के लिए क्या चाहते हैं? (ब) आपके हृदय और आँखों को पसंद आनेवाली हर चीज़ का पीछा करना मूर्खता क्यों है?
“जवानी, उत्सुकता और कोमलता वसंत ऋतु के समान हैं। उसकी अल्प कालावधि की . . . शिकायत करने के बजाय . . . उसका आनन्द उठाने की कोशिश करें।” यों १९वीं सदी के एक जर्मन कवि ने लिखा। आप कमसिनों को दी सलाह के वे शब्द उन्हीं शब्दों की गूँज है जो बाइबल के सभोपदेशक नाम किताब में हज़ारों वर्ष पहले लिखे गए थे: “हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द कर, और अपने जवान पुरुषत्व [या, नारीत्व] के दिनों में मगन रह; अपनी मनमानी कर और अपने आँखों की दृष्टि के अनुसार चल।” (सभोपदेशक ११:९अ, न्यू.व.) तो यहोवा परमेश्वर ज़रूरतन् उन चीज़ों के विषय निषेधात्मक दृष्टि नहीं रखता जो तरुण अभिलाषाओं को अच्छी लगती हैं। वह चाहता है कि आप अपनी जवानी की ताक़त और तन्दुरुस्ती का पूर्ण रूप से आनन्द लें।—नीतिवचन २०:२९.
२ बहरहाल, क्या इसका यह मतलब है कि आप अपने दिल और आँखों को जो पसंद आए कर सकते हैं? हरगिज़ नहीं! (गिनती १५:३९; १ यूहन्ना २:१६) आगे जाकर शास्त्रपद में यह कहा गया है: “परन्तु यह जान रख कि इन सब बातों [जो काम-धंधे आप अपनी अभिलाषाएँ तृप्त करने के लिए चुनेंगे] के विषय परमेश्वर तेरा न्याय करेगा।” (सभोपदेशक ११:९ब) जी हाँ, आप अपने कर्मों के नतीजों से नहीं भाग सकते; वयस्कों की तरह, युवजन भी यहोवा के न्याय के पराधीन हैं।—रोमियों १४:१२.
३, ४. (अ) नैतिक विशुद्धता का एक उच्च स्तर क्यों बनाए रखना चाहिए? (ब) परमेश्वर के साथ आपकी विशुद्ध स्थिति खो देने के लिए आप पर कौनसा दबाव है, और कौनसे प्रश्न उठाए गए हैं?
३ यहोवा के अनुकूल न्याय का नतीजा न केवल अनन्त जीवन है, लेकिन अभी परमेश्वर के साथ एक घनिष्ठ रिश्ता है। बहरहाल, आप को नैतिक विशुद्धता का एक उच्च स्तर बनाए रखना पड़ेगा। भजन २४, आयत ३ से ५ में इस तरह कहा गया है: “यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता है? और उसके पवित्रस्थान में कौन खड़ा हो सकता है? जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध है, जिस ने अपने मन को व्यर्थ बात की ओर नहीं लगाया, और न कपट से शपथ खाई है। वह यहोवा की ओर से आशीष पाएगा, और अपने उद्धार करनेवाले परमेश्वर की ओर से धर्मी ठहरेगा।” हाँ, जब आप नैतिक विशुद्धता बनाए रखते हैं, तब आप यहोवा की नज़रों में खूबसूरत होते हैं।
४ फिर भी, परमेश्वर के साथ अपनी विशुद्ध स्थिति खो देने के लिए आप पर सतत दबाव है। जैसे ये आख़री दिन अपनी समाप्ति की ओर बढ़ते हैं, अनैतिक आचरण और अशुद्ध प्रभावों की एक महामारी फैली है। (२ तीमुथियुस ३:१-५) युवजन के लिए नैतिक विशुद्धता बनाए रखने की चुनौती अब से महत्तर कभी न थी। क्या आप सफलतापूर्वक इस चुनौती का सामना कर रहे हैं? क्या आप ऐसा करते रहेंगे?
जिस चुनौती का आप सामना करते हैं
५. कौनसे अशुद्ध दबावों की वजह से परमेश्वर के सामने की विशुद्ध स्थिति बनाए रखना मुश्किल हो जाता है?
५ मनोरंजन माध्यम युवजन पर ऐसी बातों से आक्रमण करता है जो शालीन बातों को एक तरफ़ ढकेल देती हैं और उन बातों का गुणगान करती हैं जो सुस्पष्ट रूप से अनैतिक हैं। उदाहरणार्थ, हिंसापूर्ण हॉरर (भयंकर रोमांचक) फ़िल्मों की श्रृंखला में एक फ़िल्म के रिलीस पर, एक फ़िल्म समालोचक ने लिखा: “भारी मात्रा में सेक्स-आघात, खून-आघात, और अश्लीलता-आघात का एकान्तरण इस फ़िल्म का नियम है। अगर यह फ़िल्म उपस्थिति रिकार्ड कायम करेगी, तो यह . . . फ़िल्मों की पसन्द . . . के अवक्रमण में एक और विशाल अवतरण का स्मारक होगा।” ऐसे फ़िल्मों के साथ साथ लैंगिक रूप से सुस्पष्ट शब्दों वाले गानें और अवैध यौन-संबंध का गुणगान करनेवाले टेलीविझन कार्यक्रम भी मौजूद हैं। क्या आप अपने आप को “भारी लुचपन” के ऐसे सुस्पष्ट चित्रण के प्रभाव में डालकर परमेश्वर के सामने अपनी विशुद्ध स्थिति बनाए रख सकते हैं? (१ पतरस ४:४) जैसा कि नीतिवचन कहता है: “क्या हो सकता है कि कोई अपनी छाती पर आग रख ले; और उसके कपड़े न जलें?”—नीतिवचन ६:२७.
६. युवजन अपने समवयस्कों की ओर से कौनसे दबावों का सामना करते हैं?
६ परमेश्वर के सामने अपनी विशुद्ध स्थिति खो देने का दबाव एक और स्रोत से भी आता है—आपके समवयस्क। एक १७-वर्षीया दुनियाई लड़की ने शोक किया: “सभी ग़लत वजहों से मैं ने पहली बार किसी के साथ मैथुन किया: इसलिए कि मेरे प्रेमी ने आग्रह किया और इसलिए कि मैं ने सोचा कि हर कोई ऐसा कर रहा है।” कोई नहीं चाहता कि लोग उसकी हँसी उड़ाएं। यह चाहना स्वाभाविक है कि दूसरे हमें पसन्द करें। लेकिन जब आप बाइबल की नैतिकता के पक्ष में स्थिति लेंगे, तब अन्य युवजन शायद आपका मज़ाक उड़ाएँगे। अनुरूप होने, अपने समवयस्कों का स्वीकार प्राप्त करने की इच्छा, आप पर ऐसा कुछ करने का दबाव डाल सकती है जो आप जानते हैं ग़लत है।—नीतिवचन १३:२०.
७. युवजन के लिए अशुद्ध प्रभावों से मुक़ाबला करना खास तौर से मुश्किल क्यों है, लेकिन यहोवा के संघटन के हज़ारों युवा व्यक्तियों ने अपने आप को क्या साबित किया है?
७ इन प्रभावों का विरोध करना “भरी जवानी” में खास तौर से मुश्किल है, जब काम लालसाएँ उत्कट होती हैं। (१ कुरिन्थियों ७:३६) कोई आश्चर्य की बात नहीं कि एक अनुसन्धायक संस्थान इस निष्कर्ष पर पहुँचा: “यह असाधारण युवक ही होगा जिसने १९ की उम्र तक विवाह-पूर्वी मैथुन नहीं किया हो।” फिर भी, यहोवा के संघटन में आप हज़ारों युवजन ने खुद को असाधारण दिखाया है। आप सीधे-सीधे चुनौती का सामना कर रहे हैं और नैतिक विशुद्धता बनाए रख रहे हैं।
८. कुछ मसीही युवजन ने इस दुनिया के अनैतिक रवैयों का असर अपने ऊपर क्यों होने दिया है, और इसका नतीजा क्या हुआ है?
८ बहरहाल, यह कहने को दुःख होता है कि कई मसीही युवजन ने दुनिया की अनैतिक अभिवृत्तियों को खुद पर असर करने दिया है। जबकि वे शायद भलाई से प्रेम करने का दावा करेंगे, वे बुराई से नफ़रत नहीं करते; कम से कम, वे उस से पर्याप्त मात्रा में नफ़रत नहीं करते। (भजन ९७:१०) कुछ मिसालों में, ऐसा लगता है कि वे उस से प्रीति भी रखते हैं। जैसा भजन ५२:३ उसे व्यक्त करता है: “तू भलाई से बढ़कर बुराई में, और अधर्म की बात से बढ़कर झूठ से प्रीति रखता है।” कुछ लोग डेटिंग (विवाह पूर्व या उसका विचार किए बग़ैर, लड़का और लड़की का अकेले मिलना), मनोरंजन और नैतिकता जैसी बातों पर यहोवा के संघटन से आए निर्देशन को सीधा ठुकराने की हद तक जाते हैं। इसके फलस्वरूप, अक़्सर वे, दोनों, अपने माता-पिता पर और खुद पर बदनामी लाते हैं। वे परमेश्वर की नज़रों में अपनी खूबसूरती भी खो देते हैं।—२ पतरस २:२१, २२.
चुनौती का सामना करने में मदद
९. नैतिक रूप से विशुद्ध रहने की चुनौती का सामना करने के लिए क्या ज़रूरी है?
९ आप नैतिक रूप से विशुद्ध रहने की चुनौती का सामना कैसे कर सकेंगे? भजनकार ने वही सवाल किया: “जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे?” उसने फिर जवाब दिया: “तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।” (भजन ११९:९) जी हाँ, आपको परमेश्वर के वचन से मार्गदर्शन की ज़रूरत है। और हमारे प्रेममय स्वर्ग के पिता ने यह प्रबंध किया है कि उसका संघटन आपको इस दुनिया के अशुद्ध दबावों का प्रतिरोध करने की मदद करने के लिए ऐसा मार्गदर्शन देता रहता है।
१०, ११. (अ) युवजन को नैतिक रूप से विशुद्ध रहने की मदद करने के लिए कौनसे प्रकाशन तैयार किए गए हैं? (ब) “यंग पीपल आस्क . . . ?” इस लेख-श्रृंखला से कुछ युवजन की मदद किस तरह हुई है? (क) स्वयं आप “यंग पीपल आस्क . . . ?” लेख-श्रृंखला से किस तरह लाभ प्राप्त कर चुके हैं?
१० पिछले सालों में अनेक प्रकाशन युवजन का खास विचार करके तैयार किए गए हैं, जैसा कि यूअर यूथ—गेटिंग द बेस्ट आउट ऑफ इट नाम की किताब। १९८२ से अवेक! पत्रिका में लेख-श्रृंखला “यंग पीपल आस्क . . . ” (“युवजन पूछते हैं . . . ”) ने अश्लील साहित्य, रोमांस उपन्यास और प्रणय-निवेदन के दौरान उचित आचरण जैसे मामलों पर बहुत मददपूर्ण सलाह दी है। क्या इस जानकारी से युवजन की सचमुच मदद हुई है? एक मिसाल पर ग़ौर करें। उस श्रृंखला के अनेक लेखों में हस्तमैथुन के अभ्यास पर विचार-विमर्श किया गया, यह दिखाते हुए कि इस आदत से “दुष्कामना” उत्तेजित होती है और इस कारण कोई व्यक्ति आसानी से लैंगिक अनैतिकता में गिर सकता है।a (कुलुस्सियों ३:५) उस आदत के ख़िलाफ़ लड़ने और पुनःपतन से निपटने पर व्यवहार्य सुझाव दिए गए थे। उन लेखों के उत्तर में, कुछ युवाओं ने लिखा: “१२ साल की उम्र से मैं हस्तमैथुन कर रहा हूँ। मेरी उम्र अब १८ साल है, और आपके लेखों की बदौलत, मैं धीरे-धीरे सँभल रहा हूँ।” “अब जबकि मैं ने इन लेखों में दी सलाह ली है, मैं अपनी मनःस्थिति अधिक बेहतर पाती हूँ। मैं पहले से अधिक विशुद्ध महसूस कर रही हूँ।”
११ ऐसी जानकारी पढ़ने और अध्ययन करने के लिए समय लगता है, लेकिन ऐसा करने से आपको नैतिक रूप से विशुद्ध रहने में मदद होगी। क्या आप ऐसी प्रकाशित जानकारी का पूरा-पूरा फ़ायदा उठा रहे हैं? “यंग पीपल आस्क . . . ” श्रृंखला के “शादी से पहले सैक्स—क्यों नहीं?”b शीर्षक वाले लेख के उत्तर में, एक युवती ने, जो कि उस वक्त बाइबल की विद्यार्थिनी थी, लिखा: “विवाह-पूर्वी सैक्स के बाद उत्पन्न होनवाली बुरी, दोषी, और ईष्यालु भावनाओं को मैं जानती हूँ, और मुझे उसका बहुत ज़्यादा खेद है। हर दिन मैं यहोवा को उसके स्वीकार और उसकी क्षमा के लिए शुक्रिया अदा करती हूँ। मेरी आशा है कि आप के लेख से दूसरों की, मेरे जैसा करने से पहले, मदद होगी। इस से सचमुच चोट पहुँचती है। अब मैं समझती हूँ कि यहोवा परमेश्वर क्यों चाहते हैं कि हम ‘व्यभिचार से बचे रहें।’”—१ थिस्सलुनीकियों ४:३.
१२. यहोवा को प्रसन्न करने के लिए हमें क्या प्रेरित करेगा?
१२ इस बात से हम एक और बात पर आते हैं, जिस से आप को चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करने की मदद होगी: आप को इस बात की क़दर करनी चाहिए कि यहोवा विश्व के अधिराट् हैं और उसका आज्ञापालन करना ही चाहिए। (प्रकाशितवाक्य ४:११) बहरहाल, उसी समय, वह एक प्रेममय स्वर्गीय पिता हैं, और उसे अपने मन में हमारे हितों की चिन्ता है। (नीतिवचन २:२०-२२; यशायाह ४८:१७) उसके नियम हमारी रक्षा के लिए हैं, हम पर व्यर्थ ही रोक लगाने के लिए नहीं। इसलिए उन्हें मानना बुद्धिमानी का रास्ता है। (व्यवस्थाविवरण ४:५, ६) यहोवा नैतिक विशुद्धता का आग्रह क्यों करता है, यह सुस्पष्ट रूप से समझने से आपको उस में की असली खूबसूरती देखने की मदद होगी और इस से आप उसे प्रसन्न करना चाहने के लिए प्रेरित होंगे।—भजन ११२:१.
१३. आप कैसे व्याख्या करेंगे कि यहोवा का नियम जो व्यभिचार निषेध करता है, हमारे हित में है?
१३ इस वास्तविकता पर ग़ौर करें कि परमेश्वर मैथुन को विवाह संबंध तक ही सीमित करता है और व्यभिचार सख़्त रूप से मना करता है। (इब्रानियों १३:४) क्या इस नियम का आज्ञापालन करने से आप कुछ अच्छी बातों से वंचित होंगे? क्या एक प्रेममय स्वर्गीय पिता आपको ज़िन्दगी में आनन्द से वंचित करने के लिए नियम बनाएगा? हरगिज़ नहीं! आपके समवयस्कों के जीवन में क्या-क्या हो रहा है, इसे देखें, जो कि परमेश्वर के नैतिक नियम की अवहेलना करते हैं। अनचाहे गर्भ अक़्सर उन्हें गर्भपात करने या, शायद असामयिक विवाह करने तक ले जाता है। कई बार यह भी होता है कि पति के बिना ही बच्चे की परवरिश करनी पड़ती है। इसके अतिरिक्त, जो युवजन व्यभिचार का अभ्यास करते हैं, वे ‘अपनी ही देह के विरुद्ध पाप करते’ हैं और अपने को लैंगिक रूप से प्रसारित रोगों की जोख़िम में डालते हैं। (१ कुरिन्थियों ६:१८) और जब कोई युवक, जो यहोवा को समर्पण कर चुका है, व्यभिचार करता है, भावात्मक गौण प्रभाव विध्वंसकारी हो सकते हैं। दोषी अंतःकरण की परेशानी दबाने की कोशिश करने के कारण थकावट और निद्राहीन रातें उत्पन्न होती हैं। (भजन ३२:३, ४; ५१:३) तो क्या यह ज़ाहिर नहीं कि यहोवा का वह नियम जो व्यभिचार निषिद्ध करता है, आपकी रक्षा करने के लिए रचा गया है? नैतिक विशुद्धता बनाए रखने में असली फ़ायदा है!
१४. इस दावे के विषय में कि किशोरावस्था में विवाह करना एक संरक्षण है, व्याख्या दें कि हमें १ कुरिन्थियों ७:९ और ७:३६ में पौलुस के शब्दों का कैसे विचार करना चाहिए।
१४ माना, कि नैतिकता पर परमेश्वर के सख़्त नियमों का पालन करना आसान नहीं। इसकी वजह से, कुछ युवजन ने यह निष्कर्ष निकाला है कि अपनी किशोर-अवस्था में शादी करना ही सबसे बेहतर सुरक्षा है। ‘आख़िर,’ वे तर्क करते हैं, ‘क्या १ कुरिन्थियों ७:९ नहीं कहता: “यदि वे संयम न कर सकें, तो विवाह करें; क्योंकि विवाह करना कामातुर रहने से भला है।”?’ बहरहाल, ऐसा नज़रिया अदूरदर्शी है। पौलुस के शब्द किशोरों को नहीं बल्कि उन लोगों को संबोधित थे, जिसकी “भरी जवानी ढल चली है।” (१ कुरिन्थियों ७:३६, न्यू.व.) अधिकांशतः, भरी जवानी की अवस्था में जो लोग अभी हैं, वे उस हद तक भावात्मक और आध्यात्मिक रूप से विकसित नहीं हुए, कि विवाह सहित आनेवाले दबाव और ज़िम्मेदारियाँ उठाएँ। जर्नल ऑफ़ मॅरेज ॲन्ड द फॅमिली रिपोर्ट करता है: “जो लोग जल्दी शादी करते हैं, वे इसलिए निम्नतर वैवाहिक संतोष अनुभव करते हैं कि उन में वैवाहिक भूमिका की अदाकारी की तैयारी का अभाव है। भूमिका की घटिया अदाकारी संतोष को कम करता है, जिसके परिणामस्वरूप वैवाहिक अस्थिरता उत्पन्न होती है।” तो समाधान, तरुणावस्था में शादी करना नहीं, बल्कि तब तक विशुद्ध कुँवारापन बनाए रखना है, जब तक आप उन सभी गुणों को विकसित न करें, जो विवाह को सफल बनाने के लिए ज़रूरी हैं।
अपने आप को विशुद्ध रखें!
१५. अगर आपको नैतिक रूप से विशुद्ध रहना है, तो कौनसे सख़्त क़दम लेने ज़रूरी हैं?
१५ प्रेरित पौलुस ने लिखा: “इसलिए अपने उन अंगों को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना।” (कुलुस्सियों ३:५) जी हाँ, सख़्त क़दम लेना ज़रूरी हैं; आपको नैतिक रूप से विशुद्ध रहने के लिए दृढ़निश्चित होना चाहिए। जिस क्रियापद का अनुवाद “मार डालना” किया गया है, उस पर टिप्पणी करते हुए, दी एक्सपॉज़िटर्स बाइबल कॉम्मेंटरी कहता है: “इस से यह सूचित होता है कि हमें न सिर्फ़ दुष्ट कामों और रवैयों को दबाना या क़ाबू में रखना है। बल्कि हमें उन्हें मिटा देना है, उस पुराने जीवन-क्रम को संपूर्ण रीति से नष्ट करना है। ‘पूर्ण रूप से वध करना’ शायद उसका ज़ोर व्यक्त करेगा। . . . क्रियापद के अर्थ और काल के ज़ोर, दोनों, से व्यक्तिगत दृढ़निश्चय का एक प्रबल, कष्टकारी कार्य सूचित होता है।”—मत्ती ५:२७-३० से तुलना करें।
१६. नैतिक रूप से विशुद्ध रहने के लिए, आपको मानसिक रूप से विशुद्ध रहने का परिश्रम क्यों करना चाहिए, और ऐसा करने में आप किस तरह सफल हो सकते हैं?
१६ बहरहाल, आप नैतिक रूप से अशुद्ध काम और रवैयों को किस तरह “पूर्ण रूप से वध” कर सकते या ‘मिटा सकते’ हैं? यीशु समस्या की जड़ तक पहुँचा, जब उसने कहा: “भीतर से, अर्थात् मनुष्य के मन से, बुरी बुरी तर्कणा निकलती है: व्यभिचार, . . . परस्त्रीगमन, लोभ।” (मरकुस ७:२१, २२, न्यू.व.) प्रतीकात्मक हृदय में विचार शक्तियाँ शामिल हैं, जिस वजह से यह “तर्कणा” से संबद्ध है। तो फिर, नैतिक रूप से विशुद्ध रहने के लिए आपको मानसिक रूप से विशुद्ध रहने का प्रयास करना चाहिए। कैसे? चूँकि मन का पोषण ज्ञानेंद्रियों से होता है, आपको उन बातों के विषय में सतर्क रहना चाहिए जो आप अपनी आँखों से देखते हैं, उन किताबों, टी.वी. कार्यक्रमों, या फ़िल्मों से दूर रहकर जो लैंगिक अनैतिकता चित्रित करते या उनकी अनदेखी करते हैं। और, जो कुछ आप अपने कानों से सुनते हैं, उनके बारे में भी आप को सावधान रहना चाहिए, ऐसे गानों से बचकर रहते हुए जिन में लैंगिक रूप से सुस्पष्ट शब्द हैं। ऐसा पक्ष लेने के लिए साहस आवश्यक होता है, खास तौर से अपने समवयस्कों के सम्मुख, लेकिन ऐसा करने से आपको नैतिक रूप से विशुद्ध रहने और स्वाभिमान बनाए रखने की मदद होगी।
१७. क्यों नैतिक अशुद्धता का ज़िक्र आप के बीच कभी नहीं होना चाहिए?
१७ प्ररित पौलुस ने भी सलाह दी: “जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो।” (इफिसियों ५:३; इफिसियों ५ आयत १२ भी देखें।) इसलिए नैतिक अशुद्धता का ज़िक्र तक भी होना नहीं चाहिए, यानी, उस पर देर तक बोलना या उसे हँसी-मज़ाक का एक विषय के तौर से इस्तेमाल करना नहीं चाहिए। क्यों नहीं? जैसा कि बाइबल विद्वान् विलियम बारक्ले ने उसे व्यक्त किया: “किसी चीज़ के बारे में बात करना, उस के विषय मज़ाक करना, उसे बातचीत का प्रायिक विषय बनाना ही, उस बात को मन में प्रस्तुत करना होता है, और उसका वास्तविक करना भी नज़दीक़ लाता है।” (याकूब १:१४, १५) ‘अपने मुँह पर लगाम लगाए बन्द किए रहने’ के लिए वास्तविक दृढ़निश्चय ज़रूरी होता है, खास तौर से उस वक्त जब अन्य युवजन गंदे चुटकुले बता रहे होते हैं या लैंगिक कामों का वर्णन करने में भद्दी भाषा इस्तेमाल कर रहे होते हैं। (भजन ३९:१) सच्चा और विशुद्ध रहने से, आप यहोवा के मन को आनन्दित करेंगे।—भजन ११:७; नीतिवचन २७:११.
१८. (अ) नैतिक अशुद्धता के विरुद्ध की लड़ाई जीतने के लिए, अशुद्ध विचार और भाषा ठुकरा देना ही क्यों काफ़ी नहीं? (ब) आप फिलिप्पियों को दिए पौलुस की सलाह से कैसे फ़ायदा उठा सकते हैं?
१८ नैतिक अशुद्धता के ख़िलाफ़ संघर्ष जीतने के लिए, यही काफ़ी नहीं कि हम अशुद्ध विचार और भाषा को ठुकरा दें। एक चीनी कहावत कहती है: “ख़ाली मन हर सुझाव के प्रति खुला है।” (मत्ती १२:४३-४५ से तुलना करें।) पौलुस ने मन को हितकर, शुद्ध विचारों से भरने की आवश्यकता पहचान ली। इसलिए, उसने फिलिप्पियों को प्रोत्साहित किया: “जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सद्गुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्हीं पर ध्यान लगाया करो [‘उन्हें ध्यानयुक्त मनन का विषय बनाओ’c]।”—फिलिप्पियों ४:८.
१९. परमेश्वर के वचन का एक उद्यमी अध्ययन क्यों करें, और इस से आप को नैतिक रूप से विशुद्ध रहने की मदद कैसे होगी?
१९ इसका अर्थ परमेश्वर के वचन का एक उद्यमी अध्ययन करना होता है। (यहोशू १:८; भजन १:२) इस से आपका मन और हृदय सदृढ़ होगा और आप को यहोवा के साथ एक गहरा निजी संबंध विकसित करने की मदद होगी। इस प्रकार आप नैतिक रूप से अशुद्ध आचरण में हिस्सा लेने के प्रलोभन का प्रतिरोध करने की अधिक बेहतर स्थिति में होंगे। आप यहोवा के नाम पर बदनामी लाने और अपने परिवार और मण्डली पर कलंक लाने का ख़तरा बिल्कुल ही नहीं मोल लेंगे। उलटा, आप अपनी जवानी की ताक़त और बल इस रीति से इस्तेमाल करेंगे कि बाद में आपको कोई खेद महसूस न हो। जी हाँ, आप नैतिक विशुद्धता के रास्ते पर चलेंगे, जो कि सचमुच ही उन युवजन की खूबसूरती है जो यहोवा की सेवा करते हुए पाए जाते हैं!—नीतिवचन ३:१-४.
[फुटनोट]
a अवेक! पत्रिका के सितम्बर ८, १९८७, पृष्ठ १९-२१; नवम्बर ८, १९८७, पृष्ठ १८-२०; और मार्च ८, १९८८, पृष्ठ २०-३, अंक देखें।
b अवेक! दिसम्बर ८, १९८५, पृष्ठ १०-१३.
c दी एक्सपॉज़िटर्स ग्रीक टेस्टामेन्ट.
युवजन—आप कैसे जवाब देंगे?
◻ आपको नैतिक विशुद्धता का उच्च स्तर क्यों अवश्य बनाए रखना चाहिए?
◻ कौनसे दबावों के कारण परमेश्वर के साथ एक विशुद्ध स्थिति बनाए रखना चुनौती-भरा होता है?
◻ नैतिक रूप से विशुद्ध रहने की चुनौती का सामना करने के लिए आपकी किस बात से मदद होगी?
◻ अगर आप खुद को नैतिक रूप से विशुद्ध रखना चाहते हों, तो कौनसे सख़्त क़दम लेने ज़रूरी हैं?
[पेज 23 पर बक्स]
भरी जवानी की अवस्था में जो लोग अभी हैं, उन में के अधिकांश लोगों की उम्र जनकता की ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लिए बहुत कम है