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यहोवा तन मन से की गयी आपकी सेवा को बहुमूल्य समझता हैप्रहरीदुर्ग—1997 | अक्टूबर 15
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१६. (क) यीशु ने उस ग़रीब विधवा के अंशदान को किस नज़र से देखा? (ख) विधवा की दमड़ियों की क़ीमत क्या थी?
१६ दो दिन बाद, निसान ११ को, यीशु ने मंदिर में लगभग पूरा दिन बिताया, जहाँ उसके अधिकार पर सवाल उठाया गया था और उसने कर, पुनरुत्थान, और अन्य मामलों पर कठिन सवालों के जवाब दिए थे। उसने अन्य बातों समेत, “विधवाओं के घरों को खा” जाने के लिए शास्त्रियों और फरीसियों की निंदा की। (मरकुस १२:४०) फिर यीशु बैठ गया, स्पष्टतः स्त्रियों के आँगन में, जहाँ यहूदी परंपरा के अनुसार १३ दान पेटियाँ थीं। वह कुछ देर तक बैठा, और उसने लोगों को अपने अंशदान डालते हुए ध्यान से देखा। कई अमीर लोग आए, कुछ लोग शायद आत्म-धार्मिकता के दिखावे के साथ, यहाँ तक कि ठाठ-बाट के साथ। (मत्ती ६:२ से तुलना कीजिए।) यीशु की नज़र एक ख़ास स्त्री पर टिक गयी। किसी साधारण व्यक्ति को शायद उसमें या उसकी भेंट में कोई ख़ासियत नहीं नज़र आयी होगी। परंतु यीशु, जो दूसरों के हृदय जान सकता था, जानता था कि वह “एक कंगाल विधवा” थी। वह उसकी भेंट की रक़म भी ठीक-ठीक जानता था—“दो दमड़ियां, जो एक अधेले के बराबर होती हैं।”b—मरकुस १२:४१, ४२.
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यहोवा तन मन से की गयी आपकी सेवा को बहुमूल्य समझता हैप्रहरीदुर्ग—1997 | अक्टूबर 15
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b इनमें से हरेक दमड़ी एक लॆप्टन थी, अर्थात् उस समय इस्तेमाल किया गया सबसे छोटा यहूदी सिक्का। दो लॆप्टा एक दिन के वेतन के ६४वें हिस्से के बराबर थे। मत्ती १०:२९ के अनुसार, एक असेरिअन सिक्के से (आठ लॆप्टा के बराबर) एक व्यक्ति दो गौरैये ख़रीद सकता था, जो ग़रीब लोगों द्वारा भोजन के लिए इस्तेमाल किए जानेवाले सबसे सस्ते पक्षी थे। सो यह विधवा वाक़ई ग़रीब थी, क्योंकि उसके पास एक गौरैया ख़रीदने के लिए ज़रूरी पैसों से भी केवल आधे पैसे थे, जो एक भोजन के लिए भी काफ़ी नहीं थी।
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