अवश्य है कि पहले इस सुसमाचार का प्रचार किया जाए
“अवश्य है कि पहिले सुसमाचार सब जातियों में प्रचार किया जाए।”—मरकुस १३:१०.
१, २. गवाहों का एक पहचान चिह्न क्या है, और क्यों?
यहोवा के गवाह इतनी निरंतरता से प्रचार में क्यों लगे रहते हैं? निश्चित ही हम विश्व-भर में अपनी सार्वजनिक सेवकाई के लिए जाने जाते हैं, चाहे वह घर-घर हो, सड़कों पर हो, या अनौपचारिक सम्पर्क के दौरान हो। हर उपयुक्त अवसर पर, हम गवाहों के रूप में अपनी पहचान करवाते हैं और जिस सुसमाचार को हम बहुमूल्य समझते हैं, उसे व्यवहार-कुशलता से दूसरों को बताने का प्रयत्न करते हैं। दरअसल, हम कह सकते हैं कि यह सेवकाई हमारा पहचान चिह्न है!—कुलुस्सियों ४:६.
२ इसके बारे में ज़रा विचार कीजिए—जब भी लोग अपने पड़ोस में अच्छे कपड़े पहने हुए, बैग लिए हुए पुरुषों, स्त्रियों, और बच्चों को देखते हैं, तो आम तौर पर उनका सबसे पहला विचार क्या होता है? क्या यह कि, ‘ओह, ये कैथोलिक (या ऑर्थोडॉक्स) फिर आ रहे हैं!’ या, ‘ये पेंटेकॉस्टल्स् (या बैप्टिस्ट) फिर आ रहे हैं!’ नहीं। लोग जानते हैं कि ऐसे धर्मों में घर-घर की सेवकाई करनेवाले पूरे परिवार नहीं हैं। शायद कुछ धार्मिक समूह कुछ “मिशनरियों” को दो-साल की कार्य-नियुक्ति पर किन्हीं क्षेत्रों में भेजते हैं, लेकिन उनके सामान्य सदस्य ऐसी किसी सेवकाई में भाग नहीं लेते। विश्व-भर में सिर्फ़ यहोवा के गवाह ही हर उपयुक्त अवसर पर दूसरों को अपना संदेश बताने के जोश के लिए पहचाने जाते हैं। और वे अपनी पत्रिकाओं प्रहरीदुर्ग और अवेक! के लिए जाने जाते हैं।—यशायाह ४३:१०-१२; प्रेरितों १:८.
मसीहीजगत के पादरियों के साथ विषमता
३, ४. समाचार माध्यमों में मसीहीजगत के पादरियों को अकसर कैसे चित्रित किया जाता है?
३ इसके ठीक विषमता में, समाचार रिपोर्टों ने अकसर कुछ देशों में अनेक पादरियों को बाल दुर्व्यवहारकर्ताओं, अनैतिक जालसाज़ों, और धोखेबाज़ों के रूप में प्रकट किया है। उनके शरीर के काम और उनकी अति-विलासी जीवन-शैलियाँ सबके सामने खुली हैं। एक लोकप्रिय गीतकार ने इसे अपने गीत में अच्छी तरह व्यक्त किया, जिस का शीर्षक है “क्या यीशु अपने टी.वी. कार्यक्रम में एक रोलेक्स [बहुत महंगी सोने की घड़ी] पहनता?” वह सवाल पूछता है: “यदि यीशु पृथ्वी पर वापस आता तो क्या वह राजनैतिक प्रवृत्ति का होता? क्या उसका दूसरा घर पाम स्प्रिंग्स [एक अमीर कैलिफॉर्निया समुदाय] में होता और वह अपनी संपत्ति छिपाने का प्रयत्न करता?” याकूब के शब्द कितने उपयुक्त हैं: “तुम पृथ्वी पर भोग-विलास में लगे रहे और बड़ा ही सुख भोगा; तुम ने इस बध के दिन के लिए अपने हृदय का पालन-पोषण करके मोटा ताजा किया।”—याकूब ५:५; गलतियों ५:१९-२१.
४ पादरियों का राजनीतिज्ञों के साथ मेलजोल तथा चुनावों में राजनैतिक उम्मेदवार बनकर हिस्सा लेना भी उन्हें आधुनिक-दिन के शास्त्रियों और फरीसियों की तरह प्रकट करता है। साथ-ही-साथ अमरीका और कनाडा जैसे देशों में, पादरियों द्वारा बच्चों और वयस्कों के साथ कामुक व्यवहार के परिणामस्वरूप, धार्मिक समूह उन पादरियों के विरुद्ध किए गए मुक़दमों, और फ़ैसलों के अत्यधिक ख़र्च के कारण पैसा गवाँ रहे हैं।—मत्ती २३:१-३.
५. मसीहीजगत के पादरी “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” साबित क्यों नहीं हुए हैं?
५ यीशु अपने दिन के पादरियों से ठीक ही कह सका: “हे कपटी शास्त्रियो, और फरीसियो, तुम पर हाय; तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।” इसलिए, परमेश्वर ने मसीहीजगत के पादरियों को, चाहे वे कैथोलिक, प्रोटेस्टंट, ऑर्थोडॉक्स, या ग़ैर-सांप्रदायिक हों, सुसमाचार का प्रचार करने का आदेश नहीं दिया है। वे पूर्वबताए गए “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” साबित नहीं हुए हैं।—मत्ती २३:२७, २८; २४:४५-४७.
सुसमाचार का प्रचार पहले क्यों करें?
६. कौनसी घटनाएँ जल्द ही घटनेवाली हैं?
६ सब जातियों में सुसमाचार प्रचार करने की यीशु की आज्ञा के अपने संक्षिप्त विवरण में, केवल मरकुस ही शब्द “पहिले” का इस्तेमाल करता है। (मरकुस १३:१०; साथ ही मत्ती २४:१४ से तुलना कीजिए।) जे. बी. फिलिप्पस् का अनुवाद कहता है: “क्योंकि अन्त के आने से पहले सुसमाचार सब जातियों में उद्घोषित किया जाना अवश्य है।” “पहिले” का क्रिया-विशेषणात्मक इस्तेमाल सूचित करता है कि विश्वव्यापी सुसमाचार के प्रचार कार्य के बाद अन्य घटनाएँ घटेंगी। उन घटनाओं में प्रतिज्ञात भारी क्लेश और नए संसार पर मसीह का धार्मिक शासकत्व शामिल है।—मत्ती २४:२१-३१; प्रकाशितवाक्य १६:१४-१६; २१:१-४.
७. परमेश्वर सुसमाचार का प्रचार पहले क्यों करवाना चाहता है?
७ सो परमेश्वर सुसमाचार का प्रचार पहले क्यों करवाना चाहता है? एक कारण यह है कि वह प्रेम, न्याय, बुद्धि, और शक्ति का परमेश्वर है। मत्ती २४:१४ और मरकुस १३:१० में अभिलिखित यीशु के कथनों की पूर्ति में, हम यहोवा के इन गुणों का प्रभावशाली प्रकटन पा सकते हैं। आइए हम इन्हें एक एक करके संक्षेप में जाँचें और देखें कि कैसे ये सुसमाचार के प्रचार से सम्बन्धित हैं।
सुसमाचार और यहोवा का प्रेम
८. सुसमाचार का प्रचार किस तरह परमेश्वर के प्रेम का एक प्रकटन है? (१ यूहन्ना ४:७-१६)
८ सुसमाचार का प्रचार किस तरह परमेश्वर के प्रेम को प्रतिबिम्बित करता है? सबसे पहले, क्योंकि यह एक ऐसा संदेश नहीं है जो केवल एक ही प्रजाति या समूह के लिए अभिप्रेत है। यह सुसमाचार “सब जातियों” के लिए है। परमेश्वर मानव परिवार से इतना प्रेम करता है कि उसने अपने एकलौते पुत्र को पृथ्वी पर सिर्फ़ एक प्रजाति के लिए नहीं, बल्कि सारी मानवजाति के पापों का छुड़ौती बलिदान होने के लिए भेजा। प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।” (यूहन्ना ३:१६, १७) निश्चित ही यह सुसमाचार, अर्थात् शांति, मेल-मिलाप और न्याय के एक नए संसार की प्रतिज्ञा करनेवाला संदेश, परमेश्वर के प्रेम का प्रमाण है।—२ पतरस ३:१३.
सुसमाचार और यहोवा की शक्ति
९. यहोवा ने सुसमाचार का प्रचार करने के लिए मसीहीजगत के शक्तिशाली धर्मों को क्यों नहीं इस्तेमाल किया है?
९ सुसमाचार के प्रचार से यहोवा की शक्ति कैसे प्रकट होती है? विचार कीजिए, उसने इस आदेश को पूरा करने के लिए किसे इस्तेमाल किया है? क्या वे मसीहीजगत के सबसे शक्तिशाली धार्मिक संगठन हैं, जैसे कि रोमन कैथोलिक चर्च या प्रमुख प्रोटस्टंट संप्रदाय? नहीं, राजनीति में उनका अंतर्ग्रस्त होना, उन्हें इस कार्य-नियुक्ति के लिए अयोग्य ठहराता है। (यूहन्ना १५:१९; १७:१४; याकूब ४:४) उनकी तुलनात्मक दौलत और विशिष्ट शासक वर्ग के साथ उनके संबंधों और प्रभाव से यहोवा परमेश्वर प्रभावित नहीं हुआ है और न ही उनके परम्परा-बद्ध धर्मविज्ञान से प्रभावित हुआ है। परमेश्वर की इच्छा पूरी करवाने के लिए मानवी शक्ति की ज़रूरत नहीं पड़ी है।—जकर्याह ४:६.
१०. परमेश्वर ने प्रचार करने के लिए किसे चुना है?
१० यह वैसे ही है जैसे प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को अपनी पत्री में कहा: “हे भाइयो, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए। परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञानवानों को लज्जित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्जित करे। और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्छों को, बरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमण्ड न करने पाए।”—१ कुरिन्थियों १:२६-२९.
११. गवाहों के बारे में कौनसे तथ्यों ने उन्हें अनोखा बनाया है?
११ यहोवा के गवाहों के संगठन में अमीर लोग बहुत कम हैं, और निश्चित ही, राजनैतिक रूप से शक्तिशाली लोग कोई भी नहीं। राजनैतिक मामलों में उनकी कड़ी तटस्थता का मतलब है कि वे राजनैतिक प्रभाव का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं कर सकते। इस के विपरीत, इस २०वीं शताब्दी के दौरान वे अकसर धार्मिक और राजनैतिक नेताओं द्वारा भड़कायी गयी घृणित सताहट का शिकार हुए हैं। फिर भी, नात्सीवाद, फ़ासिज्म, साम्यवाद, राष्ट्रवाद, और झूठे धर्म के अनुयायियों द्वारा उन के विरुद्ध उकसाए गए तीव्र विरोध के बावजूद, गवाह लोग संसार-भर में सिर्फ़ प्रचार ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनकी संख्या में भी आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है।—यशायाह ६०:२२.
१२. गवाह सफल क्यों हुए हैं?
१२ गवाह अपनी सफलता का श्रेय किसे देते हैं? यीशु ने अपने शिष्यों से प्रतिज्ञा की: “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।” सो, वास्तव में उनकी सफलता का स्रोत क्या होगा? यीशु ने कहा: “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे।” वैसे ही आज भी, मानव क्षमता नहीं, परमेश्वर की ओर से सामर्थ ही गवाहों की अपनी विश्वव्यापी सेवकाई में सफलता की कुंजी रहा है। प्रतीयमानतः सबसे निर्बल लोगों का इस्तेमाल करके, परमेश्वर इतिहास का सर्वश्रेष्ठ शैक्षिक काम पूरा कर रहा है।—प्रेरितों १:८; यशायाह ५४:१३.
सुसमाचार और यहोवा की बुद्धि
१३. (क) गवाह स्वेच्छापूर्वक और बग़ैर भुगतान के सेवा क्यों करते हैं? (ख) यहोवा ने शैतान के ताने का किस तरह उत्तर दिया है?
१३ सुसमाचार का प्रचार स्वयंसेवकों द्वारा किया जा रहा है। यीशु ने कहा: “तुम ने सेंतमेंत पाया है, सेंतमेंत दो।” (मत्ती १०:८) इसलिए, किसी यहोवा के गवाह को परमेश्वर की सेवा करने के लिए वेतन नहीं मिलता, और न ही वे इसकी अपेक्षा करते हैं। दरअसल, उनकी सभाओं में तो चंदा भी नहीं लिया जाता। अपनी समर्पित निस्स्वार्थ सेवा से वे परमेश्वर पर दोष लगाने वाले शैतान अर्थात् इब्लीस को उत्तर देने के लिए परमेश्वर को उत्तर प्रदान करने में ख़ुश हैं। परमेश्वर के इस आत्मिक विरोधी ने वस्तुतः कहा है कि मनुष्य परमेश्वर की सेवा निस्स्वार्थ अभिप्राय से नहीं करेंगे। अपनी बुद्धि से यहोवा ने शैतान के ताने का अविवाद्य उत्तर प्रदान किया है—घर-घर, सड़कों पर, और अनौपचारिक रूप से सुसमाचार का प्रचार करते हुए लाखों निष्ठावान मसीही गवाह।—अय्यूब १:८-११; २:३-५; नीतिवचन २७:११.
१४. वह ‘गुप्त बुद्धि’ क्या है जिसका पौलुस उल्लेख करता है?
१४ सुसमाचार का प्रचार करवाने में परमेश्वर की बुद्धि का एक और प्रमाण यह है कि राज्य प्रतिज्ञा स्वयं परमेश्वर की बुद्धि का एक प्रकटन है। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं; परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होनेवाले हाकिमों का ज्ञान नहीं। परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्त ज्ञान [बुद्धि, NW], भेद की रीति पर [पवित्र रहस्य में, NW] बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया।” वह ‘गुप्त बुद्धि,’ अदन में शुरू हुए विद्रोह को समाप्त करने के लिए परमेश्वर के बुद्धिमान माध्यम को सूचित करती है। उस पवित्र रहस्य की बुद्धि यीशु मसीह में प्रकट की गयी, जो परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार में प्रमुख है।a—१ कुरिन्थियों २:६, ७; कुलुस्सियों १:२६-२८.
सुसमाचार और परमेश्वर का न्याय
१५. हम यह कैसे जानते हैं कि यहोवा एक न्याय का परमेश्वर है? (व्यवस्थाविवरण ३२:४; भजन ३३:५)
१५ ख़ासकर न्याय के संबंध में हम मरकुस १३:१० में शब्द “पहिले” की महत्ता को देखते हैं। यहोवा एक न्याय का परमेश्वर है जिसका न्याय प्रेममय-कृपा से मंदीकृत है। वह अपने भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा कहता है: “यहोवा यों कहता है, . . . जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता है, कि मैं ही वह यहोवा हूं, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूं।”—यिर्मयाह ९:२३, २४.
१६. यह कैसे समझाया जा सकता है कि न्याय माँग करता है कि पहले एक चेतावनी दी जाए?
१६ सुसमाचार के प्रचार के संबंध में यहोवा का न्याय कैसे दिखता है? आइए हम इसे एक माँ के दृष्टान्त से समझाएँ जिसने एक स्वादिष्ट चॉकलेट केक बनाया है। इसे शाम को मेहमानों के आने पर खाया जाना है। अगर वह अपने बच्चों को कुछ कहे बग़ैर कि उसे कब खाना है, उसे रसोई की मेज़ पर छोड़ देती है, तो बच्चों की स्वाभाविक प्रवृत्ति क्या होगी? हम सभी एक समय बच्चे थे! कोई छोटी उँगली उस केक को जाँचना चाहेगी! अब अगर माँ ने ज़रूरी चेतावनी नहीं दी है, तो उस के पास अनुशासन देने के लिए एक ठोस आधार नहीं होगा। दूसरी ओर, अगर वह स्पष्ट रूप से बताती है कि केक मेहमानों के आने पर खाया जाएगा और इसलिए उसे छूना नहीं है, तब उसने स्पष्ट रूप से एक सूचना दे दी है। अगर आज्ञा नहीं मानी जाती है, तो उसे दृढ़ और न्यायसंगत कार्यवाही करने का अधिकार है।—नीतिवचन २९:१५.
१७. यहोवा ने १९१९ से न्याय को एक ख़ास तरीक़े से कैसे प्रकट किया है?
१७ यहोवा अपने न्याय में, पहले ज़रूरी चेतावनी दिए बग़ैर इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के विरुद्ध न्यायिक कार्यवाही नहीं करेगा। इसलिए, ख़ासकर १९१९ से, अर्थात् पहले विश्व युद्ध द्वारा “पीड़ाओं” के आने के बाद से, यहोवा ने अपने गवाहों को पूरी पृथ्वी पर जोश के साथ सुसमाचार को उद्घोषित करने के लिए भेजा है। (मत्ती २४:७, ८, १४) जातियाँ न्यायोचित रूप से इस अनोखी चेतावनी से अनजान होने का दावा नहीं कर सकतीं।
संसार में प्रचार कितने व्यापक रूप से हुआ है?
१८. (क) दूरस्थ क्षेत्रों में गवाहों की गतिविधि का क्या प्रमाण है? (ख) आप कौनसे दूसरे उदाहरण जानते हैं?
१८ इस विश्वव्यापी शैक्षिक काम की प्रभावकारिता का संकेत पुस्तक लास्ट प्लेसेज़—अ जरनी इन द नॉर्थ (अंग्रेज़ी) में देखा जा सकता है। इसका लेखक कहता है कि जब उसने स्कॉटलैंड के उत्तर के शेटलैंड आयलेंड्स में से एक पृथक् द्वीप फूला को देखने के लिए समुद्र के नक़्शों को देखा, तो नक़्शों ने “द्वीप के चारों ओर WKS (भग्नावशेष), RKS (चट्टानों), LDGS (कगारों), OBS (अवरोधों),” का संकेत किया। नक़्शों पर ये संकेत “भावी नाविक को दूर रहने की चेतावनी देते थे। फूला के चारों ओर का समुद्र बहुत ही डरावना सुरंग क्षेत्र था, जिसके कारण वह द्वीप नौका विहारियों, दिन के पर्यटकों और यहाँ तक की इंग्लैंड की महारानी के जनहित कार्य दल के लिए भी अप्रीतिकर था, लेकिन—मुझे कुछ ही दिनों में पता चला—इन बाधाओं ने यहोवा के गवाहों को नहीं रोका।” उसने आगे कहा: “जैसे उन्होंने बड़े शहरों की बस्तियों और अविकसित देशों को धर्म-परिवर्तित करनेवाले लोगों को ढूँढने के लिए छान मारा है, वैसे ही उन्होंने दूरस्थ फूला में भी अपने विश्वास का प्रचार किया है।” उसने स्वीकार किया कि कुछ महीनों पहले एक स्थानीय निवासी, ऐंड्रू को अपने घर की देहरी पर प्रहरीदुर्ग की एक प्रति मिली। फिर उसने कहा: “एक सप्ताह बाद मैं [डेनिश भाषा में अवेक!] की एक प्रति फेइरो [नॉर्थ सी द्वीप] में, और दो महीनों बाद नूक़, ग्रीनलैंड में [डेनिश भाषा में प्रहरीदुर्ग] देखूँगा।” उन उत्तरी भागों में यहोवा के गवाहों की जोशीली गतिविधि की क्या ही सुस्पष्ट गवाही!
गवाहों को प्रचार जारी रखने के लिए क्या प्रेरित करता है?
१९, २०. (क) यहोवा के गवाहों को प्रचार करते रहने के लिए क्या प्रेरित करता है? (ख) कौनसे प्रश्नों का आगे उत्तर दिया जाएगा?
१९ निश्चित ही, अजनबियों को घर-घर प्रचार करना आसान नहीं है, चाहे एक व्यक्ति कितने साल गवाह क्यों ना रहा हो। तो फिर इन मसीहियों को प्रचार करने के लिए क्या प्रेरित करता है? उनका मसीही समर्पण और एक ज़िम्मेदारी की भावना। पौलुस ने लिखा: “और यदि मैं सुसमाचार सुनाऊं, तो मेरा कुछ घमण्ड नहीं; क्योंकि यह तो मेरे लिये अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय।” सच्चे मसीहियों के पास एक जीवन-दायक संदेश है, तो वे उसे अपने आप तक ही सीमित कैसे रख सकते हैं? ख़तरे के समय में चेतावनी देने से चूकने के रक्तदोष का सिद्धान्त ही सुसमाचार प्रचार करने का एक प्रेरक कारण है।—१ कुरिन्थियों ९:१६; यहेजकेल ३:१७-२१.
२० तो फिर, सुसमाचार का प्रचार कैसे किया जा रहा है? गवाहों की सफलता की कुंजी क्या है? उनकी सेवकाई और संगठन की कौनसी विशेषताएँ उन्हें सच्चे धर्म के रूप में पहचानने में मदद करती हैं? हमारा अगला लेख इन प्रश्नों के उत्तर देगा।
[फुटनोट]
a परमेश्वर की बुद्धि और “पवित्र रहस्य” की अतिरिक्त व्याख्या के लिए वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ न्यू यॉर्क, निग. द्वारा प्रकाशित शास्त्रवचनों पर अंतर्दृष्टि, (अंग्रेज़ी) खण्ड II, पृष्ठ ११९० देखिए।
क्या आपको याद है?
▫ क्या बात यहोवा के गवाहों को पादरियों से अलग करती है?
▫ प्रचार परमेश्वर के प्रेम, शक्ति, और बुद्धि को कैसे प्रतिबिम्बित करता है?
▫ सुसमाचार का प्रचार परमेश्वर के न्याय को कैसे प्रतिबिम्बित करता है?
▫ यहोवा के गवाहों को अपनी सेवकाई में लगे रहने के लिए क्या प्रेरित करता है?
[पेज 24 पर तसवीरें]
चाहे लोग कितने भी वियुक्त क्यों न हों, यहोवा के गवाह उन तक पहुँचना चाहते हैं