क्या आप बचेंगे जब परमेश्वर कार्यवाही करता है?
“यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे।”—मत्ती २४:२२.
१, २. (क) अपने भविष्य में दिलचस्पी रखना स्वाभाविक क्यों है? (ख) किन महत्त्वपूर्ण सवालों में स्वाभाविक दिलचस्पी शायद शामिल रही हो?
आप ख़ुद में कितनी दिलचस्पी रखते हैं? आज अनेक लोग आत्म-केन्द्रित बनने के द्वारा, आत्म-हित की हद पार कर जाते हैं। लेकिन, बाइबल उस बात में उचित दिलचस्पी लेने की भर्त्सना नहीं करती जो हमें प्रभावित करती है। (इफिसियों ५:३३) इसमें हमारे भविष्य में दिलचस्पी रखना शामिल है। तो आपके लिए यह जानने की इच्छा रखना स्वाभाविक होगा कि भविष्य में आपके लिए क्या रखा है। क्या आपको दिलचस्पी है?
२ हम निश्चित हो सकते हैं कि यीशु के प्रेरितों को अपने भविष्य के बारे में ऐसी ही दिलचस्पी थी। (मत्ती १९:२७) उनमें से चार का यीशु के साथ जैतून पहाड़ पर होने का संभवतः यह एक कारण था। उन्होंने पूछा: “हमें बता कि ये बातें कब होंगी? और जब ये सब बातें पूरी होने पर होंगी उस समय का क्या चिन्ह होगा?” (मरकुस १३:४) यीशु ने भविष्य के बारे में स्वाभाविक दिलचस्पी को नज़रअंदाज़ नहीं किया—उनकी और हमारी दिलचस्पी। बार-बार उसने इस बात को विशिष्ट किया कि कैसे उसके अनुयायी प्रभावित होते और उसका अन्तिम परिणाम क्या होता।
३. यीशु के जवाब को हम अपने समय से क्यों जोड़ते हैं?
३ यीशु के जवाब ने एक भविष्यवाणी की शुरूआत की जिसकी बड़ी पूर्ति हमारे समय में होनी है। हमारी शताब्दी में विश्व युद्धों और अन्य झगड़ों से, अनगिनत जीवन नष्ट करनेवाले भूकम्पों से, बीमारी और मृत्यु लानेवाले अकालों से, और महामारियों से—१९१८ की स्पैनिश इनत्नलुएन्ज़ा महामारी से लेकर वर्तमान एड्स की महाविपत्ति तक—हम इसे देख सकते हैं। लेकिन, यीशु के जवाब के अधिकांश भाग में वे घटनाएँ शामिल थीं जो सा.यु. ७० में रोमियों द्वारा यरूशलेम के नाश की ओर ले गयीं और उस विनाश को भी सम्मिलित किया। यीशु ने अपने चेलों को चेतावनी दी: “तुम अपने विषय में चौकस रहो; क्योंकि लोग तुम्हें महासभाओं में सौपेंगे और तुम पंचायतों में पीटे जाओगे; और मेरे कारण हाकिमों और राजाओं के आगे खड़े किए जाओगे, ताकि उन के लिये गवाही हो।”—मरकुस १३:९.
यीशु ने जो पूर्वबताया, और जो हुआ
४. यीशु के जवाब में कौन-सी कुछ चेतावनियाँ शामिल हैं?
४ यीशु ने इससे भी ज़्यादा पूर्वबताया कि दूसरे लोग उसके चेलों से कैसा बर्ताव करते। उसने इस बारे में भी उन्हें सचेत किया कि उन्हें ख़ुद कैसा कार्य करना चाहिए। उदाहरण के लिए: “जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्तु को जहां उचित नहीं वहां खड़ी देखो, (पढ़नेवाला समझ ले) तब जो यहूदिया में हों, वे पहाड़ों पर भाग जाएं।” (मरकुस १३:१४) लूका २१:२० का समान वृत्तान्त कहता है: “जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो।” यह पहली बार कैसे सही साबित हुआ?
५. सा.यु. ६६ में यहूदिया के यहूदियों के बीच क्या हुआ था?
५ दी इन्टरनैश्नल स्टैन्डर्ड बाइबल एन्सायक्लोपीडिया (१९८२) हमसे कहती है: “रोमी अधिकार के अधीन यहूदी अधिकाधिक बेचैन थे और मुख़तार अधिकाधिक हिंसक, निर्दयी, और बेईमान थे। ई.स. ६६ में खुला विद्रोह शुरू हो गया। . . . युद्ध शुरू हो गया जब ज़ीलट्स् ने मसाडा पर क़ब्ज़ा कर लिया और उसके बाद, मॆनचम के अधीन, यरूशलेम पर चढ़ाई की। कैसरिया के राज्यपाल-नगर में यहूदियों का एक ही समय पर जनसंहार किया गया, और इस नृशंसता का समाचार सारे देश में फैल गया। नए सिक्के विद्रोह के वर्ष १ से वर्ष ५ के चिन्ह के साथ ढाले गए।”
६. यहूदी विद्रोह ने कैसी रोमी प्रतिक्रिया उत्पन्न की?
६ सॆस्टीउस गैलस के अधीन रोमियों की बारहवीं पलटन ने अराम से कूच किया, यहूदिया और गलील को उजाड़ दिया, और उसके बाद राजधानी पर हमला किया, यहाँ तक कि “पवित्र नगर यरूशलेम” के ऊपरी भाग पर क़ब्ज़ा कर लिया। (नहेमायाह ११:१ NHT; मत्ती ४:५; ५:३५; २७:५३) विकासों का सारांश देते हुए, खण्ड यरूशलेम पर रोमी घेराव (अंग्रेज़ी) कहता है: “पाँच दिनों तक रोमियों ने दीवार पर चढ़ना चाहा, और बार-बार खदेड़े गए। अन्ततः रक्षकों ने, अग्निशस्त्रों की बौछार से हार कर हथियार डाल दिए। एक टॆस्टूडो बनाकर—अपनी रक्षा करने के लिए अपने सिरों पर अपनी ढालें बाँधने का एक तरीक़ा—रोमी सिपाहियों ने दीवार के नीचे सुरंग खोदी और फाटक को आग लगाने की कोशिश की। रक्षकों पर ख़ौफ़नाक दहशत छा गयी।” नगर के अन्दर के मसीही यीशु के शब्दों को याद कर सकते थे और समझ सकते थे कि एक घृणित वस्तु पवित्र स्थान में खड़ी थी।a लेकिन नगर के घेराव के साथ मसीही कैसे भाग सकते थे, जैसे यीशु ने बताया था?
७. सा.यु. ६६ में जब विजय सामने थी, तब रोमियों ने क्या किया?
७ इतिहासकार त्नलेवीअस जोसीफ़स बताता है: “सॆस्टीउस [गैलस], न तो घिरे हुए लोगों की निराशा से न ही उनकी भावनाओं से अवगत था, उसने अचानक अपने आदमियों को वापस बुला लिया, विजय की आशा को त्याग दिया हालाँकि उसने कोई पराजय नहीं झेली, और सारी समझ के ख़िलाफ़ नगर से वापस चला गया।” (यहूदी युद्ध, II, ५४० [xix, ७] अंग्रेज़ी) गैलस वापस क्यों गया? कारण जो भी हो, उसकी वापसी ने मसीहियों को यीशु की आज्ञा का पालन करने का और पहाड़ों पर और सुरक्षित स्थानों में भागने का मौक़ा दिया।
८. यरूशलेम के ख़िलाफ़ रोमियों के प्रयास का दूसरा चरण क्या था, और उत्तरजीवियों ने क्या अनुभव किया?
८ आज्ञाकारिता जीवन-रक्षक थी। रोमी जल्द ही विद्रोह का दमन करने चल पड़े। जनरल टाइटस के अधीन यह अभियान सा.यु. ७० के अप्रैल से अगस्त तक यरूशलेम के घेरे जाने से चरम-सीमा तक पहुँच गया। कैसे यहूदी पीड़ित हुए थे उसके बारे में जोसीफ़स का वृत्तान्त पढ़ने से खून सूख जाता है। जो रोमियों से लड़ते हुए मारे गए उनके अलावा, अन्य यहूदियों का विरोधी यहूदी दस्तों द्वारा क़त्लेआम कर दिया गया, और भुखमरी नरभक्षिता की ओर ले गयी। रोमियों की विजय होने तक, ११,००,००० यहूदी मर चुके थे।b ९७,००० बचनेवालों में से कुछ को तत्काल मृत्युदण्ड दिया गया; अन्य दास बना लिए गए। जोसीफ़स कहता है: “जो सतरह से ऊपर के थे उन्हें बेड़ियाँ डाली गईं और मिस्र में कठोर परिश्रम के लिए भेज दिया गया, और बड़ी संख्या में लोग, टाइटस द्वारा प्रान्तों की रंगशालाओं में तलवार या जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने के लिए भेंट दिए गए।” यहाँ तक कि जब यह छँटाई चल रही थी, ११,००० क़ैदी भूखों मर गए।
९. जो परिणाम यहूदियों ने भुगता वे मसीहियों ने क्यों नहीं भुगता, लेकिन कौन-से सवाल बाक़ी हैं?
९ मसीही कृतज्ञ हो सकते थे कि उन्होंने प्रभु की चेतावनी को माना था और रोमी सेना के वापस आने से पहले नगर से भाग गए थे। इस प्रकार वे उस घटना के एक हिस्से से बचाए गए थे जिसे यीशु ने ऐसा “भारी क्लेश” कहा, जो यरूशलेम पर ‘जगत के आरम्भ से न तब तक हुआ था, और न कभी होता।’ (मत्ती २४:२१) यीशु ने आगे कहा: “यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे।” (मत्ती २४:२२) तब इसका क्या अर्थ था और अब इसका क्या अर्थ है?
१०. हमने पहले मत्ती २४:२२ को किस प्रकार समझाया था?
१० अतीत में यह समझाया गया था कि ‘जो प्राणी बचाए जाते’ वे उन यहूदियों को सूचित करते हैं जो सा.यु. ७० में यरूशलेम पर क्लेश से बचे। मसीही भाग चुके थे, सो परमेश्वर रोमियों को शीघ्र नाश लाने के लिए अनुमति दे सकता था। दूसरे शब्दों में, इस बात के कारण कि ‘चुने हुए’ ख़तरे से बाहर थे, क्लेश के दिन घटाए जा सकते थे, जो कुछ यहूदी ‘प्राणियों’ को बचने की अनुमति देता। ऐसा महसूस किया गया कि बचनेवाले यहूदियों ने हमारे समय में आनेवाले भारी क्लेश से बचनेवालों की ओर पूर्वसंकेत किया।—प्रकाशितवाक्य ७:१४.
११. ऐसा क्यों जान पड़ता है कि मत्ती २४:२२ की समझ पर दोबारा ध्यान देना चाहिए?
११ लेकिन क्या यह व्याख्या सा.यु. ७० में जो हुआ था उसके सामंजस्य में है? यीशु ने कहा कि मानव “प्राणी” क्लेश में से ‘बचाए’ जाने थे। क्या आप उन ९७,००० उत्तरजीवियों का वर्णन करने के लिए शब्द ‘बचाए’ गए प्रयोग करते, यह बात जानते हुए कि उनमें से हज़ारों लोग भूखों मर गए या रंगशाला में क़त्ल कर दिए गए? कैसरिया की एक रंगशाला के बारे में जोसीफ़स कहता है: “जो लोग जंगली जानवरों के साथ लड़ाई में या एक दूसरे से लड़ते हुए या जीवित जलाकर मारे गए उनकी संख्या २,५०० से ऊपर पहुँच गई।” हालाँकि वे घेराव में नहीं मारे गए, निश्चित ही वे ‘बचाए’ नहीं गए थे। और क्या यीशु उनको आनेवाले “भारी क्लेश” के आनन्दित उत्तरजीवियों के समान समझता?
प्राणी बचाए गए—कैसे?
१२. प्रथम-शताब्दी के ‘चुने हुए’ कौन थे जिनमें परमेश्वर दिलचस्पी रखता था?
१२ सामान्य युग ७० तक, परमेश्वर ने शारीरिक यहूदियों को अपनी चुनी हुई प्रजा समझना छोड़ दिया। यीशु ने दिखाया कि परमेश्वर ने उस जाति को त्याग दिया था और वह उसके राजधानी नगर, मंदिर और उपासना की व्यवस्था को नाश हो जाने देता। (मत्ती २३:३७-२४:२) परमेश्वर ने एक नई जाति, आत्मिक इस्राएल को चुना। (प्रेरितों १५:१४; रोमियों २:२८, २९; गलतियों ६:१६) यह सभी जातियों में से चुने हुए और पवित्र आत्मा से अभिषिक्त पुरुषों और स्त्रियों से मिलकर बनी थी। (मत्ती २२:१४; यूहन्ना १५:१९; प्रेरितों १०:१, २, ३४, ३५, ४४, ४५) सॆस्टीउस गैलस के आक्रमण के कुछ वर्षों बाद, पतरस ने “परमेश्वर पिता के भविष्य ज्ञान के अनुसार, आत्मा के पवित्र करने के द्वारा . . . चुने गए” लोगों को लिखा। (तिरछे टाइप हमारे।) ऐसे आत्मा-अभिषिक्त जन “एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी, याजकों का समाज, और पवित्र लोग” थे। (तिरछे टाइप हमारे।) (१ पतरस १:१, २; २:९) परमेश्वर ऐसे चुने हुओं को यीशु के साथ राज्य करने के लिए स्वर्ग में लेता।—कुलुस्सियों १:१, २; ३:१२; तीतुस १:१; प्रकाशितवाक्य १७:१४.
१३. मत्ती २४:२२ में यीशु के शब्दों का शायद क्या अर्थ रहा हो?
१३ चुने हुओं की यह पहचान सहायक है, क्योंकि यीशु ने पूर्वबताया था कि “चुने हुओं के कारण” क्लेश के दिन घटाए जाते। जिस यूनानी शब्द को “के कारण” अनुवादित किया गया है, उसे “इस कारण” या “के लिए” भी अनुवादित किया जा सकता है। (मरकुस २:२७; यूहन्ना १२:३०; १ कुरिन्थियों ८:११; ९:१०, २३; ११:९; २ तीमुथियुस २:१०; प्रकाशितवाक्य २:३) सो यीशु यह कह सकता था, ‘यदि वे दिन घटाए न जाते तो कोई भी प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के लिए वे दिन घटाए जाएंगे।’c (मत्ती २४:२२) क्या ऐसा कुछ हुआ जो यरूशलेम में फँसे मसीही चुने हुओं ‘के लिए’ था या जिससे उनका फ़ायदा हुआ?
१४. जब सा.यु. ६६ में रोमी सेना यरूशलेम से अचानक वापस चली गई तो कैसे “प्राणी” बचाए गए थे?
१४ याद कीजिए कि सा.यु. ६६ में, रोमी देश से होकर चले, ऊपरी यरूशलेम पर क़ब्ज़ा किया, और दीवार के नीचे सुरंग खोदनी शुरू की। जोसीफ़स टिप्पणी करता है: “यदि उसने थोड़ी देर और घेरा रखा होता तो उस शहर पर तुरन्त क़ब्ज़ा कर लिया होता।” ख़ुद से पूछिए, ‘क्यों अचानक शक्तिशाली रोमी सेना ने अभियान को छोड़ दिया और “सारी समझ के ख़िलाफ़” वापस चली गई?’ सैन्य इतिहास विशलेषण में एक विशेषज्ञ, रुपर्ट फ़रनो टिप्पणी करता है: “कोई भी इतिहासकार गैलस के अजीब और विनाशकारी निर्णय के लिए उचित कारण प्रदान करने में सफल नहीं हुआ है।” कारण चाहे जो भी हो, नतीजा यह हुआ कि क्लेश के दिन घटाए गए। रोमी वापस गए, और जब वे वापस जा रहे थे तब यहूदी उन पर हमला कर रहे थे। अभिषिक्त मसीही “चुने हुओं” का क्या हुआ जो फँस गए थे? घेरे के उठाए जाने का मतलब यह था कि वे किसी भी प्रकार के क़त्लेआम से, जिसका क्लेश के दौरान ख़तरा था बचाए गए थे। अतः, वे मसीही जिन्होंने सा.यु. ६६ के उस क्लेश के घटाए जाने से फ़ायदा उठाया था वे मत्ती २४:२२ में उल्लिखित बचाए जानेवाले “प्राणी” थे।
आपके भविष्य में क्या रखा है?
१५. आप क्यों कहते कि मत्ती अध्याय २४ हमारे दिन में ख़ास दिलचस्पी का होना चाहिए?
१५ कोई शायद पूछे, ‘यीशु के शब्दों की इस स्पष्ट की गई समझ में ख़ास तौर पर मुझे क्यों दिलचस्पी होनी चाहिए?’ यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त कारण है कि सा.यु. ७० में और उसके पहले जो हुआ उससे भी आगे यीशु की भविष्यवाणी की एक बड़ी पूर्ति होनी थी।d (मत्ती २४:७; लूका २१:१०, ११; प्रकाशितवाक्य ६:२-८ से तुलना कीजिए।) दशकों से, यहोवा के साक्षियों ने प्रचार किया है कि हमारे समय में बड़ी पूर्ति होना यह सिद्ध करता है कि हम थोड़े ही समय बाद एक बड़े-पैमाने के “भारी क्लेश” की आशा कर सकते हैं। उसके दौरान, मत्ती २४:२२ के भविष्यसूचक शब्दों की पूर्ति कैसे होगी?
१६. प्रकाशितवाक्य आनेवाले भारी क्लेश के बारे में कौन-सी प्रोत्साहक सच्चाई प्रदान करता है?
१६ यरूशलेम पर क्लेश के लगभग दो दशक बाद, प्रेरित यूहन्ना ने प्रकाशितवाक्य की पुस्तक लिखी। उसने प्रमाणित किया कि भारी क्लेश सामने था। और, जो हमें व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करता है उसमें दिलचस्पी रखने के द्वारा, हम यह जानकर चैन पा सकते हैं कि प्रकाशितवाक्य हमें भविष्यसूचक रूप से आश्वस्त करता है कि इस आनेवाले भारी क्लेश से मानव प्राणी पार निकल जाएँगे। यूहन्ना ने पूर्वबताया “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक . . . बड़ी भीड़।” ये कौन हैं? स्वर्ग से एक आवाज़ जवाब देती है: “ये वे हैं, जो उस बड़े क्लेश में से निकलकर आए हैं।” (प्रकाशितवाक्य ७:९, १४) जी हाँ, उत्तरजीवी होंगे! प्रकाशितवाक्य इसमें भी हमें अन्तर्दृष्टि प्रदान करता है कि आनेवाले भारी क्लेश में घटनाएँ किस क्रम में होंगी और मत्ती २४:२२ की पूर्ति कैसे होगी।
१७. भारी क्लेश के आरंभिक चरण में क्या शामिल होगा?
१७ इस क्लेश का आरंभिक चरण “बड़ा बाबुल” कहलायी जानेवाली प्रतीकात्मक वेश्या पर आक्रमण होगा। (प्रकाशितवाक्य १४:८; १७:१, २) यह झूठे धर्म के विश्वव्यापी साम्राज्य का प्रतिनिधित्व करती है जिसमें मसीहीजगत सबसे ज़्यादा दोषी है। प्रकाशितवाक्य १७:१६-१८ के शब्दों के अनुसार, परमेश्वर इस राजनैतिक तत्त्व के हृदय में यह डालेगा कि इस प्रतीकात्मक वेश्या पर आक्रमण करे।e सोचिए कि परमेश्वर के अभिषिक्त “चुने हुओं” को और उनके संगी, “बड़ी भीड़” को यह कैसा प्रतीत हो सकता है। जैसे-जैसे धर्म पर यह विनाशकारी आक्रमण आगे बढ़ता है, शायद ऐसा लगे कि यह सभी धार्मिक संगठनों को मिटा डालेगा, जिसमें यहोवा के लोग भी शामिल होंगे।
१८. शायद ऐसा क्यों लगे कि भारी क्लेश के आरंभिक भाग से कोई भी “प्राणी” नहीं बचाया जाएगा?
१८ यह ऐसा समय होगा जब मत्ती २४:२२ में पाए जानेवाले यीशु के शब्द बड़े पैमाने पर पूरे होंगे। जैसे यरूशलेम में चुने हुए लोग ख़तरे में जान पड़ते थे, धर्म पर हमले के दौरान यहोवा के सेवक शायद नष्ट होने के ख़तरे में जान पड़ें, मानो जैसे यह आक्रमण परमेश्वर के लोगों के सभी ‘प्राणियों’ को मिटा डालता। फिर भी, आइए हम उस बात को ध्यान में रखें जो सा.यु. ६६ में घटित हुई थी। रोमियों के कारण हुए क्लेश के दिन घटाए गए थे, जिसने परमेश्वर के अभिषिक्त चुने हुओं को बच निकलने का और जीवित रहने का पर्याप्त अवसर दिया। अतः, हम निश्चित हो सकते हैं कि धर्म पर विनाशकारी आक्रमण को सच्चे उपासकों की संसार-व्याप्त कलीसिया को नष्ट करने नहीं दिया जाएगा। यह शीघ्र ही होगा, मानो “एक ही दिन में।” लेकिन किसी तरह इसे घटाया जाएगा, इसे अपना उद्देश्य पूरा नहीं करने दिया जाएगा, जिससे परमेश्वर के लोग ‘बचाए’ जा सकते हैं।—प्रकाशितवाक्य १८:८.
१९. (क) भारी क्लेश के पहले चरण के बाद, क्या प्रत्यक्ष होगा? (ख) यह किस ओर ले जाएगा?
१९ शैतान अर्थात् इब्लीस के पार्थिव संगठन के अन्य तत्व उसके बाद कुछ समय तक चलते रहेंगे, अपनी पुरानी धार्मिक प्रेमिका के साथ लेन-देन के बन्द हो जाने पर शोक मनाएँगे। (प्रकाशितवाक्य १८:९-१९) एक समय पर, वे देखेंगे कि परमेश्वर के सच्चे सेवक रह गए हैं, “जो चैन से निडर रहते हैं; जो सब के सब बिना शहरपनाह . . . के बसे हुए हैं” और एक आसान शिकार नज़र आते हैं। उनके लिए क्या ही आश्चर्य छिपा है! अपने सेवकों के विरुद्ध वास्तविक या आशंकित दमन के प्रति प्रतिक्रिया दिखाते हुए, परमेश्वर भारी क्लेश के अन्तिम भाग में अपने शत्रुओं को न्यायदण्ड देने के लिए उठ खड़ा होगा।—यहेजकेल ३८:१०-१२, १४, १८-२३.
२०. भारी क्लेश का दूसरा चरण परमेश्वर के लोगों को ख़तरे में क्यों नहीं डालेगा?
२० भारी क्लेश का यह दूसरा चरण उसके समान होगा जो यरूशलेम और उसके निवासियों के साथ सा.यु. ७० में रोमियों द्वारा दूसरे आक्रमण में हुआ था। यह “ऐसा भारी क्लेश” साबित होगा “जैसा जगत के आरम्भ से न [तब] तक हुआ, और न कभी होगा।” (मत्ती २४:२१) लेकिन, हम निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर के चुने हुए जन और उनके साथी ख़तरे के क्षेत्र में नहीं होंगे, मारे जाने के ख़तरे में। वे किसी भौगोलिक स्थान में नहीं भाग गए होंगे। यरूशलेम में प्रथम-शताब्दी मसीही उस शहर से पहाड़ी क्षेत्र की ओर भाग सकते थे, जैसे कि यरदन के पार पेला में। लेकिन, भविष्य में परमेश्वर के वफ़ादार साक्षी पूरी पृथ्वी पर अवस्थित होंगे, तो सलामती और सुरक्षा भौगोलिक स्थानों पर आधारित नहीं होगी।
२१. अन्तिम युद्ध में कौन लड़ाई करेगा, और किस परिणाम के साथ?
२१ विनाश रोम की या किसी और मानवी संस्थान की सेनाओं से नहीं आएगा। इसके बजाय, प्रकाशितवाक्य की पुस्तक बताती है कि न्यायदण्ड देनेवाली सेनाएँ स्वर्ग से होंगी। जी हाँ, भारी क्लेश के उस अन्तिम भाग की कार्यवाही, किसी मानवी सेना द्वारा नहीं, बल्कि ‘परमेश्वर के वचन’ राजा यीशु मसीही द्वारा की जाएगी, जिसके साथ “स्वर्ग की सेना” होगी जिसमें पुनरुत्थित अभिषिक्त मसीही भी होंगे। जो रोमियों ने सा.यु. ७० में किया था उससे कहीं अधिक सम्पूर्ण न्यायदण्ड की कार्यवाही, “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु” करेगा। यह परमेश्वर के सभी मानवी विरोधियों को हटा देगा—राजाओं, सरदारों, स्वतंत्र और दासों, छोटों और बड़ों। यहाँ तक कि शैतान के संसार के मानवी संगठनों का अन्त हो जाएगा।—प्रकाशितवाक्य २:२६, २७; १७:१४; १९:११-२१; १ यूहन्ना ५:१९.
२२. किस दूसरे अर्थ में “प्राणी” बचाए जाएँगे?
२२ याद कीजिए कि अभिषिक्त शेषवर्ग और “बड़ी भीड़” दोनों “प्राणी” पहले ही बचा लिए गए होंगे जब क्लेश के पहले चरण में बड़ा बाबुल शीघ्रता से और सम्पूर्ण रूप से गिरता है। उसी प्रकार इस क्लेश के अन्तिम चरण में, जो “प्राणी” यहोवा की ओर भाग चुके होंगे वे बचाए जाएँगे। सामान्य युग ७० में विद्रोही यहूदियों का जो हुआ यह उसकी कितनी विषमता में होगा!
२३. उत्तरजीवी “प्राणी” किस बात के लिए आगे देख सकते हैं?
२३ अपने और अपने प्रिय जनों के भविष्य की संभावनाओं के बारे में सोचते हुए, प्रकाशितवाक्य ७:१६, १७ में जो प्रतिज्ञा की गई है उस पर ध्यान दीजिए: “वे फिर भूखे और प्यासे न होंगे: और न उन पर धूप, न कोई तपन पड़ेगी। क्योंकि मेम्ना जो सिंहासन के बीच में है, उन की रखवाली करेगा; और उन्हें जीवन रूपी जल के सोतों के पास ले जाया करेगा, और परमेश्वर उन की आँखों से सब आंसू पोंछ डालेगा।” निश्चित ही, यही वास्तविक आश्चर्यजनक, स्थायी अर्थ में ‘बचाया’ जाना है।
[फुटनोट]
a जून १, १९९६ की प्रहरीदुर्ग पृष्ठ १४-१९ देखिए।
b जोसीफ़स कहता है: “जब टाइटस ने नगर में प्रवेश किया तो वह उसकी मज़बूती से भौचक्का रह गया . . . उसने ज़ोर से घोषित किया: ‘परमेश्वर हमारी ओर रहा है; परमेश्वर ही है जिसने यहूदियों को इन गढ़ों से नीचे गिराया है; क्योंकि ऐसी मीनारों के विरुद्ध मानवी हाथ या यंत्र क्या कर सकते थे?’”
c दिलचस्पी की बात है कि शेम-टोब का मत्ती २४:२२ का मूलपाठ इब्रानी शब्द अवुर का प्रयोग करता है, जिसका अर्थ है “के लिए, के कारण, ताकि।”—पिछला लेख देखिए, पृष्ठ १३.
d फरवरी १, १९९४ की प्रहरीदुर्ग, पृष्ठ २१ और २२ देखिए, और पृष्ठ २४ और २५ पर बना चार्ट देखिए, जो मत्ती अध्याय २४, मरकुस अध्याय १३, और लूका अध्याय २१ में यीशु के भविष्यसूचक जवाब को समान्तर स्तंभों में प्रस्तुत करता है।
e वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा १९८८ में प्रकाशित, प्रकाशितवाक्य—उसकी महान पराकाष्ठा निकट!, पृष्ठ २३५-५८ देखिए।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻रोमी सेना द्वारा यरूशलेम पर आक्रमण के दो चरण कौन-से थे?
◻यह असंभाव्य क्यों है कि सा.यु. ७० में ९७,००० यहूदी उत्तरजीवी मत्ती २४:२२ में उल्लिखित “प्राणी” थे?
◻यरूशलेम के क्लेश के दिन कैसे घटाए गए, और इस प्रकार “प्राणी” कैसे बचाए गए?
◻आनेवाले भारी क्लेश में, दिन कैसे घटाए जाएँगे और “प्राणी” कैसे बचाए जाएँगे?
[पेज 16 पर तसवीरें]
विद्रोह के बाद ढाला गया यहूदी सिक्का। यह इब्रानी अक्षर-लेखन कहता है “वर्ष दो,” अर्थात् सा.यु. ६७, उनके स्वशासन का दूसरा वर्ष।
[चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.
[पेज 17 पर तसवीरें]
सामान्य युग ७१ में ढाला गया रोमी सिक्का। बायीं ओर एक हथियारबन्द रोमी है; दायीं ओर शोक करती एक यहूदिन। “यूडीआ कॉपटा” शब्दों का अर्थ है “बन्दी यहूदिया”
[चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.