-
“जो पढ़े, वह समझे”प्रहरीदुर्ग—1999 | मई 1
-
-
१८, १९. किन कारणों से हम कह सकते हैं कि ‘पहाड़ों पर भागने’ का मतलब धर्म बदलना नहीं होगा?
१८ यीशु ने कहा कि जब “घृणित वस्तु” ‘पवित्र स्थान में खड़ी हो’ जाए, तब जो समझे वह भाग जाए। जब यीशु ने भाग जाने की बात की, तब क्या उसका मतलब यह था कि उस आखिरी घड़ी में, जब वह “घृणित वस्तु” “पवित्र स्थान में खड़ी” होगी, तब कई लोग झूठे धर्मों से भागकर सच्चे धर्म को अपना लेंगे? बिलकुल भी नहीं। इसे जानने के लिए आइए देखें कि यह भविष्यवाणी पहली सदी में कैसे पूरी हुई। यीशु ने कहा: “जो यहूदिया में हों, वे पहाड़ों पर भाग जाएं। जो कोठे पर हो, वह अपने घर से कुछ लेने को नीचे न उतरे और न भीतर जाए। और जो खेत में हो, वह अपना कपड़ा लेने के लिये पीछे न लौटे। उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उन के लिये हाय हाय! और प्रार्थना किया करो कि यह जाड़े में न हो।” (तिरछे टाइप हमारे।)—मरकुस १३:१४-१८.
-
-
“जो पढ़े, वह समझे”प्रहरीदुर्ग—1999 | मई 1
-
-
२२. जब यीशु ने पहाड़ों पर भाग जाने के लिए कहा, तो उसका हमारे लिए क्या मतलब है?
२२ फिलहाल तो भारी क्लेश के बारे में पूरी-पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन हम यह ज़रूर कह सकते हैं कि यीशु ने जब हमें ‘भाग जाने’ के लिए कहा, तब वह हमें किसी एक जगह से दूसरी जगह भागने के लिए नहीं कह रहा था, क्योंकि परमेश्वर के लोग तो दुनिया के हर कोने में हैं। सो हमारे लिए भागने का मतलब यह तो होगा ही कि हम अपने और झूठे धर्मों के बीच साफ-साफ फर्क बनाए रखें। मगर यह भी ध्यान में रखना बहुत ज़रूरी है कि यीशु ने चेतावनी दी थी कि अपने कपड़े या दूसरी ज़रूरी चीज़ें इकट्ठा करने के लिए अपने-अपने घर में वापस न जाएँ। (मत्ती २४:१७, १८) सो हमारे लिए भागने का मतलब ऐसी परीक्षाएँ हो सकती हैं, जिनसे यह परखा जाएगा कि हम किसे सबसे ज़्यादा ज़रूरी समझते हैं, इस व्यवस्था की अपनी संपत्ति और धन-दौलत को, या फिर परमेश्वर से मिलनेवाले उद्धार को? जी हाँ, उस समय हम पर शायद बहुत सारी मुसीबतें आएँ या फिर हमें काफी कुछ त्याग करना पड़े। मगर, उस समय हम पर चाहे जो भी परीक्षा आए, जो भी मुसीबत आए या जो भी त्याग करना पड़े, हमें वह सब करने के लिए तैयार रहना होगा, ठीक उसी तरह जैसे पहली सदी के मसीहियों ने किया, जब वे यरदन को पार करके यहूदिया से पीरिया को भाग गए थे।
-