“तेरी उपस्थिति का . . . चिह्न क्या होगा?”
“ये बातें कब होंगी, और तेरी उपस्थिति का और इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति का क्या चिह्न होगा?”—मत्ती २४:३, NW.
१, २. क्या बात दिखाती है कि लोग भविष्य में दिलचस्पी रखते हैं?
अधिकतर लोग अपने भविष्य में दिलचस्पी रखते हैं। क्या आप रखते हैं? अपनी किताब फ़्यूचर शॉक में, प्रोफेसर ऍलवन टॉफ़्लर ने “भविष्य का अध्ययन करने के लिए समर्पित संगठनों में अचानक हुई बढ़ोतरी” पर टिप्पणी की। उसने कहा: ‘हम ने भविष्य-निदेशित संस्थाओं की सृष्टि; इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, जर्मनी, और अमरीका में भविष्यवादी पत्रिकाओं का प्रकाशित होना; भविष्यवाणी करने में विश्वविद्यालय के कोर्सों का फैलाव; देखा है।’ टॉफ़्लर ने अंत में कहा: “निश्चय ही, कोई भी व्यक्ति भविष्य को किसी निश्चित अर्थ में नहीं ‘जान’ सकता है।”
२ आनेवाली बातों के चिह्न किताब कहती है: “हस्तरेखा शास्त्र, क्रिस्टल दिव्यदर्शन, ज्योतिषविद्या, ताश के पत्तों से भविष्य बताना, यी जिंग ये सभी हमारे विशिष्ट भविष्य में क्या हो सकता है इसका अनुमान लगाने के लिए ज़्यादा या कम जटिल तरीक़े हैं।” परन्तु, ऐसे मानवीय तरीक़ों की ओर मुड़ने के बजाय, हमें एक प्रमाणित स्रोत—यहोवा की ओर देखना चाहिए।
३. भविष्य की जानकारी के लिए परमेश्वर की ओर देखना क्यों उचित है?
३ सच्चे परमेश्वर के कहा: “जैसा मैं ने ठाना है, वैसा ही हो जाएगा, और जैसी मैं ने युक्ति की है, वैसी ही पूरी होगी।” (यशायाह १४:२४, २७; ४२:९) जी हाँ, यहोवा मानवजाति को होनेवाली बातों के बारे में बताने में समर्थ रहा है, और ऐसा उसने अकसर मानव प्रवक्ताओं के ज़रिए किया है। इनमें से एक भविष्यवक्ता ने लिखा: “यहोवा अपने दास भविष्यद्वक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रगट किए कुछ भी न करेगा।”—आमोस ३:७, ८; २ पतरस १:२०, २१.
४, ५. (क) भविष्य के विषय में यीशु क्यों सहायक हो सकता है? (ख) उसके प्रेरितों ने कौन-सा संयुक्त प्रश्न पूछा?
४ यीशु मसीह परमेश्वर का प्रधान भविष्यवक्ता था। (इब्रानियों १:१, २) आइए हम यीशु की मूल भविष्यवाणियों में से एक पर ध्यान लगाएँ, जो इस समय हमारे इर्द-गिर्द घटित हो रही बातों को पूर्व बताती है। जब इस वर्तमान दुष्ट व्यवस्था का अंत होगा और परमेश्वर इस के स्थान पर एक पार्थिव परादीस लाएगा तब जल्द ही क्या होगा इस बात पर यह भविष्यवाणी हमें अंतर्दृष्टि देती है।
५ यीशु ने प्रमाणित किया कि वह एक भविष्यवक्ता था। (मरकुस ६:४; लूका १३:३३; २४:१९; यूहन्ना ४:१९; ६:१४; ९:१७) इस तरह, यह समझा जा सकता है कि यरूशलेम के सामने जैतून पहाड़ पर उसके साथ बैठे उसके प्रेरित, क्यों उससे भविष्य के बारे में पूछते: “ये बातें कब होंगी, और तेरी उपस्थिति का और इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति का क्या चिह्न होगा?”—मत्ती २४:३, NW; मरकुस १३:४.
६. मत्ती २४, मरकुस १३, और लूका २१ में क्या संबंध है; और किस सवाल में हमें तीव्र दिलचस्पी होनी चाहिए?
६ आप उनका प्रश्न और यीशु का उत्तर मत्ती अध्याय २४, मरकुस अध्याय १३, और लूका अध्याय २१ में पाएँगे।a अनेक तरीकों से ये वृत्तांत संपूरक हैं, लेकिन ये समरूप नहीं हैं। उदाहरण के लिए, केवल लूका ही ‘जगह जगह मरियां पड़ने’ का ज़िक्र करता है। (लूका २१:१०, ११; मत्ती २४:७; मरकुस १३:८) तर्कसंगत रूप से, हमें पूछना चाहिए, क्या यीशु केवल अपने सुननेवालों के जीवनकाल की घटनाओं को पूर्वबता रहा था, या क्या उसने हमारे दिनों को भी शामिल किया था और हमारे भविष्य में क्या रखा है?
प्रेरित जानना चाहते थे
७. प्रेरितों ने विशेष रूप से किसके बारे में पूछा, लेकिन यीशु के जवाब का विस्तार कितना था?
७ उसके मार दिए जाने से कुछ ही दिन पहले, यीशु ने घोषित किया कि परमेश्वर ने यहूदियों की राजधानी, यरूशलेम को ठुकरा दिया था। नगर और उसका शानदार मंदिर नाश किया जाएगा। कुछ प्रेरितों ने तब ‘यीशु की उपस्थिति और रीति-व्यवस्था की समाप्ति का चिह्न’ माँगा। (मत्ती २३:३७-२४:३) निःसंदेह उनके मन में मूलतः यहूदी व्यवस्था और यरूशलेम थे, क्योंकि उन्होंने आगे होनेवाली घटनाओं के विस्तार को नहीं समझा था। लेकिन उन्हें उत्तर देते समय यीशु ने सा.यु. ७० में, जब रोमियों ने यरूशलेम को नष्ट किया, और तब तक हुई बातों से कहीं आगे की बात की।—लूका १९:११; प्रेरितों १:६, ७.
८. कौन-सी कुछ घटनाओं को यीशु ने पूर्वबताया?
८ जैसे कि आप तीन सुसमाचार वृत्तांतों में पढ़ सकते हैं, यीशु ने जाति पर जाति और राज्य पर राज्य के चढ़ाई करने, अकाल, भुईंडोल, डरावने दृश्य, और स्वर्गीय चिह्नों की बात की। यीशु के उस चिह्न के देने (सा.यु. ३३) और यरूशलेम के उजड़ने (सा.यु. ६६-७०) के सालों के बीच, झूठे भविष्यवक्ता और झूठे मसीह उठ खड़े होते। यहूदी लोग मसीहियों को सताते, जो यीशु के संदेश का प्रचार कर रहे थे।
९. यीशु की भविष्यवाणी की पूर्ति सा.यु. पहली शताब्दी में कैसे हुई?
९ चिह्न की ये विशेषताएँ वास्तव में पूरी हुईं, जैसा कि इतिहासकार फ़्लेवीअस जोसीफ़स इस बात की पुष्टि करता है। वह लिखता है कि इससे पहले कि रोमी हमला करते, झूठे मसीहाओं ने विद्रोह भड़काया। यहूदिया और अन्य जगहों में भयानक भुईंडोल हुए। रोमी साम्राज्य के कई भागों में युद्ध छिड़ गए। क्या बड़े अकाल पड़े? जी हाँ, निश्चय ही। (प्रेरितों ११:२७-३० से तुलना कीजिए.) राज्य प्रचार कार्य के बारे में क्या? सामान्य युग ६० या ६१ तक, जब कुलुस्सियों की पुस्तक लिखी गयी, परमेश्वर के राज्य के “सुसमाचार की आशा” विस्तृत रूप से अफ्रीका, एशिया, और यूरोप में सुनी जा चुकी थी।b—कुलुस्सियों १:२३.
“तब” अन्त
१०. हमें यूनानी शब्द टोटे पर क्यों ध्यान देना चाहिए, और इसका महत्त्व क्या है?
१० अपनी भविष्यवाणी के कुछ भागों में, यीशु ने घटनाओं को क्रमानुसार घटित होने की तरह पेश किया। उसने कहा: “राज्य का यह सुसमाचार . . . प्रचार किया जाएगा . . . , तब अन्त आ जाएगा।” अंग्रेज़ी बाइबल अकसर “तब” शब्द का प्रयोग “इसलिए” या “परन्तु” के सरल अर्थ में करती है। (मरकुस ४:१५, १७; १३:२३) तथापि, मत्ती २४:१४ में, शब्द “तब” यूनानी क्रिया-विशेषण टोटे पर आधारित है।c यूनानी विशेषज्ञ समझाते हैं कि टोटे “समय का संकेतवाचक क्रिया-विशेषण” है जिसे “कुछ ही समय बाद होनेवाली घटना को प्रस्तुत करने के लिए” या “एक तदन्तर घटना को प्रस्तुत करने” के लिए प्रयोग किया जाता है। इस तरह, यीशु ने पूर्वबताया कि राज्य का प्रचार किया जाएगा और तब (या, ‘उसके बाद’ या, ‘तदन्तर में’) “अन्त” आ जाएगा। कौन सा अन्त?
११. यरूशलेम के विनाश से सीधे रूप से जुड़ी हुई घटनाओं की ओर यीशु ने कैसे ध्यान केन्द्रित किया?
११ यीशु की भविष्यवाणी की एक पूर्ति यहूदी व्यवस्था के अन्त तक ले जानेवाली घटनाओं में पायी जा सकती है। यीशु द्वारा पूर्व बताए गए युद्ध, भुईंडोल, अकाल, और अन्य बातें, तीन दशकों की अवधि के दौरान हुईं। लेकिन मत्ती २४:१५, मरकुस १३:१४, और लूका २१:२० से शुरू होकर, हम उन घटनाओं के बारे में पढ़ते हैं जो सीधे सन्निकट विनाश से जुड़ी हुई थीं, जब अन्त बहुत निकट था।—चार्ट में एक बिन्दु वाली रेखा को नोट कीजिए.
१२. मत्ती २४:१५ की पूर्ति में रोमी सेनाएँ कैसे शामिल थीं?
१२ सामान्य युग ६६ में यहूदी बग़ावत के जवाब में, सॅसटियस गैलस के नेतृत्व में रोमी सेना ने यरूशलेम के विरुद्ध प्रयाण किया, और इस नगर को घेर लिया जिसे यहूदी पवित्र मानते थे। (मत्ती ५:३५) यहूदी प्रतिरोध के बावजूद, रोमी सेना ने बलपूर्वक नगर में प्रवेश किया। इस तरह मत्ती २४:१५ और मरकुस १३:१४ में यीशु के भविष्यकथन के अनुसार वे ‘पवित्र स्थान में खड़े’ होने लगे। फिर एक आश्चर्यजनक घटना हुई। यद्यपि उन्होंने नगर को घेरा था, रोमी सेना अचानक लौट गयी। मसीहियों ने तुरंत यीशु की भविष्यवाणी की पूर्ति को समझा, और निवर्तन ने उन्हें यहूदिया से भागकर यरदन के पार पहाड़ों को भागने का मौक़ा दिया। इतिहास कहता है उन्होंने ऐसा किया।
१३. भाग निकलने के लिए यीशु की चेतावनी को मसीही कैसे मान सके?
१३ लेकिन यदि रोमी सेना यरूशलेम के चारों ओर से लौट गयी, तो किसी को भागने की क्या ज़रूरत थी? यीशु के शब्दों ने दिखाया कि घटनाओं ने यह साबित किया कि ‘यरूशलेम का उजड़ जाना निकट था।’ (लूका २१:२०) जी हाँ, उजड़ जाना। उसने ‘ऐसा भारी क्लेश, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा’ पूर्वबताया। लगभग साढ़े तीन साल बाद, सा.यु. ७० में, यरूशलेम ने वास्तव में जनरल टाइटस के नेतृत्व में रोमी सेना द्वारा एक “भारी क्लेश” का अनुभव किया। (मत्ती २४:२१; मरकुस १३:१९) लेकिन यीशु ने इसका वर्णन एक ऐसे क्लेश के तौर पर क्यों किया, जो उससे पहले या बाद में हुए किसी भी क्लेश से बड़ा था?
१४. सामान्य युग ७० में जो यरूशलेम पर घटित हुआ, उसे हम “भारी क्लेश” क्यों कह सकते हैं, जो पहले नहीं हुआ और ना ही बाद में कभी होगा?
१४ सामान्य युग पूर्व ६०७ में बाबुली लोगों द्वारा यरूशलेम उजाड़ा गया था, और इस नगर ने हमारी वर्तमान शताब्दी में भयानक युद्धों का अनुभव किया है। फिर भी, जो सा.यु. ७० में घटित हुआ, वह अनन्य रीति से एक भारी क्लेश था। लगभग पाँच महीनों के एक अभियान में, टाइटस के योद्धाओं ने यहूदियों को पराजित किया। उन्होंने लगभग ११,००,००० लोगों की हत्या की और क़रीब १,००,००० लोगों को दासत्व में ले गए। इसके अतिरिक्त, रोमियों ने यरूशलेम को ढा दिया। इससे साबित हुआ कि अतीत में यहूदियों की स्वीकृत उपासना की व्यवस्था जो मंदिर पर केंद्रित थी हमेशा के लिए समाप्त हो गई। (इब्रानियों १:२) जी हाँ, सा.यु. ७० की घटनाओं को उचित रूप से एक ‘ऐसा भारी क्लेश, जैसा [उस शहर, राष्ट्र और व्यवस्था पर] जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा,’ कहा जा सकता था।—मत्ती २४:२१.d
जैसे भविष्यवाणी की गई, बहुत कुछ होना बाक़ी था
१५. (क) यरूशलेम पर क्लेश के बाद किस प्रकार की घटनाएँ होने के बारे में यीशु ने पूर्वबताया? (ख) मत्ती २४:२३-२८ को ध्यान में रखते हुए, यीशु की भविष्यवाणी की पूर्ति के बारे में हमें क्या निष्कर्ष निकालना चाहिए?
१५ परन्तु, यीशु ने अपनी भविष्यवाणी को पहली शताब्दी के क्लेश तक ही सीमित नहीं किया। बाइबल दिखाती है कि उस क्लेश के बाद बहुत कुछ होना बाक़ी था, जैसे कि मत्ती २४:२३ और मरकुस १३:२१ में टोटे या “तब” शब्द के प्रयोग से सूचित होता है। सामान्य युग ७० के बाद की अवधि में क्या घटित होता? यहूदी व्यवस्था पर आए उस क्लेश के बाद, और अधिक झूठे मसीह तथा झूठे भविष्यवक्ता प्रकट होते। (मरकुस १३:६ की तुलना १३:२१-२३ से कीजिए.) इतिहास इस बात की पुष्टि करता है कि सा.यु. ७० में यरूशलेम के विनाश के बाद की शताब्दियों के दौरान ऐसे लोग उठ खड़े हुए हैं, यद्यपि वे उन लोगों को गुमराह न कर सके जिनकी आध्यात्मिक दृष्टि तेज़ है और जो सचमुच मसीह की “उपस्थिति” की ओर देखते रहे हैं। (मत्ती २४:२७, २८) फिर भी, सा.यु. ७० के क्लेश के बाद ये घटनाएँ एक संकेत देती हैं कि यीशु उस क्लेश से भी आगे देख रहा था, जो केवल एक आरंभिक पूर्ति थी।
१६. लूका २१:२४ यीशु की भविष्यवाणी से कौन-सा पहलू जोड़ता है, और इसका महत्त्व क्या है?
१६ यदि हम मत्ती २४:१५-२८ और मरकुस १३:१४-२३ की तुलना लूका २१:२०-२४ से करें, तो हमें एक दूसरा संकेत मिलता है कि यीशु का भविष्यकथन यरूशलेम के विनाश से बहुत आगे तक जाता है। याद कीजिए कि केवल लूका ने ही मरियों का उल्लेख किया था। इसी तरह, केवल उसी ने इस भाग को यीशु के शब्दों से समाप्त किया: “जब तक जातियों का नियुक्त समय [“अन्यजातियों का समय,” King James Version] पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्य जातियों द्वारा रौंदा जाएगा।”e (लूका २१:२४, NW) बाबुली लोगों ने सा.यु.पू. ६०७ में यहूदियों के अंतिम राजा को हटा दिया, और उसके पश्चात्, यरूशलेम, जो परमेश्वर के राज्य का प्रतिनिधित्व करता था, रौंदा गया। (२ राजा २५:१-२६; १ इतिहास २९:२३; यहेजकेल २१:२५-२७) लूका २१:२४ में यीशु ने संकेत दिया कि यह स्थिति भविष्य में भी जारी रहेगी जब तक कि परमेश्वर के राज्य को पुनःस्थापित करने का समय न आए।
१७. यीशु की भविष्यवाणी को दूरस्थ भविष्य तक पहुँचना था इसका कौन-सा तीसरा संकेत हमारे पास है?
१७ यह तीसरा संकेत है कि यीशु दूरस्थ पूर्ति की ओर भी संकेत कर रहा था। शास्त्रवचनों के अनुसार, मसीहा को मरना और पुनरुत्थित होना था, जिसके बाद, वह परमेश्वर के दाहिने हाथ बैठता जब तक पिता उसे विजय प्राप्त करने के लिए न भेजता। (भजन ११०:१, २) यीशु ने अपने पिता के दाहिने हाथ बैठने का उल्लेख किया। (मरकुस १४:६२) प्रेरित पौलुस ने इस बात की पुष्टि की कि पुनरुत्थित यीशु यहोवा के दाहिने हाथ बैठा था और राजा बनने और परमेश्वर का वधिक बनने के समय की प्रतीक्षा कर रहा था।—रोमियों ८:३४; कुलुस्सियों ३:१; इब्रानियों १०:१२, १३.
१८, १९. प्रकाशितवाक्य ६:२-८ का सुसमाचार की पुस्तकों में समान्तर भविष्यवाणी के साथ क्या संबंध है?
१८ चौथे और निर्णायक संकेत के लिए कि रीति-व्यवस्था की समाप्ति के बारे में यीशु की भविष्यवाणी पहली-सदी के समय से आगे लागू होती है, हम प्रकाशितवाक्य अध्याय ६ देख सकते हैं। सामान्य युग ७० के दशकों बाद लिखते हुए, प्रेरित यूहन्ना ने सक्रिय घुड़सवारों के एक सम्मोहक दृश्य का वर्णन किया। (प्रकाशितवाक्य ६:२-८) “प्रभु के दिन” का यह भविष्यसूचक दृश्य—उसकी उपस्थिति का दिन—हमारी २०वीं शताब्दी की पहचान उल्लेखनीय युद्ध (वचन ४), व्यापक अकाल (वचन ५ और ६), और “घातक रोग” (वचन ८, NW) के समय के तौर पर कराता है। स्पष्टतया, यह उस बात के समरूप है जो यीशु ने सुसमाचार वृत्तान्तों में कही और यह प्रमाणित करती है कि उसकी भविष्यवाणी की एक महत्तर पूर्ति इस ‘प्रभु के दिन में’ होनी थी।—प्रकाशितवाक्य १:१०.
१९ जानकार लोग स्वीकार करते हैं कि मत्ती २४:७-१४ और प्रकाशितवाक्य ६:२-८ में पूर्वबताया गया संयुक्त चिह्न १९१४ में विश्व युद्ध के आरंभ से अब तक प्रकट हुआ है। यहोवा के गवाहों ने पूरे विश्व में घोषणा की है कि यीशु की भविष्यवाणी की दूसरी और महत्तर पूर्ति अब हो रही है, जैसे कि क्रूर युद्धों, विनाशक भूकम्पों, दर्दनाक अकालों, और व्यापक बीमारियों से प्रमाणित होता है। इस आख़िरी मुद्दे पर, यू.एस.न्यूज़ एण्ड वर्ल्ड रिपोर्ट (जुलाई २७, १९९२) ने कहा: “एडस् महामारी . . . लाखों को मौत के घाट उतार रही है और शायद जल्द ही इतिहास में सबसे मँहगी और विपत्तिपूर्ण महामारी बन जाएगी। काली महामारी ने १४वीं शताब्दी में लगभग २ करोड़ ५० लाख पीड़ित लोगों की जानें लीं। लेकिन वर्ष २००० तक, आज के लगभग १ करोड़ २० लाख लोगों से बढ़कर, ३ करोड़ से ११ करोड़ की संख्या में लोग एडस् फैलानेवाले एच.आइ.वी. कीटाणु के वाहक होंगे। कोई इलाज उपलब्ध न होने के कारण, इन सब की मृत्यु निश्चित है।”
२०. मत्ती २४:४-२२ की प्रारंभिक पूर्ति क्या शामिल करती, लेकिन अन्य कौन-सी पूर्ति स्पष्ट है?
२० तो फिर, यीशु ने प्रेरितों के प्रश्न का उत्तर कैसे दिया इसके बारे में हम क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं? उसकी भविष्यवाणी ने यरूशलेम के विनाश तक ले जानेवाली बातों और यरूशलेम के विनाश के बारे में यथार्थतापूर्वक पूर्वबताया, और साथ ही कुछ बातों का उल्लेख किया जो सा.यु. ७० के बाद होतीं। लेकिन इसमें से अधिकांश बातों की दूसरी और महत्तर पूर्ति भविष्य में होनी थी, जिसका परिणाम बड़ा क्लेश होगा जो वर्तमान दुष्ट रीति-व्यवस्था का अन्त करेगा। इसका अर्थ है कि मत्ती २४:४-२२ में यीशु का भविष्यकथन, और मरकुस और लूका में समान्तर वृत्तान्त, सा.यु. ३३ से सा.यु. ७० के क्लेश में और उसके बाद पूरे हुए। फिर भी, उन्हीं आयतों की दूसरी पूर्ति होनी थी, जिसमें भविष्य में एक अति विशाल क्लेश भी सम्मिलित होता। यह महत्तर पूर्ति अब हमारे साथ है; हम इसे प्रतिदिन देख सकते हैं।f
किस बात की ओर ले जाता है?
२१, २२. अतिरिक्त घटनाएँ होंगी इस बात का भविष्यसूचक संकेत हम कहाँ पाते हैं?
२१ यीशु ने अपनी भविष्यवाणी को झूठे भविष्यवक्ताओं के उल्लेख के साथ समाप्त नहीं किया जो “अन्य जातियों का समय पूरा” होने से पहले की लंबी अवधि के दौरान भ्रामक चिह्न दिखाएँगे। (लूका २१:२४; मत्ती २४:२३-२६; मरकुस १३:२१-२३) उसने होनेवाली अन्य सनसनीख़ेज़ घटनाओं के बारे में आगे कहा, ऐसी घटनाएँ जो पूरी पृथ्वी पर नज़र आएँगी। यह मनुष्य के पुत्र के सामर्थ तथा महिमा में आने से संबंधित होंगी। मरकुस १३:२४-२७ यीशु की जारी रहनेवाली भविष्यवाणी का नमूना है:
२२ “उन दिनों में, उस क्लेश के बाद सूरज अन्धेरा हो जाएगा, और चान्द प्रकाश न देगा। और आकाश से तारागण गिरने लगेंगे: और आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी। तब लोग मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और महिमा के साथ बादलों में आते देखेंगे। उस समय वह अपने दूतों को भेजकर, पृथ्वी के इस छोर से आकाश की उस छोर तक चारों दिशा से अपने चुने हुए लोगों को इकट्ठे करेगा।”
२३. सामान्य युग पहली शताब्दी के काफ़ी समय बाद हम क्यों मत्ती २४:२९-३१ की पूर्ति की अपेक्षा कर सकते हैं?
२३ मनुष्य का पुत्र, पुनरुत्थित यीशु मसीह, सा.यु. ७० में यहूदी व्यवस्था के विनाशक अन्त के बाद उस शानदार रीति से नहीं आया। निश्चय ही पृथ्वी की सब जातियों ने उसे स्वीकार नहीं किया, जैसे मत्ती २४:३० नोट करता है, और न ही स्वर्गीय दूतों ने तब सारी पृथ्वी से सभी अभिषिक्त मसीहियों को इकट्ठा किया। सो, यीशु की अतिविशाल भविष्यवाणी के इस अतिरिक्त भाग की पूर्ति कब होगी? क्या आज हमारे चारों ओर जो कुछ हो रहा है उसमें इसकी पूर्ति हो रही है, या इसके बजाय, क्या यह उन बातों के विषय में ईश्वरीय अंतर्दृष्टि देती है, जिनकी हम निकट भविष्य में अपेक्षा कर सकते हैं? हमें निश्चय ही जानने की इच्छा होनी चाहिए, क्योंकि लूका ने यीशु की चेतावनी को अभिलिखित किया है: “जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।”—लूका २१:२८.
[फुटनोट]
a इन अध्यायों के भाग पृष्ठ १४ और १५ में दिए गए चार्ट में मिल सकते हैं; बिन्दु रेखाएँ समरूप भागों को चिह्नित करती हैं।
b इन घटनाओं के ऐतिहासिक उद्धरणों के लिए जनवरी १५, १९७० की द वाचटॉवर के पृष्ठ ४३-५ देखिए.
c मत्ती में टोटे शब्द ८० बार से अधिक आता है (९ बार अध्याय २४ में) और लूका की पुस्तक में १५ बार आता है। मरकुस ने टोटे का प्रयोग सिर्फ़ छः बार किया, लेकिन उनमें से चार “चिह्न” से संबंधित थे।
d बिट्रिश लेखक मैथ्यू हेनरी ने टिप्पणी की: “कसदियों द्वारा यरूशलेम का विनाश अति भयानक था, लेकिन यह तो उससे भी बढ़कर था। सभी यहूदियों . . . के विश्व हत्याकांड का ख़तरा था।”
e कई लोग लूका २१:२४ के बाद लूका के वृत्तान्त में एक परिवर्तन देखते हैं। डॉ. लिऑन मॉरिस नोट करता है: “यीशु अन्यजातियों के समय के बारे में आगे कहता है। . . . अधिकांश विद्वानों की राय में अब मनुष्य के पुत्र के आने की ओर ध्यान जाता है।” प्रोफ़ेसर आर. गिनस् लिखता है: “मनुष्य के पुत्र का आना—(मत्ती २४:२९-३१; मर. १३:२४-२७)। ‘अन्यजातियों के समय’ का उल्लेख इस विषय को प्रस्तावना प्रदान करता है; [लूका का] परिप्रेक्ष्य अब यरूशलेम के विनाश से आगे भविष्य की ओर जाता है।”
f प्रोफ़ेसर वॉल्टर लीफेल्ड लिखता है: “यह मान लेना निश्चित रूप से संभव है कि यीशु के भविष्यकथनों ने दो स्थितियों को समाविष्ट किया: (१) मंदिर को शामिल करनेवाली ई. स. ७० की घटनाएँ और (२) दूरस्थ भविष्य की घटनाएँ, जिनका विवरण ज़्यादा भविष्यसूचक शब्दों में किया गया है।” जे. आर. डमलो द्वारा सम्पादित एक व्याख्या कहती है: “इस महान भाषण की सबसे गंभीर मुश्किलें ग़ायब हो जाती हैं जब यह समझा जाता है कि हमारे प्रभु ने किसी एक घटना का नहीं लेकिन दो घटनाओं का ज़िक्र किया था, और कि पहली दूसरी का प्रतीक है। . . . विशेषकर [लूका] २१:२४, जो ‘अन्यजातियों के समय’ के बारे में कहता है, . . . यरूशलेम के पतन और संसार के अन्त के बीच एक अनिश्चित अन्तराल रखता है।”
क्या आपको याद है?
▫ मत्ती २४:३ में पूछे गए प्रश्न के यीशु के उत्तर की कौन-सी पूर्ति सा.यु. ७० तक हुई?
▫ शब्द टोटे का प्रयोग हमें यीशु की भविष्यवाणी को समझने में कैसे सहायता करता है?
▫ किस अर्थ में पहली-शताब्दी का “भारी क्लेश” ऐसा था जो पहले कभी न हुआ था?
▫ लूका यीशु की भविष्यवाणी के कौन-से दो पहलुओं की ओर संकेत करता है जो आज हमें शामिल करते हैं?
▫ कौन-से संकेत मत्ती २४:४-२२ की दूसरी और महत्तर पूर्ति की ओर इशारा करते हैं?
[पेज 24, 25 पर चार्ट]
४ “यीशु ने उनको उत्तर दिया, सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए। ५ क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं मसीह हूं: और बहुतों को भरमाएंगे। ६ तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा।
७ “‘क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेगें, ओर भुईंडोल होंगे। ८ ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी।
९ “‘तब वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। १० तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे को पकड़वाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे। ११ और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे। १२ और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा। १३ परन्तु जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। १४ और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।
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१५ “‘सो जब तुम उस उजाड़ने वाली घृणित वस्तु को जिस की चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी, पवित्र स्थान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे)। १६ तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएं। १७ जो कोठे पर हो, वह अपने घर में से सामान लेने को न उतरे। १८ और जो खेत में हो, वह अपना कपड़ा लेने को पीछे न लौटे। १९ उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उन के लिये हाय, हाय। २० और प्रार्थना किया करो; कि तुम्हें जाड़े में या सब्त के दिन भागना न पड़े। २१ क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा। २२और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे।
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२३ “‘उस समय यदि कोई तुम से कहे, कि देखो, मसीह यहां हैं! या वहां है तो प्रतीति न करना। २४ क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिन्ह, और अद्भुत काम दिखाएंगे, कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें। २५ देखो, मैं ने पहिले से तुम से यह सब कुछ कह दिया है। २६ इसलिये यदि वे तुम से कहें, देखो, वह जंगल में है, तो बाहर न निकल जाना; देखो, वह कोठरियों में है, तो प्रतीति न करना। २७ क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा। २८ जहां लोथ हो, वहीं गिद्ध इकट्ठे होंगे।
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२९ “‘उन दिनों के क्लेश के बाद तुरन्त सूर्य अन्धियारा हो जाएगा, और चान्द का प्रकाश जाता रहेगा, और तारे आकाश से गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी। ३० तब मनुष्य के पुत्र का चिन्ह आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे। ३१ और वह तुरही के बड़े शब्द के साथ, अपने दूतों को भेजेगा, और वे आकाश के इस छोर से उस छोर तक, चारों दिशा से उसके चुने हुओं को इकट्ठे करेंगे।’”
५ “यीशु उन से कहने लगा; चौकस रहो कि कोई तुम्हें न भरमाए। ६ बहुतेरे मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं वही हूं और बहुतों को भरमाएंगे। ७ और जब तुम लड़ाइयां, और लड़ाइयों की चर्चा सुनो; तो न घबराना: क्योंकि इनका होना अवश्य है; परन्तु उस समय अन्त न होगा।
८ “‘क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और हर कहीं भुईंडोल होंगे, और अकाल पड़ेंगे; यह तो पीड़ाओं का आरम्भ ही होगा।
९ “‘परन्तु तुम अपने विषय में चौकस रहो; क्योंकि लोग तुम्हें महासभाओं में सौंपेंगे और तुम पंचायतों में पीटे जाओगे; और मेरे कारण हाकिमों और राजाओं के आगे खड़े किए जाओगे, ताकि उन के लिये गवाही हो। १० पर अवश्य है कि पहिले सुसमाचार सब जातियों में प्रचार किया जाए। ११ जब वे तुम्हें ले जाकर सौंपेंगे, तो पहिले से चिन्ता न करना, कि हम क्या कहेंगे; पर जो कुछ तुम्हें उसी घड़ी बताया जाए, वही कहना; क्योंकि बोलनेवाले तुम नहीं हो, परन्तु पवित्र आत्मा है। १२ और भाई को भाई, और पिता को पुत्र घात के लिये सौंपेंगे, और लड़केबाले माता-पिता के विरोध में उठकर उन्हें मरवा डालेंगे। १३ और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे; पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।
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१४ “‘सो जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्तु को जहां उचित नहीं वहां खड़ी देखो, (पढ़नेवाला समझ ले) तब जो यहूदिया में हों, वह पहाड़ों पर भाग जाएं। १५ जो कोठे पर हो, वह अपने घर से कुछ लेने को नीचे न उतरे और न भीतर जाए। १६ और जो खेत में हो, वह अपना कपड़ा लेने के लिये पीछे न लौटे। १७ उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उन के लिये हाय हाय! १८ और प्रार्थना किया करो कि यह जाड़े में न हो। १९ क्योंकि वे दिन ऐसे क्लेश के होंगे, कि सृष्टि के आरम्भ से जो परमेश्वर ने सृजी है अब तक न तो हुए, और न फिर कभी होंगे। २० और यदि प्रभु उन दिनों को न घटाता, तो कोई प्राणी भी न बचता; परन्तु उन चुने हुओं के कारण जिन को उस ने चुना है, उन दिनों को घटाया।
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२१ “‘उस समय यदि कोई तुम से कहे; देखो, मसीह यहां है, या देखो, वहां है, तो प्रतीति न करना। २२ क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और चिन्ह और अद्भुत काम दिखाएंगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें। २३ पर तुम चौकस रहो: देखो, मैं ने तुम्हें सब बातें पहिले ही से कह दी हैं।
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२४ “‘उन दिनों में, उस क्लेश के बाद सूरज अन्धेरा हो जाएगा, और चान्द प्रकाश न देगा। २५ और आकाश से तारागण गिरने लगेंगे: और आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी। २६ तब लोग मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ और महिमा के साथ बादलों में आते देखेंगे। २७ उस समय वह अपने दूतों को भेजकर, पृथ्वी के इस छोर से आकाश की उस छोर तक चारों दिशा से अपने चुने हुए लोगों को इकट्ठे करेगा।’”
८ “उस ने कहा; चौकस रहो, कि भरमाए न जाओ, क्योंकि बहुतेरे मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं वही हूं; और यह भी कि समय निकट आ पहुंचा है: तुम उन के पीछे न चले जाना। ९ और जब तुम लड़ाइयों और बलवों की चर्चा सुनो, तो घबरा न जाना; क्योंकि इन का पहिले होना अवश्य है; परन्तु उस समय तुरन्त अन्त न होगा।’
१० “तब उस ने उन से कहा, कि जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा। ११ और बड़े बड़े भूईंडोल होंगे, और जगह जगह अकाल और मरियां पड़ेंगी, और आकाश से भयंकर बातें और बड़े बड़े चिन्ह प्रगट होंगे।
१२ “‘परन्तु इन सब बातों से पहिले वे मेरे नाम के कारण तुम्हें पकड़ेंगे, और सताएंगे और पंचायतों में सौंपेंगे, और बन्दीगृह में डलवाएंगे, और राजाओं और हाकिमों के साम्हने ले जाएंगे। १३ पर यह तुम्हारे लिये गवाही देने का अवसर हो जाएगा। १४ इसलिये अपने अपने मन में ठान रखो कि हम पहिले से उत्तर देने की चिन्ता न करेंगे। १५ क्योंकि मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूंगा, कि तुम्हारे सब विरोधी साम्हना या खण्डन न कर सकेंगे। १६ और तुम्हारे माता पिता और भाई और कुटुम्ब, और मित्र भी तुम्हें पकड़वाएंगे; यहां तक कि तुम में से कितनों को मरवा डालेंगे। १७ और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे। १८ परन्तु तुम्हारे सिर का एक बाल भी बांका न होगा। १९ अपने धीरज से तुम अपने प्राणों को बचाए रखोगे।
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२० “‘जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है। २१ तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएं, और जो यरूशलेम के भीतर हों वे बाहर निकल जाएं; और जो गांवों में हों वे उस में न जाएं। २२ क्योंकि यह पलटा लेने के ऐसे दिन होंगे, जिन में लिखी हुई सब बातें पूरी हो जाएंगी। २३ उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उन के लिये हाय, हाय, क्योंकि देश में बड़ा क्लेश और इन लोगों पर बड़ी आपत्ति होगी। २४ वे तलवार के कौर हो जाएंगे, और सब देशों के लोगों में बन्धुए होकर पहुंचाए जाएंगे;
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और जब तक अन्य जातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्य जातियों से रौंदा जाएगा।
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२५ “‘और सूरज और चान्द और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे, और पृथ्वी पर, देश देश के लोगों को संकट होगा; क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएंगे।। २६ और भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाट देखते देखते लोगों के जी में जी न रहेगा क्योंकि आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी। २७ तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। २८ जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।’”
[पेज 20 पर तसवीर]
सामान्य युग ७० में क्लेश यरूशलेम और यहूदी व्यवस्था द्वारा अनुभव किए गए किसी भी क्लेश से अतिविशाल था