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यीशु बहुत दुखी है और प्रार्थना करता हैयीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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वहाँ पहुँचने के बाद यीशु आठ चेलों से कहता है, “मैं वहाँ प्रार्थना करने जा रहा हूँ, तुम यहीं बैठे रहना।” फिर वह अपने साथ पतरस, याकूब और यूहन्ना को लेकर बाग के बहुत अंदर तक जाता है। उसका मन बेचैन है और वह दुख से बेहाल है। वह उन तीनों से कहता है, “मेरा मन बहुत दुखी है, यहाँ तक कि मेरी मरने जैसी हालत हो रही है। तुम यहीं ठहरो और मेरे साथ जागते रहो।”—मत्ती 26:36-38.
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यीशु बहुत दुखी है और प्रार्थना करता हैयीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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जब यीशु स्वर्ग में था, तो उसने देखा कि रोमी लोग अपराधियों को कैसे तड़पा-तड़पाकर मार डालते हैं। अब वह धरती पर एक इंसान है और वह यह सोचकर घबराया हुआ है कि उसे कितना दर्द सहना पड़ेगा। उसे सबसे ज़्यादा इस बात का दुख है कि उस पर परमेश्वर की निंदा करने का इलज़ाम लगाया जाएगा। इससे उसके पिता के नाम की बदनामी होगी! कुछ ही घंटों में उसे काठ पर लटकाकर मार डाला जाएगा मानो वह बहुत बड़ा अपराधी है। यह सब सोचकर वह बहुत दुखी है।
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