मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
6-12 अगस्त
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 17-18
“एहसानमंदी ज़ाहिर कीजिए”
अ.बाइ. लूक 17:12, 14 अध्ययन नोट
1 दस कोढ़ियों: ज़ाहिर है कि बाइबल के ज़माने में कोढ़ी लोग एक-साथ इकट्ठा होते थे या साथ रहते थे। इस तरह वे एक-दूसरे की मदद कर पाते थे। (2रा 7:3-5) परमेश्वर के कानून में यह नियम था कि कोढ़ी लोग बस्ती से दूर अलग रहें। इसके अलावा, उन्हें लोगों को खबरदार करने के लिए ज़ोर-ज़ोर से कहना होता था, “मैं अशुद्ध हूँ, अशुद्ध!” (लैव 13:45, 46) इसी नियम को ध्यान में रखते हुए दस कोढ़ी यीशु से दूर खड़े रहे।
खुद को याजकों को दिखाओ: यीशु मसीह जब धरती पर था तो वह मूसा के कानून के अधीन था और जानता था कि हारून के वंशजों को याजक ठहराया गया है। इसलिए वह जिन कोढ़ियों को ठीक करता था, उनसे कहता था कि वे जाकर याजक को दिखाएँ। (मत 8:4; मर 1:44) कानून के मुताबिक, एक याजक को कोढ़ी की जाँच करके बताना होता था कि वह ठीक हो गया है। इसलिए ठीक हुए कोढ़ी को सफर करके मंदिर जाना होता था और अपने साथ भेंट ले जानी होती थी जिसमें दो शुद्ध चिड़ियाँ, देवदार की लकड़ी, सुर्ख लाल कपड़ा और मरुआ शामिल था।—लैव 14:2-32.
कदरदानी क्यों ज़ाहिर करें?
जब बाकी नौ लोग धन्यवाद करने नहीं आए तो यीशु ने कैसा महसूस किया? घटना आगे बताती है: “इस पर यीशु ने कहा, क्या दसों शुद्ध न हुए तो फिर नौ कहां हैं? क्या इस परदेशी को छोड़ कोई और न निकला, जो परमेश्वर की बड़ाई करता?”—लूका 17:17, 18.
बाकी नौ कोढ़ी दुष्ट नहीं थे। उन्होंने यीशु पर विश्वास किया था और खुशी-खुशी उसकी हिदायतें मानी थीं। मसलन वे यात्रा करके यरूशलेम को गए और याजकों को दिखाया। यीशु ने उन पर जो दया दिखायी उसके लिए ज़रूर उनके दिल में कदरदानी की गहरी भावना थी। बस वे उसे ज़ाहिर करने से चूक गए। उनके इस व्यवहार से यीशु को दुःख पहुँचा। हमारे बारे में क्या कहा जा सकता है? जब कोई हमारे साथ अच्छा व्यवहार करता है तो क्या हम उसे तुरंत धन्यवाद कहते हैं और जब मुनासिब हो तो क्या अपनी भावनाएँ लिखकर ज़ाहिर करते हैं?
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अ.बाइ. लूक 17:10 अध्ययन नोट
निकम्मे: शा., “बेकार; नाकारा।” यीशु यह नहीं कह रहा था कि ‘दासों’ यानी उसके चेलों को अपने आपको बेकार या नाकारा समझना चाहिए। इसके बजाय, संदर्भ दिखाता है कि शब्द “निकम्मे” से यह समझ मिलती है कि चेलों को मर्यादा में रहना चाहिए, उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि वे खास सम्मान या तारीफ के लायक हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह शब्द अतिशयोक्ति अलंकार के तौर पर इस्तेमाल हुआ है और इसका मतलब है, “हम बस दास हैं, हम इस लायक नहीं कि हम पर खास ध्यान दिया जाए।”
अ.बाइ. लूक 18:8 अध्ययन नोट
ऐसा विश्वास: शा., “यह विश्वास।” यूनानी में शब्द “विश्वास” से पहले निश्चित उपपद लिखा है। यह दिखाता है कि यीशु किसी आम विश्वास की नहीं बल्कि खास तरह के विश्वास की बात कर रहा था, जैसा विश्वास यीशु की मिसाल में बतायी विधवा का था। (लूक 18:1-8) इस विश्वास में यह यकीन करना भी शामिल था कि प्रार्थना में बहुत ताकत है और यहोवा अपने चुने हुए लोगों की खातिर न्याय करेगा। यीशु ने विश्वास के बारे में अपने सवाल का जवाब शायद इसलिए नहीं दिया क्योंकि वह चाहता था कि उसका हर चेला सोचे कि उसका विश्वास कितना मज़बूत है। प्रार्थना और विश्वास के बारे में यीशु का मिसाल देना सही था क्योंकि इससे पहले उसने बताया था कि उसके चेलों को कैसी परीक्षाओं से गुज़रना होगा।—लूक 17:22-37.
13-19 अगस्त
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 19-20
“दस मीना चाँदी की मिसाल से मिलनेवाली सीख”
जीज़स द वे पेज 232 पै 2-4
दस मीना चाँदी की मिसाल
यीशु ने कहा, “एक आदमी था जो शाही खानदान से था। वह दूर देश के लिए रवाना हुआ ताकि राज-अधिकार पाकर लौट आए।” (लूका 19:12) दूर देश जाने की वजह से उसे लौटने में काफी समय लगता। इससे पता चलता है कि ‘शाही खानदान का वह आदमी’ यीशु था, जो दूर देश यानी स्वर्ग जाता। वहाँ उसका पिता उसे राज-अधिकार देता।
इस मिसाल में, ‘शाही खानदान का आदमी’ दूर देश जाने से पहले दस दासों को बुलाता है और हरेक को चाँदी का एक सिक्का देकर कहता है, “जब तक मैं वापस न आऊँ, तब तक इनसे कारोबार करो।” (लूका 19:13) चाँदी के सिक्कों का मोल बहुत ज़्यादा होता है। एक मीना चाँदी का सिक्का कमाने में, खेत में काम करनेवाले मज़दूर को तीन महीने से ज़्यादा समय लगता था।
यीशु के चेले समझ गए होंगे कि मिसाल में बताए गए दस दास वे ही हैं, क्योंकि कुछ समय पहले यीशु ने उनकी तुलना कटाई का काम करनेवाले मज़दूरों से की थी। (मत्ती 9:35-38) यीशु ने उनसे यह नहीं कहा था कि वे सचमुच के खेत में काम करके अनाज की फसल इकट्ठी करें। यहाँ फसल का मतलब था और भी चेले, जो आगे चलकर राज के वारिस बनते। नए चेले बनाने के लिए चेलों को अपना तन-मन-धन लगाकर काम करना था।
जीज़स द वे पेज 232 पै 7
दस मीना चाँदी की मिसाल
अगर चेले यीशु की बात समझ गए होंगे कि दास वे ही हैं, तो उन्हें यकीन हो गया होगा कि अगर वे अपना सबकुछ लगाकर चेले बनाने का काम करें, तो यीशु उनसे खुश होगा। वे भरोसा रख सकते थे कि उनकी कड़ी मेहनत के लिए वह उन्हें इनाम भी देगा। बेशक, यीशु के सभी चेलों के हालात एक-जैसे नहीं होते, उन्हें सेवा करने के लिए एक-जैसे मौके नहीं मिलते और न ही उनमें एक-जैसी काबिलीयतें होतीं। फिर भी यीशु, जिसे “राज-अधिकार” मिला है, ध्यान देता है कि वे चेला बनाने के काम में कितनी मेहनत करते हैं और उन्हें इनाम देता है।—मत्ती 28:19, 20.
जीज़स द वे पेज 233 पै 1
दस मीना चाँदी की मिसाल
दुष्ट दास ने अपने मालिक की दौलत बढ़ाने के लिए मेहनत नहीं की जिस वजह से उसे नुकसान उठाना पड़ा। प्रेषित उस वक्त उम्मीद कर रहे थे कि जल्द ही यीशु परमेश्वर के राज में हुकूमत शुरू कर देगा। तो यीशु ने दुष्ट दास के बारे में जो कहा उससे वे समझ गए होंगे कि अगर वे भी मेहनत नहीं करेंगे, तो राज के वारिस नहीं होंगे।
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अ.बाइ. लूक 19:43 अध्ययन नोट
नुकीले लट्ठों से घेराबंदी कर लेंगे: या “बाड़ा बाँधेंगे।” यूनानी शब्द खारक्स मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ यहीं आया है। इस शब्द की परिभाषा यूँ दी गयी है: ‘ऐसे नुकीले छड़ या खंभे जिनसे बाड़ा बाँधा जाता है; काठ।’ इस शब्द का मतलब “काठ गाड़कर घेराबंदी करना; बाड़ा” भी हो सकता है। यीशु की यह भविष्यवाणी ईसवी सन् 70 में पूरी हुई, जब टाइटस के अधीन रोमी सैनिकों ने यरूशलेम की घेराबंदी करने के लिए चारों तरफ दीवार खड़ी की या बाड़ा बाँधा। टाइटस के ऐसा करने के तीन मकसद थे: यहूदी लोग शहर से भाग न पाएँ, वे डर के मारे हथियार डाल दें और भूखे रहने की वजह से उसके अधीन होने के लिए मजबूर हो जाएँ। यरूशलेम की घेराबंदी करने के लिए सैनिकों ने चारों तरफ के पेड़ काट डाले।
अ.बाइ. लूक 20:38 अध्ययन नोट
इसलिए कि वे सब उसकी नज़र में ज़िंदा हैं: बाइबल बताती है कि जो लोग परमेश्वर से दूर हैं वे उसकी नज़र में मरे हुए हैं। (इफ 2:1; 1ती 5:6) उसी तरह, यह कहा जा सकता है कि यहोवा की मंज़ूरी पानेवाले सेवकों की भले ही मौत हो जाए, मगर उसकी नज़र में वे ज़िंदा रहते हैं। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि उन्हें दोबारा ज़िंदा करने का परमेश्वर का मकसद ज़रूर पूरा होगा।—रोम 4:16, 17.
20-26 अगस्त
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 21-22
‘तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा है’
परमेश्वर का राज अपने दुश्मनों को मिटा देगा
9 आसमान में अनोखी घटनाएँ होंगी: यीशु ने भविष्यवाणी की थी, “सूरज अँधियारा हो जाएगा, चाँद अपनी रौशनी नहीं देगा, आकाश से तारे गिर पड़ेंगे।” इसका मतलब यह है कि उस समय लोग ज्ञान की रौशनी यानी मार्गदर्शन के लिए धर्म गुरुओं की ओर नहीं ताकेंगे। क्या यीशु यह भी कह रहा था कि आसमान में सचमुच कुछ अलौकिक घटनाएँ होंगी? शायद हाँ। (यशा. 13:9-11; योए. 2:1, 30, 31) इन घटनाओं का लोगों पर क्या असर होगा? वे बहुत घबरा जाएँगे क्योंकि “उन्हें बचने का कोई रास्ता नहीं सूझेगा।” (लूका 21:25; सप. 1:17) जी हाँ, परमेश्वर के राज के दुश्मन घबरा जाएँगे। “राजा” से लेकर “दास” तक सब लोग बुरी तरह डर जाएँगे। ‘धरती पर और क्या-क्या होगा, इस चिंता और डर के मारे उनके जी में जी न रहेगा।’ वे शरण के लिए यहाँ-वहाँ भागेंगे। मगर उन्हें ऐसी कोई जगह नहीं मिलेगी जहाँ वे हमारे राजा के क्रोध से बच पाएँ।—लूका 21:26; 23:30; प्रका. 6:15-17.
ठान लीजिए कि ‘भाइयों की तरह एक-दूसरे से प्यार करते रहेंगे’
17 “पूरी हिम्मत रखें।” (इब्रानियों 13:6 पढ़िए।) यहोवा पर भरोसा रखने से हमें मुश्किल हालात में धीरज धरने की हिम्मत मिलती है। इससे हम सही नज़रिया बनाए रख पाते हैं। और सही नज़रिया होने से हम अपने भाई-बहनों का हौसला बढ़ा पाते हैं और उन्हें दिलासा दे पाते हैं। इस तरह हम जता रहे होते हैं कि हमें एक-दूसरे से भाइयों की तरह प्यार है। (1 थिस्स. 5:14, 15) यहाँ तक कि हम महा-संकट के दौरान भी हिम्मत रख पाएँगे क्योंकि हम जानते होंगे कि हमारा छुटकारा करीब है।—लूका 21:25-28.
“तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा होगा”!
13 जब बकरी समान लोगों को पता चलेगा कि उन्हें नाश कर दिया जाएगा, तो वे कैसा रवैया दिखाएँगे? वे ‘विलाप करते हुए छाती पीटेंगें।’ (मत्ती 24:30) लेकिन अभिषिक्त मसीही और उनका साथ देनेवाले कैसा रवैया दिखाएँगे? वे वही करेंगे जो यीशु ने कहा था। उसने कहा था, “जब ये बातें होने लगें, तो तुम सिर उठाकर सीधे खड़े हो जाना, क्योंकि तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा होगा।”—लूका 21:28.
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अ.बाइ. लूक 21:33 अध्ययन नोट
आकाश और पृथ्वी मिट जाएँगे: बाइबल की दूसरी आयतों से पता चलता है कि आकाश और पृथ्वी हमेशा रहेंगे। (उत 9:16; भज 104:5; सभ 1:4) इसलिए कहा जा सकता है कि यीशु अतिशयोक्ति अलंकार का इस्तेमाल कर रहा था, जिसका मतलब है कि भले ही नामुमकिन घटना हो जाए यानी आकाश और पृथ्वी मिट जाएँ, मगर यीशु की बात पूरी होकर रहेगी। (मत 5:18 से तुलना करें।) लेकिन लगता है कि यहाँ लाक्षणिक आकाश और पृथ्वी की बात की गयी है, जिन्हें प्रक 21:1 में “पुराना आकाश और पुरानी पृथ्वी” कहा गया है।
मेरे शब्द कभी नहीं मिटेंगे: या “मेरे शब्द किसी भी हाल में नहीं मिटेंगे।” यहाँ यूनानी में क्रिया के साथ दो ऐसे शब्द इस्तेमाल हुए जिनका मतलब है, “नहीं।” यह दिखाता है कि यीशु की कही बात पूरी न हो, यह कभी सोचा भी नहीं जा सकता। इस तरह इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यीशु ने जो कहा वह पूरा होकर ही रहेगा।
प्र14 10/15 पेज 16-17 पै 15-16
तुम “याजकों का राज्य” ठहरोगे
15 प्रभु का संध्या भोज मनाने के बाद, यीशु ने अपने वफादार प्रेषितों के साथ एक करार किया, जिसे राज का करार कहा जाता है। (लूका 22:28-30 पढ़िए।) यह करार दूसरे करारों से अलग है। कैसे? इस करार में यहोवा शामिल नहीं है। इसके बजाय, यह करार यीशु और अभिषिक्त मसीहियों के बीच किया गया है। जब यीशु ने अपने प्रेषितों से कहा, “ठीक जैसे मेरे पिता ने मेरे साथ एक . . . करार किया है,” तब वह शायद “मेल्कीसेदेक की तरह हमेशा-हमेशा के लिए एक याजक” बनने के करार का ज़िक्र कर रहा था, जो यहोवा ने उसके साथ किया था।—इब्रा. 5:5, 6.
16 यीशु के 11 वफादार प्रेषित उसकी सभी ‘परीक्षाओं के दौरान लगातार उसके साथ रहे।’ राज के करार ने इस बात की गारंटी दी कि प्रेषित स्वर्ग में राजगद्दी पर बैठकर यीशु के साथ राजाओं और याजकों के तौर पर सेवा करेंगे। लेकिन यह सम्मान सिर्फ उन 11 प्रेषितों को ही नहीं मिलेगा। यीशु ने प्रेषित यूहन्ना को एक दर्शन में दिखायी देकर उससे कहा: “जो जीत हासिल करता है उसे मैं अपने साथ अपनी राजगद्दी पर बैठने की इजाज़त दूँगा, ठीक जैसे मेरे जीत हासिल करने पर मैं अपने पिता के साथ उसकी राजगद्दी पर बैठा था।” (प्रका. 3:21) इसका मतलब है कि राज का करार 1,44,000 अभिषिक्त मसीहियों के साथ किया गया है। (प्रका. 5:9, 10; 7:4) यह करार कानूनी तौर पर अभिषिक्त मसीहियों के लिए यीशु के साथ स्वर्ग में राज करना मुमकिन बनाता है। यह उसी तरह है, जैसे एक दुल्हन राजा से शादी करने के बाद, उसके साथ राज कर सकती है। दरअसल, बाइबल अभिषिक्त मसीहियों को मसीह की “दुल्हन” और “एक पवित्र कुँवारी” कहती है, जिसकी मसीह से शादी होनेवाली है।—प्रका. 19:7, 8; 21:9; 2 कुरिं. 11:2.
27 अगस्त–2 सितंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 23-24
“माफ करने को तत्पर रहिए”
“मसीह के प्रेम को जानो”
16 यीशु ने एक और अहम तरीके से अपने पिता के जैसा प्यार दिखाया—वह “क्षमा करने को तत्पर रहता” था। (भजन 86:5, NHT) जब वह सूली पर लटका हुआ था, तब भी साफ ज़ाहिर था कि वह क्षमा करने को तत्पर है। जब यीशु के हाथों और पैरों को सूली पर कीलों से ठोंक दिया गया, और एक शर्मनाक मौत मरने के लिए उसे छोड़ दिया गया, तब यीशु के मुँह से कैसी बातें निकलीं? क्या उसने अपनी जान लेनेवालों को सज़ा देने के लिए यहोवा को पुकारा? नहीं, इसके बजाय यीशु के आखिरी शब्दों में से कुछ शब्द ये थे: “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं?”—लूका 23:34.
क्या परमेश्वर गंभीर पापों को माफ करता है?
यहोवा न सिर्फ पाप को देखता है, बल्कि पाप करनेवाले के रवैए पर भी गौर करता है। (यशायाह 1:16-19) आइए कुछ पल के लिए उन दो कुकर्मियों पर ध्यान दें, जिन्हें यीशु के दोनों तरफ लटकाया गया था। उन दोनों ने ज़रूर संगीन जुर्म किए होंगे, तभी तो उनमें से एक ने कबूल किया: “हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस [यीशु] ने कोई अनुचित काम नहीं किया।” उस कुकर्मी की यह बात दिखाती है कि वह यीशु के बारे में थोड़ा-बहुत जानता था। शायद इस जानकारी की वजह से ही उसके रवैए में बदलाव आया हो। यह हमें उसकी आगे कही बात से पता चलता है: “हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।” दिल से की गयी इस गुज़ारिश का यीशु ने क्या जवाब दिया? उसने उस कुकर्मी से कहा: “मैं आज तुझ से सच सच कहता हूँ, तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” (NW)—लूका 23:41-43.
ज़रा सोचिए: इंसान के तौर पर यीशु ने जो आखिरी बातें कहीं, उनमें से एक में हमें दया की झलक मिलती है। उसने यह दया एक ऐसे इंसान के लिए दिखायी, जिसने खुद कबूल किया कि वह सज़ा-ए-मौत के लायक है। इस बात से हमें क्या ही हौसला मिलता है! जी हाँ, हम यकीन रख सकते हैं कि यीशु मसीह और उसका पिता, यहोवा उन सभी पर दया करेंगे, जो सच्चे दिल से पश्चाताप करते हैं, फिर चाहे उन्होंने बीते कल में गंभीर पाप क्यों न किए हों।—रोमियों 4:7.
यहोवा के करीब पेज 297-298 पै 17-18
“मसीह के प्रेम को जानो”
17 यीशु के माफ करने की इससे भी ज़बरदस्त मिसाल हमें, पतरस के साथ उसके व्यवहार से देखने में आती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पतरस यीशु को दिलो-जान से चाहता था। निसान 14 को जो यीशु की ज़िंदगी की आखिरी रात थी, पतरस ने उससे कहा: “हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने, बरन मरने को भी तैयार हूं।” ऐसा कहने पर भी, सिर्फ कुछ घंटों बाद पतरस ने तीन बार इस बात से इनकार किया कि वह यीशु को जानता भी है! बाइबल बताती है कि तीसरी बार पतरस के इनकार करते ही क्या हुआ: “तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा।” अपने पाप के बोझ से बेहाल, पतरस “बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा।” जब उसी दिन बाद में, यीशु मौत की नींद सो गया, तो उस प्रेरित के मन में यह सवाल खटक रहा होगा, ‘क्या मेरे प्रभु ने मुझे माफ किया?’—लूका 22:33, 61, 62.
18 पतरस को बहुत जल्द इसका जवाब मिल गया। यीशु को निसान 16 की सुबह जी उठाया गया और ज़ाहिर है उसी दिन वह खुद जाकर पतरस से मिला। (लूका 24:34; 1 कुरिन्थियों 15:4-8) जिस प्रेरित ने इतनी बार ज़ोर देकर उसे जानने से इनकार किया था, उस पर यीशु इतना मेहरबान क्यों था? यीशु शायद प्रायश्चित्त कर रहे पतरस को यह यकीन दिलाना चाहता था कि उसका प्रभु उससे अब भी प्यार करता है और उसकी कदर करता है। मगर यीशु ने पतरस को यकीन दिलाने के लिए और बहुत कुछ किया।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
अ.बाइ. लूक 23:31 अध्ययन नोट
जब पेड़ हरा है, . . . जब यह सूख जाएगा: मुमकिन है कि यीशु यहाँ यहूदी राष्ट्र की बात कर रहा था। यह एक ऐसे पेड़ की तरह था जो धीरे-धीरे सूख रहा था। लेकिन फिर भी थोड़ा-बहुत हरा था क्योंकि यीशु और उस पर विश्वास करनेवाले कुछ यहूदी अब भी इस राष्ट्र में थे। लेकिन जल्द ही यीशु को मार डाला जाता और वफादार यहूदी परमेश्वर के इसराएल का हिस्सा बन जाते जब पवित्र शक्ति से उनका अभिषेक किया जाता। (रोम 2:28, 29; गल 6:16) तब इसराएल राष्ट्र परमेश्वर की नज़र में मर जाता। इस मायने में वह आगे चलकर सूखे हुए पेड़ की तरह हो जाता।—मत 21:43.
अ.बाइ. लूक 23:33 तसवीर
एड़ी की हड्डी में कील
इस तसवीर में दिखाया गया है कि कैसे एक इंसान की एड़ी में 11.5 सेंटीमीटर (या 4.5 इंच) लंबी एक लोहे की कील ठोंकी गयी है। यह सचमुच की एड़ी की हड्डी नहीं बल्कि उसका नमूना है। असली हड्डी का टुकड़ा तो 1968 में पुरातत्वज्ञानियों को उत्तरी यरूशलेम में खुदाई के वक्त मिला था। यह टुकड़ा रोमी लोगों के ज़माने का था। इससे पता चलता है कि लोगों को कीलों से काठ पर ठोंका जाता था। रोमी सैनिकों ने शायद इसी तरह की कीलों से यीशु मसीह को काठ पर ठोंका था। हड्डी का वह टुकड़ा पत्थर के एक बक्से में मिला था जिसमें लाश के सड़ जाने पर उसकी हड्डियाँ रखी जाती थीं। इससे पता चलता है कि किसी को काठ पर लटकाकर मार डालने के बाद कभी-कभी उसे दफनाया जाता था।