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“तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा होगा”!प्रहरीदुर्ग—2015 | जुलाई 15
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2. (क) जब मसीहियों ने देखा कि रोमी सेना ने शहर को घेर लिया है, तो उन्हें क्या करना था? (ख) उन्हें ऐसा करने का मौका कैसे मिलता है?
2 इसमें कोई शक नहीं आपको यीशु की कही बातें याद आएँगी। उसने कहा था, “जब तुम यरूशलेम को डेरा डाली हुई फौजों से घिरा हुआ देखो, तब जान लेना कि उसके उजड़ने का समय पास आ गया है। इसके बाद जो यहूदिया में हों, वे पहाड़ों की तरफ भागना शुरू कर दें और जो यरूशलेम शहर के अंदर हों, वे बाहर निकल जाएँ और जो देहातों में हों वे इस शहर के अंदर न जाएँ।” (लूका 21:20, 21) आप शायद सोचें, ‘यरूशलेम को तो चारों तरफ से सेना ने घेर लिया है, फिर मैं यीशु की हिदायतें और चेतावनी कैसे मानूँ? मैं शहर से बाहर कैसे निकलूँ?’ लेकिन तभी एक हैरान कर देनेवाली घटना घटती है। रोमी सेना यरूशलेम से वापस जा रही है! जैसे यीशु ने कहा था, ठीक वैसा ही हो रहा है, हमले के “दिन घटाए” जा रहे हैं। (मत्ती 24:22) अब आपके पास यीशु की हिदायतें मानने का मौका है। आप शहर में रहनेवाले और आस-पास के बाकी सभी वफादार मसीहियों के साथ फौरन यरदन नदी के पार पहाड़ों पर भाग जाते हैं!a फिर ईसवी सन् 70 में, एक नयी रोमी सेना यरूशलेम पर धावा बोलती है। इस बार वे शहर को खाक में मिला देते हैं। लेकिन आपकी जान बच जाती है, क्योंकि आपने यीशु की हिदायतें मानी हैं।
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“तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा होगा”!प्रहरीदुर्ग—2015 | जुलाई 15
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परीक्षा और न्याय की घड़ी
7, 8. (क) झूठे धर्मों के विनाश के बाद, सच्चे उपासकों के पास क्या मौका होगा? (ख) उस समय परमेश्वर के लोग कैसे बाकी लोगों से एकदम अलग होंगे?
7 झूठे धर्मों के विनाश के बाद क्या होगा? उस दौरान यह ज़ाहिर करने का मौका होगा कि असल में हमारे दिल में क्या है। उस समय ज़्यादातर लोग “पहाड़ी चट्टानों की दरारों” यानी इंसानी संगठनों से हिफाज़त और मदद पाने की कोशिश करेंगे। (प्रका. 6:15-17) लेकिन यहोवा के लोग हिफाज़त और मदद पाने के लिए यहोवा की शरण में जाएँगे। जब पहली सदी में, संकट के दिन ‘घटाए गए थे,’ तो यह वक्त सभी यहूदियों के लिए मसीही बनने का समय नहीं था। इसके बजाय, यीशु की आज्ञा के मुताबिक, यह वक्त उन लोगों के लिए यरूशलेम से निकल जाने का मौका था जो पहले से मसीही थे। उसी तरह भविष्य में जब महा-संकट के दिन ‘घटाए जाएँगे’ तो हमें यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि उस वक्त बहुत-से लोग सच्चे मसीही बन जाएँगे। इसके बजाय, वह वक्त सभी सच्चे उपासकों के पास यह मौका होगा कि वे यहोवा के लिए अपना प्यार दिखाएँ और अभिषिक्त मसीहियों का साथ दें।—मत्ती 25:34-40.
8 हम पूरी तरह तो नहीं जानते कि परीक्षा की उस घड़ी में क्या घटनाएँ घटेंगी। लेकिन हम इतना ज़रूर कह सकते हैं कि उस दौरान ज़िंदगी आसान नहीं होगी और हमें कई त्याग करने पड़ेंगे। पहली-सदी में, मसीहियों को अपनी जान बचाने के लिए अपना घर-बार छोड़ना पड़ा और बहुत-सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। (मर. 13:15-18) हमें खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मैं अपनी धन-दौलत या ऐशो-आराम की चीज़ें छोड़ने के लिए तैयार हूँ? और यहोवा का वफादार बने रहने के लिए जो ज़रूरी है, क्या मैं वह सब करने के लिए तैयार हूँ?’ ज़रा सोचिए! उस वक्त सिर्फ हम लोग ही ऐसे होंगे जो भविष्यवक्ता दानिय्येल की तरह अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करते रहेंगे, फिर चाहे दुनिया में कुछ भी हो।—दानि. 6:10, 11.
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