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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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ख़ुश हैं वे जो जागते रहते हैं!

“देख, मैं चोर की नाईं आता हूं; धन्य वह है, जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र की चौकसी करता है।”—प्रकाशितवाक्य १६:१५.

१. क्योंकि यहोवा का दिन निकट है, हम किस बात की अपेक्षा कर सकते हैं?

यहोवा का बड़ा दिन निकट है, और उसका अर्थ है युद्ध! दर्शन में, प्रेरित यूहन्‍ना ने ‘पिशाचों द्वारा उत्प्रेरित अभिव्यक्‍तियों’ (NW) को, जो मेंढक-जैसी थीं, पृथ्वी के सभी “राजाओं,” या शासकों के पास निकलकर जाते देखा। क्या करने के लिए? “कि उन्हें सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के उस बड़े दिन की लड़ाई के लिये इकट्ठा करें”! यूहन्‍ना ने आगे कहा: “उन्हों ने उन को उस जगह इकट्ठा किया, जो इब्रानी में हर-मगिदोन कहलाता है।”—प्रकाशितवाक्य १६:१३-१६.

२. मागोग देश का गोग कौन है, और जब वह यहोवा के लोगों पर हमला करता है तब क्या होगा?

२ जल्द ही, यहोवा इस व्यवस्था के राजनैतिक तत्व को प्रेरित करेगा कि बड़े बाबुल, अर्थात्‌ झूठे धर्म के विश्‍व साम्राज्य का विनाश करे। (प्रकाशितवाक्य १७:१-५, १५-१७) तब मागोग देश का गोग, शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस जो पृथ्वी के परिवेश में गिरा दिया गया है, अपनी सेना को तैनात करेगा और यहोवा के शान्तिमय, देखने में निहत्थे लोगों पर चौतरफ़ा हमला करेगा। (यहेजकेल ३८:१-१२) लेकिन परमेश्‍वर अपने लोगों को बचाने के लिए कार्यवाही करेगा। यह “यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन” के आरंभ को चिन्हित करेगा।—योएल २:३१; यहेजकेल ३८:१८-२०.

३. यहेजकेल ३८:२१-२३ में पूर्वबतायी गयी घटनाओं का वर्णन आप कैसे करेंगे?

३ जी हाँ, यहोवा अपने लोगों को बचाएगा और शैतान की व्यवस्था का अन्तिम निशान तक मिटा देगा जब हम उस विश्‍व स्थिति पर पहुँचते हैं जिसे हर-मगिदोन, या अरमगिदोन कहा गया है। यहेजकेल ३८:२१-२३ के भविष्यसूचक शब्द पढ़िए, और दृश्‍य की कल्पना कीजिए। यहोवा प्रलयकारी वर्षा, विध्वंसक ओले, धधकती आग, और जानलेवा महामारी लाने के लिए अपनी शक्‍ति प्रयोग करता है। सर्वत्र हाहाकार मचता है जब गोग की सेना को अस्त-व्यस्त किया जाता है, वे एक-दूसरे के विरुद्ध लड़ते हैं। सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर का कोई भी बचा शत्रु मार डाला जाता है क्योंकि यहोवा अपने सेवकों को बचाने के लिए अलौकिक साधन प्रयोग करता है। जब पूर्वकथित “भारी क्लेश” समाप्त होता है, तब शैतान की भक्‍तिहीन व्यवस्था का कुछ भी नहीं बचेगा। (मत्ती २४:२१) लेकिन, मरते-मरते भी दुष्ट यह जानेंगे कि उनकी विपत्ति का ज़िम्मेदार कौन है। हमारा विजयी परमेश्‍वर स्वयं कहता है: “उन्हें जानना पड़ेगा कि मैं यहोवा हूँ।” (NW) ये असाधारण घटनाएँ हमारे समय में, यीशु की उपस्थिति के दौरान होंगी।

चोर की नाईं आना

४. इस दुष्ट रीति-व्यवस्था का विनाश करने के लिए यीशु किस रीति से आएगा?

४ महिमा-प्राप्त प्रभु यीशु मसीह ने कहा: “देख, मैं चोर की नाईं आता हूं।” चोर-समान आना अचानक होगा, एक अनपेक्षित समय, जब अधिकतर लोग सो रहे होंगे। जब यीशु इस दुष्ट व्यवस्था का विनाश करने के लिए चोर के समान आता है, तब वह उनको बचा रखेगा जो सचमुच जागे हुए हैं। उसने यूहन्‍ना से कहा: “धन्य वह है, जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र की चौकसी करता है, कि नंगा न फिरे, और लोग उसका नंगापन न देखें।” (प्रकाशितवाक्य १६:१५) इन शब्दों का क्या अर्थ है? और हम आध्यात्मिक रूप से कैसे जागते रह सकते हैं?

५. जब यीशु पृथ्वी पर था तब मंदिर सेवा की कौन-सी व्यवस्था प्रभावी थी?

५ सामान्यतः, एक पहरुए को नंगा नहीं किया जाता यदि वह काम पर सो जाता। लेकिन यरूशलेम के मंदिर में ऐसा होता था जब यीशु पृथ्वी पर था और याजकों और लेवियों के दल यरूशलेम के मंदिर में सेवा करते थे। सामान्य युग पूर्व ११वीं शताब्दी में राजा दाऊद ने इस्राएल के सैकड़ों याजकों और उनके हज़ारों लेवीय सहायकों को २४ दलों से बने एक प्रबन्ध में व्यवस्थित किया। (१ इतिहास २४:१-१८) एक हज़ार से अधिक प्रशिक्षित कर्मियों का हर दल बारी-बारी से, कम-से-कम साल में दो बार, एक समय पर एक पूरा सप्ताह मंदिर सेवा के काम करता था। लेकिन, झोपड़ियों के पर्व पर, सभी २४ दल काम करने के लिए प्रस्तुत होते थे। फसह पर्व के समय भी अतिरिक्‍त मदद की ज़रूरत होती थी।

६. यीशु ने शायद किस बात की ओर संकेत किया हो जब उसने कहा, “धन्य वह है, जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र की चौकसी करता है”?

६ जब यीशु ने कहा, “धन्य वह है, जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र की चौकसी करता है,” तब उसने शायद मंदिर में पहरेदारी के काम से सम्बन्धित उस समय के एक नियम की ओर संकेत किया हो। यहूदी मिशनाह कहती है: “याजक मंदिर में तीन स्थानों पर पहरा देते थे: एबतिनास कक्ष पर, ज्वाला कक्ष पर, और भट्ठी कक्ष पर; और लेवी इक्कीस स्थानों पर: पाँच मंदिर पहाड़ी के पाँच फाटकों पर, चार अन्दर उसके चार कोनों पर, पाँच मंदिर आँगन के पाँच फाटकों पर, चार बाहर उसके चार कोनों पर, और एक चढ़ावा कक्ष पर, और एक परदा कक्ष पर, और एक दया आसन के स्थान के पीछे [परम पवित्र की पिछली दीवार के बाहर]। मंदिर पहाड़ी का अधिकारी अपने सामने जलती मशालों के साथ हर पहरुए के पास चक्कर लगाता था, और यदि कोई पहरुआ खड़ा होकर उससे नहीं कहता, ‘हे मंदिर पहाड़ी के अधिकारी, तुझे शान्ति मिले!’ और यह प्रकट होता कि वह सो रहा है, तो वह उसे अपनी छड़ी से मारता, और उसके पास उसका वस्त्र जला देने का अधिकार था।”—मिशनाह, मिड्डोथ (“माप”), १, अनुच्छेद १-२, हर्बर्ट डैनबी द्वारा अनुवादित।

७. जो याजक और लेवी मंदिर में पहरेदारी के काम पर थे उन्हें जागते रहने की ज़रूरत क्यों थी?

७ सेवकाई दल के वे अनेक लेवी और याजक पहरा देने के लिए और किसी अशुद्ध जन को मंदिर के आँगनों में प्रवेश करने से रोकने के लिए सारी रात जागते रहते थे। क्योंकि “मंदिर पहाड़ी का अधिकारी,” या ‘मंदिर का सरदार’ रात के पहरों के दौरान सभी २४ ठिकानों का चक्कर लगाता था, हर पहरेदार को अपनी चौकी पर जागते रहना था यदि वह चाहता था कि उसे बेख़बरी में न पकड़ा जाए।—प्रेरितों ४:१.

८. मसीही का लाक्षणिक वस्त्र क्या है?

८ अभिषिक्‍त मसीहियों और उनके संगी सेवकों को आध्यात्मिक रूप से जागते रहने और अपने लाक्षणिक वस्त्र की चौकसी करने की ज़रूरत है। ये यहोवा के आत्मिक मंदिर में सेवकाई के लिए हमारी नियुक्‍ति के बाहरी प्रमाण हैं। इसके स्वीकरण में, हमारे पास परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा, या सक्रिय शक्‍ति है जो हमें राज्य उद्‌घोषकों के रूप में अपने कर्तव्यों और विशेषाधिकारों को पूरा करने में मदद देती है। परमेश्‍वर के सेवकों के रूप में अपनी चौकियों पर सो जाना हमें महान आत्मिक मंदिर के सरदार, यीशु मसीह द्वारा पकड़े जाने के ख़तरे में डालेगा। यदि उस समय हम आध्यात्मिक रूप से सो रहे हों, तो लाक्षणिक रूप से हमें नंगा किया जाएगा और हमारा प्रतीकात्मक वस्त्र जला दिया जाएगा। सो हम आध्यात्मिक रूप से कैसे जागते रह सकते हैं?

कैसे हम जागते रह सकते हैं

९. मसीही प्रकाशनों की मदद से बाइबल का अध्ययन क्यों इतना महत्त्वपूर्ण है?

९ मसीही प्रकाशनों की मदद से शास्त्र का परिश्रमी अध्ययन आध्यात्मिक रूप से जागते रहने में मदद देता है। ऐसा अध्ययन हमें सेवकाई के लिए सुसज्जित करेगा, संकटों का सामना करने में मदद देगा, और अनन्त सुख का मार्ग दिखाएगा। (नीतिवचन ८:३४, ३५; याकूब १:५-८) हमारा अध्ययन गहन और प्रगतिशील होना चाहिए। (इब्रानियों ५:१४–६:३) नियमित रूप से खाया गया अच्छा भोजन हमें जागते और सतर्क रहने में मदद दे सकता है। यह उस उँघाई को दूर रख सकता है जो कुपोषण का एक चिन्ह हो सकती है। हमें आध्यात्मिक रूप से कुपोषित और निद्रालु होने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि परमेश्‍वर अभिषिक्‍त “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के माध्यम से आध्यात्मिक भोजन का भरपूर प्रबन्ध कर रहा है। (मत्ती २४:४५-४७) व्यक्‍तिगत और पारिवारिक अध्ययन के द्वारा आध्यात्मिक भोजन का नियमित सेवन जागते रहने और “विश्‍वास में पक्के” होने का एक तरीक़ा है।—तीतुस १:१३.

१०. मसीही सभाएँ, सम्मेलन, और अधिवेशन हमें आध्यात्मिक रूप से जागते रहने में कैसे मदद देते हैं?

१० मसीही सभाएँ, सम्मेलन, और अधिवेशन हमें आध्यात्मिक रूप से जागते रहने में मदद देते हैं। वे प्रोत्साहन देते और ‘प्रेम और भले कामों में एक दूसरे को उस्काने’ के अवसर प्रदान करते हैं। ज्यों ज्यों हम ‘उस दिन को निकट आते देखते हैं,’ त्यों त्यों हमें विशेषकर नियमित रूप से इकट्ठा होना चाहिए। वह दिन सचमुच अब निकट है। वह “प्रभु का दिन” है, जब वह अपनी सर्वसत्ता को दोषनिवारित करेगा। यदि वह दिन वास्तव में हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है—जो कि होना चाहिए—तो हम ‘एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना नहीं छोड़ेंगे।’—इब्रानियों १०:२४, २५; २ पतरस ३:१०.

११. यह क्यों कहा जा सकता है कि मसीही सेवकाई आध्यात्मिक रूप से जागते रहने के लिए अत्यावश्‍यक है?

११ मसीही सेवकाई में एकनिष्ठ सहभागिता आध्यात्मिक रूप से जागते रहने के लिए अत्यावश्‍यक है। सुसमाचार का प्रचार करने में नियमित और उत्साही भाग हमें सतर्क रखता है। हमारी सेवकाई हमें परमेश्‍वर के वचन, उसके राज्य, और उसके उद्देश्‍यों के बारे में लोगों से बात करने के अनेक अवसर देती है। घर-घर जाकर साक्षी देना, पुनःभेंट करना, और ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है जैसे प्रकाशनों से गृह बाइबल अध्ययन संचालित करना संतोषप्रद होता है। प्राचीन इफिसुस के प्राचीन इसकी गवाही दे सकते थे कि पौलुस ने उन्हें “लोगों के साम्हने और घर घर” सिखाया था। (प्रेरितों २०:२०, २१) निःसंदेह, यहोवा के कुछ वफ़ादार साक्षियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हैं जो उनकी सेवकाई में थोड़ी-बहुत बाधा डालती हैं, लेकिन वे यहोवा और उसके राजत्व के बारे में लोगों को बताने के रास्ते ढूँढ लेते हैं और ऐसा करने में बहुत आनन्द पाते हैं।—भजन १४५:१०-१४.

१२, १३. किन कारणों से हमें ज़रूरत से ज़्यादा खाना और पीना नहीं चाहिए?

१२ अतिसेवन से दूर रहना हमें आध्यात्मिक रूप से जागते रहने में मदद देगा। अपनी उपस्थिति के बारे में बात करते समय, यीशु ने अपने प्रेरितों से आग्रह किया: “सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएं, और वह दिन तुम पर फन्दे की नाईं अचानक आ पड़े। क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा।” (लूका २१:७, ३४, ३५) पेटूपन और पियक्कड़पन बाइबल सिद्धान्तों के सामंजस्य से बाहर हैं। (व्यवस्थाविवरण २१:१८-२१) नीतिवचन २३:२०, २१ कहता है: “दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न मांस के अधिक खानेवालों की संगति करना; क्योंकि पियक्कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हैं, और पीनकवाले को चिथड़े पहिनने पड़ते हैं।”—नीतिवचन २८:७, NHT.

१३ लेकिन, यदि ज़रूरत से ज़्यादा खाना और पीना उस हद पर नहीं पहुँचा है, तो भी वह एक व्यक्‍ति को उनींदा, यहाँ तक कि परमेश्‍वर की इच्छा पर चलने के बारे में आलसी और लापरवाह बना सकता है। स्वाभाविक है कि पारिवारिक जीवन, स्वास्थ्य, इत्यादि के बारे में चिन्ताएँ होंगी। फिर भी, हम सुखी होंगे यदि हम राज्य हितों को जीवन में पहला स्थान दें और यह विश्‍वास रखें कि हमारा स्वर्गीय पिता हमारा भरण-पोषण करेगा। (मत्ती ६:२५-३४) अन्यथा, “वह दिन” हम पर “फन्दे” की नाईं आ पड़ेगा, संभवतः एक छद्‌मवेशी जाल के रूप में, जो हमें एकाएक पकड़ लेगा या एक चारा लगे जाल के रूप में, जैसे वे जो बेख़बर जानवरों को लुभाते हैं और फिर उन्हें फँसा लेते हैं। ऐसा नहीं होगा यदि हम जागते रहते हैं, इस बारे में पूरी तरह अवगत कि हम “अन्त समय” में जी रहे हैं।—दानिय्येल १२:४.

१४. हमें हार्दिक प्रार्थना क्यों करनी चाहिए?

१४ हार्दिक प्रार्थना आध्यात्मिक रूप से जागते रहने में एक और मदद है। अपनी महान भविष्यवाणी में, यीशु ने यह भी आग्रह किया: “इसलिये जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आनेवाली घटनाओं से बचने, और मनुष्य के पुत्र के साम्हने खड़े होने के योग्य बनो।” (लूका २१:३६) जी हाँ, आइए प्रार्थना करें कि हम हमेशा यहोवा के पक्ष में हों और एक अनुमोदित स्थिति का आनन्द लें जब मनुष्य का पुत्र, यीशु इस दुष्ट रीति-व्यवस्था का विनाश करने आता है। अपने ही लाभ के लिए और संगी विश्‍वासियों के लाभ के लिए जिनके लिए हम प्रार्थना करते हैं, हमें ‘प्रार्थना में लगे रहने’ की ज़रूरत है।—कुलुस्सियों ४:२; इफिसियों ६:१८-२०.

समय निकलता जा रहा है

१५. धार्मिकता के प्रचारकों के रूप में हमारी सेवा से क्या निष्पन्‍न होता है?

१५ यहोवा के बड़े दिन की प्रतीक्षा करते हुए, निःसंदेह हम उसकी सेवा में अपना भरसक करने की इच्छा रखते हैं। यदि हम निष्कपटता से इस विषय में उससे प्रार्थना करें, तो हमारे लिए “सेवा करने का एक बड़ा द्वार” खुल सकता है। (१ कुरिन्थियों १६:८, ९, NHT) परमेश्‍वर के नियुक्‍त समय पर, यीशु न्याय करेगा और अनन्त जीवन के योग्य धर्मी “भेड़ों” को अनन्त विनाश के योग्य भक्‍तिहीन “बकरियों” से अलग करेगा। (यूहन्‍ना ५:२२) हम भेड़ों को बकरियों से अलग नहीं करते। लेकिन धार्मिकता के प्रचारकों के रूप में हमारी सेवा अब लोगों को यह अवसर दे रही है कि परमेश्‍वर की सेवा का जीवन चुनें और इस प्रकार जब यीशु “अपनी महिमा में आएगा” तब जीवन के लिए अलग किए जाने की आशा रखें। क्योंकि इस रीति-व्यवस्था के लिए बचा समय बहुत कम है यह एकनिष्ठ सेवा की ज़रूरत को बढ़ा देता है, जैसे-जैसे हम उनकी खोज करते हैं जिनका ‘अनन्त जीवन के लिए उचित मनोभाव है।’—मत्ती २५:३१-४६; प्रेरितों १३:४८, NW.

१६. हमें क्यों उत्साही राज्य उद्‌घोषक होना चाहिए?

१६ नूह के दिनों के संसार के लिए समय निकल गया, और जल्द ही इस रीति-व्यवस्था के लिए भी निकल जाएगा। इसलिए आइए उत्साही राज्य उद्‌घोषक बनें। हमारा प्रचार कार्य पनप रहा है, क्योंकि हर साल लाखों लोग परमेश्‍वर के प्रति अपने समर्पण के प्रतीक के रूप में बपतिस्मा ले रहे हैं। वे यहोवा के आशिष-प्राप्त संगठन का भाग बन रहे हैं—“उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें।” (भजन १००:३) राज्य-प्रचार कार्य में भाग लेना क्या ही आनन्द की बात है जो “यहोवा के बड़े और भयानक दिन” से पहले इतने सारे लोगों को आशा देता है!

१७, १८. (क) जब हम प्रचार करते हैं, हमें कुछ लोगों से किस प्रतिक्रिया की अपेक्षा करनी चाहिए? (ख) ठट्ठा करनेवालों का निश्‍चित ही क्या होगा?

१७ नूह की तरह, हमारे पास परमेश्‍वर का सहारा और सुरक्षा है। जी हाँ, लोगों, भौतिक देह में स्वर्गदूतों, और नफिली ने नूह के संदेश का ठट्ठा किया होगा, लेकिन वह इस कारण नहीं रुका। आज, कुछ लोग ठट्ठा करते हैं जब हम उस प्रचुर प्रमाण की ओर संकेत करते हैं कि हम “अन्तिम दिनों” में जी रहे हैं। (२ तीमुथियुस ३:१-५) ऐसा उपहास मसीह की उपस्थिति के बारे में बाइबल भविष्यवाणी की पूर्ति में है, क्योंकि पतरस ने लिखा: “अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करनेवाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे। और कहेंगे, उसके आने की प्रतिज्ञा कहां गई? क्योंकि जब से बाप-दादे सो गए हैं, सब कुछ वैसा ही है, जैसा सृष्टि के आरम्भ से था?” (तिरछे टाइप हमारे।)—२ पतरस १:१६; ३:३, ४.

१८ वर्तमान-दिन ठट्ठा करनेवाले शायद सोचें: ‘सृष्टि के समय से कुछ नहीं बदला है। लोग खाते, पीते, ब्याह करते, और बाल-बच्चों को पालते-पोसते हैं, जीवन चलता जाता है। यदि यीशु उपस्थित है, तो भी वह मेरे समय में न्याय नहीं चुकाएगा।’ वे कितने ग़लत हैं! यदि इस दौरान उनकी मृत्यु अन्य कारणों से नहीं हो जाती, तो यहोवा का भयानक दिन निश्‍चित ही उनका अन्त करेगा, जैसे कि विध्वंसकारी जलप्रलय में विनाश ने नूह के समय में एक दुष्ट पीढ़ी का अन्त किया।—मत्ती २४:३४.

अवश्‍य ही, जागते रहिए!

१९. हमें शिष्य-बनाने की अपनी गतिविधियों को किस दृष्टि से देखना चाहिए?

१९ यदि हम यहोवा को समर्पित हैं, तो ऐसा हो कि हम कभी अनुचित तर्क द्वारा सुलाए न जाएँ। यह जागते रहने, ईश्‍वरीय भविष्यवाणी में विश्‍वास रखने, और ‘सब जातियों के लोगों को चेला बनाने’ की अपनी कार्य-नियुक्‍ति को पूरा करने का समय है। (मत्ती २८:१९, २०) जैसे-जैसे यह व्यवस्था अपने अन्तिम अन्त का सामना करती है, हमारे पास यीशु मसीह की अगुवाई में यहोवा परमेश्‍वर की सेवा करने और अन्त आने से पहले ‘राज्य के इस सुसमाचार’ का प्रचार करने के विश्‍वव्यापी कार्य में हिस्सा लेने से बढ़कर और कोई विशेषाधिकार नहीं हो सकता।—मत्ती २४:१४; मरकुस १३:१०.

२०. कालेब और यहोशू ने क्या उदाहरण रखा, और उनका मार्ग हमारे लिए क्या संकेत देता है?

२० यहोवा के कुछ लोग दशकों से, संभवतः जीवन-भर उसकी सेवा करते रहे हैं। और यदि हमने हाल ही में सच्ची उपासना शुरू की है, तो भी ऐसा हो कि हम इस्राएली कालेब के जैसे हों, जो ‘यहोवा के पीछे पूरी रीति से हो लिया।’ (व्यवस्थाविवरण १:३४-३६) वह और यहोशू मिस्री बन्धुवाई से इस्राएल के छुटकारे के कुछ ही समय बाद प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह तैयार थे। लेकिन, सामान्य रूप से वयस्क इस्राएलियों में विश्‍वास की कमी थी और उन्हें वीराने में ४० साल बिताने पड़े, जहाँ वे मर गए। कालेब और यहोशू ने उस समय के दौरान उनके साथ कठिनाइयाँ उठायीं, लेकिन अंततः उन दो पुरुषों ने प्रतिज्ञा के देश में प्रवेश किया। (गिनती १४:३०-३४; यहोशू १४:६-१५) यदि हम ‘यहोवा के पीछे पूरी रीति से हो लेते हैं’ और आध्यात्मिक रूप से जागते रहते हैं, तो हमें परमेश्‍वर के प्रतिज्ञात नए संसार में प्रवेश करने का आनन्द मिलेगा।

२१. यदि हम आध्यात्मिक रूप से जागते रहते हैं तो हमारा अनुभव क्या होगा?

२१ प्रमाण स्पष्ट रूप से साबित करता है कि हम अन्त के समय में जी रहे हैं और कि यहोवा का बड़ा दिन निकट है। यह ईश्‍वरीय इच्छा पूरी करने में निद्रालु और लापरवाह होने का समय नहीं है। हमें केवल तभी आशिष मिलेगी यदि हम आध्यात्मिक रूप से जागते रहते हैं और मसीही सेवकों और यहोवा के सेवकों के रूप में पहचान के अपने वस्त्र की चौकसी करते हैं। यह हमारा संकल्प हो कि ‘जागते रहें, विश्‍वास में स्थिर रहें, पुरुषार्थ करें, बलवन्त होएँ।’ (१ कुरिन्थियों १६:१३) यहोवा के सेवक होने के नाते, ऐसा हो कि हम में से हरेक अटल और साहसी रहे। तब हम उनमें होंगे जो यहोवा के बड़े दिन के लिए तैयार होंगे, उन आनन्दित लोगों के साथ वफ़ादारी से सेवा करते हुए, जो जागते रहते हैं।

आप कैसे उत्तर देंगे?

◻ आप हमारे लाक्षणिक वस्त्र को कैसे परिभाषित करेंगे, और हम उसकी चौकसी कैसे कर सकते हैं?

◻ आध्यात्मिक रूप से जागते रहने के कुछ तरीक़े क्या हैं?

◻ हमें ठट्ठा करनेवालों की अपेक्षा क्यों करनी चाहिए, और हमें उनको किस दृष्टि से देखना चाहिए?

◻ इन अन्तिम दिनों में हमें शिष्य-बनाने के अपने काम को किस दृष्टि से देखना चाहिए?

[पेज 16 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

जागते रहने और अपने कर्तव्यों को पूरा करने में मदद देने के लिए मसीहियों के पास परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा है

[पेज 15 पर तसवीर]

क्या आप आध्यात्मिक रूप से जागते रहने और अपने लाक्षणिक वस्त्र की चौकसी करने के लिए दृढ़संकल्प हैं?

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