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  • यीशु का परिवार यरूशलेम जाता है
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यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
jy अध्या. 10 पेज 28-पेज 29 पैरा. 7
बारह साल का यीशु मंदिर में यहूदी शिक्षकों से सवाल कर रहा है

अध्याय 10

यीशु का परिवार यरूशलेम जाता है

लूका 2:40-52

  • 12 साल का यीशु शिक्षकों से सवाल करता है

  • यीशु यहोवा को अपना पिता कहता है

फसह का त्योहार करीब है। यूसुफ का परिवार, उनके रिश्‍तेदार और दोस्त सब यरूशलेम जाने की तैयारियाँ करते हैं। वे हर साल इस त्योहार को मनाने जाते हैं, क्योंकि कानून में ऐसा करने की आज्ञा दी गयी है। (व्यवस्थाविवरण 16:16) यरूशलेम नासरत से करीब 120 किलोमीटर दूर दक्षिण में है। हर तरफ चहल-पहल है और लोग उमंग से भरे हैं। यीशु अब 12 साल का है। वह भी त्योहार को लेकर काफी उत्सुक है। उसे एक बार फिर मंदिर जाने का मौका मिलेगा।

यीशु और उसका परिवार सिर्फ एक दिन फसह मनाकर लौट नहीं आएगा। फसह के अगले दिन एक और त्योहार शुरू होता है। बिन-खमीर की रोटियों का त्योहार जो सात दिन चलता है। (मरकुस 14:1) इस त्योहार को भी फसह का ही हिस्सा माना जाता है। नासरत से यरूशलेम जाने, वहाँ ठहरने और वापस लौटने में करीब दो हफ्ते लगते हैं। मगर इस साल उन्हें और देर लग जाती है।

मज़ेदार सफर

यीशु और उसका परिवार यरूशलेम के सफर पर निकला है

जब यीशु और उसका परिवार साल में तीन बार त्योहार मनाने यरूशलेम जाता था, तो यह सफर काफी मज़ेदार होता था। (व्यवस्थाविवरण 16:15) रास्ते में वह देश के कई इलाके देख पाता था और उनके बारे में जान पाता था। वह दूसरे प्रांतों के इसराएलियों से भी मिल पाता था। यरूशलेम का हर सफर उसके लिए यादगार सफर रहा होगा।

यरूशलेम से लौटते समय यूसुफ और मरियम देखते हैं कि यीशु उनके साथ नहीं है। उन्होंने सोचा था कि यीशु उनके रिश्‍तेदारों और दोस्तों की टोली में होगा, क्योंकि वे सब साथ मिलकर सफर कर रहे थे। लेकिन जब वे रात को एक जगह रुकते हैं, तो यीशु उन्हें कहीं दिखायी नहीं देता। इधर-उधर ढूँढ़ने पर भी यीशु कहीं नज़र नहीं आता। यूसुफ और मरियम के होश उड़ जाते हैं। वे उसे ढूँढ़ने वापस यरूशलेम जाते हैं।

यरूशलेम में वे सारा दिन यीशु को ढूँढ़ते हैं, पर वह कहीं नहीं मिलता। अगले दिन भी वे ढूँढ़ते हैं और वह नहीं मिलता। तीसरे दिन जाकर उन्हें यीशु मंदिर में मिलता है। इस विशाल मंदिर में बहुत-से बड़े-बड़े कमरे हैं। उन्हीं में से एक कमरे में यीशु यहूदी शिक्षकों के बीच बैठा हुआ है। वह उनकी बातें ध्यान से सुन रहा है और उनसे सवाल कर रहा है। सभी शिक्षक उसकी समझ देखकर हैरान हैं।

यूसुफ और मरियम को यीशु मिल जाता है

मरियम यीशु से कहती है, “बेटा, तूने हमारे साथ ऐसा क्यों किया? देख, तेरा पिता और मैं तुझे पागलों की तरह ढूँढ़ रहे थे!”​—लूका 2:48.

यीशु को यह देखकर हैरानी होती है कि उसके माता-पिता नहीं जानते थे कि वह कहाँ होगा। वह उनसे कहता है, “तुम मुझे यहाँ-वहाँ क्यों ढूँढ़ रहे थे? क्या तुम नहीं जानते थे कि मैं अपने पिता के घर में होऊँगा?”​—लूका 2:49.

इसके बाद यीशु अपने माता-पिता के साथ नासरत लौट जाता है और उनके अधीन रहता है। वह डील-डौल और बुद्धि में बढ़ता जाता है। छुटपन से ही परमेश्‍वर और लोगों की नज़र में उसका एक अच्छा नाम है। वह परमेश्‍वर की उपासना को पहली जगह देता है और अपने माता-पिता का आदर करता है। वाकई, यीशु ने बच्चों के लिए बहुत अच्छी मिसाल रखी।

  • यीशु का परिवार हर साल कहाँ जाता है और क्यों?

  • जब यूसुफ और मरियम यरूशलेम से लौट रहे होते हैं, तो क्या होता है? उन्हें यीशु कहाँ मिलता है?

  • यीशु से बच्चे क्या सीख सकते हैं?

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