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पाठकों के प्रश्‍न

मसीही बपतिस्मों के समय कैसा रवैया दिखाया जाना चाहिए?

यह एक दिलचस्प सवाल है, क्योंकि यद्यपि हमारे अनेक पाठक बपतिस्मा प्राप्त हैं, फिर भी यह उन्हें और बपतिस्मा प्राप्त करनेवालों को शामिल करता है। आइए हम पहले उन लोगों पर टिप्पणी करें जो पूर्ण निमज्जन करते हुए बपतिस्मा प्राप्त करते हैं। उनकी मनोवृत्ति कैसी होनी चाहिए?

मत्ती २८: १९, २० में, यीशु ने अपने अनुयायियों को जाकर लोगों को चेले बनाने, उन्हें सिखाने और बपतिस्मा देने को कहा। उसने बपतिस्मे को एक बहुत ही भावात्मक अनुभव, क्षणिक उत्तेजना के कारण होनेवाले कार्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किया। यह एक गम्भीर क़दम है, जैसे हम यीशु के उदाहरण से देखते हैं। लूका ३:२१ कहता है: “यीशु भी बपतिस्मा लेकर प्रार्थना कर रहा था, तो आकाश खुल गया।” जी हाँ, हमारे आदर्श ने बपतिस्मे को गम्भीरता से, प्रार्थनापूर्वक लिया। हम यीशु को पानी से बाहर आने पर विजय का चिन्ह बनाते, जीत का होहल्ला मचाते हुए, या जोश से अपनी बाँहें हिलाते हुए देखने की कल्पना भी नहीं कर सकते, लेकिन हाल के समय में कुछ व्यक्‍तियों ने ऐसे काम किए हैं। नहीं, सिर्फ़ यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की उपस्थिति में यीशु ने अपने पिता से प्रार्थना की।

लेकिन, बाइबल यह सुझाव नहीं देती है कि बपतिस्मा एक निराशाजनक और भावनारहित घटना है, जो विशेष मुद्रा या सस्वर पाठ की माँग करती है, जैसे कि आज मसीहीजगत के कुछ गिरजे माँग करते हैं। पिन्तेकुस्त के दिन के बारे में विचार कीजिए जब हज़ारों यहूदी और धर्म-परिवर्तित लोगों ने मसीही बपतिस्मा प्राप्त किया। उन्होंने परमेश्‍वर की व्यवस्था का अध्ययन किया था और उसके साथ एक रिश्‍ते में आ गए थे। इसलिए उन्हें सिर्फ़ मसीहा, यीशु के बारे में सीखना था और उसे स्वीकार करना था। जब वे ऐसा कर लेते तब वे बपतिस्मा प्राप्त कर सकते थे।

प्रेरितों २:४१ (NW) कहता है: “जिन्हों ने उसका वचन उत्साह से ग्रहण किया उन्हों ने बपतिस्मा लिया।” वेमथ द्वारा बाइबल अनुवाद कहता है: “इसलिए, उसके वचन को आनन्द से स्वीकार करनेवालों ने बपतिस्मा लिया।” मसीहा के बारे में उत्तेजक समाचार से वे आनन्दित हुए, और यक़ीनन यह आनन्द बपतिस्मे में भी प्रदर्शित हुआ। यह बपतिस्मा हज़ारों आनन्दित प्रेक्षकों के सामने हुआ। स्वर्ग से स्वर्गदूत भी देख रहे थे और आनन्द मना रहे थे। यीशु के शब्दों को याद कीजिए: “मैं तुम से कहता हूं; कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में परमेश्‍वर के स्वर्गदूतों के साम्हने आनन्द होता है।”—लूका १५:१०.

बपतिस्मे की गम्भीरता और आनन्द दोनों को हम में से प्रत्येक व्यक्‍ति विभिन्‍न तरीक़ों से प्रतिबिम्बित कर सकता है। कुछ गिरजों में बपतिस्मा लेनेवाले सफ़ेद या काली पोशाक पहनते हैं। ऐसी माँगों के लिए कोई शास्त्रीय आधार नहीं है। फिर भी, बहुत ही कम या शरीर को पर्याप्त रूप से न ढकनेवाले स्नान वस्त्र पुरुष या स्त्री दोनों के लिए उचित नहीं होंगे। और जैसे बताया गया, पानी के बाहर आने पर, नए मसीही को विशेष हाव-भाव या बर्ताव नहीं करना चाहिए मानो उसने एक बड़ी जीत हासिल की हो। बाक़ी के मसीही भाई ख़ुश हैं कि उस नए व्यक्‍ति ने बपतिस्मा लिया है। उसे समझना चाहिए कि विश्‍वास का यह प्रदर्शन परमेश्‍वर का अनुमोदन पाने के लिए ख़राई के लंबे मार्ग पर सिर्फ़ पहला क़दम है।—मत्ती १६:२४.

हम, एक सार्वजनिक बपतिस्मे पर प्रेक्षकों के तौर पर अवसर के आनन्द में भाग लेते हैं, ख़ासकर अगर बपतिस्मा लेनेवाला एक रिश्‍तेदार या एक ऐसा व्यक्‍ति हो जिसके साथ हमने बाइबल का अध्ययन किया है। लेकिन, पूरी तरह भाग लेने के लिए हमें उम्मीदवारों के साथ पूरा भाषण सुनना चाहिए, उनसे पूछे गए सवालों का सरे आम जवाब देते हुए उन्हें सुनना चाहिए, और प्रार्थना में शामिल होना चाहिए। बपतिस्मे के प्रति सही दृष्टिकोण रखने में यह हमारी मदद करेगा; इस बात पर हमारा दृष्टिकोण परमेश्‍वर के दृष्टिकोण जैसा होगा। बपतिस्मे के बाद, हमारे आनन्द के लिए विजय प्रदर्शन, फूलों का गुलदस्ता, या बपतिस्मा लिए हुए व्यक्‍ति के सम्मान में एक पार्टी की आवश्‍यकता नहीं है। लेकिन उठाए गए इस बढ़िया क़दम के लिए प्रसन्‍नता व्यक्‍त करने और अपने मसीही भाईचारे में बहुत ही स्नेही स्वागत करने के लिए हम अपने नए भाई या बहन को जाकर मिल सकते हैं।

तो संक्षिप्त में, हम सब को, जिसमें पानी में निमज्जित होनेवाले भी शामिल हैं, बपतिस्मे को उचित गम्भीरता से लेना चाहिए। यह अतिभावात्मक अभिव्यक्‍तियों, पार्टियों, या कोलाहल मचाने का समय नहीं है। लेकिन यह निराशाजनक या भावनारहित समय भी नहीं है। हम उचित रूप से ख़ुश हो सकते हैं कि अनन्त जीवन के मार्ग पर नए लोग भी हमारे साथ शामिल हो गए हैं। और हम आनन्दपूर्वक अपने नए भाइयों और बहनों का स्वागत कर सकते हैं।

[पेज 31 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]

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