सुनहरा नियम यह अब भी वैध क्यों है?
असली सोना कभी काला नहीं पड़ता, तभी तो सोने से बने गहने इतने बहुमूल्य और मूल्यवान् माने जाते हैं। टूटे हुए गहनों को फेंक देने के बजाय, सुनार इस क़ीमती धातु को फिर से गढ़कर एक नयी कलाकृति को रूप देते हैं, इसलिए कि सोना अपने मूल्य को बनाए रखता है।
उसी तरह, हालाँकि यीशु ने क़रीब दो हज़ार वर्ष पहले उस सुनहरे नियम को घोषित किया था, उसका मूल्य कम नहीं हुआ है। उसकी वैधता के कारण परखने, या निर्धारित करने के द्वारा, इसकी क़ीमत आज हमारे लिए क्या है, इसे हम बेहतर रीति से समझ सकेंगे।
जब यीशु ने हमें यह सुनहरा नियम दिया कि, “इस कारण, जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो,” तब उन्होंने यह भी कहा: “क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की शिक्षा यही है।” (मत्ती ७:१२) यीशु के शिष्य और उनकी बातें सुननेवाले अन्य व्यक्तियों ने इसका क्या मतलब निकाला?
“व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की शिक्षा”
“व्यवस्था” का ज़िक्र उन प्रारंभिक ग्रंथ-रचनाओं से था जिनसे पहली पाँच किताबें बनती हैं, उत्पत्ति से व्यवस्थाविवरण तक। ये यहोवा का एक वंश उत्पन्न करने के उद्देश्य को प्रकट करते हैं, जो बुराई को निकाल देता। (उत्पत्ति ३:१५) उन प्रारंभिक बाइबल किताबों में व्यवस्था, या नियमों का संग्रह शामिल था, जो यहोवा ने सामान्य युग पूर्व वर्ष १५१३ में सीनाई पर्वत पर, एक मध्यस्थ के रूप में मूसा के ज़रिए, इस्राएल की जाति को दी थी।
ईश्वरीय व्यवस्था ने इस्राएल को इर्द-गिर्द के मूर्तिपूजक जातियों से अलग रखा, और इस्राएलियों को ऐसा कुछ भी नहीं करना था जिस से यहोवा के सामने उनकी अनुग्रहित स्थिति जोख़िम में डाली जाए। वे उनके विशिष्ट लोग थे और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें उसी स्थिति में रहना था। (निर्गमन १९:५; व्यवस्थाविवरण १०:१२, १३) परन्तु परमेश्वर के प्रति उनकी ज़िम्मेदारियों के अलावा, मूसा की व्यवस्था में इस्राएलियों को इस्राएल में रहनेवाले परदेशियों से भी भलाई करने की ज़िम्मेदारी को भी स्पष्ट किया गया। उदाहरणार्थ, इस में बताया गया: “जो परदेशी तुम्हारे संग रहे वह तुम्हारे लिए देशी के समान हो, और उस से अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।” (लैव्यव्यवस्था १९:३४) इस्राएल में राजाओं के राज्य करने के समय में, परदेशी कई ख़ास मौक़ों का आनन्द उठा सके, मसलन यरूशलेम में परमेश्वर के मंदिर के निर्माण कार्य में भाग लेना।—१ इतिहास २२:२.
इस्राएल को दी व्यवस्था में व्यभिचार, हत्या, चोरी और लालच निषेध किए गए थे। इन निषेधाज्ञाओं के साथ साथ “और कोई भी आज्ञा” का सारांश इस नियम में प्रस्तुत किया जा सकता है, कि “अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” प्रेरित पौलुस ने आगे कहा: “प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिए प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।”—रोमियों १३:९, १०.
अगर व्यवस्था सुनहरे नियम के बिल्कुल आधार ही का सारांश देती थी, तो “भविष्यद्वक्ताओं” का क्या?
उसी तरह इब्रानी शास्त्रों के भविष्यसूचक किताबें सुनहरे नियम की वैधता की पुष्टि करती हैं। ये यहोवा को एक ऐसे परमेश्वर के रूप में दिखाते हैं, जो अपने उद्देश्य को वफ़ादारी से पूरा करते हैं। वह अपने विश्वसनीय सेवकों को आशीर्वाद देते हैं जो, हालाँकि अपूर्ण होते हैं, उनकी इच्छानुसार करने की कोशिश करते हैं और अपने हठधर्मी कामों के विषय में सच्चा प्रायश्चित दर्शाते हैं। “अपने को धोकर पवित्र करो; मेरी आँखों के सामने से अपने बुरे कामों को दूर करो; भविष्य में बुराई करना छोड़ दो, भलाई करना सीखो; यत्न से न्याय करो; उपद्रवी को सुधारो; अनाथ का न्याय चुकाओ; विधवा का मुक़द्दमा लड़ो।”—यशायाह १:१६, १७.
जब परमेश्वर के लोगों ने दूसरों के साथ और परमेश्वर के साथ, जो सही था किया, तब यहोवा ने अपने समर्थन का आश्वासन दिया। “यहोवा यों कहता है, ‘न्याय का पालन करो, और धर्म के काम करो। . . . क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो ऐसा ही करता, और वह आदमी जो इस पर स्थिर रहता है।”—यशायाह ५६:१, २.
मसीह अपनी कलीसिया को नियंत्रित करते हैं
मसीह व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं को पूरा करने आए थे, और उनके समय से, यहोवा का अनन्त उद्देश्य पूरा होता गया है। (मत्ती ५:१७; इफिसियों ३:१०, ११, १७-१९) मूसा की पुरानी व्यवस्था के बदले में नयी वाचा आयी है, जो कि यहूदी और अन्यजातीय अभिषिक्त मसीहियों को समाविष्ट करती है। (यिर्मयाह ३१:३१-३४) फिर भी, हमारे समय की मसीही कलीसिया अब भी सुनहरे नियम का पालन करती है। और यहाँ इस नियम की वैधता को स्वीकार करने का एक और कारण पेश है: मसीह आधुनिक मसीही कलीसिया के सक्रिय अध्यक्ष हैं। उन्होंने अपने आदेशों को नहीं बदला है। उनका प्रेरित आदेश अब भी लागू होता है।
इस पृथ्वी पर से जाने से पहले, यीशु ने अपने अनुयायियों को सब जातियों के लोगों को शिष्य बनाने और उन्हें “सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना” सिखाने की आज्ञा दी। उस सीख में सुनहरा नियम भी शामिल था। यीशु ने अपने शिष्यों को आश्वासन दिया: “देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूँ।”—मत्ती २८:१९, २०.
जैसा कि लूका ६:३१ में लिपिबद्ध है, यीशु ने आज्ञा दी: “जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो।” दूसरों के साथ भलाई करने के लिए पहल करने में यीशु ने कितना बढ़िया मिसाल पेश किया!
अपनी पार्थिव सेवकाई के दौरान, यीशु ने ध्यानपूर्वक ग़ौर किया कि लोगों को क्या-क्या बरदाश्त करना पड़ता था, और वह उनके लिए सहानुभूति महसूस करते थे। अपनी एक प्रचार यात्रा के दौरान, उन्होंने भीड़ को देखा और उन्हें भीड़ पर तरस आया। लेकिन उस से ज़्यादा, उन्होंने उनकी मदद करने का प्रबंध किया। कैसे? एक प्रचार अभियान का आयोजन करके, जिस से उनके शिष्य लोगों के घरों तक पहुँच गए। जैसा उन्होंने निर्देश दिया: “जो तुम्हें ग्रहण करता है, वह मुझे ग्रहण करता है, वह मेरे भेजनेवाले को ग्रहण करता है। . . . जो कोई इन छोटों में से एक को चेला जानकर केवल एक कटोरा ठंडा पानी पिलाए, मैं तुम से सच कहता हूँ, वह किसी रीति से अपना प्रतिफल नहीं खोएगा।”—मत्ती ९:३६-१०:४२.
यह बात, कि सुनहरा नियम दूसरों की ख़ातिर सकारात्मक क्रिया सूचित करता है, एक और अवसर पर यीशु की तर्कणा से प्रकट है: “यदि तुम अपने प्रेम रखनेवालों से प्रेम रखो, तो तुम्हरी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखनेवालों के साथ प्रेम रखते हैं। और यदि तुम अपने भलाई करनेवालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं। बरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो और भलाई करो . . . और तुम्हारे लिए बड़ा फल होगा।” (लूका ६:३२, ३३, ३५) इसके फलस्वरूप, अब भी वैध सुनहरे नियम का पालन करने से हम ऐसे लोगों के साथ भलाई करने में पहल करने के लिए प्रेरित होंगे, जिन्हें हम व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते।
अब भी वैध, अब भी व्यवहार्य
शायद सबसे निर्णायक सबूत कि सुनहरा नियम अब भी वैध है, उन लोगों के दैनिक अनुभवों से आता है जो उसके अनुरूप जीते हैं। जो मसीही प्रतिदिन परमेश्वर के नियमों के अनुसार आचरण करते हैं, वे बड़ा आनन्द और, अक़सर, अप्रत्याशित आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अपने द्वारा इस्तेमाल किए जानेवाले एक चिकित्सालय के कर्मचारियों से सुसभ्य और दयालु बरताव करने से, एक मसीही स्त्री ने पाया कि नर्सों और डॉक्टरों ने उसकी देखभाल करने में जिस तरीक़े से विशेष प्रयास किया, उस से उसने लाभ प्राप्त किया।
जल्दी-निर्माण किए जानेवाले किंग्डम हॉल परियोजनाओं से संबद्ध यहोवा के गवाह भी सुनहरे नियम की वैधता की सच्चाई का साक्ष्य दे सकते हैं। निर्माण-स्थल के पास रहनेवाले लोगों से की जानेवाली स्नेही मुलाक़ातें, यह सूचित करने के लिए कि कैसी योजना बनायी गयी है, अक़सर सकारात्मक प्रतिक्रिया पाती हैं। इस प्रकार, जिन लोगों ने पहले गवाहों का प्रतिरोध किया, वे अब देखते हैं कि गवाह अपने पड़ोसियों से भलाई करते हैं, और वे प्रत्यक्ष देखते हैं कि किस तरह परमेश्वर के लोग मिलकर काम करते हैं। इसके परिणाम स्वरूप, कुछों ने या तो सीधे रूप से या सामान को उपलब्ध कराने के द्वारा, निर्माण-कार्य में मदद करने का प्रस्ताव रखा है।—जकर्याह ८:२३ से तुलना करें।
लंडन, इंग्लैंड, में रहनेवाले एक इरानी गवाह ने जब एक दुकान से कुछ खाना ख़रीदा, दुकानदार ने उसका अपमान किया, क्योंकि वह एक परदेसी था। हतोत्साह हुए बग़ैर, उस गवाह ने दयालुता और व्यवहारकुशल से बताया कि वह, यहोवा का एक गवाह होने के तौर से, अपने मन में दूसरे राष्ट्र के लोगों के प्रति कोई बुरी भावनाएँ नहीं रखता था। उलटा, बाइबल संदेश को लेकर वह उस पड़ोस में हर एक से मुलाक़ात करता था। इसका परिणाम? दुकानदार ने गवाह के खाने के आर्डर में अतिरिक्त स्वादिष्ट पदार्थ डाल दिए।
निःसंदेह, सुनहरा नियम दयालुता के ऐसे छोटे कार्यों तक ही सीमित नहीं है। बेशक, उसकी सबसे बड़ी अभिव्यक्ति वह भलाई है जो यहोवा के गवाह विश्व भर में परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार का संदेश लिए अपने पड़ोसियों से भेंट करके करते हैं।
सुनहरे नियम के अनुरूप जीना
सुनहरे नियम को लागू करने का मतलब यह है कि हम अपना ध्यान दूसरों की ओर निर्दिष्ट करें। यह एक सकारात्मक निर्देशक है। अपने इर्द-गिर्द के लोगों के साथ भलाई करने के लिए आपको मौक़ों को खोज निकालना पड़ेगा। मैत्री-भाव वाला और परवाह करने वाला व्यक्ति बनें और उन में व्यक्तिगत दिलचस्पी लें! (फिलिप्पियों २:४) ऐसा करने से, आप बहुमूल्य आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। आप यीशु की सलाह पर अमल कर रहे होंगे: “तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें।” (मत्ती ५:१६) पारी से, जैसे जैसे आप उन्हें सच्चाई से खोजेंगे और प्रतिदिन सुनहरे नियम के अनुसार जीएँगे, वैसे वैसे यहोवा आपका प्रतिफल देनेवाले बनेंगे।—इब्रानियों ११:६.