परमेश्वर के वचन को प्यार करने के फायदे
“बुद्धि से प्रेम करना, वह तेरी रक्षा करेगी। . . . यदि तू उसको गले लगाएगा तो वह तेरा गुणगान करेगी।”—नीतिवचन ४:६, ८, NW.
१. परमेश्वर के वचन से सच्चा प्यार करने में कौन-सी बात शामिल है?
हरेक मसीही के लिए बाइबल पढ़ना बेहद ज़रूरी है। मगर सिर्फ बाइबल पढ़ने से ही यह ज़ाहिर नहीं होता कि एक व्यक्ति को परमेश्वर के वचन से प्यार है। अगर कोई बाइबल पढ़े और काम ऐसे करे जो बाइबल के खिलाफ हों, तब क्या? इससे यही दिखता है कि उसके दिल में परमेश्वर के वचन के लिए प्यार नहीं है। क्योंकि अगर उसे प्यार होता तो वह अपनी पूरी ज़िंदगी परमेश्वर के वचन की माँगों के मुताबिक गुज़ारता। ठीक जैसे ११९वाँ भजन लिखनेवाले ने अपनी पूरी ज़िंदगी परमेश्वर के वचन के मुताबिक गुज़ारी।—भजन ११९:९७, १०१, १०५.
२. परमेश्वर के वचन से मिली बुद्धि से कौन-से लाभ होते हैं?
२ अगर एक व्यक्ति परमेश्वर के वचन की माँगों के मुताबिक जीना चाहता है तो उसे लगातार अपने सोच-विचार और जीने के तरीके में फेरबदल करने की ज़रूरत पड़ती है। ऐसा करना दिखाता है कि उसके पास ईश्वरीय बुद्धि है। ईश्वरीय बुद्धि का मतलब है कि परमेश्वर के वचन बाइबल के अध्ययन से जो ज्ञान और समझ हासिल की गई है उसे रोज़ अपनी ज़िंदगी में अमल करना। और बाइबल कहती है, “बुद्धि से प्रेम करना, तो वह तेरी रक्षा करेगी। बुद्धि को महत्त्व देना, तो वह तेरी प्रतिष्ठा करेगी, यदि तू उसको गले लगाएगा, तो वह तेरा गुणगान करेगी। वह तेरे सिर पर अनुग्रह का ताज़ रखेगी, वह तुझे सुंदरता का मुकुट पहनाएगी।” (नीतिवचन ४:६, ८, ९, NW) तो देखिए, अगर हम परमेश्वर के वचन से प्यार करना सीखेंगे और उसके माँगों के मुताबिक जीने की कोशिश करेंगे तो हमें कितना लाभ होगा! आखिर कौन नहीं चाहेगा कि उसकी रक्षा हो, उसकी प्रतिष्ठा हो और उसका गुणगान हो?
हमेशा के नुकसान से रक्षा
३. आज मसीहियों को पहले से भी कहीं ज़्यादा किससे और क्यों अपनी रक्षा करने की ज़रूरत है?
३ परमेश्वर के वचन के अध्ययन से मिली बुद्धि के मुताबिक जीने से व्यक्ति की रक्षा कैसे होती है? सबसे पहले तो ईश्वरीय बुद्धि शैतान से उसकी रक्षा करती है। यीशु ने अपने चेलों को शैतान से बचने के लिए प्रार्थना करना सिखाया था। (मत्ती ६:१३, नयी हिन्दी बाइबिल) आज ऐसी प्रार्थना करना बेहद ज़रूरी है। क्योंकि सन् १९१४ में शैतान और दुष्ट पिशाचों को स्वर्ग से फेंक दिया गया और अब शैतान “बड़े क्रोध” में है, “क्योंकि [वह] जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।” (प्रकाशितवाक्य १२:९, १०, १२) लेकिन अब तो शैतान की अंतिम घड़ी आ पहुँची है। ऐसे में जब वह देखता है कि ‘परमेश्वर की आज्ञा माननेवालों और यीशु की गवाही देने में स्थिर रहनेवालों,’ पर उसका कोई बस नहीं चल पा रहा तो वह क्रोध से और भी भड़क उठता होगा।—प्रकाशितवाक्य १२:१७.
४. किस तरह शैतान के दबावों और उसके फँदों से मसीहियों की रक्षा होती है?
४ शैतान आज इसी क्रोध में सच्चे मसीहियों को अलग-अलग तरीके से परेशान करने की कोशिश कर रहा है। वह उनके खिलाफ अत्याचार करने के लिए लोगों को भड़काता है या उनके कामों में बाधा डालता है। वह नहीं चाहता कि ये अपना ध्यान राज्य के प्रचार काम में लगाएँ। इसलिए वह दूसरी लुभावनी चीज़ों में उन्हें उलझाने की कोशिश कर रहा है। वह चाहता है कि लोग अपना ध्यान बड़ी पदवी पाने, हर बात को आराम से लेने, धन-सम्पत्ति इकट्ठा करने और सुख-विलास जैसी सांसारिक चीज़ों में लगा दें। शैतान के इन दबावों या फँदों से बचने के लिए कौन-सी बात परमेश्वर के सेवकों की रक्षा करेगी? बेशक इसके लिए बेहद ज़रूरी है कि हम प्रार्थना करें, यहोवा के साथ अपना रिश्ता मज़बूत बनाएँ और यह भरोसा रखें कि उसके वादे ज़रूर पूरे होंगे। मगर ऐसा करने के लिए हमें परमेश्वर के वचन से ज्ञान लेना होगा और उसके वचन से जो बातें याद दिलायी जाती हैं उनके मुताबिक जीने का हमें दृढ़ संकल्प करना होगा। जब हम बाइबल और बाइबल समझानेवाली किताबें पढ़ते हैं, जब हमारे भाई-बहन हमें बाइबल से कोई सलाह देते हैं, जब हम मसीही सभाओं में जाते हैं तो ये बातें हमें याद दिलायी जाती हैं। और जब हम बाइबल के किसी सिद्धांत पर प्रार्थना के साथ मनन करते हैं तो परमेश्वर की आत्मा हमें ये बातें याद दिलाती हैं।—यशायाह ३०:२१; यूहन्ना १४:२६; १ यूहन्ना २:१५-१७.
५. परमेश्वर के वचन से मिली बुद्धि किन तरीकों से हमारी रक्षा करेगी?
५ जो परमेश्वर के वचन से प्रेम करते हैं उनकी रक्षा दूसरे कई तरीकों से भी होती है। उदाहरण के लिए उन्हें भावनात्मक और शारीरिक रूप से कोई हानि नहीं होती है क्योंकि वे ड्रग्स और तंबाकू नहीं लेते और गंदे अनैतिक कामों में नहीं फँसते। (१ कुरिन्थियों ५:११; २ कुरिन्थियों ७:१) दूसरों के साथ उनके रिश्ते में कोई कड़वाहट नहीं आती क्योंकि वे निंदा करने और दुःख पहुँचानेवाली बातों से दूर रहते हैं। (इफिसियों ४:३१) ना ही वे इस संसार की बुद्धि या धोखा देनेवाली फिलॉसफी में उलझकर किसी तरह के शक में पड़ते हैं। (१ कुरिन्थियों ३:१९) परमेश्वर के वचन से प्यार करने के कारण परमेश्वर के साथ उनके रिश्ते और उनकी आशा की भी रक्षा होती है क्योंकि कोई भी उनके रिश्ते को तोड़ नहीं सकता और अनंत जीवन की आशा उनसे छीन नहीं सकता। वे अपने पड़ोसियों को बाइबल में दी गई शानदार आशा पर भरोसा रखने में मदद करते है। क्योंकि वे जानते हैं कि ऐसा करके वे “अपने, और अपने सुननेवालों के लिये भी उद्धार का कारण” बनेंगे।—१ तीमुथियुस ४:१६.
६. परमेश्वर के वचन से मिली बुद्धि किस तरह बुरे हालात में भी हमारी रक्षा करेगी?
६ यह सच है कि सभी लोग “समय और संयोग” के वश में हैं, वे भी जो परमेश्वर के वचन से प्यार करते हैं। (सभोपदेशक ९:११) तो ज़ाहिर है कि हम पर भी प्राकृतिक विपत्तियाँ आ सकती हैं, हम भी गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं, ऐक्सीडैंट हो सकता है और समय से पहले मौत भी आ सकती है। इसके बावजूद हम सुरक्षित हैं। दुनिया की कोई भी विपत्ति परमेश्वर के वचन से प्यार करनेवालों को हमेशा का नुकसान नहीं पहुँचा सकती। इसीलिए हमें हद से ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं कि आगे हमारे साथ क्या होगा। मगर सभी ज़रूरी सावधानियाँ बरतने के बाद यही अच्छा है कि हम आगे का मामला परमेश्वर के हाथ में छोड़ दें और बेकार में अपने जीवन की असुरक्षा के बारे में चिंता करके मन की शांति न खोएँ। (मत्ती ६:३३, ३४; फिलिप्पियों ४:६, ७) पुनरुत्थान की आशा के बारे में कभी मत भूलिए और यह भी कि जब परमेश्वर “सब कुछ नया कर” देगा तब हमें इससे बेहतर ज़िंदगी मिलेगी।—प्रकाशितवाक्य २१:५; यूहन्ना ११:२५.
खुद को “अच्छी भूमि” साबित कीजिए
७. जब भीड़ यीशु की बातों को सुनने आयी तो उसने कौन-सा दृष्टांत दिया?
७ यीशु ने अपने एक दृष्टांत में बखूबी दिखाया कि किस तरह परमेश्वर के वचन के लिए एक सही नज़रिया रखना बहुत ज़रूरी है। जब पूरे पलिश्ती नगर में यीशु सुसमाचार का प्रचार कर रहा था तो भीड़ की भीड़ उसकी सुनने के लिए इकट्ठा हो गई थी। (लूका ८:१, ४) लेकिन इनमें से सभी परमेश्वर के वचन से प्रेम करनेवाले लोग नहीं थे। बहुत से लोग सिर्फ इसलिए उसकी सुनने आए थे क्योंकि वे उसका चमत्कार देखना चाहते थे या उन्हें उसके सिखाने का तरीका बहुत अच्छा लगता था। इसलिए यीशु ने भीड़ से एक दृष्टांत कहा: “एक बोने वाला बीज बोने निकला: बोते हुए कुछ मार्ग के किनारे गिरा, और रौंदा गया, और आकाश के पक्षियों ने उसे चुग लिया। और कुछ चट्टान पर गिरा, और उपजा, परन्तु तरी न मिलने से सूख गया। कुछ झाड़ियों के बीच में गिरा, और झाड़ियों ने साथ साथ बढ़कर उसे दबा लिया। और कुछ अच्छी भूमि पर गिरा, और उगकर सौ गुणा फल लाया।”—लूका ८:५-८.
८. यीशु ने जो दृष्टांत बताया उसमें बीज का मतलब क्या है?
८ यीशु के दृष्टांत से पता चलता है कि जैसा लोगों का हृदय होगा वैसा ही सुसमाचार के प्रति लोगों का रवैया भी होगा। बोया गया बीज, “परमेश्वर का वचन” है। (लूका ८:११) इसी तरह के दूसरे दृष्टांत में, बीज को “राज्य का वचन” कहा गया है। (मत्ती १३:१९) यीशु का दोनों तरह से ही कहना सही है क्योंकि परमेश्वर के वचन का मुख्य विषय है, स्वर्गीय राज्य, जिसका राजा होगा यीशु मसीह और इसी के ज़रिए यहोवा अपनी प्रभुता पर लगाए गए कलंक को मिटाएगा और अपने नाम को पवित्र करेगा। (मत्ती ६:९, १०) इसलिए बीज है, सुसमाचार का संदेश जो परमेश्वर के वचन बाइबल में पाया जाता है। यीशु मसीह ने पहले पहल यह बीज बोया था, उसकी राह पर चलते हुए आज यहोवा के साक्षी बीज बोते हैं और राज्य का संदेश ऐलान करते हैं। तो उनके संदेश के प्रति लोगों का क्या रवैया होता है?
९. जो बीज (क) रास्ते पर (ख) चट्टान पर (ग) झाड़ियों में, गिरता है उसका क्या मतलब है?
९ यीशु ने कहा कि कुछ बीज रास्ते के किनारे गिरे और रौंदे गए, ये ऐसे लोगों को सूचित करते हैं जो इतने व्यस्त रहते हैं कि राज्य का बीज उनके हृदय में जड़ नहीं पकड़ पाता। इसके पहले कि वे परमेश्वर के वचन के लिए अपना प्यार बढ़ाएँ “शैतान आकर उन के मन [हृदय] में से वचन उठा ले जाता है, कि कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएं।” (लूका ८:१२) कुछ बीज चट्टान पर गिरते हैं। ये ऐसे लोगों को सूचित करते हैं जिन्हें बाइबल का संदेश अच्छा तो लगता है मगर वे अपने हृदय पर इसका असर नहीं होने देते। जब इनका विरोध किया जाता है या जब इन्हें बाइबल की कोई सलाह मानना मुश्किल लगता है, तो वे जड़ न पकड़ने के कारण “बहक जाते हैं।” (लूका ८:१३) फिर ऐसे लोग भी हैं जो परमेश्वर का वचन सुनते तो हैं, साथ ही “चिन्ता और धन और जीवन के सुख विलास में” भी बुरी तरह डूबे रहते हैं। इसलिए वे कँटीली झाड़ियों में पूरी तरह “फंस जाते हैं।”—लूका ८:१४.
१०, ११. (क) अच्छी भूमि कैसे लोगों को सूचित करती है? (ख) परमेश्वर का वचन अपने हृदय में “सम्भाले” रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
१० आखिर में कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरते हैं। ये ऐसे लोगों को सूचित करते हैं जो “भले और उत्तम मन [हृदय]” से संदेश को सुनते हैं। बेशक हममें से हरेक तो यही मानना चाहेगा कि उसका हृदय उत्तम है। मगर आखिरकार इसका फैसला तो परमेश्वर के हाथों में है। (नीतिवचन १७:३; १ कुरिन्थियों ४:४, ५) उसका वचन कहता है कि जब तक हम ज़िंदा हैं या जब तक परमेश्वर इस दुष्ट दुनिया का नाश नहीं कर देता, उस समय तक हम जैसा व्यवहार या काम करते हैं उसी से हम साबित करेंगे कि हम ‘भले और उत्तम हृदय’ के हैं। अगर हम पहली ही बार में राज्य संदेश खुशी-खुशी स्वीकार कर लेते हैं तो अच्छी बात है। मगर जो भले और उत्तम हृदय के होते हैं, वे परमेश्वर के वचन को स्वीकार करने के बाद उसे “सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं।”—लूका ८:१५.
११ अपने हृदय में परमेश्वर के वचन को संभाले रखने का एक सबसे बढ़िया तरीका है उसे पढ़ना और अध्ययन करना, जो कि हम अकेले में कर सकते हैं और भाई-बहनों के साथ मिलकर भी। यीशु ने आध्यात्मिक भोजन देने का एक ज़रिया ठहराया है जिससे उसके सच्चे चेलों की आध्यात्मिक रूप से देखभाल हो सके। तो उसके चेलों को इसका पूरा-पूरा फायदा उठाना चाहिए। (मत्ती २४:४५-४७) जो ऐसा करते हैं, वे परमेश्वर के वचन को अपने हृदय में संभाले रखते हैं और प्यार से प्रेरित होकर “धीरज से फल लाते हैं।”
१२. हमें धीरज के साथ कौन-सा फल लाना है?
१२ अच्छी भूमि कौन-सा फल लाती है? असल में जब कोई बीज बोया जाता है तो वह बढ़कर पेड़ बन जाता है, जिसमें फल लगते हैं। इन फलों में वैसे ही बीज होते हैं, जिन्हें फिर से बोया जा सकता है ताकि वे और भी फल लायें। उसी तरह, जो भले और उत्तम हृदय के होते हैं जब उनमें वचन का बीज बोया जाता है तो वे अध्यात्मिक रूप से बढ़ते हैं और एक दिन खुद दूसरे के हृदय में बीज बोने लायक बन जाते हैं। (मत्ती २८:१९, २०) और वे धीरज से इस काम को करते हैं। जैसा कि यीशु ने साफ बताया कि बोने के काम में धीरज धरना बहुत ज़रूरी है: “जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।”—मत्ती २४:१३, १४.
“हर प्रकार के भले कामों का फल लगे”
१३. पौलुस ने कौन-सी प्रार्थना की जो फल का संबंध परमेश्वर के वचन के ज्ञान से जोड़ती?
१३ प्रेरित पौलुस ने भी फल लाने की ज़रूरत के बारे में समझाया और उसने फल लाने का संबध परमेश्वर के वचन से जोड़ा कि परमेश्वर के वचन पर चलनेवाला व्यक्ति फल लाता है। उसने प्रार्थना की कि उसके संगी विश्वासी ‘सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाएँ। ताकि उनका चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वे सब प्रकार से प्रसन्न हों, और उन में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे।’—कुलुस्सियों १:९, १०; फिलिप्पियों १:९-११.
१४-१६. जैसा कि पौलुस ने प्रार्थना की, परमेश्वर के वचन से प्यार करनेवालों ने कौन-से फल दिखाए हैं?
१४ पौलुस यहाँ साफ दिखाता है कि बाइबल का ज्ञान लेना ही काफी नहीं है। अगर हमें परमेश्वर के वचन से वाकई प्यार है, तो हम अपना “चाल-चलन प्रभु के योग्य” बनाएँगे और “हर प्रकार के भले कामों का फल” लाएँगे। किस तरह के भले काम? इन अंतिम दिनों में मसीहियों को राज्य का सुसमाचार प्रचार करने का एक बेहतरीन काम सौंपा गया है। (मरकुस १३:१०) इसके अलावा जो परमेश्वर के वचन से प्यार करते हैं वे प्रचार काम में आर्थिक रूप से भी मदद देने के लिए पूरी कोशिश करते हैं। वे बेहद खुश हैं कि उन्हें यह खास मौका मिला क्योंकि वे जानते हैं कि “परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।” (२ कुरिन्थियों ९:७) उनके दान से सौ से भी ज़्यादा बेथेल परिवारों का खर्च चलता है जहाँ से राज्य प्रचार काम संचालित किया जाता है और कुछ बेथेल घरों में बाइबल और बाइबल समझानेवाली किताबें छापी जाती हैं। इनके दान से मसीहियों के बड़े-बड़े अधिवेशनों का खर्च, सफरी ओवरसियर, मिशनरी और दूसरे पूर्ण समय प्रचारकों का खर्च भी पूरा किया जाता है।
१५ सच्ची उपासना के लिए हॉल बनाना और उसकी देखभाल करना भी भले काम का एक भाग है। परमेश्वर के वचन से प्यार होने के कारण उसके उपासक पूरा ध्यान रखते हैं कि असॆमब्ली हॉल और किंगडम हॉल की ठीक से देखरेख हो। (नहेमायाह १०:३९ से तुलना कीजिए।) किंगडम हॉल के सामने लगे साइन बोर्ड पर परमेश्वर का नाम लिखा होता है इसलिए ज़रूरी है कि ये अंदर और बाहर, दोनों जगह से साफ-सुथरे हों और शालीन हों और इनमें उपासना करनेवालों के आचरण ऐसे हों कि उन पर कोई उँगली न उठाए। (२ कुरिन्थियों ६:३) कुछ मसीही इससे भी बढ़कर करते हैं। परमेश्वर के वचन से प्यार होने के कारण वे अपने घरों से कोसों दूर जाने के लिए भी तैयार होते हैं ताकि दुनिया के अलग-अलग भागों में जाकर सच्ची उपासना के लिए नए हॉल बनाने में मदद कर सकें। खासकर ऐसी जगहों पर जहाँ गरीबी है और कुशल कारीगरों की कमी है।—२ कुरिन्थियों ८:१४.
१६ परिवार की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी और संगी मसीहियों की चिंता करना भी “हर प्रकार के भले कामों का फल” है। अगर हमें परमेश्वर के वचन से प्यार है, तो हम “विश्वासी भाइयों” की ज़रूरतों को समझेंगे और खुद “अपने . . . घराने के साथ [भी] भक्ति का बर्ताव” करेंगे। (गलतियों ६:१०; १ तीमुथियुस ५:४, ८) ये भले काम हम इस तरह से कर सकते हैं, जैसे अगर कोई भाई या बहन बीमार है तो उनसे मिलना और जिनके यहाँ मौत हुई है तो उन्हें दिलासा देकर उनका दुःख-दर्द बाँटना। कलीसिया के प्राचीन और हॉस्पिटल लिएज़ोन कमीटी के भाई, हमें इलाज के दौरान आनेवाली समस्याओं से निपटने में मदद देकर कितना भला काम करते हैं! (प्रेरितों १५:२९) आजकल लोग अधिकाधिक प्राकृतिक विपत्तियों का शिकार हो रहे हैं जिन पर किसी का बस नहीं चलता, मगर कई बार लोग खुद अपनी गलतियों की वज़ह से मुसीबत मोल ले लेते हैं। ऐसे वक्त पर यहोवा के साक्षी परमेश्वर की आत्मा की मदद से तुरंत ऐसे विश्वासी भाइयों और दूसरे पीड़ित लोगों की मदद करते हैं जो विपत्तियों और दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं। इसलिए उन्होंने दुनिया के कई देशों में अच्छा नाम भी कमाया है। परमेश्वर के वचन से प्यार करनेवालों ने ये सभी अच्छे फल दिखाए हैं।
भविष्य में मिलनेवाले शानदार फायदे
१७, १८. (क) राज्य का बीज बोने का नतीजा क्या हुआ है? (ख) परमेश्वर के वचन के प्रेमी, पृथ्वी को कँपकँपा देनेवाली किस घटना की आस देख रहे हैं?
१७ राज्य का बीज बोने से, लोगों को लगातार फायदा पहुँच रहा है। पिछले कई सालों से, हर साल ३,००,००० से भी ज़्यादा लोगों ने अपने हृदय में बाइबल का संदेश इतनी गहराई तक बिठाया कि उन्होंने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया और बपतिस्मा लेकर इसे ज़ाहिर किया। ऐसे लोगों का भविष्य वाकई कितना शानदार होगा!
१८ परमेश्वर के वचन के प्रेमी जानते हैं कि जल्द ही यहोवा परमेश्वर अपने नाम की महिमा करेगा और झूठे धर्म का विश्व साम्राज्य “बड़ा बाबुल” गिरा दिया जाएगा। (प्रकाशितवाक्य १८:२, ८) और जो परमेश्वर के वचन के मुताबिक जीने से इंकार करेंगे, उन्हें राजा यीशु मसीह मौत के घाट उतार देगा। (भजन २:९-११; दानिय्येल २:४४) इसके बाद परमेश्वर के राज्य में हमें अपराध, युद्ध और दूसरी विपत्तियों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी। फिर किसी को दिलासा देने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि तब दुःख-तकलीफ, बीमारी और मौत का नामो निशान मिटा दिया जाएगा।—प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
१९, २०. परमेश्वर के वचन से सच्चा प्यार करनेवालों के सामने कौन-सा शानदार भविष्य रखा है?
१९ परमेश्वर के वचन के प्रेमी तब कितने सारे भले काम करेंगे! हर-मगिदौन से बच निकलनेवाले ये लोग पृथ्वी को सुंदर बगीचे की तरह बनाने में पूरे जोशोउल्लास के साथ जुट जाएँगे। आज जो कब्र में सो रहे हैं वे परमेश्वर की याद में हैं, उस समय परमेश्वर उन्हें ज़िंदा करेगा। तब हर-मगिदौन से बच निकलनेवालों के पास ऐसों का स्वागत करने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने का क्या ही रोमांचक काम होगा! (यूहन्ना ५:२८, २९) और इस जहाँ का बादशाह परमेश्वर यहोवा, अपने महिमावान बेटे यीशु मसीह के ज़रिए इस धरती पर सिद्ध हुकूमत करेगा, फिर ‘पुस्तकें खोली’ जाएँगी जिसमें उस नयी दुनिया में जीने के तरीके के बारे में हिदायतें दी गई होंगी।—प्रकाशितवाक्य २०:१२.
२० यहोवा के ठहराए हुए समय में, वफादार अभिषिक्त मसीहियों के पूरे वर्ग को स्वर्गीय इनाम दिया जाएगा यानी वे “मसीह के संगी वारिस” बनेंगे। (रोमियों ८:१७) मसीह के हज़ार साल के राज्य में पृथ्वी पर रहनेवाले सभी इंसान शरीर और बुद्धि से परिपूर्ण हो जाएँगे। और आखिरी परीक्षा के बाद जब वे वफादार साबित होंगे, तो उन्हें अनंत जीवन का इनाम दिया जाएगा और वे कितने खुश होंगे कि वे “परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त” करेंगे। (रोमियों ८:२१; प्रकाशितवाक्य २०:१-३, ७-१०) वो दुनिया कितनी निराली होगी! चाहे यहोवा ने हमें स्वर्ग की आशा दी हो, या पृथ्वी की, अगर हम हौसला रखते हुए परमेश्वर के वचन से प्यार करते रहें और ईश्वरीय बुद्धि के मुताबिक जीने का दृढ़ संकल्प करें तो यह बुद्धि हमारी रक्षा करेगी और भविष्य में ‘हमारा गुणगान करेगी क्योंकि हमने उसे गले लगाया।’—नीतिवचन ४:६, ८, NW.
क्या आप समझा सकते हैं?
◻ अगर हम परमेश्वर के वचन से प्यार करते हैं, तो हमारी रक्षा कैसे होगी?
◻ यीशु के दृष्टांत में बताए गए बीज क्या हैं और वे कैसे बोये जाते हैं?
◻ हम “अच्छी भूमि” कैसे साबित हो सकते हैं?
◻ परमेश्वर के वचन के प्रेमी भविष्य में किस तरह का लाभ पाने के लिए आँखें बिछाए हैं?
[पेज 16 पर तसवीर]
यीशु के दृष्टांत में बताया गया बीज, सुसमाचार का संदेश है जो परमेश्वर के वचन में पाया जाता है
[चित्र का श्रेय]
Garo Nalbandian
[पेज 17 पर तसवीर]
यहोवा के साक्षी महान बीज बोनेवाले का अनुकरण करते हैं
[पेज 18 पर तसवीरें]
हर-मगिदौन से बच निकलनेवाले पृथ्वी के फलों का आनंद लेंगे