मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
2-8 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 6-7
“दिल खोलकर दिया करो”
अ.बाइ. लूक 6:37 अध्ययन नोट
माफ करते रहो और तुम्हें भी माफ किया जाएगा: या “दूसरों को छोड़ दो और तुम्हें भी छोड़ दिया जाएगा।” “माफ करने” के यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “आज़ाद करना; भेज देना; रिहा कर देना (जैसे एक कैदी को)।” इस संदर्भ में यह यूनानी शब्द, न्याय करने और दोष लगाने के विपरीत इस्तेमाल हुआ है। इसलिए यहाँ इस शब्द का मतलब है, एक व्यक्ति को दोष मुक्त करना और माफ कर देना, फिर चाहे वह सज़ा के लायक हो।
भलाई करते रहिए
13 मत्ती की किताब के मुताबिक, यीशु ने कहा: “दोष लगाना बंद करो कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए।” (मत्ती 7:1, NW) इसी बात को लूका ने इस तरह दर्ज़ किया: ‘दोष मत लगाओ; तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा: क्षमा करो, तो तुम्हारी भी क्षमा की जाएगी।’ (लूका 6:37) फरीसी बिना रहम खाए दूसरों पर दोष लगाते थे। वह भी शास्त्र के आधार पर नहीं बल्कि इंसानी परंपराओं के आधार पर। यीशु के सुननेवालों में से अगर किसी में फरीसियों के जैसी आदत थी, तो उसे ‘दोष लगाना बंद करना था।’ उसे दूसरों के दोष “क्षमा” करने थे।
14 अगर यीशु के चेले लोगों को माफ करते, तो लोग भी उन्हें माफ करने के लिए उभारे जाते। यीशु ने कहा: “जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा।” (मत्ती 7:2) दूसरों के साथ हमारे व्यवहार में भी यह सिद्धांत लागू होता है कि हम जो बोते हैं, वही काटते हैं।—गल. 6:7.
अ.बाइ. लूक 6:38 अध्ययन नोट
दिया करो: या “देते रहो।” यहाँ यूनानी क्रिया का जो रूप इस्तेमाल हुआ है उसका अनुवाद “देना” भी किया जा सकता है, लेकिन वह लगातार किए जानेवाले काम का भाव देता है।
अ.बाइ. लूक 6:38 अध्ययन नोट
तुम्हारी झोली: यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “तुम्हारे सीने (छाती),” लेकिन यहाँ शायद इसका मतलब है चोगे से बनायी गयी झोली। एक व्यक्ति ढीला-ढाला चोगा पहनता था, ऊपर से कमरबंध बाँध लेता था और फिर कमरबंध से नीचले हिस्से को ऊपर की तरफ मोड़कर झोली बना लेता था। ‘झोली में डालने’ का मतलब शायद वह दस्तूर था जब बेचनेवाला, खरीदार की झोली में सामान डाल देता था।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
सच्ची आध्यात्मिकता—आप इसे कैसे पा सकते हैं?
यीशु अकसर लंबे समय तक प्रार्थना करता था। (यूहन्ना 17:1-26) 12 प्रेरितों को चुनने से पहले यीशु “पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई।” (लूका 6:12) आध्यात्मिक सोच रखनेवाले लोग शायद प्रार्थना में सारी रात न बिताएँ, मगर वे इस मामले में यीशु की मिसाल पर चलते हैं। वे ज़िंदगी के अहम फैसले लेते वक्त प्रार्थना में काफी समय बिताते हैं।
अ.बाइ. लूक 7:35 अध्ययन नोट
अपने सारे नतीजों: शा., “अपने सारे बच्चों।” मूल यूनानी पाठ में बुद्धि को एक व्यक्ति के रूप में बताया गया है और यह भी कि उसके बच्चे हैं। इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 11:19 में बुद्धि के “कामो” का ज़िक्र किया गया है। बुद्धि के बच्चे या काम, वे सबूत हैं जो यूहन्ना और यीशु ने दिए थे और जिनसे उन पर लगाए गए इलज़ाम झूठे साबित हुए। एक तरह से यीशु कह रहा था, ‘मेरे नेक काम और मेरा चालचलन देखो, तो तुम जान जाओगे कि ये इलज़ाम झूठे हैं।’
9-15 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 8-9
“यीशु के पीछे चलते रहने के लिए हमें क्या करना होगा?”
इंसाइट-2 पेज 494
घोंसला
जब एक शास्त्री ने यीशु से कहा, “गुरु, तू जहाँ कहीं जाएगा, मैं तेरे साथ चलूँगा,” तो यीशु ने कहा, “लोमड़ियों की माँदें और आकाश के पंछियों के बसेरे होते हैं, मगर इंसान के बेटे के पास कहीं सिर टिकाने की भी जगह नहीं है।” (मत 8:19, 20; लूक 9:57, 58) यीशु कहना चाहता था कि उसका चेला बनने के लिए उस शास्त्री को आराम की ज़िंदगी छोड़नी होगी और यहोवा पर पूरा भरोसा करना होगा कि वह उसकी देखभाल करेगा। यही सिद्धांत उसने आदर्श प्रार्थना में भी बताया, “आज के दिन की रोटी हमें दे।” उसने एक और बार कहा, “यकीन मानो कि तुममें से जो कोई अपनी सारी संपत्ति को अलविदा नहीं कहता वह मेरा चेला नहीं बन सकता।“—मत 6:11; लूक 14:33.
अ.बाइ. लूक 9:59, 60 अध्ययन नोट
अपने पिता को दफना दूँ: ज़ाहिर है कि इन शब्दों का यह मतलब नहीं कि उस आदमी के पिता की अभी-अभी मौत हुई थी और वह उसे दफनाने की तैयारी करने की गुज़ारिश कर रहा था। अगर यह मतलब होता तो वह यीशु से बात नहीं कर रहा होता। प्राचीन मध्य पूर्वी देशों में परिवार में जब किसी की मौत होती थी, तो लाश को जल्द-से-जल्द या आम तौर पर उसी दिन दफना दिया जाता था। इसलिए कहा जा सकता है कि उस आदमी का पिता मरा नहीं था बल्कि शायद वह बीमार या बूढ़ा था। इसके अलावा, उसके पिता की देखभाल करने के लिए ज़रूर परिवार में दूसरे लोग रहे होंगे, वरना यीशु उस आदमी से अपने बीमार या बुज़ुर्ग पिता को छोड़कर आने के लिए नहीं कहता। (मर 7:9-13) एक तरह से वह आदमी कह रहा था, ‘मैं तेरे पीछे आऊँगा, लेकिन अभी नहीं क्योंकि मेरा पिता ज़िंदा है। जब उसकी मौत हो जाएगी और मैं उसे दफना दूँगा, तब तेरे पीछे आऊँगा।’ लेकिन यीशु की नज़र में वह आदमी परमेश्वर के राज के कामों को ज़िंदगी में पहली जगह देने का मौका गवाँ रहा था।—लूक 9:60, 62.
मुरदों को अपने मुरदे दफनाने दे: जैसे लूक 9:59 के अध्ययन नोट में बताया गया है, यीशु जिस आदमी से बात कर रहा था उसका पिता मरा नहीं था बल्कि शायद बीमार या बूढ़ा था। इसलिए ज़ाहिर है कि यीशु कह रहा था, ‘जो लाक्षणिक तौर पर मरे हुए हैं, उन्हें अपने मुरदे दफनाने दे।’ इसका मतलब, उस आदमी को यह ज़िम्मेदारी अपने रिश्तेदारों पर छोड़ देनी चाहिए थी कि वे उसके पिता की देखभाल करें और मौत होने पर उसे दफना दें। अगर वह आदमी यीशु का चेला बनता, तो उसे हमेशा की ज़िंदगी की आशा मिलती और वह उन लोगों में नहीं गिना जाता, जो परमेश्वर की नज़र में मरे हुए थे। यीशु ने अपनी बात से ज़ाहिर किया कि परमेश्वर की नज़र में ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी है कि एक व्यक्ति परमेश्वर के राज को ज़िंदगी में पहली जगह दे और उसके बारे में दूर-दूर तक ऐलान करे।
अ.बाइ. लूक 9:62 तसवीर
हल जोतना
अकसर पतझड़ के मौसम में खेतों में हल चलाया जाता था। वह इसलिए क्योंकि गरमियों में तपती धूप की वजह से ज़मीन सख्त हो जाती थी, लेकिन बारिश में ज़मीन नरम हो जाती थी और इसके बाद जुताई करना आसान होता था। (अति. ख15 देखें।) आम तौर पर हल लकड़ी का बना होता था। इसका निचला हिस्सा नुकीला होता था, जिसके सिरे पर शायद धातु लगी होती थी। हल को एक या उससे ज़्यादा जानवर खींचते थे। जुताई के बाद बीज बोया जाता था। इस काम से लोग वाकिफ थे और इब्रानी शास्त्र में लाक्षणिक तौर पर भी हल जोतने का ज़िक्र मिलता है। (न्या 14:18; यश 2:4; यिर्म 4:3; मीक 4:3) यीशु ने भी कई मौकों पर लोगों को अहम बातें सिखाने के लिए खेती-बाड़ी से जुड़े कामों के बारे में बताया। मिसाल के लिए, उसने हल जोतने की बात कहकर यह समझाया कि उसका चेला बनने में क्या शामिल है। (लूक 9:62) अगर हल जोतनेवाले का ध्यान भटक जाए, तो हल से बननेवाली रेखाएँ टेढ़ी हो जाएँगी। उसी तरह, अगर मसीह के एक चेले का ध्यान भटक जाए या वह अपनी ज़िम्मेदारी निभाने से चूक जाए, तो वह परमेश्वर के राज के लायक नहीं रहेगा।
पूरे दिल से यहोवा की सेवा करते रहिए
11 आइए यीशु की दी मिसाल को समझने के लिए उसे और भी जीता-जागता बनाएँ। मान लीजिए, एक मज़दूर खेत जोतने में व्यस्त है। लेकिन काम करते वक्त उसे घर की याद आ रही है। वह सोच रहा है कि उसके परिवारवाले, उसके दोस्त बैठकर बढ़िया खाना खा रहे होंगे, संगीत सुन रहे होंगे और हँसी-मज़ाक कर रहे होंगे। मन-ही-मन उसे लग रहा है, “काश! मैं भी घर पर होता।” कुछ देर हल जोतने के बाद घर लौटने की चाहत उस पर इस कदर हावी हो जाती है कि वह “पीछे छोड़ी हुई चीज़ों” की तरफ मुड़कर देखने लगता है। हालाँकि बीज बोने से पहले ढेर सारा काम करना बाकी है, लेकिन उसका ध्यान भटक चुका है। वह काम करना बंद कर देता है। मालिक यह देखकर निराश हो जाएगा कि उसने काम में लगे रहने के बजाय, बीच में ही छोड़ दिया।
12 उस मज़दूर की तुलना हम ऐसे मसीही से कर सकते हैं, जो सच्चाई में अच्छा कर रहा हो मगर परमेश्वर के साथ उसका रिश्ता खतरे में है। मान लीजिए, वह सभाओं में आता है, प्रचार में जाता है, मगर उसे दुनिया की चीज़ें बहुत प्यारी हैं। वह सालों तक परमेश्वर की सेवा करता है। मगर फिर दुनिया की चीज़ें पाने की चाहत उस पर इस कदर हावी हो जाती है कि वह “पीछे छोड़ी हुई चीज़ों” को मुड़कर देखने लगता है। परमेश्वर की सेवा में उसके आगे बहुत कुछ करने को है, मगर वह “जीवन के वचन पर मज़बूत पकड़” बनाए नहीं रखता और पहले की तरह सेवा नहीं कर पाता। (फिलि. 2:16) “खेत के मालिक” यहोवा को यह देखकर कितना दुख होगा कि वह सेवा में लगे रहने के बजाए दुनिया की चीज़ों के पीछे चला गया।—लूका 10:2.
13 यह काबिले-तारीफ है कि हम मंडली की सभाओं में हाज़िर होते हैं और प्रचार में भाग लेते हैं। मगर पूरे दिल से सेवा करने में इससे ज़्यादा शामिल है। (2 इति. 25:1, 2, 27) अगर एक मसीही के दिल में कहीं भी “पीछे छोड़ी हुई चीज़ों” के लिए यानी दुनिया की चीज़ों या उसके जीने के तरीके के लिए प्यार है, तो परमेश्वर के साथ उसका रिश्ता खतरे में पड़ सकता है। (लूका 17:32) अगर हम ‘दुष्ट बातों से घिन करें और अच्छी बातों से लिपटे रहें,’ तभी हम “परमेश्वर के राज के लायक” होंगे। (रोमि. 12:9; लूका 9:62) आइए ठान लें कि दुनिया की कोई भी चीज़ हमें राज के काम दिलो-जान से करने से न रोके, फिर चाहे वह चीज़ हमें कितनी ही ज़रूरी क्यों न लगे।—2 कुरिं. 11:14; फिलिप्पियों 3:13, 14 पढ़िए।
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अ.बाइ. लूक 8:3 अध्ययन नोट
की सेवा करती थीं: या “की मदद (या ज़रूरतें पूरी) करती थीं।” यूनानी शब्द दीआकोनीयो का मतलब हो सकता है, दूसरों की खाने-पीने की ज़रूरतें पूरी करने के लिए काम करना, जैसे खाने-पीने की चीज़ें लाना, खाना पकाना और परोसना वगैरह। यही मतलब देने के लिए दीआकोनीयो शब्द का इस्तेमाल इन आयतों में हुआ है: लूक 10:40 (“सारा काम” करना), लूक 12:37 (“सेवा करेगा”), लूक 17:8 (“सेवा कर”) और प्रेष 6:2 (“खाना बाँटने”)। लेकिन इस शब्द का मतलब ऐसी सेवाएँ भी हो सकता है जिनसे उनकी दूसरी ज़रूरतें पूरी होती थीं। यहाँ बताया गया है कि आयत 2 और 3 में ज़िक्र की गयी औरतों ने किस तरह यीशु और उसके चेलों की मदद की ताकि वे परमेश्वर से मिला काम पूरा करने पर ध्यान दे सकें। ऐसा करके वे औरतें परमेश्वर की महिमा करती थीं और परमेश्वर ने भी उनके लिए कदरदानी दिखायी। उसने उनकी दरियादिली के काम बाइबल में दर्ज़ करवाए ताकि आनेवाली सभी पीढ़ियाँ उन्हें पढ़ सकें। (नीत 19:17; इब्र 6:10) यूनानी शब्द दीआकोनीयो मत 27:55; मर 15:41 में बतायी औरतों के सिलसिले में भी इस्तेमाल हुआ है।
लूका किताब की झलकियाँ
9:49, 50—यीशु ने उस आदमी को क्यों नहीं रोका जो उसका चेला नहीं था, मगर उसके नाम से दुष्टात्माओं को निकाल रहा था? यीशु ने उसे इसलिए नहीं रोका, क्योंकि तब तक मसीही कलीसिया नहीं बनी थी। यीशु के नाम पर विश्वास करने और दुष्टात्माओं को निकालने के लिए ज़रूरी नहीं था कि वह यीशु के साथ रहे।—मर. 9:38-40.
16-22 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 10-11
“दयालु सामरी की मिसाल”
अ.बाइ. लूक 10:30 वीडियो
यरूशलेम से यरीहो जानेवाला रास्ता
मुमकिन है कि इस छोटे-से वीडियो में दिखाया गया रास्ता (1), वही है जो प्राचीन समय में यरूशलेम से यरीहो जाता था। यह रास्ता 20 कि.मी. (12 मील) से भी ज़्यादा लंबा था और जहाँ पर इस रास्ते में मोड़ आता था वहाँ 1 कि.मी. (0.6 मील) खड़ी ढलान थी। इस वीरान और सुनसान रास्ते पर बहुत लूटमार होती थी, इसलिए यहाँ मुसाफिरों की हिफाज़त के लिए सैनिकों की एक चौकी होती थी। रोमी शहर यरीहो (2) उस जगह पड़ता था, जहाँ इस रास्ते पर यहूदिया का वीराना खत्म होता था। पुराना यरीहो शहर (3) रोमी शहर से करीब 2 कि.मी. (करीब 1 मील) दूर था।
“बिना दृष्टान्त वह उन से कुछ न कहता था”
14 यीशु ने किस्सा इस तरह शुरू की: “एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिए, और मारपीटकर उसे अधमूआ छोड़कर चले गए।” (लूका 10:30) यीशु ने यह नीति-कथा यहूदिया में बताया था, इसलिए ज़ाहिर है कि उसके सुननेवाले इस रास्ते से वाकिफ रहे होंगे। यह रास्ता जोखिम-भरा था, खासकर एक अकेले मुसाफिर के लिए। रास्ता बहुत घुमावदार और टेढ़ा-मेढ़ा था और सुनसान पहाड़ी इलाके से होकर जाता था, इसलिए डाकुओं के लिए छिपकर हमला करने के बहुत-से अड्डे थे।
15 “यरूशलेम से यरीहो को” जानेवाले रास्ते के बारे में एक और दिलचस्प बात है। सबसे पहले एक याजक और उसके बाद लेवी भी उस रास्ते से गुज़रा, लेकिन एक ने भी घायल आदमी की मदद नहीं की। (लूका 10:31, 32) याजक, यरूशलेम के मंदिर में सेवा करते थे और लेवी उनकी मदद किया करते थे। याजक और लेवी, जब मंदिर में सेवा नहीं करते, तो यरीहो में रहते थे, क्योंकि वह यरूशलेम से 23 किलोमीटर दूर था। वे उस रास्ते से कभी-कभी ज़रूर आते-जाते होंगे। ध्यान दीजिए कि वे “यरूशलेम से” यानी मंदिर से दूर जा रहे थे। उनके कतराकर जाने को सही ठहराते हुए कोई यह नहीं कह सकता कि ‘वे उस घायल आदमी को छोड़कर इसलिए चले गए, क्योंकि उन्हें वह मरा हुआ लगा था। अगर वे लाश को छूते, तो थोड़े समय के लिए मंदिर में सेवा नहीं कर सकते थे।’—लैव्यव्यवस्था 21:1; गिनती 19:11, 16.
अ.बाइ. लूक 10:33, 34 अध्ययन नोट
एक सामरी: आम तौर पर यहूदी सामरियों को तुच्छ समझते थे और उनसे कोई नाता नहीं रखते थे। (यूह 4:9) यहाँ तक कि कुछ यहूदी किसी का अपमान करने और उसे नीचा दिखाने के लिए उसे “सामरी” कहते थे। (यूह 8:48) मिशना के मुताबिक एक रब्बी ने कहा, “जो सामरियों की रोटी खाता है, वह मानो सूअर का गोश्त खाता है।” (शेबिथ 8:10) बहुत-से यहूदी, सामरी की गवाही पर यकीन नहीं करते थे और न ही उससे किसी तरह की मदद लेते थे। सामरियों के प्रति यहूदियों के इस रवैए के बारे में यीशु जानता था, इसलिए उसने इस मिसाल में एक ज़बरदस्त सीख दी। इस मिसाल को अकसर अच्छे सामरी या दयालु सामरी की मिसाल कहा जाता है।
उसके घावों पर तेल और दाख-मदिरा डालकर पट्टियाँ बाँधी: वैद्य लूका ने यीशु की मिसाल में बतायी कई बारीक बातों के बारे में लिखा। इस तरह लूका ने बताया कि उस ज़माने में मरहम-पट्टी कैसे की जाती थी। घाव पर तेल और दाख-मदिरा डालना घरेलू इलाज माना जाता था। कभी-कभी घाव नरम करने के लिए तेल डाला जाता था। (यश 1:6 से तुलना करें।) दाख-मदिरा में कुछ औषधीय-गुण हैं और इसे हलका रोगाणु-नाशक माना जाता है। लूका ने यह भी बताया कि घावों पर पट्टियाँ बाँधी गयी थीं ताकि वे नासूर न हो जाएँ।
एक सराय: यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “ऐसी जगह जहाँ सबका स्वागत किया जाता है या अंदर आने दिया जाता है।” सराय में मुसाफिरों और उनके जानवरों के रुकने का भी इंतज़ाम होता था। सरायवाला मुसाफिरों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी करता था। अगर सरायवाले से वहाँ किसी रुकनेवाले की देखभाल करने के लिए कहा जाए, तो वह शायद पैसा लेकर यह भी करता था।
एक सामरी अच्छा पड़ोसी साबित होता है
यीशु की नीतिकथा दिखाती है कि सही अर्थ में खरा व्यक्ति वो है जो परमेश्वर के नियमों को मानता तो है ही साथ ही उसके जैसे गुण भी दिखाता है। (इफिसियों 5:1) बाइबल कहती है कि “परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता।” (प्रेरितों 10:35) मसीहियों को आदेश दिया गया है कि सिर्फ अपने वर्ग, जाति या राष्ट्र के लोगों के साथ ही नहीं और सिर्फ संगी विश्वासियों के साथ ही नहीं, बल्कि “सब के साथ भलाई करें।”—गलतियों 6:10.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
अ.बाइ. लूक 10:18 अध्ययन नोट
मैं देख सकता हूँ कि शैतान बिजली की तरह आकाश से गिर चुका है: ज़ाहिर है कि यीशु यहाँ भविष्यवाणी कर रहा था कि शैतान को स्वर्ग से खदेड़ दिया जाएगा। मगर उसने यह बात ऐसे कही, मानो वह पूरी हो चुकी है। प्रक 12:7-9 के मुताबिक, स्वर्ग में युद्ध होता और परमेश्वर के राज की शुरूआत होने पर शैतान को फेंक दिया जाता। यीशु यहाँ ज़ाहिर कर रहा था कि स्वर्ग के उस युद्ध में शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों की हार पक्की है, क्योंकि परमेश्वर ने अभी-अभी 70 चेलों, यानी अपरिपूर्ण इंसानों को दुष्ट स्वर्गदूतों को निकालने की ताकत दी थी।—लूक 10:17.
लूका किताब की झलकियाँ
10:18—यीशु ने 70 चेलों से कहा, “मैं शैतान को बिजली की नाईं स्वर्ग से गिरा हुआ देख रहा था।” उसके कहने का क्या मतलब था? यीशु का यह मतलब नहीं था कि शैतान को उसी वक्त स्वर्ग से खदेड़ दिया गया था। यह घटना तो 1914 में स्वर्ग में मसीह के राजा बनने के कुछ समय बाद घटी थी। (प्रका. 12:1-10) हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि यीशु का क्या मतलब था। लेकिन यीशु ने भविष्य में होनेवाली घटना के बारे में इस तरह बताया, मानो वह पूरी हो चुकी है। शायद यीशु ज़ोर देना चाहता था कि यह घटना होकर ही रहेगी।
अ.बाइ. लूक 11:5-9 अध्ययन नोट
दोस्त, मुझे तीन रोटी उधार दे दे: मध्य पूर्वी देशों में मेहमान-नवाज़ी करना एक फर्ज़ माना जाता है और ऐसा करने के लिए लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं, जैसे इस मिसाल में बताया गया है। मेहमान आधी रात को पहुँचता है, इससे हमें सुराग मिलता है कि उन दिनों सफर में कभी-भी कोई भी परेशानी उठ सकती थी जिस वजह से मुसाफिरों के लिए तय वक्त पर पहुँचना हमेशा मुमकिन नहीं होता था। मेहमान के उस वक्त आने पर भी मेज़बान को लगता है कि उसे मेहमान को कुछ-न-कुछ खाने को देना ही होगा। इसके लिए वह इतनी रात में अपने पड़ोसी को जगाकर उससे खाना माँगने के लिए भी तैयार था।
मुझे परेशान मत कर: इस मिसाल में बताए पड़ोसी के इनकार करने की वजह यह नहीं थी कि वह रूखे स्वभाव का था, बल्कि वह सो रहा था। उन दिनों घरों में, खासकर गरीबों के घरों में एक ही बड़ा कमरा होता था। अगर वह आदमी उठता, तो परिवार के बाकी लोग, यहाँ तक कि बच्चे भी जाग जाते।
बिना शर्म के माँगता ही जा रहा है: यीशु की मिसाल में बताए आदमी ने अपनी ज़रूरत की चीज़ माँगने में शर्म महसूस नहीं की या माँगते रहने में हार नहीं मानी। यीशु ने अपने चेलों से कहा कि इसी तरह उन्हें लगातार प्रार्थना करते रहनी चाहिए।—लूक 11:9, 10.
23-29 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 12-13
“तुम बहुत-सी चिड़ियों से कहीं ज़्यादा अनमोल हो”
अ.बाइ. लूक 12:6 अध्ययन नोट
चिड़ियाँ: यूनानी शब्द स्ट्रूथियोन अल्पार्थक संज्ञा है जिसका मतलब है, कोई भी छोटी चिड़िया। मगर यह शब्द अकसर गौरैया के लिए इस्तेमाल होता था, जो भोजन के लिए सबसे सस्ती चिड़िया होती थी।
अ.बाइ. लूक 12:7 अध्ययन नोट
तुम्हारे सिर का एक-एक बाल तक गिना हुआ है: कहा जाता है कि एक इंसान के सिर पर औसतन 1,00,000 बाल होते हैं। यहोवा का इतनी बारीक जानकारी रखना हमें भरोसा दिलाता है कि उसे मसीह के हर चेले में गहरी दिलचस्पी है।
कोई भी चीज़ ‘हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग न कर सकेगी’
4 बाइबल में सिखाया गया है कि परमेश्वर की नज़र में उसका हर सेवक अनमोल है। यीशु ने कहा: “क्या एक पैसे में दो गौरैएं नहीं बिकतीं? फिर भी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उनमें से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती।” (मत्ती 10:29-31) यीशु की बात सुननेवालों के लिए ये शब्द क्या मायने रखते थे?
5 हम शायद सोचें कि भला कोई गौरैया क्यों खरीदेगा। यीशु के ज़माने में, गौरैया सबसे सस्ती चिड़िया थी। एक पैसे में दो गौरैयां खरीदी जा सकती थीं। यीशु ने कहा कि अगर एक आदमी दो पैसे खर्च करने को तैयार होता, तो उसे चार की जगह पाँच गौरैयां मिलती थीं। पाँचवीं गौरैया यूँ ही दे दी जाती थी, मानो उसका कोई मोल ही न हो। इंसानों की नज़र में इन पक्षियों की शायद कोई कीमत न हो, मगर सिरजनहार इन्हें किस नज़र से देखता है? यीशु ने बताया: “परमेश्वर उन में से एक को भी [उस पाँचवीं को भी] नहीं भूलता।” (लूका 12:6, 7) अगर यहोवा एक गौरैया की इतनी कदर करता है, तो सोचिए एक इंसान की उसकी नज़र में क्या कीमत होगी! यहोवा हमारे बारे में एक-एक बारीकी जानता है। यहाँ तक कि हमारे सिर के सब बाल भी गिने हुए हैं!
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
अ.बाइ. लूक 13:24 अध्ययन नोट
जी-तोड़ संघर्ष करो: या “यत्न करते रहो।” यीशु ने अपनी सलाह में इस बात पर ज़ोर दिया कि सँकरे दरवाज़े से अंदर जाने के लिए एक इंसान को जी-जान से मेहनत करनी होगी। अलग-अलग किताबों में कहा गया है कि इन शब्दों का अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है: “पुरज़ोर कोशिश करो; एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दो।” यूनानी क्रिया ऐगोनाइ-ज़ोमाइ यूनानी संज्ञा ऐगोन से संबंधित है, जो अकसर खेल-प्रतियोगिताओं के लिए इस्तेमाल होती थी। इब्र 12:1 में यही संज्ञा आयी है जिसका लाक्षणिक मतलब है ज़िंदगी की “दौड़” जो सभी मसीहियों को दौड़नी है। इसका इस्तेमाल मोटे तौर पर “संघर्ष” (फिल 1:30; कुल 2:1) या “लड़ाई” के लिए भी किया गया है (1ती 6:12; 2ती 4:7)। यूनानी क्रिया ऐगोनाइ-ज़ोमाइ के अलग-अलग रूपों का अनुवाद इस तरह भी किया गया है: ‘प्रतियोगिता में हिस्सा लेना’ (1कुर 9:25), ‘संघर्ष करना’ (कुल 1:29; 1ती 4:10), ‘जी-जान लगाना’ (कुल 4:12) और ‘लड़ना’ (1ती 6:12)। इस शब्द का नाता खेल-प्रतियोगिताओं से होने की वजह से कुछ लोगों का कहना है कि यीशु ने जो संघर्ष करने का बढ़ावा दिया, उसकी तुलना एक खिलाड़ी की मेहनत से की जा सकती है। वह खिलाड़ी इनाम पाने के लिए अपनी सारी ताकत, पूरी जान लगा देता है।
अ.बाइ. लूक 13:33 अध्ययन नोट
यह हो नहीं सकता: या “यह सोचा भी नहीं जा सकता (इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती)।” हालाँकि बाइबल की किसी भविष्यवाणी में साफ-साफ नहीं बताया गया है कि मसीहा की मौत यरूशलेम में होगी, लेकिन दान 9:24-26 से इसका इशारा मिलता है। इसके अलावा, अगर यहूदी किसी भविष्यवक्ता को मारते, खासकर मसीहा को, तो ज़ाहिर-सी बात है कि वे उसे उसी शहर में मारते। यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत, यानी महासभा के 71 सदस्य यरूशलेम में ही मिलते थे। इसलिए जिन लोगों पर झूठे भविष्यवक्ता होने का इलज़ाम लगाया जाता था, उनके मामले की सुनवाई वहीं होती थी। यीशु के मन में यह बात भी रही होगी कि यरूशलेम में ही परमेश्वर को नियमित बलि चढ़ायी जाती थी और वहीं फसह का मेम्ना हलाल किया जाता था। यीशु ने जो कहा, वही हुआ। उसे यरूशलेम में महासभा के सामने लाया गया और दोषी ठहराया गया। फिर यरूशलेम में ही शहरपनाह से बाहर थोड़ी ही दूरी पर ‘फसह के मेम्ने’ के तौर पर उसकी मौत हुई।—1कुर 5:7.
30 जुलाई–5 अगस्त
पाएँ बाइबल का खज़ाना | लूका 14-16
“खोए हुए बेटे की मिसाल”
अ.बाइ. लूक 15:11-16 अध्ययन नोट
एक आदमी के दो बेटे थे: उड़ाऊ बेटे की मिसाल की कई बातें अनोखी हैं। (उड़ाऊ बेटे को “खोया हुआ बेटा” भी कहा जाता है।) यह यीशु की बतायी सबसे लंबी मिसाल है। इसकी एक खासियत यह है कि इसमें पारिवारिक रिश्तों के बारे में बताया गया है। दूसरी मिसालों में यीशु ने अकसर बेजान चीज़ों के बारे में बताया, जैसे अलग-अलग बीजों या मिट्टी के बारे में। उसने दास और मालिक की भी मिसाल दी, मगर उनके बीच का रिश्ता बस औपचारिक होता था। (मत 13:18-30; 25:14-30; लूक 19:12-27) लेकिन इस मिसाल में यीशु ने पिता और बेटों के बीच के करीबी रिश्ते के बारे में बताया। हममें से ज़्यादातर लोगों का पिता शायद ही इतना प्यार करनेवाला हो। इस मिसाल से पता चलता है कि स्वर्ग में रहनेवाले पिता के दिल में धरती पर अपने बच्चों के लिए कितना गहरा प्यार और करुणा है। वह उन लोगों से प्यार करता है जो हमेशा उसके करीब रहते हैं और उनसे भी जो भटकने के बाद लौट आते हैं।
छोटे ने: मूसा के कानून के मुताबिक पहलौठे बेटे को विरासत का दुगना हिस्सा मिलता था। (व्य 21:17) इसलिए इस मिसाल में बताया बड़ा बेटा अगर पहलौठा था, तो इसका मतलब है कि बड़े को जितना हिस्सा मिलता, उसके मुकाबले छोटे को आधा ही मिलता।
ऐयाशी: या “फिज़ूलखर्च (लापरवाह या बेलगाम ज़िंदगी जीने)।” इसका संबंधित यूनानी शब्द इफ 5:18; तीत 1:6; 1पत 4:4 में इस्तेमाल हुआ है, जिसका मतलब भी यही है। “ऐयाशी” के यूनानी शब्द के मतलब में फिज़ूलखर्ची होना भी शामिल है, इसलिए बाइबल के कुछ अनुवादों में “उड़ाऊपन में” लिखा है।
उड़ा दी: इनके यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “(अलग-अलग दिशा में) तितर-बितर कर देना।” (लूक 1:51; प्रेष 5:37) मत 25:24, 26 में इसका अनुवाद “अनाज . . . फटकाता” किया गया है। लेकिन यहाँ इसका मतलब है, फिज़ूल खर्च करना या संपत्ति लुटाना।
सूअर चराने: कानून के मुताबिक यह जानवर अशुद्ध था। इसलिए यहूदियों में यह काम बहुत ही नीचा या गिरा हुआ माना जाता था।—लैव 11:7, 8.
फलियों: इन फलियों के छिलके चमकीले, बैंजनी-भूरे रंग के होते हैं और चमड़े की तरह दिखते हैं। ये फलियाँ मुड़े हुए सींग जैसी होती हैं। यह बात इनके यूनानी नाम (कीराटियोन) के शाब्दिक मतलब (“छोटा सींग”) से मेल खाती है। ये फलियाँ आज भी घोड़ों, गाय-बैलों और सूअरों को खाने के लिए दी जाती हैं। यह जवान आदमी सूअरों तक का खाना खाने के लिए तैयार था। इससे पता चलता है कि उसकी हालत कितनी बुरी हो गयी थी।
अ.बाइ. लूक 15:17-24 अध्ययन नोट
तेरे खिलाफ: या “तेरी नज़र में।” यूनानी संबंधसूचक अव्यय इनोपियोन का शाब्दिक मतलब है, “के सामने; की नज़र में।” यह शब्द सेप्टुआजेंट में यही मतलब देने के लिए 1शम 20:1 में इस्तेमाल हुआ है। इस आयत में दाविद ने योनातान से कहा, “मैं ने तेरे पिता की दृष्टि में ऐसा कौन सा अपराध किया है?” (हिंदी—ओ.वी.)
मज़दूर: जब छोटे बेटे ने घर लौटने का फैसला किया, तो उसने सोचा कि वह अपने पिता से कहेगा कि वह उसे बेटा कबूल न करके एक मज़दूर की तरह रख ले। मज़दूरों और दासों में फर्क था। दास मालिक की जागीर होते थे और वे घर में ही रहते थे, जबकि मज़दूर बाहरवाले होते थे और उन्हें अकसर सिर्फ एक दिन के लिए काम पर रखा जाता था।—मत 20:1, 2, 8.
बहुत प्यार से उसे चूमने लगा: जिस यूनानी क्रिया का अनुवाद “बहुत प्यार से . . . चूमने लगा” किया गया है, उसे क्रिया फिलियो का और भी ज़बरदस्त रूप समझा गया है। इस क्रिया का अनुवाद कभी-कभी “चूमना” किया गया है (मत 26:48; मर 14:44; लूक 22:47), लेकिन अकसर इसका अनुवाद “से लगाव होना (रखना)” या “बहुत प्यार करना” किया गया है (यूह 5:20; 11:3; 16:27)। मिसाल में बताया पिता जिस तरह अपने छोटे बेटे से प्यार से मिला, वह दिखाता है कि पिता बेटे को वापस अपनाने के लिए तैयार था जिसे बहुत पछतावा था।
तेरा बेटा कहलाऊँ: कुछ हस्तलिपियों में यह वाक्य भी लिखा है: “मुझे अपने यहाँ मज़दूर की तरह रख ले।” मगर यहाँ यह वाक्य नहीं है और इसका आधार शुरू की कई अधिकृत हस्तलिपियों में मिलता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह वाक्य इसलिए जोड़ा गया ताकि यह आयत, लूक 15:19 से मेल खाए।
चोगा . . . अँगूठी . . . जूतियाँ: यह चोगा कोई मामूली चोगा नहीं था बल्कि सबसे बढ़िया था। शायद उस पर बेहतरीन कढ़ाई की गयी थी। ऐसा चोगा आम तौर पर खास मेहमान को दिया जाता था। अँगूठी पहनाना न सिर्फ पिता के प्यार और मंज़ूरी को दिखाता है बल्कि यह भी कि वह उसे वही मान-सम्मान और दर्जा देना चाहता है जो पहले था। आम तौर पर दास अँगूठी और जूतियाँ नहीं पहनते थे। इसलिए अपने बेटे को अँगूठी और जूतियाँ पहनाकर पिता ने साफ ज़ाहिर किया कि उसने अपने बेटे को वापस परिवार का हिस्सा बना लिया है।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
अ.बाइ. लूक 14:26 अध्ययन नोट
नफरत: बाइबल में शब्द “नफरत” के कई मतलब हैं। एक मतलब है, दुश्मनी जिस वजह से एक इंसान दूसरे का नुकसान करने की सोचता है। दूसरा मतलब है, किसी व्यक्ति या चीज़ को ज़रा भी पसंद न करना या इतनी घृणा करना कि उससे पूरी तरह दूर रहना। या फिर “नफरत” का मतलब किसी को कम प्यार करना भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, जब याकूब के बारे में कहा गया कि वह राहेल से प्यार करता है और लिआ से “नफरत,” तो उसका मतलब था कि वह लिआ से ज़्यादा राहेल से प्यार करता है। (उत 29:31, फु.; व्य 21:15, फु.) प्राचीन यहूदी लेखों में भी यह मतलब देने के लिए “नफरत” शब्द इस्तेमाल हुआ है। इसलिए यीशु के कहने का मतलब यह नहीं था कि उसके चेलों को अपने परिवारवालों से और खुद से नफरत करनी चाहिए। ऐसा करना तो बाइबल की दूसरी आयतों में दिए सिद्धांतों के खिलाफ होता। (मर 12:29-31; इफ 5:28, 29, 33 से तुलना करें।) इसलिए इस संदर्भ में शब्द “नफरत नहीं करता” का अनुवाद “कम प्यार नहीं करता” भी किया जा सकता है।
सच्ची दौलत को ढूँढ़ने में लगे रहिए
7 लूका 16:10-13 पढ़िए। प्रबंधक ने अपने फायदे के लिए दोस्त बनाए। लेकिन यीशु ने चेलों को बढ़ावा दिया कि वे बिना लालच के स्वर्ग में दोस्त बनाएँ। वह समझाना चाहता था कि हम दौलत का जिस तरह इस्तेमाल करते हैं उससे साबित कर सकते हैं कि हम परमेश्वर के वफादार हैं या नहीं। हम दौलत का सही इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?
8 एक तरीका है, प्रचार काम के लिए दान देना। (मत्ती 24:14) भारत में रहनेवाली एक छोटी लड़की की मिसाल लीजिए। वह एक गुल्लक में पैसे जमा कर रही थी। इस दौरान उसने अपने लिए कोई खिलौना नहीं खरीदा। जब गुल्लक भर गया तो उसने सारा पैसा दान किया। इसी देश में रहनेवाले एक भाई की नारियल की खेती है। उसने मलयालम भाषा के रिमोट ट्रांस्लेशन ऑफिस को ढेर सारे नारियल दान किए। वहाँ भाइयों को नारियल की ज़रूरत होती है। भाई को लगा कि पैसे देने के बजाय नारियल देने से भाइयों की ज़्यादा मदद होगी। भाई ने “होशियारी से काम” लिया। यूनान में रहनेवाले भाई भी कुछ ऐसा ही करते हैं। वे बेथेल परिवार को जैतून का तेल, पनीर और खाने की दूसरी चीज़ें दान करते हैं।
जीएँ मसीहियों की तरह
सज 12/06 पेज 13-15, अँग्रेज़ी
मैं उड़ाऊ बेटा था
मेरोस विलयम संडे की ज़बानी
मुझे बचपन से परमेश्वर से प्यार करना सिखाया गया था। मगर मैं 18 साल की उम्र में बागी बन गया और मैंने घर छोड़ दिया। मैं 13 साल तक आवारा ज़िंदगी जीने लगा, यीशु की मिसाल के उड़ाऊ बेटे की तरह। (लूका 15:11-24) मैं ड्रग्स की तस्करी करने लगा। चलिए बताता हूँ कि मैं कैसे बिगड़ गया और फिर सही राह पर लौट आया।
मेरा जन्म 1956 में हुआ था। हम नौ बच्चे थे और मैं दूसरा लड़का था। मम्मी-पापा ईसाई थे। हम नाइजीरिया के उत्तर-पश्चिम में इलेशा नगर में रहते थे। पापा कैथोलिक थे। फिर 1945 में उनके एक रिश्तेदार ने उन्हें परमेश्वर का सुरमंडल (अँग्रेज़ी) नाम की किताब दी थी। उसे पढ़ने के बाद पापा साक्षियों को ढूँढ़ने लगे। सन् 1946 में उनका बपतिस्मा हुआ और कुछ समय बाद मम्मी का भी हुआ।
आज भी मुझे याद है कि बचपन में यहोवा के साथ मेरा कितना करीबी रिश्ता था और मैं मम्मी-पापा के साथ जोश से प्रचार करता था। पापा मुझे बाइबल सिखाते थे। कभी-कभी हमारे सफरी निगरान की पत्नी ऐलिस ओबारा भी मुझे सिखाती थीं। मम्मी-पापा चाहते थे कि मैं पूरे समय का सेवक बनूँ। पर फिर मम्मी ने कहा कि मैं पहले माध्यामिक विद्यालय की पढ़ाई पूरी कर लूँ, तो अच्छा रहेगा।
जैसे ही मैं 16 की उम्र में माध्यमिक विद्यालय जाने लगा, मैं ऐसे बच्चों से दोस्ती करने लगा जो बाइबल के सिद्धांतों को नहीं मानते थे। कितनी बेवकूफी की मैंने! कुछ ही समय के अंदर मैं सिगरेट पीने और बदचलनी करने लगा। मैं जानता था कि हमारी सभाओं में जो सिखाया जाता था उसके हिसाब से मैं बिलकुल नहीं जी रहा था, इसलिए मैंने सभाओं में जाना और प्रचार करना छोड़ दिया। मम्मी-पापा दुख से बेहाल थे, मगर मैं किसी की भावनाओं की परवाह नहीं करता था।
मैंने घर छोड़ दिया
माध्यमिक विद्यालय में दो साल पढ़ने के बाद मैंने घर छोड़ दिया और उसी इलाके में दोस्तों के साथ रहने लगा। कभी-कभी मैं चुपके से घर जाता, खाने के लिए कुछ होता तो झट-से ले लेता और भाग जाता था। पापा इतने परेशान हो गए कि उन्होंने स्कूल की फीस देना बंद कर दिया, इस उम्मीद से कि मैं सुधर जाऊँगा।
मगर हुआ यह कि उन्हीं दिनों मुझे बतौर इनाम स्कॉलरशिप दी गयी। मेरा स्पॉन्सर स्कॉटलैंड से मुझे स्कूल की फीस और कभी-कभी तोहफे और पैसे भेजता था। इस बीच मेरे दो और भाइयों ने भी साक्षियों से मिलना-जुलना छोड़ दिया। मम्मी-पापा को इससे बहुत दुख हुआ। मम्मी ने कई बार मुझे रो-रोकर समझाया। मुझे बहुत बुरा लगता था, फिर भी मैं बदला नहीं।
बड़े-बड़े शहरों में गया
सन् 1977 में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैं लागोस शहर गया और मुझे नौकरी मिल गयी। कुछ समय बाद मैंने गैर-कानूनी तरीके से पैसे जमा किए और एक टैक्सी खरीदी। अब मेरे पास बहुत पैसे थे, इसलिए मैं ड्रग्स लेने लगा और नाइटक्लबों में और वेश्याओं के यहाँ काफी वक्त बिताने लगा। मगर कुछ समय के अंदर मैं यहाँ अपनी ज़िंदगी से ऊब गया और 1981 में लंदन चला गया। वहाँ से मैं बेल्जियम गया, जहाँ मैंने फ्रेंच भाषा सीखी और एक रेस्तराँ में पार्ट-टाइम नौकरी करने लगा। मगर ज़्यादातर समय मैं बेल्जियम से कार और इलैक्ट्रॉनिक उपकरण नाइजीरिया भेजने का काम करता था।
पापा ने बेल्जियम के साक्षियों के शाखा-दफ्तर से खत लिखकर गुज़ारिश की कि वे मुझसे मिलें और मेरे साथ बाइबल अध्ययन करने की कोशिश करें। लेकिन जब भी साक्षी मेरे घर आते, मैं उन्हें भेज देता था। मैं एक चर्च जाने लगा। वहाँ हम सभा के बाद खाते-पीते और तरह-तरह के खेल खेलते थे।
ड्रग्स का कारोबार
मैंने 1982 में एक महँगी कार नाइजीरिया भेजी और उसे लेने मैं खुद वहाँ के बंदरगाह गया। वहाँ कस्टम अधिकारियों ने देखा कि मेरे आयात-निर्यात के दस्तावेज़ नकली हैं। इसलिए मुझे गिरफ्तार करके 40 दिन तक हिरासत में रखा गया। पापा ने मुझे ज़मानत पर छुड़वा लिया। उस मामले को निपटाने के लिए मुझे पैसों की ज़रूरत थी, इसलिए मैं कुछ माल लेकर बेल्जियम लौटा। मैं कई किलो गाँजा भी ले गया। जब मैं नकली दस्तावेज़ बनाने के इलज़ाम से बरी हो गया, तो मैं ड्रग्स बेचने में पूरी तरह लग गया।
एक बार ड्रग्स की तस्करी करते वक्त मुझे नीदरलैंड्स में गिरफ्तार कर लिया गया। आप्रवास अधिकारियों ने मुझे वहाँ से नाइजीरिया भेजने के लिए एक विमान पर चढ़ा दिया। सफर में मेरी मुलाकात ड्रग्स की तस्करी करनेवाले कुछ और लोगों से हुई और हम सब मिलकर इस कारोबार के साझेदार बन गए। मैं जनवरी 1984 में एक और अफ्रीकी देश चला गया। मुझे वहाँ की भाषा, फ्रैंच आती थी, इसलिए मैंने जल्द ही वहाँ के पुलिसवालों, सैनिकों और आप्रवास अधिकारियों से दोस्ती कर ली। अब हम आराम से हज़ारों किलो गाँजा उस देश में लाने लगे।
गिरफ्तार और जेल में
मैं एक बार फिर मुसीबत में पड़ गया। मैंने सेना के एक कप्तान से बात की थी कि वह मेरा माल उस देश के हवाई-अड्डे तक पहुँचाने में मदद करे। मगर उसके आने में देरी हो गयी और मैं गिरफ्तार हो गया। पुलिसवालों ने मुझे इतनी बुरी तरह पीटा कि मैं बेहोश हो गया। उन्होंने मुझे एक अस्पताल ले जाकर वहाँ छोड़ दिया। उन्होंने सोचा कि मैं मर जाऊँगा, लेकिन मैं बच गया। फिर मुझे दोषी ठहराकर जेल में डाल दिया गया।
इस बीच मैंने एक दोस्त से कहा था कि वह मेरे घर की देखभाल करे। मगर मेरे जेल से छूटने के अंदर वह मेरी सारी जायदाद बेचकर फरार हो गया। गुज़ारे के लिए मैं फिर से गाँजा बेचने लगा। दस दिन के अंदर मैं दोबारा गिरफ्तार हो गया और तीन महीने के लिए मुझे जेल हो गयी। रिहाई के समय तक मैं इतना बीमार हो गया कि मैं मरने पर था। फिर मैं किसी तरह लागोस लौटा।
दोबारा वही कारोबार
मैं लागोस में बिज़नेस के कुछ साथियों से मिला और हम भारत गए। वहाँ हमने करीब 6,00,000 डॉलर की कीमतवाले ड्रग्स खरीदे। फिर हम बंबई (अब मुंबई) से स्विट्ज़रलैंड गए, वहाँ से पुर्तगाल और आखिर में स्पेन। हमें काफी मुनाफा हुआ और हम अलग-अलग रास्ता लेकर लागोस लौटे। मैंने 1984 के आखिरी महीनों में फिर से काफी ड्रग्स बेचे। मेरा सपना था, एक करोड़ डॉलर कमाना और अमरीका में बस जाना।
मैंने 1986 में अपने सारे पैसे इकट्ठे करके लागोस में कुछ ड्रग्स खरीदे। मैं उन्हें दूसरे देश ले गया, मगर वहाँ मेरा माल एक लालची सौदागर के हाथ पड़ गया, जिसने मुझे बदले में पैसा नहीं दिया। मुझे जान बचाने की चिंता थी इसलिए किसी को कुछ बताए बिना लागोस लौट गया। मैं बिलकुल लुट गया था। न मेरे पास पैसे थे, न ही जीने की कोई तमन्ना रह गयी थी। फिर ज़िंदगी में पहली बार मैं बैठकर सोचने लगा कि आखिर ज़िंदगी का मकसद क्या है। मैं सोचने लगा, ‘मुझे दर-दर की ठोकरें क्यों खानी पड़ रही है?’
परमेश्वर के पास लौट आया
कुछ समय बाद मैंने यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना की। अगली सुबह एक बुज़ुर्ग आदमी और उनकी पत्नी ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया। वे यहोवा के साक्षी थे। मैंने उनकी पूरी बात सुनी और एक पत्रिका ली। मैंने उन्हें बताया, “मेरे मम्मी-पापा यहोवा के साक्षी हैं। बहन ऐलिस ओबारा मुझे बाइबल सिखाया करती थीं।”
उस बुज़ुर्ग यानी भाई पी. के. ओग्बानेफे ने कहा, “हम भाई और बहन ओबारा को अच्छी तरह जानते हैं। फिलहाल वे लागोस में नाइजीरिया के शाखा-दफ्तर में सेवा कर रहे हैं।” उन्होंने मुझसे बहुत कहा कि मैं भाई और बहन ओबारा से मिलने जाऊँ। जब मैं उनसे मिलने गया, तो उन्होंने मेरी हिम्मत बँधायी। फिर भाई ओग्बानेफे ने मेरे साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया और मैंने जल्द ही बदचलन ज़िंदगी जीना छोड़ दिया। यह मेरे लिए आसान नहीं था क्योंकि बरसों से मुझे ड्रग्स की लत लग चुकी थी। फिर भी मैंने ठान लिया था कि मैं सारी बुरी आदतें छोड़ दूँगा।
लेकिन मुझे बार-बार बुरे काम करने के लिए लुभाया जाने लगा। मेरे झूठे दोस्त घर आते और पैसा कमाने का लालच देते थे। कुछ वक्त के लिए तो मैं फिर से सिगरेट पीने और बदचलनी करने लगा। फिर मैंने दिल से परमेश्वर से प्रार्थना की। मुझे एहसास हुआ कि इन दुनियावी दोस्तों के कहने में आकर ही मैं बहक गया था, तो फिर वे कैसे सुधरने में मेरी मदद कर सकते हैं। मुझे लगा कि परमेश्वर के साथ अच्छा रिश्ता कायम करने के लिए मुझे लागोस छोड़ना होगा। मगर मुझे इलेशा में अपने घर जाने में शर्म आ रही थी। लेकिन बाद में मैंने पापा और बड़े भाई से खत लिखकर पूछा कि क्या मैं घर आ सकता हूँ।
पापा ने मुझसे कहा कि उनके घर का दरवाज़ा मेरे लिए खुला है और भैया ने कहा कि वे मुझे पैसों की मदद करेंगे। इस तरह दस साल तक घर से दूर रहने के बाद मैं लौटा। सबने मेरा प्यार से स्वागत किया। मम्मी खुशी के मारे बोली, “यहोवा, तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया!” शाम को जब पापा घर लौटे, तो उन्होंने कहा, “यहोवा ज़रूर तेरी मदद करेगा।” फिर पूरे परिवार के साथ मिलकर उन्होंने यहोवा से प्रार्थना की कि उसकी मरज़ी पूरी करने में वह मेरी मदद करे।
जो समय मैंने गवाँया उसकी भरपाई
मैंने दोबारा बाइबल अध्ययन करना शुरू किया और तेज़ी से तरक्की की। अप्रैल 24, 1988 को मेरा बपतिस्मा हुआ। मैं फौरन ज़ोर-शोर से प्रचार करने लगा। नवंबर 1, 1989 को मैंने पायनियर सेवा शुरू की। सन् 1995 में मुझे नाइजीरिया के दसवें मंडली सेवक प्रशिक्षण स्कूल के लिए बुलावा मिला। फिर जुलाई 1998 में मुझे सफरी निगरान ठहराया गया। एक साल बाद मुझे एक और आशीष मिली। मेरी शादी रूत से हुई, जो मेरी सफरी साथी बन गयी।
मेरे परिवार के दूसरे सदस्यों ने भी सच्चाई में तरक्की की। मेरा एक भाई, जिसने यहोवा की सेवा करनी छोड़ दी थी, फिर से सेवा करने लगा और उसने बपतिस्मा लिया। मुझे इस बात से खुशी होती है कि पापा ने जीते जी हम दोनों को सच्चाई में लौटते देखा। सन् 1993 में 75 साल की उम्र में पापा की मौत हो गयी। वे अपनी मौत तक सहायक सेवक के नाते मंडली में सेवा करते रहे। मम्मी आज भी इलेशा में जोश से सेवा करती हैं।
मैंने दौलत कमाने के लिए यूरोप, एशिया और अफ्रीका के 16 देशों में सफर किया। मगर इस कोशिश में मैंने खुद को दुख-तकलीफों से पूरी तरह छलनी कर लिया। (1 तीमुथियुस 6:9, 10) बीते दिनों को याद करके मुझे बहुत दुख होता है कि मैंने जवानी के कितने साल बदचलनी में और ड्रग्स लेने-बेचने में बरबाद कर दिए। मुझे इस बात का पछतावा है कि मैंने यहोवा का और अपने परिवार के लोगों का दिल दुखाया। फिर भी मैं शुक्र मानता हूँ कि इतने बुरे काम करने के बाद भी मैं ज़िंदा बच गया और मेरे होश ठिकाने आ गए। मैंने अब सोच लिया है कि मैं यहोवा को कभी नहीं छोड़ूँगा और सदा उसकी सेवा करूँगा।