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  • यहोवा द्वारा कौन अनुमोदित किए जाएंगे
    प्रहरीदुर्ग—1989 | अगस्त 1
    • ५. (अ) यह कैसे स्पष्ट है कि असम्पूर्ण मानव परमेश्‍वर द्वारा अनुमोदित किए जा सकते हैं? (ब) वे मनुष्य “जिनसे वह प्रसन्‍न है” कौन हैं?

      ५ क्या हम जैसे असम्पूर्ण मानवों को भी परमेश्‍वर का अनुमोदन पाना शक्य है? सौभाग्य से, उत्तर हाँ है। जब यीशु का जन्म हुआ, स्वर्गदूतों ने घोषित किया: “आकाश में परमेश्‍वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्‍न [यूडोकियास] है शान्ति हो।” (लूका २:१४) आक्षरिक यूनानी में स्वर्गदूत “सुख्यात मनुष्य” या ऐ “मनुष्य जिन्हें परमेश्‍वर अनुमोदित करता है,”a उनके लिए आनेवाली एक आशीष के बारे में गा रहे थे। प्रोफेसर हॅन्स बीटनहॉर्ड इस एन आन्थ्रपॉइस यूडोकियास के उपयोग के बारे में लिखता है: “यह सूक्‍ति उन मनुष्यों को सूचित करती है जिन से परमेश्‍वर प्रसन्‍न है . . . इसलिए हम यहाँ मनुष्य की प्रसन्‍नता पर विचार नहीं कर रहे हैं . . . हम परमेश्‍वर की सर्वश्रेष्ठ और दयामय इच्छा पर विचार कर रहे हैं जो अपने लिए उद्धार के लिए एक लोग चुनती है।” इस तरह जैसे कि यहोवा के गवाहों ने बहुत पहले से स्पष्ट किया है लूका २:१४ सूचित करता है कि समर्पण और बपतिस्मा के द्वारा असम्पूर्ण मनुष्यों को ऐसे मनुष्य बन सकते हैं जिन से परमेश्‍वर प्रसन्‍न हैं, जो परमेश्‍वर द्वारा अनुमोदित हैं।b

  • यहोवा द्वारा कौन अनुमोदित किए जाएंगे
    प्रहरीदुर्ग—1989 | अगस्त 1
    • a जॉर्ज स्वॉन के न्यू टेस्टामेन्ट के “मनुष्य-जिन्हें-वह-अनुमोदित-करता है” से तुलना करें; द रिवाइज़ड्‌ स्टॅन्डर्ड वर्शन, में “मनुष्य जिन से वह प्रसन्‍न था।”

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