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    प्रहरीदुर्ग—2008 | जुलाई 15
    • खमीर का दृष्टांत

      9, 10. (क) खमीर के दृष्टांत से यीशु ने किस बात पर ज़ोर दिया? (ख) बाइबल में खमीर को अकसर किस बात की निशानी बताया जाता है, और यीशु ने खमीर का जो ज़िक्र किया उससे क्या सवाल उठता है?

      9 बढ़ने की क्रिया इंसान को हमेशा दिखायी नहीं देती। इसी बात पर ज़ोर देते हुए यीशु ने एक और दृष्टांत दिया था। उसने कहा: “स्वर्ग का राज्य खमीर के समान है, जिसे किसी स्त्री ने तीन भार आटे में मिलाया और तब तक उसे रख छोड़ा जब तक वह सब का सब खमीर नहीं हो गया।” (मत्ती 13:33, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) खमीर किस बात की निशानी है और इसका राज्य के बढ़ने से क्या ताल्लुक है?

      10 बाइबल में खमीर को अकसर पाप की निशानी बताया जाता है। प्रेरित पौलुस ने खमीर का इसी तरह ज़िक्र किया था, जब वह कुरिन्थुस की कलीसिया में मौजूद एक पापी के बुरे असर की बात कर रहा था। (1 कुरि. 5:6-8) तो क्या इस दृष्टांत में यीशु खमीर का ज़िक्र करके यह बता रहा था कि किसी तरह की बुराई बढ़ेगी?

      11. प्राचीन इस्राएल में खमीर का किस तरह इस्तेमाल किया जाता था?

      11 इस सवाल का जवाब जानने से पहले, हमें तीन बुनियादी बातों को ध्यान में रखने की ज़रूरत है। पहली, हालाँकि यहोवा ने फसह के पर्व के दौरान खमीर के इस्तेमाल की मनाही की थी, मगर दूसरे मौके पर उसने ऐसे बलिदान कबूल किए, जिनमें खमीर का इस्तेमाल हुआ था। जैसे धन्यवाद की मेलबलि में खमीर का इस्तेमाल होता था। यह बलिदान एक इस्राएली अपनी मरज़ी से चढ़ाता था, क्योंकि वह यहोवा से मिली सभी आशीषों के लिए उसका धन्यवाद करना चाहता था। और इस भोज में हिस्सा लेनेवालों को खुशी मिलती थी।—लैव्य. 7:11-15, NHT.

      12. बाइबल जिस तरह किसी चीज़ को निशानी के तौर पर इस्तेमाल करती है, उससे हम क्या सीख सकते हैं?

      12 दूसरी बात, अगर बाइबल की एक आयत में किसी चीज़ को बुराई की निशानी बताया गया है, तो दूसरी आयत में उसी चीज़ को अच्छाई की निशानी भी बताया गया है। मिसाल के लिए, 1 पतरस 5:8 में शैतान के खतरनाक और खूँखार स्वभाव को बताने के लिए उसकी तुलना एक सिंह से की गयी है। जबकि प्रकाशितवाक्य 5:5 में यीशु को “यहूदा के गोत्र का . . . सिंह” कहा गया है। इस आयत में सिंह का इस्तेमाल यह दर्शाने के लिए किया गया है कि यीशु निडरता से न्याय करेगा।

      13. एक व्यक्‍ति जिस तरह मसीह का चेला बनता है, उस बारे में हम खमीर के दृष्टांत से क्या सीखते हैं?

      13 तीसरी बात, यीशु ने अपने दृष्टांत में यह नहीं कहा कि खमीर ने पूरे आटे को सड़ा दिया और उसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके बजाय, वह बता रहा था कि आम तौर पर रोटी बनाने के लिए क्या किया जाता है। स्त्री ने खुद आटे में खमीर मिलाया था और उसके बढ़िया नतीजे निकले थे। गौर कीजिए, खमीर आटे में मिलाया गया था। इसलिए खमीर कैसे उठा यह स्त्री नहीं देख पायी। इस बात से हमें उस आदमी की याद आती है, जो बीज बोता है और रात को सो जाता है। इस बारे में यीशु ने कहा था: ‘बीज अंकुरित होकर बढ़ता है और वह व्यक्‍ति स्वयं नहीं जानता कि यह कैसे होता है।’ (मर. 4:27, NHT) यीशु ने कितने आसान तरीके से समझाया कि एक व्यक्‍ति जिस तरह मसीह का चेला बनता है, वह हमें साफ दिखायी नहीं देता। यानी आध्यात्मिक रूप से उसका बढ़ना हमें शुरू-शुरू में नज़र नहीं आता, मगर आगे चलकर इसके नतीजे साफ दिखायी देते हैं।

      14. खमीर पूरे आटे को खमीर कर देता है, इससे प्रचार काम के किस पहलू पर ज़ोर दिया गया है?

      14 यह बढ़ोतरी न सिर्फ इंसान की नज़रों से छिपी होती है, बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है। यह एक दूसरा पहलू है, जिस पर खमीर के दृष्टांत में ज़ोर दिया गया है। खमीर पूरे “तीन पसेरी आटे” को खमीर कर देता है। (लूका 13:21) खमीर की तरह, प्रचार का काम पूरी दुनिया में इस कदर फैल चुका है कि आज “पृथ्वी की छोर तक” राज्य का प्रचार किया जा रहा है और चेलों की गिनती बढ़ती ही जा रही है। (प्रेरि. 1:8; मत्ती 24:14) वाकई, राज्य के काम में हो रही बढ़ोतरी में हिस्सा लेना हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है!

  • तुम नहीं जानते कि वह कहाँ सुफल होगा!
    प्रहरीदुर्ग—2008 | जुलाई 15
    • 20, 21. (क) बढ़ोतरी के बारे में यीशु के दृष्टांतों पर चर्चा करने से हमने क्या सीखा? (ख) आपने क्या करने की ठानी है?

      20 तो फिर, बढ़ोतरी के बारे में यीशु के दृष्टांतों पर चर्चा करने से हमने क्या सीखा? पहला सबक, राई के दाने के बढ़ने की तरह राज्य संदेश के सुननेवालों की गिनती में दिन दूनी रात चौगनी बढ़ोतरी हुई है। और यहोवा के इस काम को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता! (यशा. 54:17) इसके अलावा, जो इस “[पेड़ की] छाया में बसेरा” करते हैं, उन्हें शैतान और उसकी दुष्ट दुनिया से हिफाज़त मिलती है। दूसरा सबक, बढ़ानेवाला परमेश्‍वर ही है। ठीक जैसे खमीर मिलाने पर यह नज़र नहीं आता कि वह कैसे पूरे आटे को खमीर बना देता है, उसी तरह बढ़ोतरी कैसे होती है यह हमेशा नज़र न आए, लेकिन यह होती ज़रूर है। तीसरा सबक, राज्य के संदेश में दिलचस्पी लेनेवाला हर इंसान अच्छी मछली साबित नहीं होता, कुछ बेकार मछलियाँ भी साबित होते हैं।

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