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गिलियड स्नातक—“असली मिशनरी!”

“एक मिशनरी क्या होता है?” क़रीब चार दशक पहले यह सवाल एक अख़बार के संपादकीय लेख में उठाया गया था। लेखक ने तर्क किया कि सच्चे मिशनरी सामाजिक और आर्थिक सुधार के साधन हैं। लेकिन, रविवार, मार्च ५, १९९५ के दिन, यहोवा के साक्षियों के जर्सी सिटी सम्मेलन भवन में, एक बिलकुल अलग क़िस्म का जवाब ज़ोरदार ढंग से दिया गया। वह अवसर? वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड—एक ऐसा स्कूल जिसने संसार-भर में मिशनरियों को भेजा है—की ९८वीं क्लास की स्नातकता!

शुरूआत के गीत और प्रार्थना के बाद, शासी निकाय के अलबर्ट डी. श्रोडर ने उपस्थित सभी ६,४३० लोगों का हार्दिक स्वागत किया। अपनी प्रारंभिक टिप्पणियों में, भाई श्रोडर ने स्पष्ट रूप से समझाया कि क्यों गिलियड के स्नातक उन अन्य लोगों से भिन्‍न हैं जिन्होंने ख़ुद को मिशनरी कहा है। उसने कहा: “गिलियड की मुख्य पाठ्य-पुस्तक बाइबल है।” गिलियड स्नातकों को समाज-सेवक नहीं, बल्कि परमेश्‍वर के वचन के शिक्षक होने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है! इस तरह वे विदेशी-कार्यक्षेत्र में लोगों की आध्यात्मिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए विशेष रूप से योग्य हैं।

बाद के वक्‍ताओं ने ऐसे अनेक अन्य क्षेत्रों की चर्चा की जिनमें गिलियड के स्नातक “असली” मिशनरी होने का सबूत पेश करते हैं। चार्लस्‌ मॉलहैन ने उनके साथ “मिशनरियों के तौर पर अच्छा फल लाना जारी रखिए” विषय पर बात की। कुलुस्सियों १:९, १० (NW) में प्रेरित पौलुस के शब्दों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, भाई मॉलहैन ने स्नातकों को याद दिलाया कि गिलियड में उनके पिछले पाँच महीनों ने उन्हें “परमेश्‍वर के यथार्थ ज्ञान में” बढ़ने के लिए मदद की थी। यह उन्हें फल लाने में दो तरीक़ों से मदद करता: परमेश्‍वर की आत्मा के फल प्रदर्शित करने के द्वारा और बाइबल की सच्चाइयों को दूसरों के संग बाँटने के द्वारा।

बाद में शासी निकाय के डैनियल सिडलिक ने गम्भीर विषय “अपनी ज़िन्दगी का सौदा मत कीजिए” पेश किया। उसने यीशु के सवाल का ज़िक्र किया: “मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?” (मत्ती १६:२६) भाई सिडलिक ने कहा: “मनुष्यों ने एक आसान, आरामदायी जीवन-शैली के लिए अपने प्राणों को बेच दिया है।” लेकिन, जीवित विश्‍वास रखनेवाले लोग परीक्षाओं का सामना करते समय समझौता नहीं कर सकते। यीशु के शब्द सूचित करते हैं कि एक व्यक्‍ति को अपना प्राण, या जीवन प्राप्त करने के लिए ‘देने,’ अर्थात्‌ बलिदान करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। नए मिशनरियों से आग्रह किया गया कि वे यहोवा को उसकी सेवा में अपना सब कुछ, अपना सर्वोत्तम दें!

बाद में, सेवा विभाग समिति के विलियम वैन डी वॉल ने “प्रेरित पौलुस—अनुकरण के योग्य उदाहरण” विषय पर बात की। भाई वैन डी वॉल ने समझाया: “पौलुस ने पहली सदी में मिशनरी कार्य का नेतृत्व किया।” तो फिर, उपयुक्‍त रूप से उन चार क्षेत्रों को विशिष्ट किया गया जिनमें प्रेरित पौलुस ने आज मिशनरियों के लिए एक अच्छा उदाहरण रखा: (१) लोगों के लिए पौलुस की वास्तविक चिन्ता और प्रेम; (२) सेवकाई में उसकी प्रभावकारिता; (३) अपनी शालीनता के कारण ख़ुद को आगे बढ़ाने से इनकार; (४) यहोवा में उसका निर्विवाद भरोसा।

शासी निकाय के लाइमन ए. स्विंगल ने “अपनी नयी कार्य-नियुक्‍ति में यहोवा को आपको जाँचने दीजिए” विषय पर चर्चा की। उस दिन के पाठ, भजन १३९:१६ को इस्तेमाल करते हुए भाई स्विंगल ने स्वीकार किया कि नए मिशनरियों की हैसियत से वे अपनी कार्य-नियुक्‍तियों में समस्याओं का सामना करेंगे और यह कि यहोवा हल जानता है। “उसके पास जाइए,” उसने आग्रह किया, “जब आपको कोई समस्या होती है तो उससे बात कीजिए, यह समझने की कोशिश कीजिए कि उसकी इच्छा क्या है।”

बाद में शासी निकाय के जॉन ई. बार ने “तुम्हारा विश्‍वास बहुत बढ़ रहा है” विषय पर बात की। (२ थिस्सलुनीकियों १:३) लूका १७:१ में हम पढ़ते हैं कि यीशु ने कहा: “[ऐसा] हो नहीं सकता कि ठोकरें न लगें।” कुछ लोगों ने संगी मिशनरियों के व्यक्‍तित्व के कारण ठोकर खायी है। लेकिन भाई बार ने मिशनरियों को क्षमाशील होने के लिए ज़रूरी विश्‍वास रखने का प्रोत्साहन दिया। वाक़ई, इसी संदर्भ में यीशु के शिष्यों ने बिनती की: “हमारा विश्‍वास बढ़ा।” (लूका १७:२-५) मिशनरियों का विश्‍वास विभिन्‍न संगठनात्मक समायोजनों से भी परखा जा सकता है। “इन्हें स्वीकार करने के लिए क्या हमारे पास विश्‍वास है,” भाई बार ने पूछा, “या क्या वे पहाड़-जैसी बाधाएँ बन जाएँगे?”

उसके बाद दो गिलियड प्रशिक्षकों ने कुछ सलाह दी। जैक रॆडफर्ड ने स्नातकों से एक सकारात्मक मनोवृत्ति बनाए रखने का आग्रह किया। उसने एक मिशनरी के बारे में बताया जिसने संगी मिशनरियों द्वारा चिढ़ाए जाने के कारण अपनी कार्य-नियुक्‍ति छोड़ दी थी। बहरहाल, शास्त्र हमें अनावश्‍यक क्रोध न करने के लिए आगाह करता है। (सभोपदेशक ७:९) “उचित मनोवृत्ति रखिए,” उसने आग्रह किया। “अपने इर्द-गिर्द दूसरे लोगों की ग़लतियों और अपरिपूर्णताओं के प्रति क्षमाशील होइए।”

फिर, गिलियड रजिस्ट्रार, यू. वी. ग्लास ने पूछा: “क्या आप ‘समय और अप्रत्याशित घटना’ का सामना करने के लिए तैयार हैं?” (सभोपदेशक ९:११, NW) “हमारी जीवन-शैली में हमेशा परिवर्तन होते रहते हैं,” भाई ग्लास ने कहा, “और कुछ परिवर्तन तो बहुत दुःखद हो सकते हैं।” कुछ मिशनरियों को अचानक ही ख़राब स्वास्थ्य, बीमारी, और पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जिसने कुछ मिशनरियों को अपनी कार्य-नियुक्‍ति छोड़ने पर मजबूर किया है। “अप्रत्याशित घटना चाहे जो भी हो,” भाई ग्लास ने कहा, “हमें पता है कि यहोवा इसके बारे में जानता है और वह चिन्ता करता है। अगर हम अपना भरोसा उस पर रखते हैं, तो हम जानते हैं कि हम जय पाएँगे!”

एक भाषण के द्वारा, जिसका शीर्षक था “मिशनरी सेवा के लिए अलग रखे गए,” सुबह के भाषणों की श्रंखला चरम पर पहुँची। शासी निकाय के थीएडोर जरस ने शुरू में उठाए गए सवाल, अर्थात्‌ “एक मिशनरी क्या होता है?” को सम्बोधित किया। इसके जवाब में, उसने पौलुस और बरनबास के मिशनरी कार्य के बारे में प्रेरितों अध्याय १३ और १४ की चर्चा की। स्पष्ट रूप से, यह कार्य सामाजिक समस्याओं को ठीक करने पर नहीं, बल्कि ‘सुसमाचार सुनाने’ पर केंद्रित था। (प्रेरितों १३:३२) भाई जरस ने पूछा: “क्या आप इस बात से सहमत नहीं हैं कि पौलुस और बरनबास ने प्रदर्शित किया कि असली मिशनरी को कैसा होना चाहिए?” बाद में एक अनुभवी मिशनरी, मॆक्सिको के रॉबर्ट ट्रेसी को सुसमाचारक के तौर पर अपने कुछ आनन्दप्रद अनुभव बताने के लिए कहा गया।

सुबह का कार्यक्रम अपनी चरम पर पहुँचा जब भाई श्रोडर ने ४८ स्नातकों को डिप्लोमा वितरित किए। उन २१ देशों के नाम सुनकर श्रोतागण रोमांचित हो गए जहाँ मिशनरियों को नियुक्‍त किया गया था: इक्वेटोरियल गिनी, इक्वेडोर, एस्टोनिया, कोत दीवॉर, कोस्टा रीका, गिनी-बिसाउ, ताइवान, निकारागुआ, पराग्वे, पेरू, बारबडोस, बेनिन, बोलिविया, मॉरीशस, मोज़म्बीक, लीवर्ड्‌ द्वीप, लैटविया, वेनेज़ुइला, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, सेनेगल, और हान्डयुरास।

भोजन के लिए दोपहर के अन्तराल के बाद श्रोतागण फिर इकट्ठा हुए और प्रहरीदुर्ग के एक सजीव अध्ययन का मज़ा लिया, जो सेवा विभाग के रॉबर्ट पी. जॉनसन द्वारा संचालित किया गया। ९८वीं क्लास के सदस्यों ने सवालों के जवाब दिए। इसके बाद गिलियड कर्मचारियों द्वारा अनेकों आनन्दप्रद इन्टरव्यू संचालित किए गए। श्रोतागण बहुत प्रोत्साहित हुए जब स्नातकों ने क्षेत्र के अपने अनुभवों को बताया और अपनी विदेशी कार्य-नियुक्‍तियों के बारे में अपनी भावनाएँ व्यक्‍त कीं।

गिलियड साढ़े छः साल तक, वॉलकिल, न्यू यॉर्क में वॉचटावर संस्था की सुविधाओं में स्थित था। लेकिन, अप्रैल १९९५ में, इस स्कूल को पैटरसन, न्यू यॉर्क में नए वॉचटावर शैक्षिक केन्द्र में स्थानान्तरित किया गया। वॉलकिल के बेथेल परिवार को इस परिवर्तन के बारे में कैसा लगता है? इस स्नातकता के समय, वॉलकिल के अनेक लोगों का इन्टरव्यू लिया गया। उनकी हृदयस्पर्शी अभिव्यक्‍तियों ने यह स्पष्ट किया कि गिलियड के विद्यार्थियों ने उन पर एक अमिट छाप छोड़ी है। स्पष्ट रूप से, ये तत्पर पुरुष और स्त्री असली मिशनरी हैं—नम्र, आत्म-बलिदानी, दूसरों की मदद करने के लिए गहराई से चिन्ता करनेवाले।

जब स्नातकता समाप्त हुई, तब उपस्थित सभी लोग इस विश्‍वास के साथ लौट गए कि गिलियड स्कूल वह कार्य करना सफलतापूर्वक जारी रखेगा जो उसने ५० से भी ज़्यादा सालों से किया है—असली मिशनरियों को तैयार करना!

[पेज 18 पर बक्स]

क्लास के आँकड़े:

प्रतिनिधित्व किए गए देशों की संख्या: ८

नियुक्‍ति के देशों की संख्या: २१

विद्यार्थियों की संख्या: ४८

औसतन उम्र: ३२.७२

सच्चाई में औसतन साल: १५.४८

पूर्ण-समय की सेवकाई में औसतन साल: १०.९१

[पेज 18 पर तसवीरें]

वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड से स्नातकता करनेवाली ९८वीं क्लास

नीचे दी गयी सूची में, पंक्‍तियाँ उलटे क्रम में हैं, और प्रत्येक पंक्‍ति में नाम बाएँ से दाएँ सूचीबद्ध हैं।

(१) एसलिंगर, ए.; मैन, टी.; रिवॆरा, जी.; बारवेरो, एम.; वाज़, एम.; दुर्गा, के.; सिल्वॆरक्स्‌, एच.; एल्वराडो, डी. (२) टोथ, बी.; सॆगारा, एस.; हार्ट, आर.; रोराक, आई.; एस्कॉबार, पी.; आइस्ट्रप, जे.; स्लाय, एल.; रिवॆरा, ई. (३) ऑर्चर्ड, डी.; स्नेथ, एस.; मार्सीएल, पी.; कोल्यनन, डी.; वाडॆल, एस.; ब्लैकबर्न, एल.; एस्कॉबार, एम.; ऑर्चर्ड, के. (४) हार्ट, एम.; टोथ, एस.; कोल्यनन, जे.; बॆरमान, एच.; मैन, डी.; ब्लैकबर्न, जे.; पार्क, डी.; वाज़, एफ. (५) सॆगारा, एस.; स्लाय, एल.; लेस्ली, एल.; बॆरमान, बी.; बारवेरो, डब्ल्यू.; एल्वराडो, जे.; लेस्ली, डी.; पार्क, डी. (६) सिल्वॆरक्स्‌, के.; एसलिंगर, आर.; वाडॆल, जे.; स्नेथ, के.; दुर्गा, ए.; रोराक, एफ.; आइस्ट्रप, सी.; मार्सीएल, डी.

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