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परमेश्वर का विश्राम—इसका मतलब क्या है?प्रहरीदुर्ग—2011 | जुलाई 15
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3. यूहन्ना 5:16, 17 में दर्ज़ यीशु के शब्द कैसे दिखाते हैं कि सातवाँ दिन पहली सदी तक चल रहा था?
3 दो सबूतों के आधार पर हम इस नतीजे पर पहुँच सकते हैं कि सातवाँ दिन पहली सदी तक जारी रहा। पहले हम यीशु के उन शब्दों पर गौर करेंगे जो उसने उन विरोधियों से कहे थे, जिन्होंने सब्त के दिन चंगाई करने के लिए यीशु की निंदा की थी। उनके हिसाब से चंगाई करना एक काम था। प्रभु यीशु ने उनसे कहा: “मेरा पिता अब तक काम करता आ रहा है और मैं भी काम करता रहता हूँ।” (यूह. 5:16, 17) यीशु क्या कहना चाह रहा था? यीशु पर सब्त के दिन भी काम करने का जो इलज़ाम लगाया गया, उसका उसने इस तरह जवाब दिया: “मेरा पिता अब तक काम करता आ रहा है।” दूसरे शब्दों में यीशु उनसे यह कह रहा था: ‘मैं और मेरा पिता दोनों एक ही तरह का काम कर रहे हैं। अगर मेरा पिता हज़ारों सालों के लंबे सब्त के दौरान काम कर रहा है तो मेरे सब्त के दिन काम करने में क्या बुराई है।’ इस तरह यीशु ने दिखाया कि धरती के मामले में परमेश्वर का महान विश्राम दिन यानी सातवाँ दिन यीशु के दिनों में खत्म नहीं हुआ था।a
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परमेश्वर का विश्राम—इसका मतलब क्या है?प्रहरीदुर्ग—2011 | जुलाई 15
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5. सातवें दिन का मकसद क्या है और यह मकसद कब पूरा होगा?
5 इस सवाल का जवाब जानने से पहले हमें सातवें दिन के मकसद को याद रखना होगा। उत्पत्ति 2:3 में वह मकसद बताया गया है: “परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया।” उस दिन को “पवित्र ठहराया” गया यानी यहोवा के ज़रिए शुद्ध किया गया या अलग रखा गया ताकि उसका मकसद पूरा किया जा सके। यह मकसद था कि आज्ञाकारी स्त्री-पुरुष धरती की देखभाल करेंगे और इस पर हमेशा-हमेशा के लिए जीएँगे। (उत्प. 1:28) इसी मकसद को पूरा करने के लिए यहोवा परमेश्वर और “सब्त के दिन का प्रभु” यीशु मसीह दोनों ‘अब तक काम करते आ रहे हैं।’ (मत्ती 12:8) जब तक मसीह के हज़ार साल के शासन में यह मकसद पूरा नहीं हो जाता तब तक परमेश्वर का विश्राम दिन चलता रहेगा।
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परमेश्वर का विश्राम—इसका मतलब क्या है?प्रहरीदुर्ग—2011 | जुलाई 15
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a याजक और लेवी सब्त के दिन मंदिर से जुड़े काम करते थे और “निर्दोष ठहरते” थे। उसी तरह परमेश्वर के महान आध्यात्मिक मंदिर का महायाजक यीशु भी सब्त का नियम तोड़े बिना आध्यात्मिक काम कर सकता था।—मत्ती 12:5, 6.
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