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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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परमेश्‍वर को आपकी चिन्ता है

मेरी ने, एक मसीही स्त्री जिसकी उम्र ४५ साल से अधिक है, अपने जीवन में बहुत दुःखों को सहा है। दस से भी ज़्यादा साल पहले उसके पति का परस्त्रीगमन तलाक़ का कारण बना। उसके बाद, मेरी ने अपने चार बच्चों के प्रति एक-जनक की अपनी भूमिका को निभाने के लिए संघर्ष किया। लेकिन वह अब भी अकेली ही है, और कभी-कभी यह अकेलापन असहनीय लगता है। मेरी सोचती है, ‘क्या इसका अर्थ है कि परमेश्‍वर मेरे या मेरे पिताहीन बच्चों के बारे में चिन्ता नहीं करता?’

चाहे आपने समान कठिनाई का अनुभव किया हो या नहीं, निश्‍चय ही आप मेरी की भावनाओं के प्रति सहानुभूति दिखा सकते हैं। हम सभी कठिन परिस्थितियों से गुज़रे हैं, और हमने शायद सोचा हो कि आख़िर कब और कैसे यहोवा हमारे पक्ष में कार्य करेगा। इनमें से कुछ अनुभव, परमेश्‍वर के नियमों के हमारे पालन का सीधा परिणाम हैं। (मत्ती १०:१६-१८; प्रेरितों ५:२९) अन्य अनुभव हमारा शैतान द्वारा शासित संसार में जीनेवाले अपरिपूर्ण मनुष्य होने के परिणाम हैं। (१ यूहन्‍ना ५:१९) प्रेरित पौलुस ने लिखा: “सारी सृष्टि . . . मिलकर कहरती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।”—रोमियों ८:२२.

लेकिन, इस तथ्य का कि आप एक कड़ी परीक्षा का सामना करते हैं, यह अर्थ नहीं कि यहोवा ने आपको त्याग दिया है या आपके कल्याण में दिलचस्पी नहीं रखता। आप इसके बारे में कैसे निश्‍चित हो सकते हैं? क्या बात दिखाती है कि परमेश्‍वर को आपकी चिन्ता है?

एक प्राचीन उदाहरण

बाइबल व्यक्‍तियों के तौर पर लोगों के लिए यहोवा की चिन्ता का स्पष्ट प्रमाण देती है। दाऊद को लीजिए। यहोवा को इस युवा चरवाहे में व्यक्‍तिगत दिलचस्पी थी, उसे ‘अपने मन के अनुसार पुरुष’ समझा। (१ शमूएल १३:१४) बाद में, जब दाऊद ने एक राजा के तौर पर शासन किया, यहोवा ने उससे प्रतिज्ञा की: “जहाँ कहीं तू जाएगा, मैं तेरे संग रहूँगा।”—२ शमूएल ७:९, NW.

क्या इसका अर्थ है कि दाऊद ने समस्याओं से मुक्‍त जीवन जीया, और उसे परमेश्‍वर से ख़ास सुरक्षा प्राप्त थी? नहीं, दाऊद ने अपने शासन से पहले और उसके दौरान भी कड़ी परीक्षाओं का सामना किया। राजा बनने से पहले कई साल तक, हत्या पर उतारू राजा शाऊल ने लगातार उसका पीछा किया। अपने जीवन की इस अवधि के दौरान, दाऊद ने लिखा: “मेरा प्राण सिंहों के बीच में है, . . . अर्थात्‌ ऐसे मनुष्यों के बीच में जिन के दांत बर्छी और तीर हैं।”—भजन ५७:४.

फिर भी, इस सारी कठिनाई में दाऊद यहोवा की व्यक्‍तिगत चिन्ता के बारे में विश्‍वस्त था। “तू मेरे मारे मारे फिरने का हिसाब रखता है,” उसने प्रार्थना में यहोवा से कहा। जी हाँ, दाऊद के लिए यह ऐसा था मानो यहोवा ने पूरी कठिन परीक्षा को लिख लिया था। फिर दाऊद ने आगे कहा: “तू मेरे आंसुओं को अपनी कुप्पी में रख ले! क्या उनकी चर्चा तेरी पुस्तक में नहीं है?”a (भजन ५६:८) इस दृष्टान्त से, दाऊद ने यह विश्‍वास व्यक्‍त किया कि यहोवा न सिर्फ़ स्थिति से बल्कि इसके भावात्मक प्रभाव से भी अवगत था।

अपने जीवन के अन्त के क़रीब, दाऊद व्यक्‍तिगत अनुभव से लिख सका: “मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्‍न रहता है; चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थांभे रहता है।” (भजन ३७:२३, २४) आप भी विश्‍वस्त हो सकते हैं कि यद्यपि आपकी परीक्षाएँ निरन्तर और जारी रहती हैं, यहोवा आपके धीरज को देखता है और उसकी क़द्र करता है। पौलुस ने लिखा: “परमेश्‍वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की, और कर भी रहे हो।”—इब्रानियों ६:१०.

इसके अतिरिक्‍त, यहोवा आपको आपके पथ में रखी गयी किसी भी मुश्‍किल को सहन करने के लिए शक्‍ति देने के द्वारा आपके पक्ष में कार्य कर सकता है। “धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं,” दाऊद ने लिखा, “परन्तु यहोवा उसको उन सब से मुक्‍त करता है।” (भजन ३४:१९) असल में, बाइबल हमें बताती है कि यहोवा की दृष्टि “सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए।”—२ इतिहास १६:९.

यहोवा ने आपको खींचा है

यहोवा की व्यक्‍तिगत चिन्ता का अतिरिक्‍त प्रमाण यीशु के शब्दों में पाया जा सकता है। “कोई मेरे पास नहीं आ सकता,” उसने कहा, “जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले।” (यूहन्‍ना ६:४४) जी हाँ, यहोवा व्यक्‍तियों के तौर पर मसीह के बलिदान के लाभों का फ़ायदा उठाने के लिए लोगों की सहायता करता है। कैसे? काफ़ी हद तक, यह राज्य प्रचार कार्य के ज़रिए है। सच है कि यह कार्य “सब जातियों पर गवाही” का काम करता है, फिर भी यह लोगों तक व्यक्‍तिगत स्तर पर पहुँचता है। यह तथ्य कि आप सुसमाचार के संदेश को सुन रहे हैं और अनुकूल प्रतिक्रिया दिखा रहे हैं, आपके लिए यहोवा की व्यक्‍तिगत चिन्ता का प्रमाण है।—मत्ती २४:१४.

पवित्र आत्मा के ज़रिए, यहोवा व्यक्‍तियों को अपने पुत्र और अनन्त जीवन की आशा की ओर खींचता है। किसी भी जन्मजात कमियों और अपरिपूर्णताओं के बावजूद, यह प्रत्येक जन को आध्यात्मिक सच्चाइयों को समझने और लागू करने में समर्थ करता है। सचमुच, एक व्यक्‍ति परमेश्‍वर की आत्मा की सहायता के बिना परमेश्‍वर के उद्देश्‍यों को नहीं समझ सकता। (१ कुरिन्थियों २:११, १२) जैसे पौलुस ने थिस्सलुनीकियों को लिखा, “हर एक में विश्‍वास नहीं [होता]।” (२ थिस्सलुनीकियों ३:२) यहोवा अपनी आत्मा केवल उन्हीं को देता है जो उसके द्वारा खींचे जाने की इच्छा प्रदर्शित करते हैं।

यहोवा लोगों को खींचता है क्योंकि वह उनसे व्यक्‍तियों के तौर पर प्रेम करता है और चाहता है कि वे उद्धार पाएँ। यहोवा की व्यक्‍तिगत चिन्ता का क्या ही पक्का प्रमाण! यीशु ने कहा: “तुम्हारे पिता की जो स्वर्ग में है यह इच्छा नहीं, कि इन छोटों में से एक भी नाश हो।” (मत्ती १८:१४) जी हाँ, परमेश्‍वर की नज़रों में हर एक व्यक्‍ति एक अलग शख़्स के तौर पर महत्त्वपूर्ण है। इसीलिए पौलुस लिख सकता था: “वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा।” (रोमियों २:६) और प्रेरित पतरस ने कहा: “परमेश्‍वर किसी का पक्ष नहीं करता, बरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।”—प्रेरितों १०:३४, ३५.

यीशु के चमत्कार

उसके पुत्र, यीशु द्वारा किए गए चमत्कारों में, परमेश्‍वर की मनुष्यों में व्यक्‍तिगत दिलचस्पी का प्रदर्शन दिल को छू लेता है। इन चंगाइयों के साथ गहरी भावनाएँ जुड़ी हुई थीं। (मरकुस १:४०, ४१) क्योंकि यीशु “आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है,” उसकी करुणा अपने हर सेवक के लिए यहोवा की परवाह की मर्मस्पर्शी तस्वीर खींचती है।—यूहन्‍ना ५:१९.

यीशु द्वारा किए गए एक चमत्कार के वृत्तान्त को लीजिए, जो मरकुस ७:३१-३७ में अभिलिखित है। यहाँ यीशु ने एक पुरुष को चंगा किया जो बधिर था और बोलते वक़्त हकलाता था। वह “उस [पुरुष] को भीड़ से अलग ले गया,” बाइबल कहती है। उसके बाद, उसने “स्वर्ग की ओर देखकर आह भरी, और उस से कहा; इप्फत्तह, अर्थात्‌ खुल जा।”

यीशु इस पुरुष को भीड़ से अलग क्यों ले गया? यह संभव है कि एक बधिर जो मुश्‍किल ही बोल पाता है देखनेवालों के सामने संकोच महसूस करेगा। यीशु ने शायद इस पुरुष की व्याकुलता को देखा हो, और इसीलिए उसने उसे अकेले में चंगा करने का चुनाव किया। “यह पूरी कहानी,” एक बाइबल विद्वान कहता है, “हमें सुस्पष्ट रूप से दिखाती है कि यीशु ने उस पुरुष को महज़ एक और रोगी नहीं समझा; उसने उसे एक व्यक्‍ति समझा। उस पुरुष की एक ख़ास ज़रूरत थी और एक ख़ास समस्या थी, और अति सुकोमल विचारशीलता के साथ यीशु ने उसके साथ इस तरीक़े से व्यवहार किया कि उसकी भावनाएँ आहत न हों और वह इसे समझ सके।”

यह वृत्तान्त दिखाता है कि यीशु को लोगों की व्यक्‍तिगत परवाह थी। आप निश्‍चित हो सकते हैं कि वह आप में भी वैसी ही दिलचस्पी रखता है। सच है कि उसकी बलिदान-रूपी मृत्यु उद्धार्य मानवजाति के सारे संसार के लिए प्रेम की एक अभिव्यक्‍ति थी। फिर भी, आप उस कार्य को व्यक्‍तिगत रूप से ले सकते हैं, जैसे पौलुस ने किया, जिसने लिखा: “परमेश्‍वर के पुत्र . . . ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया।” (तिरछे टाइप हमारे।) (गलतियों २:२०) और क्योंकि यीशु ने कहा कि ‘जिस ने उसे देखा था उस ने पिता को देखा था,’ तो हम निश्‍चित हो सकते हैं कि यहोवा को अपने हर सेवक में वैसी ही दिलचस्पी है।—यूहन्‍ना १४:९.

यहोवा प्रतिफल देता है

परमेश्‍वर का ज्ञान लेने में उसके व्यक्‍तित्व के हर पहलू को जानना अंतर्ग्रस्त है, जिसे बाइबल में प्रकट किया गया है। यहोवा इस नाम का अर्थ ही है “वह अस्तित्व का कारण बनता है,” जो सूचित करता है कि यहोवा अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए जो वह चाहता है बन सकता है। इतिहास-भर में, उसने अनेक भूमिकाएँ निभायी हैं, जिनमें सृष्टिकर्ता, पिता, सर्वसत्ताधारी प्रभु, सेनाओं के यहोवा, प्रार्थना के सुननेवाले, न्यायी, महान उपदेशक, चरवाहे और छुड़ानेवाले की भूमिकाएँ भी शामिल हैं।b

परमेश्‍वर के नाम का पूरा अर्थ समझने के लिए, हमारा यहोवा को एक प्रतिफल देनेवाले की भूमिका में जानना भी ज़रूरी है। पौलुस ने लिखा: “विश्‍वास बिना उसे प्रसन्‍न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्‍वर के पास आनेवाले को विश्‍वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।”—इब्रानियों ११:६.

यहोवा ने आज ऐसे लोगों को एक परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा दी है जो पूरे हृदय से उसकी सेवा करने का चुनाव करते हैं। उस शानदार प्रतिज्ञा की पूर्ति का उत्सुकतापूर्वक इंतज़ार करने में कोई स्वार्थ नहीं है, ना ही स्वयं वहाँ जीने की कल्पना करना ढिठाई है। मूसा की “आंखें फल पाने की ओर लगी थीं।” (इब्रानियों ११:२६) उसी तरह पौलुस वफ़ादार अभिषिक्‍त मसीहियों के लिए परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा की पूर्ति की उत्सुकतापूर्वक आस लगाए बैठा था। उसने लिखा: “[मैं] निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्‍वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।”—फिलिप्पियों ३:१४.

आप भी उस प्रतिफल का उत्सुकतापूर्वक इंतज़ार कर सकते हैं जिसकी प्रतिज्ञा यहोवा उनसे करता है जो धीरज धरते हैं। उस प्रतिफल की आस लगाए रहना, आपके परमेश्‍वर के ज्ञान का और उसकी सेवा में आपके धीरज का एक अनिवार्य भाग है। सो उन आशीषों पर जो यहोवा ने आपके लिए रखी हैं प्रतिदिन मनन कीजिए। मेरी ने, जिसका शुरूआत में ज़िक्र किया गया था, ऐसा करने के लिए ख़ास प्रयास किया है। “मेरे जीवन में पहली बार,” वह कहती है, “मैं ने हाल ही में स्वीकार किया कि यीशु का छुड़ौती बलिदान मुझ पर लागू होता है। मैं यह महसूस करने लगी हूँ कि यहोवा एक व्यक्‍ति के रूप में मेरी चिन्ता करता है। मैं २० से भी ज़्यादा साल से एक मसीही रही हूँ, लेकिन केवल हाल ही में मैं ने सचमुच यह विश्‍वास करना शुरू किया।”

बाइबल के अध्ययन और उस पर हार्दिक मनन के द्वारा, मेरी, अन्य लाखों लोगों सहित यह जानने लगी है कि यहोवा अपने लोगों के बारे में न केवल एक समूह के तौर पर परन्तु व्यक्‍तियों के तौर पर भी चिन्ता करता है। प्रेरित पतरस इस बात से इतना विश्‍वस्त था कि उसने लिखा: “अपनी समस्त चिन्ता [परमेश्‍वर] पर डाल दो, क्योंकि वह तुम्हारी चिन्ता करता है।” (१ पतरस ५:७, NHT) जी हाँ, परमेश्‍वर को आपकी चिन्ता है!

[फुटनोट]

a एक कुप्पी जानवर की चमड़ी से बना एक पात्र था जो पानी, तेल, दूध, दाखमधु, मक्खन, और पनीर जैसी चीज़ों को रखने के लिए प्रयोग किया जाता था। प्राचीन कुप्पियाँ बहुत ही भिन्‍न माप और आकार की होती थीं, उनमें से कुछ चमड़े की थैलियाँ होती थीं और अन्य कार्क सहित छोटे-मुँह के पात्र होते थे।

b न्यायियों ११:२७; भजन २३:१; ६५:२; ७३:२८; ८९:२६; यशायाह ८:१३; ३०:२०; ४०:२८; ४१:१४ देखिए; साथ ही वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसायटी द्वारा प्रकाशित पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद—संदर्भों सहित (अंग्रेज़ी), परिशिष्ट १ठ, पृष्ठ १५६८ भी देखिए।

[पेज 6 पर बक्स]

पुनरुत्थान—सबूत कि परमेश्‍वर चिन्ता करता है

बाइबल में यूहन्‍ना ५:२८, २९ में प्रत्येक व्यक्‍ति में परमेश्‍वर की दिलचस्पी का एक विश्‍वासोत्पादक सबूत पाया जाता है: “वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, [यीशु का] शब्द सुनकर निकलेंगे।”

दिलचस्पी की बात है कि यूनानी शब्द टेफोस (क़ब्र) के बजाय मनेमइओस (स्मारक क़ब्र) का प्रयोग यहाँ किया गया है। शब्द टेफोस केवल दफ़न के विचार को व्यक्‍त करता है। लेकिन मनेमइओस सूचित करता है कि जो व्यक्‍ति मर चुका है उसके रिकॉर्ड को याद रखा जाता है।

इस सम्बन्ध में, ज़रा सोचिए कि पुनरुत्थान यहोवा से किस बात की माँग करेगा। किसी व्यक्‍ति को पुनर्जीवित करने के लिए, उसका उस व्यक्‍ति के बारे में सबकुछ जानना ज़रूरी है—जिसमें उसके वंशागत लक्षण और पूरी याददाश्‍त भी शामिल है। इसी सूरत में उस व्यक्‍ति को उसी व्यक्‍तित्व के साथ पुनःप्रतिष्ठित किया जा सकता है।

निःसंदेह, यह मानवीय दृष्टिकोण से असंभव है, लेकिन “परमेश्‍वर से सब कुछ हो सकता है।” (मरकुस १०:२७) वह यह भी पता लगा सकता है कि एक व्यक्‍ति के हृदय में क्या है। यद्यपि एक व्यक्‍ति अनेक शताब्दियों से मृत रहा हो, उसके बारे में परमेश्‍वर की याद ताज़ा रहती है; वह धूमिल नहीं होती। (अय्यूब १४:१३-१५) अतः, इब्राहीम, इसहाक, और याकूब का ज़िक्र करते वक़्त, यीशु उनके मरने के शताब्दियों बाद भी कह सकता था कि यहोवा “मुरदों का नहीं परन्तु जीवतों का परमेश्‍वर है: क्योंकि उसके निकट [ये] सब जीवित हैं।” (तिरछे टाइप हमारे।)—लूका २०:३८.

इस प्रकार, अरबों लोग जो मर चुके हैं उनका सुविस्तृत ब्योरा यहोवा परमेश्‍वर की याद में है। क्या ही विस्मयकारी सबूत कि परमेश्‍वर व्यक्‍तिगत स्तर पर मनुष्यों की चिन्ता करता है!

[पेज 7 पर तसवीरें]

यीशु ने जिन्हें चंगा किया उनमें उसने व्यक्‍तिगत दिलचस्पी ली

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