विश्वव्यापी जलाशयों में मनुष्यों के लिए मछुवाही
“और यदि मैं सुसमाचार सुनाऊं, तो मेरा कुछ घमण्ड नहीं; क्योंकि यह तो मेरे लिए अवश्य है; और यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय।”—१ कुरिन्थियों ९:१६.
१, २. (क) १ कुरिन्थियों ९:१६ में समाविष्ट चुनौती पर कौन पूरी तरह खरे उतरे हैं, और आप ऐसा उत्तर क्यों देते हैं? (ख) यहोवा के गवाहों ने किस ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया है?
कौन इस २०वीं शताब्दी में पौलुस के ऊपर दिये गये शब्दों में प्रस्तुत चुनौती पर पूरी तरह खरे उतरे हैं? कौन लाखों की तादाद में “मन के दीन” आदमी और औरतों की मछुवाही के लिए संसार में गये हैं? (मत्ती ५:३) किन्होंने क़ैद और मृत्यु का जोख़िम उठाया है और किन्होंने मत्ती २४:१४ में मसीह के निर्देश का पालन करने की वजह से काफ़ी देशों में ऐसा सहा है?
२ प्रमाण उत्तर देता है: यहोवा के गवाह। सिर्फ़ पिछले साल में ही चालीस लाख से ज़्यादा गवाहों ने २११ देशों और क्षेत्रों में और २०० से ज़्यादा भाषाओं में घर-घर जाकर ‘सुसमाचार सुनाया’। ये केवल चुनिन्दा प्रशिक्षित मिशनरियों का समूह ही नहीं थे। नहीं, प्रत्येक यहोवा का गवाह घर-घर जाकर और हर उचित अवसर पर प्रचार करने और सिखाने की ज़िम्मेवारी को महसूस करता है। वे अपने विश्वासों को दूसरों को बताने की ज़रूरत को क्यों महसूस करते हैं? क्योंकि वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि ज्ञान से ज़िम्मेदारी आती है।—यहेजकेल ३३:८, ९; रोमियों १०:१४, १५; १ कुरिन्थियों ९:१६, १७.
मनुष्यों के लिए मछुवाही, एक विश्वव्यापी चुनौती
३. मछुवाही के काम को कितना व्यापक होना चाहिए?
३ यह महान मछुवाही का काम मानो किसी नदी या झील या फिर किसी समुद्र तक ही सीमित नहीं है। नहीं, यीशु के निर्देशानुसार, इसे ‘सब जातियों में’ होना था। (मरकुस १३:१०) अपने पिता के पास चढ़ने से पहले, यीशु ने अपने चेलों से कहा: “इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।”—मत्ती २८:१९, २०.
४. (क) यीशु के प्रारंभिक यहूदी अनुयायी किस वजह से चौंके होंगे? (ख) यहोवा के गवाह अपने प्रचार काम की सीमा को किस नज़रिये से देखते हैं?
४ यीशु के यहूदी अनुयायियों के लिए वह एक चौंका देनेवाला कार्याधिकार रहा होगा। वह अपने यहूदी शिष्यों से कह रहा था कि अब उन्हें सारे राष्ट्रों की “अशुद्ध” अन्यजातियों के पास जाकर सिखाना होगा। उस नियत कार्य के महत्त्व को पूरी तरह समझने के लिए और उस पर अमल करने के लिए उन्हें अपने मन को काफ़ी अनुकूल बनाना पड़ा। (प्रेरितों १०:९-३५) लेकिन कोई और विकल्प नहीं था; यीशु ने उन्हें एक दृष्टान्त में बताया था कि “खेत संसार है।” इसलिए, यहोवा के गवाह आज पूरे संसार को इस नज़रिये से देखते हैं जैसे वह उनकी मछुवाही के हक़ का स्थान है। कोई “१२-मील की सीमा” या “भूभागीय जलराशि” नहीं हो सकती जो परमेश्वर द्वारा सौंपे गये उनके कार्य पर पाबंदी लगा सके। कभी-कभी सूझबूझ की ज़रूरत पड़ती है जहां धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है। फिर भी, वे इसे बहुत ज़रूरी समझते हुए मछुवाही करते हैं। ऐसा क्यों है? क्योंकि संसार की घटनाएं और बाइबल की भविष्यवाणी का पूरा होना यह दर्शाते हैं कि हम विश्वव्यापी मछुवाही के काम के आख़िरी हिस्से में हैं।—मत्ती १३:३८; लूका २१:२८-३३.
विश्वव्यापी मछुवाही के काम में उन्नति
५. किस क़िस्म के लोग विश्वव्यापी मछुवाही के काम के प्रति अनुक्रिया दिखा रहे हैं?
५ राज्य के अधिकांश अभिषिक्त वारिसों की मछुवाही राष्ट्रों से १९३५ से पहले हो चुकी थी, अतः उनकी पूरी संख्या मूलतः पूरी हो चुकी है। इसलिए, ख़ासकर १९३५ से, यहोवा के गवाह उन विनम्र व्यक्तियों को ढूंढ़ रहे हैं जिनका वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है—“नम्र लोग” जो “पृथ्वी के अधिकारी होंगे।” (भजन ३७:११, २९) ये वे लोग हैं जो “उन सब घृणित कामों के कारण जो, किये जाते हैं, सांसे भरते और दुःख के मारे चिल्लाते हैं।” वे परमेश्वर के राज्य के शासन के पक्ष में क़दम उठा रहे हैं इससे पहले कि “भारी क्लेश” शैतान के भ्रष्ट और दूषित रीति-व्यवस्था पर वार करे ओर उसके उपासकों को पूर्ण विनाश के लिए “आग के कुंड” में डाल दे।—यहेजकेल ९:४; मत्ती १३:४७-५०; २४:२१.
६, ७. (क) प्रचार के काम के संबंध में १९४३ में क्या क़दम उठाए गये? (ख) इसके परिणाम क्या हुए हैं?
६ क्या विश्वव्यापी मछुवाही का काम अब तक सफल हुआ है? सच्चाई को स्वयं अपने लिए बोलने दीजीए। १९४३ की बात है, दूसरा विश्व युद्ध अभी भी प्रबल था, फिर भी यहोवा के गवाहों के मुख्यालय, ब्रुक्लिन, न्यू योर्क में विश्वासयोग्य अभिषिक्त भाइयों ने यह पूर्वानुमान लगाया कि एक बड़े विश्वव्यापी मछुवाही के काम का संचालन करना होगा। अतः क्या क़दम उठाये गये?a—प्रकाशितवाक्य १२:१६, १७.
७ उन्नीस सौ तैंतालीस में वॉचटावर सोसाइटी ने गिलियेड (इब्रानी, “गवाहों का ढेर”; उत्पत्ति ३१:४७, ४८) नामक मिशनरी स्कूल की स्थापना की, जिसने हर छः महीनों में सौ मिशनरियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया जिससे कि वह सांकेतिक मछुवों की नाईं पूरी पृथ्वी पर भेजे जा सकें। उस समय, केवल १,२६,३२९ गवाह ५४ देशों में सक्रिय रूप से मनुष्यों के लिए मछुवाही कर रहे थे। दस सालों के अन्दर वे आँकड़ें मानो कूद पड़े जब १४३ देशों में ५,१९,९८२ गवाह बन गये! निश्चित रूप से, गिलियेड स्कूल साहसी मछुओं और मछुआरनों को तैयार कर रहा था जो विदेशी संस्कृति में जाकर नए मछुवाही के जलाशयों के अनुकूल बनने को तैयार थे। परिणामस्वरूप, हज़ारों सच्चे मनवालों ने प्रतिक्रिया दिखाई। उन मिशनरियों ने और स्थानीय गवाहों ने जिनके साथ वे काम करते थे, एक नींव डाली जिसकी वजह से आज अद्भुत बढ़ौतरी हो रही है।
८, ९. (क) विशिष्ट मिशनरी काम के लिए किन उदाहरणों का उल्लेख किया जा सकता है? (ख) किस प्रकार मिशनरियों ने अपने क्षेत्रों में विशिष्ट बढ़ौतरी देखी है? (१९९२ यरबुक ऑफ जेहोवाज़ विटनसेज़ भी देखें.)
८ गिलियेड की उन आरंभिक कक्षाओं के बहुत से विश्वासी अनुभवी व्यक्ति अभी भी अपने विदेशी कार्यभार को संभाले हुए हैं, हालाँकि वे अब ७० या ८० वर्ष से भी ज़्यादा उम्र के हो चुके हैं। एक उदाहरण जो इन में से बहुतेरों का ठेठ नमूना है, वह ८२-साल के एरिक ब्रिटेन और उनकी पत्नी क्रिसटीना का है, जिन्होंने १९५० में गिलियेड की १५वीं कक्षा से उपाधिग्रहण की और अभी भी ब्राज़िल में सेवा कर रहे हें। जब वे ब्राज़िल में सेवा करने गये थे, तब उस देश में ३,००० से भी कम गवाह थे। अब वहाँ ३,००,००० से भी ज़्यादा हैं! निश्चित रूप से, ब्राज़िल में सबसे ‘दुर्बल एक सामर्थी जाति बन गया है’ क्योंकि मछुवाही का काम उत्पादनकारी रहा है।—यशायाह ६०:२२.
९ अफ्रीका में मिशनरियों के विषय में हम क्या कह सकते हैं? अधिकांश ने अपने आप को एक बहुत ही भिन्न संस्कृति के अनुरूप कर लिया है और अफ्रीकी लोगों से प्रेम करने लगे हैं। इस बात का प्ररूप हैं भाई जौन और एरिक कुक और उनकी पत्नियाँ कैथलीन और मर्टल, जो अभी दक्षिण अफ्रीका में सेवा कर रहे हैं। जौन और एरिक ने १९४७ में आठवीं कक्षा से उपाधिग्रहण की। उनके बीच, उन्होंने अंगोला, ज़िम्बाब्वे, मोज़ैम्बीक और दक्षिण अफ्रीका में काम किया। कुछ मिशनरी बीमारियों के कारण अफ्रीका में मर गये, और दूसरे युद्ध और सताहटों के कारण, जैसे कि ऐलन बैटी और आर्थर लोसन, जो लाइबीरिया में हुए हाल ही के गृह युद्ध के दौरान मारे गये। फिर भी, अफ्रीकी जलाशय बहुत उत्पादनकारी साबित हुआ है। इस विशाल, महाद्वीप में अब ४,००,००० से भी ज़्यादा गवाह चारों तरफ़ फैले हुए हैं।
सब के लिए भाग है
१०. क्यों और किस प्रकार पायनियर एक सराहनीय काम कर रहे हैं?
१० फिर भी, इसे स्वीकार करना होगा कि जबकि विदशी मिशनरी कुछ हज़ार ही हैं, स्थानीय प्रकाशक और पायनियरb लाखों में हो गये हैं। वे ही पूरी पृथ्वी पर प्रचार का अधिकांश कार्य कर रहे हैं। १९९१ में पायनियरों और सफ़री अध्यक्षों की औसत संख्या ५,५०,००० से ऊपर थी। वे आँकड़े क्या ही प्रभावशाली दिखते हैं जब हम इन सब विश्वासी गवाहों के ख़ास प्रयत्न के विषय में सोचते हैं जो वे इस महान मछुवाही के काम में भाग लेने के लिए करते हैं। ये हर महीने औसतन ६० से १४० घंटे प्रचार के काम में लगाते हैं। बहुत से इसे एक बड़े निजी त्याग और ख़र्चे पर करते हैं। लेकिन क्यों? क्योंकि वे अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, बुद्धि, प्राण और ताक़त से प्रेम रखते हैं और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखते हैं।—मत्ती २२:३७-३९.
११. इसका विश्वसनीय प्रमाण क्या है कि यहोवा की आत्मा उसके लोगों के बीच कार्यशील है?
११ हम उन पैंतीस लाख से अधिक दूसरे गवाहों के विषय में क्या कह सकते हैं जो पूरे-समय के काम में नहीं हैं लेकिन फिर भी, अपनी परिस्थितियों के अनुसार, यहोवा की सेवा में शत प्रतिशत देते हैं? कुछ पत्नियाँ हैं, और माँएँ भी जो छोटे बच्चों को संभालती हैं, फिर भी वे अपने बहुमूल्य समय में से कुछ समय विश्वव्यापी मछुवाही के काम के लिए निकालती हैं। बहुत से पति या पिता हैं जिनके पास पूरे समय की सांसारिक नौकरी है; फिर भी, वे सप्ताहांतों और शामों का कुछ समय अलग से निकाल कर अजनबियों को सत्य सिखाते हैं। फिर अविवाहित आदमी और औरतें और जवानों की बड़ी भीड़ है जो प्रचार में भाग लेते हैं और जो अपने आचरण से सत्य की अनुशंसा करते हैं। किस दूसरे धार्मिक गुट के पास चालीस लाख से अधिक अवैतनिक स्वयं सेवक हैं जो हर महीने परमेश्वर के राज्य के शासन का सुसमाचार प्रचार करते हैं? निश्चित रूप से, यह इस बात का प्रमाण है कि यहोवा की आत्मा कार्यशील है!—भजन ६८:११; प्रेरितों २:१६-१८; जकर्याह ४:६ से तुलना करें.
वृद्धि में योग देने वाले तत्त्व
१२. क्यों और किस संख्या में लोग सत्य के प्रति अनुक्रिया दिखा रहे हैं?
१२ यह विशाल प्रचार का काम हर साल अनोखे परिणाम ला रहा है। १९९१ में ३,००,००० से अधिक नए गवाहों को पूरी तरह पानी में डुबोकर बपतिस्मा दिया गया। वह प्रति १०० गवाहों की ३,००० से अधिक कलीसियाओं के बराबर है! यह सब किस प्रकार हासिल होता है? याद रखें यीशु ने क्या कहा था: “कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिसने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले; . . . भविष्यद्वक्ताओं के लेखों में यह लिखा है कि वे सब परमेश्वर की ओर से सिखाए हुए होंगे। जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है वह मेरे पास आता है।” इसलिए यह केवल मुनष्यों की मेहनत से ही नहीं कोई व्यक्ति विश्वव्यापी मछुवाही के प्रति अनुक्रिया दिखाता है। यहोवा हृदय को देखता है और उन योग्य जनों को अपनी तरफ़ खींच लेता है।—यूहन्ना ६:४४, ४५; मत्ती १०:११-१३; प्रेरितों १३:४८.
१३, १४. बहुत से गवाहों ने क्या उत्तम मनोवृत्ति दिखाई है?
१३ परन्तु, मानवीय मछुवे वे कर्ता हैं, जिनका प्रयोग यहोवा लोगों को अपने पास खींचने के लिए करता है। इसीलिए, उनका रवैया उन लोगों और उस क्षेत्र के प्रति जहाँ वे मछुवाही करते हैं महत्त्व रखता है। यह देखकर कितना उत्साह होता है कि अधिकांश लोगों ने गलतियों को लिखे पौलुस के शब्दों को हृदय से लगाया है: “हम भले काम करने में हियाव न छोड़ें, क्योंकि यदि हम ढीले न हो, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।”—गलतियों ६:९.
१४ बहुत से विश्वासी गवाह कई दशकों से प्रचार कर रहे हैं और इसके साथ-साथ संसार के परिवर्धनों को ध्यानपूर्वक देख रहे हैं। उन्होंने नात्ज़ीवाद, फ़ासिस्टवाद, और दूसरे सर्वसत्तात्मक व्यवस्था को चढ़ते और गिरते देखा है। कुछ लोग १९१४ से हुए अनेकों युद्धों के गवाह हैं। उन्होंने सांसारिक नेताओं को राष्ट्र संघ और फिर संयुक्त राष्ट्र पर अपनी आशाएँ बाँधते देखा है। उन्होंने यहोवा के काम पर प्रतिबंध लगते और बाद में बहुत से देशों में वैध होते देखा है। इन सब के होते हुए, यहोवा के गवाहों ने भले काम करने में हियाव नहीं छोड़ा, जिस में मनुष्यों के लिए मछुवाही का काम सम्मिलित है। ख़राई का क्या ही श्रेष्ठ कीर्तिमान!—मत्ती २४:१३.
१५. (क) हमारे विश्वव्यापी क्षेत्र की ज़रूरतों के अनुकूल बनने के लिए हमें कैसी सहायता मिली है? (ख) प्रकाशनों ने आपके नियत कार्य में कैसे सहायता की है?
१५ दूसरे तत्त्व भी हैं जिन्होंने इस विश्वव्यापी वृद्धि में योग दिया है। क्षेत्र की ज़रूरतों के प्रति मनुष्यों के मछुवों का लचीला रवैया एक तत्त्व है। अलग-अलग संस्कृतियों, धर्मों, और भाषाओं के लोगों के स्थानान्तरण की वजह से, यहोवा के गवाहों ने इन भिन्न दृष्टिकोणों की अपनी समझ को ज़्यादा स्पष्ट कर लिया है। और विश्वव्यापी कलीसिया ने २०० से अधिक भाषाओं में बाइबल और बाइबल साहित्य तैयार करके बहुत बड़ी सहायता की है। न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन औफ द होली स्क्रिप्चरस्, चेक और स्लोवाक को मिलाते हुए अब पूरी या भागों में, १३ भाषाओं में उपलब्ध है। अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिये! ब्रोशर अल्बेनियन से लेकर ज़ूलू तक अब १९८ भाषाओं में उपलब्ध है और इसकी ७२० लाख प्रतियाँ छपती हैं। द ग्रेटेस्ट मैन हू एवर लिव्ड ६९ भाषाओं में उपलब्ध है। मैनकाइन्डस् सर्च फ़ौर गौड, जो २९ भाषाओं में प्रकाशित है, संसार की प्रधान धार्मिक व्यवस्थाओं की उत्पत्ति और विश्वासों में अंतर्दृष्टि देती है और यह विश्वव्यापी मछुवाही में एक अनन्य सहायक साबित हो रही है।
१६. दूसरे देशों की ज़रूरतों के प्रति कुछ लोगों ने कैसी अनुक्रिया दिखाई है?
१६ और किस वजह से विश्वव्यापी मछुवाही का काम आगे बढ़ा है? हज़ारों ‘मकिदुनिया के बुलावे’ के प्रति अनुक्रिया दिखाने के लिए राज़ी रहे हैं। जिस तरह पौलुस परमेश्वर के बुलावे पर एशिया माइनर से यूरोप में मकिदुनिया जाने को राज़ी था, उसी तरह बहुत से गवाह ऐसे देशों और क्षेत्रों में चले गये हैं जहाँ राज्य प्रचारकों की, और प्राचीनों तथा सहायक सेवकों की ज़्यादा ज़रूरत है। वे शाब्दिक मछुवों की नाईं अपने स्थानीय जलाशयों में अच्छी तरह मछुवाही करने के बाद ऐसे जलाशयों की तरफ़ जाते हैं जहाँ कम नाँवें हों और मछलियाँ बहुतायत में हों।—प्रेरितों १६:९-१२; लूका ५:४-१०.
१७. हमारे पास उनके क्या उदाहरण हैं जिन्होंने ‘मकिदुनिया के बुलावे’ के प्रति अनुक्रिया दिखाई है?
१७ गिलियेड मिशनरी स्कूल की हाल की कक्षाओं में विभिन्न यूरोपीय देशों के छात्र आये हैं जिन्होंने अंग्रेज़ी सीखी है और फिर दूसरे देशों और संस्कृतियों में जाकर काम करने के लिए अपने आप को प्रस्तुत किया है। इसी तरह, मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल के द्वारा, बहुत से अविवाहित भाइयों को दो महीने का एकाग्र प्रशिक्षण दिया जाता है। दूसरी अनन्य मछुवाही की जगह पूर्वी यूरोप और भूतपूर्व सोवियत गणराज्य के वे क्षेत्र हैं जो अब खुल रहे हैं।—रोमियों १५:२०, २१ से तुलना करें.
१८. (क) पायनियर ज़्यादातर प्रभावी सेवक क्यों होते हैं? (ख) वे कलीसिया में दूसरों की सहायता कैसे कर सकते हैं?
१८ विश्वव्यापी मछुवाही के काम में एक और सहायक पायनियर सर्विस स्कूल है, जिस में नियमित पायनियर भाग लेते हैं। शाइनिंग ऐज़ इलुमिनेटरस् इन द वर्ल्ड (Shining as Illuminators in the World) प्रकाशन को, जो ख़ास तौर से पायनियरों के लिए तैयार किया गया है, दो सप्ताहों में अच्छी तरह पूरा किया जाता है। इस में “प्रेम के मार्ग के पीछे लगे रहना,” “यीशु के आदर्श का अनुकरण करो,” और “शिक्षण की कला को विकसित करना” जैसे विषयों पर विचार किया जाता है, जिससे वे अपनी सेवकाई की कुशलता को सुधारते हैं। ये घर-घर जाने वाली योग्य मछुवों की टीमों को पाकर कलीसियाएँ कितनी आभारी हैं क्योंकि ये महान मछुवाही के काम में बहुतों को प्रशिक्षण दे सकती हैं!—मत्ती ५:१४-१६; फिलिप्पियों २:१५; २ तीमुथियुस २:१, २.
क्या हम सुधर सकते हैं?
१९. प्रेरित पौलुस के समान, हम अपनी सेवकाई को कैसे सुधार सकते हैं?
१९ पौलुस की तरह हम भी एक सकारात्मक, प्रगतिशील मनोवृत्ति रखना चाहते हैं। (फिलिप्पियों ३:१३, १४) उसने अपने आप को हर क़िस्म के लोगों और परिस्थितियों के अनुकूल बनाया। वह सामान्य आधार को ढूंढ़ना और स्थानीय मनोवृत्तियों और संस्कृति के आधार पर तर्क करना जानता था। राज्य संदेश के प्रति गृहस्वामी की प्रतिक्रियाओं के प्रति सतर्क रहकर और फिर अपनी प्रस्तुतीकरण को उस व्यक्ति की ज़रूरतों के अनुकूल बनाकर हम बाइबल अध्ययन शुरू कर सकते हैं। उन बाइबल अध्ययन सहायकों में से जो हमारे पास पर्याप्त विविधता में हैं, उस व्यक्ति को वह पेश कर सकते हैं जो उसके नज़रिये से मेल खाता है। हमारा लचीलापन और सर्तकता भी उत्पादनकारी मछुवाही के महत्त्वपर्ण तत्त्व हैं।—प्रेरितों १७:१-४, २२-२८, ३४; १ कुरिन्थियों ९:१९-२३.
२०. (क) हमारा मछुवाही का काम अभी इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? (ख) अभी हमारी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी क्या है?
२० यह अनन्य विश्वव्यापी मछुवाही का काम अभी इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? क्योंकि जो घटनाएं घट चुकी हैं और जो घट रही हैं, उन में प्रतिबिम्बित बाइबल भविष्यद्वाणियों से यह स्पष्ट हो जाता है कि शैतान की सांसारिक व्यवस्था अनर्थकारी चरम पर पहुँच रही है। अतः हमें, यहोवा के गवाहों को क्या करते रहना चाहिए? इस पत्रिका में तीन अध्ययन लेखों ने हमारे हिस्से के विश्वव्यापी जलाशयों में हमारे मछुवाही के काम में परिश्रमी और उत्साही होने की ज़िम्मेदारी को प्रकाशमय किया है। बाइबल से हमें यह ठोस आश्वासन है कि यहोवा हमारे परिश्रमपूर्ण मछुवाही के काम को नहीं भूलेगा। पौलुस ने बताया: “परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिए इस रीति से दिखाया कि पवित्र लोगों की सेवा की और कर भी रहे हो। पर हम बहुत चाहते हैं कि तुम में से हर एक जन अन्त तक पूरी आशा के लिए ऐसा ही प्रयत्न करता रहे।”—इब्रानियों ६:१०-१२.
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रॅक्ट सोसाइटी ऑफ न्यू यॉर्क इंक. द्वारा प्रकाशित रेवॅलेशन—इट्स् ग्रॅन्ड क्लाइमॅक्स ॲट हॅन्ड! (Revelation—Its Grand Climax At Hand!) किताब के पृष्ठ १८५ और १८६ भी देखें।
b “पायनियर पब्लिशर (Pioneer Publisher) . . . यहोवा के गवाहों का एक पूरे समय काम करनेवाला।”—वेब्स्टरस् थर्ड न्यू इंटर्नेशनल डिक्शनरी (Webster’s Third New International Dictionary).
क्या आपको याद है?
▫ यहोवा के गवाह पूरे संसार को अपने मछुवाही के काम के स्थान के रूप में क्यों देखते हैं?
▫ गिलियेड मिशनरी स्कूल मछुवाही के काम में क्या आशीष बना है?
▫ यहोवा के गवाहों की सफलता में योग देने वाले कुछ तत्त्व क्या हैं?
▫ हम व्यक्तिगत रूप से अपनी मसीही सेवकाई में कैसे सुधर सकते हैं?
[पेज 26 पर चार्ट]
अंतर्राष्ट्रीय मछुवाही के परिणाम
वर्ष देश गवाह
१९३९ ६१ ७१,५०९
१९४३ ५४ १,२६,३२९
१९५३ १४३ ५,१९,९८२
१९७३ २०८ १७,५८,४२९
१९८३ २०५ २६,५२,३२३
१९९१ २११ ४२,७८,८२०
[पेज 27 पर तसवीरें]
गलीली मछुआरों के बीच अभी भी गवाही का काम हो रहा है