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महान शिक्षक से सीखिए
lr अध्या. 6 पेज 37-41

पाठ 6

महान शिक्षक ने दूसरों की सेवा की

जब कोई आपके लिए अच्छा काम करता है तो आपको कैसा लगता है? आपको खुशी होती है ना?— दूसरे लोगों को भी खुशी होती है जब कोई उनके लिए अच्छा काम करता है। हम सभी को खुशी होती है। यह बात महान शिक्षक यीशु भी जानता था, इसलिए वह हमेशा लोगों के लिए अच्छे काम करता था। उसने कहा: ‘मैं अपनी सेवा करवाने नहीं, बल्कि सेवा करने आया हूँ।’—मत्ती 20:28.

यीशु गौर करता है कि उसके दो चेले आपस में बहस कर रहे हैं

यीशु के चेले किस बात पर बहस कर रहे थे?

अगर हम महान शिक्षक की तरह बनना चाहते हैं तो हमें क्या करना चाहिए?— हमें दूसरों की सेवा करनी चाहिए। हमें उनके लिए अच्छे काम करने चाहिए। यह सच है कि बहुत-से लोग ऐसा नहीं करते। ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि दूसरे उनकी सेवा करें। एक समय था जब यीशु के चेले भी ऐसा ही महसूस करते थे। हर चेला एक-दूसरे से बड़ा बनना चाहता था।

एक दिन यीशु अपने चेलों के साथ गलील झील के पास कफरनहूम शहर जा रहा था। शहर में वे सब एक घर में गए। वहाँ यीशु ने उनसे पूछा: “तुम रास्ते में किस बात को लेकर झगड़ रहे थे?” वे चुप रहे, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि रास्ते में वे इस बात पर झगड़ रहे थे कि उनमें सबसे बड़ा कौन है।—मरकुस 9:33, 34.

यीशु जानता था कि उसके चेलों का यह सोचना सही नहीं है कि वे ही सबसे बड़े हैं। पता है तब उसने क्या किया? जैसा कि हमने इस किताब के पहले पाठ में देखा, उसने एक छोटे बच्चे को चेलों के बीच खड़ा किया और उनसे कहा कि उन्हें इस बच्चे की तरह बनना चाहिए। लेकिन इसके बाद भी चेलों ने सबक नहीं सीखा। इसलिए यीशु ने अपनी मौत से पहले उन्हें एक ऐसा सबक सिखाया जिसे वे कभी नहीं भूलते। उसने क्या किया?—

जब सब लोग खाना खाने के लिए बैठे, तब यीशु उठा और एक तौलिया लेकर अपनी कमर पर बाँध लिया। फिर उसने एक बरतन में पानी भरा। उसके चेलों ने सोचा होगा कि आखिर वह क्या करनेवाला है। वे यह सोच ही रहे थे कि यीशु एक-एक कर सबके पास गया। उसने झुककर उनके पाँव धोए। फिर उसने तौलिए से उनके पाँव पोंछे। ज़रा इस बारे में सोचिए, अगर आप वहाँ होते तो क्या करते? आपको कैसा लगता?—

यीशु अपने चेलों के पैर धोता है

यीशु अपने चेलों को कौन-सा सबक सिखा रहा है?

उसके चेलों को लगा कि महान शिक्षक का इस तरह उनके पैर धोना और उनकी सेवा करना सही नहीं है। उन्हें खुद पर बहुत शर्म आयी। पतरस ने सोच लिया था कि वह यीशु को अपने पैर नहीं धोने देगा, क्योंकि यह बहुत छोटा काम था। लेकिन यीशु ने कहा, मेरा ऐसा करना ज़रूरी है।

आज हम अकसर एक-दूसरे के पैर नहीं धोते। लेकिन यीशु जब इस धरती पर था, उस ज़माने में ऐसा किया जाता था। जानते हो क्यों?— यीशु और उसके चेले जहाँ रहते थे, वहाँ लोग सैंडिल पहना करते थे। जब वे धूल-भरी सड़कों पर चलते थे तो उनके पैरों पर धूल जम जाती थी। ऐसे में जब कोई मेहमान घर पर आता, तो उसके पैर धोना अच्छा माना जाता था।

लेकिन इस मौके पर यीशु के एक भी चेले ने दूसरों के पैर नहीं धोए। इसलिए यीशु ने खुद सबके पैर धोए। ऐसा करके यीशु ने अपने चेलों को एक बहुत ज़रूरी सबक सिखाया। उन्हें यह सबक सीखने की ज़रूरत थी। और आज हमें भी यह सबक सीखने की ज़रूरत है।

जानते हो वह क्या सबक था?— चेलों के पैर धोने के बाद यीशु अपनी जगह पर आकर बैठ गया। फिर उसने कहा: “क्या तुम जानते हो कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है? तुम मुझे ‘गुरु’ और ‘प्रभु’ पुकारते हो और तुम ठीक कहते हो, क्योंकि मैं वही हूँ। इसलिए, अगर मैंने प्रभु और गुरु होते हुए भी तुम्हारे पैर धोए हैं, तो तुम्हें भी एक-दूसरे के पैर धोने चाहिए।”—यूहन्‍ना 13:2-14.

दो औरतें खाना बना रही हैं और एक बच्चा उनके पास एक हाँडी लाता है

आप किस तरह दूसरों की मदद कर सकते हो?

महान शिक्षक यीशु अपने चेलों को सिखाना चाहता था कि उन्हें एक-दूसरे की सेवा करनी चाहिए। वह नहीं चाहता था कि उसके चेले सिर्फ अपने बारे में सोचें और यह सोचें कि वे इतने खास हैं कि दूसरों को हमेशा उनकी सेवा करनी चाहिए। वह चाहता था कि उसके चेले दूसरों की सेवा करने के लिए हरदम तैयार रहें।

कितना बढ़िया सबक, है ना?— क्या आप महान शिक्षक की तरह बनोगे और दूसरों की सेवा करोगे?— हम सब दूसरों के लिए कुछ-न-कुछ कर सकते हैं। इससे उन्हें खुशी होगी। लेकिन सबसे बढ़कर यीशु और उसके पिता को खुशी होगी।

बच्चे घर साफ करने में अपनी मम्मी की मदद करते हैं

दूसरों की सेवा करना मुश्‍किल नहीं है। अगर आप ध्यान दो, तो पाओगे कि आप दूसरों के लिए बहुत कुछ कर सकते हो। अब ज़रा सोचिए: क्या घर के कामों में आप अपनी मम्मी का हाथ बँटा सकते हो? आप अच्छी तरह जानते हो कि मम्मी आपके और पूरे परिवार के लिए कितना काम करती है। क्या आप उसकी मदद कर सकते हो?— क्यों न आप मम्मी से पूछो कि उसे क्या मदद चाहिए?

आप सबके लिए मेज़ पर खाना लगा सकते हो। जब सब लोग खाना खा लेते हैं, तो आप मेज़ से जूठे बरतन उठा सकते हो। कुछ बच्चे हर दिन घर में झाड़ू लगाते हैं और कूड़ा फेंक कर आते हैं। आप इस तरह के जो भी काम करते हो, उससे आप दूसरों की सेवा कर रहे होते हो। ठीक जैसे यीशु ने की थी।

एक लड़का बिस्तर बनाने में अपने छोटे भाई की मदद करता है

क्या आपके छोटे भाई-बहन हैं? आप उनकी भी मदद कर सकते हो। याद कीजिए महान शिक्षक यीशु ने अपने चेलों की सेवा की थी। जब आप अपने छोटे भाई-बहनों की सेवा करते हो तो आप यीशु के जैसे काम कर रहे होते हो। आप उनके लिए क्या कर सकते हो?— आप उन्हें सिखा सकते हो कि खेलने के बाद उन्हें खिलौने वापस अपनी जगह पर रखने चाहिए। आप तैयार होने में या बिस्तर बनाने में उनकी मदद कर सकते हो। क्या आप किसी और तरीके से उनकी मदद कर सकते हो?— अगर आप इस तरह उनकी मदद करो तो वे आपसे प्यार करने लगेंगे, ठीक जैसे यीशु के चेले उससे प्यार करते थे।

स्कूल में भी आप दूसरों की मदद कर सकते हो, जैसे अपने दोस्तों या टीचरों की। अगर किसी के हाथ से किताबें गिर जाती हैं तो आप उन्हें उठाने में उसकी मदद कर सकते हो। आप अपने टीचर के लिए ब्लैक-बोर्ड साफ कर सकते हो या किसी और तरीके से उनकी मदद कर सकते हो। अगर कोई आ रहा है तो उसके लिए दरवाज़ा खोलना भी दूसरों की सेवा करने में शामिल है।

एक लड़का अपने टीचर के लिए ब्लैकबोर्ड पोंछता है; एक लड़की एक औरत के लिए घर का सामान लाती है जो चल-फिर नहीं पाती

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जब हम लोगों की मदद करते हैं, तो वे हमें धन्यवाद नहीं कहते। क्या इस वजह से हमें दूसरों की सेवा करनी छोड़ देनी चाहिए?— नहीं, बिलकुल नहीं! यीशु को भी कई लोगों ने उसके कामों के लिए धन्यवाद नहीं दिया। लेकिन इस वजह से उसने अच्छे काम करने बंद नहीं किए।

इसलिए आइए हम दूसरों की सेवा करने से कभी पीछे न हटें। हमेशा महान शिक्षक यीशु को याद रखें और उसके जैसा बनने की कोशिश करें।

दूसरों की मदद करना क्यों ज़रूरी है, इस बारे में जानने के लिए नीतिवचन 3:27, 28; रोमियों 15:1, 2 और गलातियों 6:2 पढ़िए।

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