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  • यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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    यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
jy अध्या. 119 पेज 274-पेज 275 पैरा. 6
यीशु अपने 11 वफादार प्रेषितों के साथ ऊपरवाले कमरे में है

अध्याय 119

यीशु—राह, सच्चाई, जीवन

यूहन्‍ना 14:1-31

  • यीशु चेलों को लिए जगह तैयार करने जा रहा है

  • एक मददगार भेजने का वादा

  • पिता यीशु से बड़ा है

स्मारक का भोज हो चुका है। यीशु प्रेषितों के साथ अभी-भी ऊपरवाले कमरे में है। वह उनकी हिम्मत बँधाने के लिए कहता है, “तुम्हारे दिल दुख से बेहाल न हों। परमेश्‍वर पर विश्‍वास करो और मुझ पर भी विश्‍वास करो।”—यूहन्‍ना 13:36; 14:1.

यीशु प्रेषितों को बताता है कि वह जा रहा है, फिर भी उन्हें क्यों दुखी नहीं होना है: “मेरे पिता के घर में रहने की बहुत-सी जगह हैं: . . . जब मैं जाकर तुम्हारे लिए जगह तैयार करूँगा, तो मैं दोबारा आऊँगा और तुम्हें अपने घर ले जाऊँगा ताकि जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम भी रहो।” यीशु दरअसल कह रहा है कि वह स्वर्ग जा रहा है, लेकिन प्रेषित इस बात को समझ नहीं पाते। थोमा पूछता है, “प्रभु, हम नहीं जानते कि तू कहाँ जा रहा है। तो फिर हम वहाँ की राह कैसे जानें?”—यूहन्‍ना 14:2-5.

यीशु जवाब देता है, “मैं ही वह राह, सच्चाई और जीवन हूँ।” इसका मतलब यह है कि यीशु पर विश्‍वास करने, उसकी शिक्षाओं को मानने और उसके जैसी ज़िंदगी जीने से ही एक इंसान उसके पिता के पास स्वर्ग जा सकेगा। यीशु कहता है, “कोई भी पिता के पास नहीं आ सकता, सिवा उसके जो मेरे ज़रिए आता है।”—यूहन्‍ना 14:6.

फिलिप्पुस कहता है, “प्रभु, हमें पिता दिखा दे, यही हमारे लिए काफी है।” फिलिप्पुस शायद चाहता है कि उन्हें परमेश्‍वर का कोई दर्शन दिखाया जाए जैसे मूसा, एलियाह और यशायाह ने देखा था। लेकिन असल में चेलों को किसी दर्शन की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि उन्होंने कुछ ऐसा देखा है जो दर्शन से कहीं बेहतर है। यीशु कहता है, “फिलिप्पुस, मैं इतने समय से तुम लोगों के साथ हूँ और फिर भी तू मुझे नहीं जान पाया? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को भी देखा है।” यीशु ने बिलकुल वही गुण दर्शाए जो उसके पिता में हैं। प्रेषित अब तक यीशु के साथ रहे हैं और उन्होंने उसे करीब से देखा है। यह पिता को देखने के बराबर है। पर यह भी सच है कि पिता यीशु से बड़ा है। यीशु कहता है, “मैं जो बातें तुमसे कहता हूँ वे अपनी तरफ से नहीं कहता।” (यूहन्‍ना 14:8-10) उसने जो भी सिखाया है वह उसके पिता का सिखाया हुआ है।

प्रेषितों ने देखा है कि यीशु ने कैसे चमत्कार किए हैं और राज की खुशखबरी लोगों को बतायी है। वह उनसे कहता है, “जो मुझ पर विश्‍वास करता है, वह भी वे काम करेगा जो मैं करता हूँ बल्कि इनसे भी बड़े-बड़े काम करेगा क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ।” (यूहन्‍ना 14:12) इसका यह मतलब नहीं कि चेले उससे भी बड़े-बड़े चमत्कार करेंगे। मगर वे उससे भी ज़्यादा समय तक और उससे भी बड़े इलाके में प्रचार करेंगे और उससे भी ज़्यादा लोगों को प्रचार करेंगे।

यीशु के जाने के बाद प्रेषित बेसहारा नहीं हो जाएँगे। वह उनसे वादा करता है, “अगर तुम मेरे नाम से कुछ माँगोगे, तो मैं वह करूँगा। मैं पिता से बिनती करूँगा और वह तुम्हें एक और मददगार देगा जो हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा यानी सच्चाई की पवित्र शक्‍ति।” (यूहन्‍ना 14:14, 16, 17) चेलों को पवित्र शक्‍ति मिलेगी और यह उनके लिए मददगार जैसी होगी। यीशु का वादा पिन्तेकुस्त के दिन पूरा हुआ। उस दिन उन्हें पवित्र शक्‍ति दी गयी।

यीशु कहता है, “थोड़ी देर और है, फिर दुनिया मुझे कभी नहीं देखेगी मगर तुम मुझे देखोगे क्योंकि मैं जीवित हूँ और तुम भी जीओगे।” (यूहन्‍ना 14:19) यीशु जब अपनी मौत के बाद ज़िंदा होगा, तो वह इंसान का शरीर धारण करके उन्हें दिखायी देगा। और जब प्रेषितों को उनकी मौत के बाद स्वर्ग में ज़िंदा किया जाएगा, तो वे अदृश्‍य प्राणी बनेंगे और फिर से यीशु को देखेंगे।

फिर यीशु कहता है, “जिसके पास मेरी आज्ञाएँ हैं और जो उन्हें मानता है, वही मुझसे प्यार करता है। जो मुझसे प्यार करता है उससे मेरा पिता प्यार करेगा और मैं भी उससे प्यार करूँगा और अपने आपको उस पर खुलकर ज़ाहिर करूँगा।” तब प्रेषित यहूदा, जिसका एक और नाम तद्दी है, पूछता है, “प्रभु, क्या वजह है कि तू अपने आपको हम पर तो खुलकर ज़ाहिर करना चाहता है मगर दुनिया पर नहीं?” यीशु कहता है, ‘अगर कोई मुझसे प्यार करता है, तो वह मेरे वचन पर चलेगा और मेरा पिता उससे प्यार करेगा। जो मुझसे प्यार नहीं करता वह मेरे वचनों पर नहीं चलता।’ (यूहन्‍ना 14:21-24) दुनिया के लोग यीशु के चेलों की तरह नहीं हैं। वे नहीं मानते कि यीशु ही राह, सच्चाई और जीवन है।

यीशु के जाने के बाद चेले वे सभी बातें कैसे याद कर पाएँगे जो उसने उन्हें सिखायी हैं? यीशु बताता है, “वह मददगार यानी पवित्र शक्‍ति जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, तुम्हें सारी बातें सिखाएगा और जितनी बातें मैंने तुम्हें बतायी हैं वे सब तुम्हें याद दिलाएगा।” यह बात सुनकर उन्हें बहुत हिम्मत मिली होगी, क्योंकि उन्होंने खुद देखा था कि पवित्र शक्‍ति ज़बरदस्त तरीके से काम करती है। यीशु एक और बात कहता है, “जो शांति मैं देता हूँ वह मैं तुम्हारे पास छोड़कर जा रहा हूँ। . . . तुम्हारे दिल दुख से बेहाल न हों, न ही वे डर के मारे कमज़ोर पड़ें।” (यूहन्‍ना 14:26, 27) यीशु का पिता उन्हें निर्देश देगा कि उन्हें आगे क्या करना है। वह उनकी रक्षा भी करेगा। इसलिए उन्हें डरने की ज़रूरत नहीं है।

चेले बहुत जल्द देखेंगे कि परमेश्‍वर कैसे अपने लोगों को बचाता है। यीशु कहता है, “इस दुनिया का राजा आ रहा है और मुझ पर उसका कोई ज़ोर नहीं चलता।” (यूहन्‍ना 14:30) यीशु पर शैतान का कोई ज़ोर नहीं चलेगा जैसा यहूदा इस्करियोती पर चल गया था। यीशु में पाप करने की कमज़ोरी नहीं है, इसलिए शैतान उसका फायदा उठाकर उससे परमेश्‍वर के खिलाफ काम नहीं करवा सकता। जब यीशु की मौत होगी, तब भी उस पर शैतान का ज़ोर नहीं चलेगा। क्यों? यीशु बताता है, “मैं ठीक वैसा ही करता हूँ जैसा पिता ने मुझे आज्ञा दी है।” उसे पूरा भरोसा है कि जब उसकी मौत होगी, तो उसका पिता उसे ज़िंदा कर देगा।—यूहन्‍ना 14:31.

  • यीशु कहाँ जा रहा है? वह थोमा से वहाँ जाने की राह के बारे में क्या कहता है?

  • फिलिप्पुस शायद क्या चाहता है?

  • इसका क्या मतलब है कि चेले उससे भी बड़े-बड़े काम करेंगे?

  • पिता यीशु से बड़ा है, इसलिए यीशु को किस बात का भरोसा है?

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