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  • यहोवा पूरी रीति से क्षमा करता है

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  • यहोवा पूरी रीति से क्षमा करता है
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1993
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यहोवा पूरी रीति से क्षमा करता है

“दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, . . . वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।”—यशायाह ५५:७.

१. यहोवा की क्षमा के प्राप्तिकर्ताओं को अब किस बात की आशीष मिल रही है?

यहोवा पश्‍चात्तापी अपराधियों को क्षमा करता है और अब उन्हें एक आध्यात्मिक परादीस में मन की शान्ति का आनन्द प्राप्त करने में समर्थ करता है। यह इसलिए है क्योंकि वे इन माँगों को पूरा करते हैं: “जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो; दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्‍वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।”—यशायाह ५५:६, ७.

२. (क) यशायाह ५५:६, ७ में लिखित ‘यहोवा की खोज करना’ और ‘उसकी ओर फिरना’ का क्या अर्थ है? (ख) बाबुल में यहूदी निर्वासितों को यहोवा की ओर फिरने की आवश्‍यकता क्यों थी, और उन में से कुछेक के साथ क्या हुआ?

२ ‘यहोवा की खोज’ करने और स्वीकृति के साथ उसे पुकारने के लिए, एक दुष्ट व्यक्‍ति को अपना ग़लत चालचलन और दूसरों को हानि पहुँचाने का कोई भी विचार छोड़ना ही होगा। ‘यहोवा की ओर फिरने’ की आवश्‍यकता यह संकेत करती है कि अपराधी ने परमेश्‍वर को छोड़ दिया, जिसके साथ उसका कभी एक घनिष्ठ सम्बन्ध था। यही यहूदा के निवासियों के साथ हुआ, जिनका परमेश्‍वर के साथ विश्‍वासघात करना अंततः उन्हें बाबुल में निर्वासन की ओर ले गया। यहूदी निर्वासितों को उन अपराधों का पश्‍चात्ताप करके यहोवा की ओर फिरने की आवश्‍यकता थी, जिनके कारण वे बाबुल की बन्धुवाई में गए और उनके स्वदेश का भविष्यकथित ७०-वर्ष का उजाड़ हुआ। सा.यु.पू. ५३७ में, सरकारी आज्ञप्ति के द्वारा बाबुल से मुक्‍त किए गए यहूदियों के शेष जनों ने उस देश को पुनःअधिकृत किया। (एज्रा १:१-८; दानिय्येल ९:१-४) उस पुनःस्थापना के परिणाम इतने महान थे कि यहूदा के देश की तुलना अदन के परादीस के साथ की गयी।—यहेजकेल ३६:३३-३६.

३. कैसे आध्यात्मिक इस्राएल के शेष जनों को वैसा ही अनुभव हुआ जैसे परमेश्‍वर का भय माननेवाले उन निर्वासितों के साथ हुआ था जो यहूदा से लौटे?

३ आध्यात्मिक इस्राएलियों को वैसा ही अनुभव हुआ है जैसे परमेश्‍वर का भय माननेवाले यहूदियों को हुआ था, जो बाबुल के निर्वासन के बाद यहूदा को लौटे। (गलतियों ६:१६) प्रथम विश्‍व-युद्ध के तुरंत बाद आध्यात्मिक इस्राएल के शेष जनों ने अपने चालचलन और विचारों में कुछ परिवर्तन किए। झूठे धर्मों का विश्‍व साम्राज्य, बड़ी बाबुल, के क्षेत्र में परमेश्‍वर के पूर्ण अनुग्रह से उनके निर्वासन के अन्त को वर्ष १९१९ ने चिह्नित किया। क्योंकि उन्होंने मनुष्य का भय और यहोवा की सेवा में निष्क्रियता से सम्बन्धित पापों का पश्‍चात्ताप किया, उसने उन्हें बड़ी बाबुल से मुक्‍त किया, उन्हें उनकी वैधानिक आध्यात्मिक अवस्था में वापस लाया, और राज्य संदेश प्रचार करने के लिए उनका प्रयोग पुनरारंभ किया। तब से, उसके पवित्र नाम की महिमा के लिए, परमेश्‍वर के लोगों के बीच में एक आध्यात्मिक परादीस विकसित हुआ है। (यशायाह ५५:८-१३) तो फिर, प्राचीन आदिप्ररूप और आधुनिक प्रतिप्ररूप में हमारे पास स्पष्ट प्रमाण है कि आशीषें ईश्‍वरीय क्षमा के बाद प्राप्त होती हैं और यहोवा सचमुच पश्‍चात्तापियों को पूरी रीति से क्षमा करता है।

४. यहोवा के कई सेवकों को कौनसा डर है?

४ अतः यहोवा के वर्तमान-दिन के सेवक उसकी क्षमाशीलता में भरोसा कर सकते हैं। फिर भी, उन में से कई जन पिछली ग़लतियों के विषय में निराश हैं, और दोष की भावनाएं उन्हें लगभग कुचल डालती हैं। वे स्वयं को आध्यात्मिक परादीस में बसने के योग्य नहीं समझते हैं। वस्तुतः, कई डरते हैं कि उन्होंने अक्षम्य पाप किया है और कभी भी यहोवा की क्षमा प्राप्त नहीं करेंगे। क्या यह संभव है?

कई पाप अक्षम्य

५. यह क्यों कहा जा सकता है कि कई पाप अक्षम्य हैं?

५ कई पाप अक्षम्य होते हैं। यीशु मसीह ने कहा: “मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाएगी, पर आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी।” (मत्ती १२:३१) सो, इसलिए, परमेश्‍वर की आत्मा, या सक्रिय शक्‍ति, के विरुद्ध निन्दा क्षमा नहीं की जाएगी। प्रेरित पौलुस ने ऐसे पाप की ओर संकेत किया जब उसने लिखा: “जिन्होंने एक बार ज्योति पाई है, . . . यदि वे भटक जाएं; तो उन्हें मन फिराव के लिये फिर नया बनाना अन्होना है; क्योंकि वे परमेश्‍वर के पुत्र को अपने लिये फिर क्रुस पर चढ़ाते हैं और प्रगट में उस पर कलंक लगाते हैं।”—इब्रानियों ६:४-६.

६. क्या चीज़ निर्धारित करती है कि एक पाप क्षम्य है या नहीं?

६ केवल परमेश्‍वर जानता है कि एक व्यक्‍ति ने अक्षम्य पाप किया है या नहीं। फिर भी, पौलुस ने इस विषय पर प्रकाश डाला जब उसने लिखा: “सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं। हां, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना . . . बाकी है।” (इब्रानियों १०:२६, २७) एक हठधर्मी व्यक्‍ति जानबूझकर कार्य करता है, या “हठपूर्वक और अकसर विकृतता से हठी” है। (वेब्‌स्टर्स्‌ न्यू कॉलेजियेट डिक्शनरि, Webster’s New Collegiate Dictionary) किसी भी व्यक्‍ति को जो सच्चाई जानने के बाद जानबूझकर और हठपूर्वक पाप करता रहता है, क्षमा नहीं किया जाता। इसलिए, पाप स्वयं इतना नहीं जितना कि हृदय की स्थिति, कितनी मात्रा में हठ सम्मिलित है, इस बात पर प्रभाव डालती है कि पाप क्षम्य है या नहीं। दूसरी ओर, जब एक ग़लती करनेवाला मसीही अपने अपराध के विषय में अति अशांत है तब उस मामले में क्या संभव है? संभवतः उसकी बड़ी चिन्ता संकेत करती है कि उसने, वस्तुतः, अक्षम्य पाप नहीं किया है।

उनके पाप अक्षम्य थे

७. हम क्यों कह सकते हैं कि यीशु के कई धार्मिक विरोधियों ने अक्षम्य पाप किया था?

७ यीशु का विरोध करनेवाले कई यहूदी धार्मिक नेताओं ने ज्ञानकृत, और इस प्रकार अक्षम्य, पाप किया था। चाहे उन्होंने परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा को यीशु के द्वारा कार्य करते हुए देखा, जब उसने भला किया और चमत्कार किए, उन धर्मशासकों ने उसकी शक्‍ति का श्रेय बालजबूल, या शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस को दिया। परमेश्‍वर की आत्मा के असंदिग्ध कार्य को देखते हुए उन्होंने पाप किया। इस प्रकार, उन्होंने अक्षम्य पाप किया, क्योंकि यीशु ने कहा: “जो कोई पवित्र-आत्मा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न परलोक में क्षमा किया जाएगा।”—मत्ती १२:२२-३२.

८. यहूदा इस्करियोती का पाप अक्षम्य क्यों था?

८ यहूदा इस्करियोती का पाप भी अक्षम्य था। उसने यीशु के साथ जानबूझकर, सुविचारित विश्‍वासघात किया, जो उसके पाखण्ड और बेईमानी के मार्ग का चरम था। उदाहरण के लिए, जब यहूदा ने मरियम को बहुमोल इत्र से यीशु को अभिषेक करते हुए देखा, तब उसने पूछा: “यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर कंगालों को क्यों न दिया गया?” प्रेरित यूहन्‍ना ने आगे कहा: “[यहूदा] ने यह बात इसलिये न कही, कि उसे कंगालों की चिन्ता थी, परन्तु इसलिये कि वह चोर था और उसके पास उन की थैली रहती थी, और उस में जो कुछ डाला जाता था, वह निकाल लेता था।” उसके तुरंत बाद, यहूदा ने चान्दी के ३० सिक्कों के लिए यीशु के साथ विश्‍वासघात किया। (यूहन्‍ना १२:१-६; मत्ती २६:६-१६) सच है, यहूदा ने पछतावा महसूस किया और आत्महत्या कर ली। (मत्ती २७:१-५) लेकिन उसे क्षमा नहीं किया गया क्योंकि उसके सुविचारित, हठीले स्वार्थी मार्ग और उसके विश्‍वासघाती कार्य ने पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप प्रतिबिम्बित किया। कितना उचित है कि यीशु ने यहूदा को ‘विनाश का पुत्र’ कहा!—यूहन्‍ना १७:१२; मरकुस ३:२९; १४:२१.

उनके पाप क्षमा किए गए

९. परमेश्‍वर ने बतशेबा के सम्बन्ध में दाऊद के पापों को क्यों क्षमा किया?

९ जानबूझकर किए गए पाप और उन लोगों की ग़लतियों में स्पष्ट विषमता है जिन्हें परमेश्‍वर ने क्षमा किया है। इस्राएल के राजा दाऊद का उदाहरण लीजिए। उसने ऊरिय्याह की पत्नी, बतशेबा, के साथ परस्त्रीगमन किया और बाद में योआब के द्वारा चाल चलवा कर युद्ध में ऊरिय्याह की मृत्यु करवाई। (२ शमूएल ११:१-२७) परमेश्‍वर ने दाऊद को क्यों दया दिखाई? मुख्यतया राज्य वाचा के कारण परन्तु दाऊद की अपनी दयालुता और उसके वास्तविक पश्‍चात्ताप के कारण भी।—१ शमूएल २४:४-७; २ शमूएल ७:१२; १२:१३.

१०. जबकि पतरस ने गंम्भीरता से पाप किया, परमेश्‍वर ने उसे क्यों क्षमा किया?

१० प्रेरित पतरस पर भी विचार कीजिए। उसने यीशु को बार-बार अस्वीकार करके गम्भीर रूप से पाप किया। परमेश्‍वर ने पतरस को क्यों क्षमा किया? यहूदा इस्करियोती से भिन्‍न, परमेश्‍वर और यीशु की सेवा में पतरस ईमानदार रहा था। इस प्रेरित का पाप शारीरिक कमज़ोरी के कारण था, और वह वास्तव में पश्‍चात्तापी था और ‘फूट फूट कर रोया।’—मत्ती २६:६९-७५.

११. आप “पश्‍चात्ताप” को कैसे परिभाषित करेंगे, और यदि एक व्यक्‍ति वास्तव में पश्‍चात्तापी है तो उसे क्या करना चाहिए?

११ पूर्ववर्ती उदाहरण दिखाते हैं कि घोर पाप करनेवाला व्यक्‍ति भी यहोवा परमेश्‍वर से क्षमा प्राप्त कर सकता है। लेकिन क्षमा प्राप्त करने के लिए कौनसी अभिवृत्ति की आवश्‍यकता है? यदि परमेश्‍वर से एक ग़लती करनेवाला मसीही क्षमा प्राप्त करना चाहता है तो सच्चा पश्‍चात्ताप अत्यावश्‍यक है। पश्‍चात्ताप करने का अर्थ है “पिछले अपराधों के लिए पश्‍चात्ताप के कारण पाप से मुँह मोड़ना” या “ख़ुद के किए या करने में असफल हुए कार्य के लिए खेद या परिशोक महसूस करना।” (वेब्‌स्टर्स्‌ थर्ड न्यू इंटर्नेशनल डिक्शनरि, Webster’s Third New International Dictionary) अपने पाप द्वारा यहोवा के नाम और संगठन पर लायी गयी कोई भी निन्दा, दुःख, या समस्या के लिए एक वास्तव में पश्‍चात्तापी व्यक्‍ति पश्‍चात्ताप दिखाएगा। पश्‍चात्तापी अपराधी पश्‍चात्ताप के योग्य कार्य करते हुए, अनुकूल फल भी उत्पन्‍न करेगा। (मत्ती ३:८; प्रेरितों २६:२०) उदाहरण के लिए, यदि उसने किसी को ठगा है, तो वह नुक़सान की क्षतिपूर्ति करने के लिए उचित क़दम उठाएगा। (लूका १९:८) ऐसे पश्‍चात्तापी मसीही के पास विश्‍वास करने के ठोस शास्त्रीय कारण हैं कि यहोवा पूरी रीति से क्षमा करेगा। ये कारण क्या हैं?

परमेश्‍वर की क्षमा में विश्‍वास करने के लिए कारण

१२. किस चीज़ के आधार पर भजन २५:११ संकेत करता है कि एक पश्‍चात्तापी व्यक्‍ति क्षमा के लिए प्रार्थना कर सकता है?

१२ यहोवा के नाम के आधार पर एक पश्‍चात्तापी अपराधी क्षमा के लिए विश्‍वास के साथ प्रार्थना कर सकता है। दाऊद ने विनती की: “हे यहोवा अपने नाम के निमित्त मेरे अधर्म को जो बहुत हैं क्षमा कर।” (भजन २५:११) अपराधी द्वारा परमेश्‍वर के नाम पर लायी गयी कोई भी निन्दा के लिए पश्‍चात्ताप के साथ-साथ ऐसी प्रार्थना को भी भविष्य में घोर पाप के प्रति अवरोधक का काम देना चाहिए।

१३. ईश्‍वरीय क्षमा में प्रार्थना कौनसी भूमिका अदा करती है?

१३ यहोवा परमेश्‍वर अपने ग़लती करनेवाले लेकिन पश्‍चात्तापी सेवकों की हार्दिक प्रार्थनाओं का ऊत्तर देता है। उदाहरण के लिए, यहोवा ने दाऊद की सुनी-अनसुनी नहीं की, जिसने बतशेबा के सम्बन्ध में अपने पापों की अतिदुष्टता को महसूस करने के बाद हृदय से प्रार्थना की। वस्तुतः, भजन ५१ में दाऊद के शब्द अनेक प्रार्थियों की भावनाओं को अभिव्यक्‍त करते हैं। उसने विनती की: “हे परमेश्‍वर, अपनी करुणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे। मुझे भली भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर! टूटा मन परमेश्‍वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्‍वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।”—भजन ५१:१, २, १७.

१४. शास्त्रवचन कैसे आश्‍वासन प्रदान करते हैं कि परमेश्‍वर उन व्यक्‍तियों को क्षमा करता है जो यीशु के छुड़ौती बलिदान में विश्‍वास करते हैं?

१४ यीशु की छुड़ौती बलिदान में विश्‍वास करनेवालों को परमेश्‍वर क्षमा करता है। पौलुस ने लिखा: ‘हम को उस में उसके लोहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात्‌ अपराधों की क्षमा, . . . मिली है।’ (इफिसियों १:७) समरूप अर्थ के साथ, प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखा: “हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात्‌ धार्मिक यीशु मसीह। और वही हमारे पापों का प्रायश्‍चित्त है: और केवल हमारे ही नहीं, बरन सारे जगत के पापों का भी।”—१ यूहन्‍ना २:१, २.

१५. परमेश्‍वर की दया का आनन्द निरन्तर लेते रहने के लिए, एक पश्‍चात्तापी पापी को क्या करना चाहिए?

१५ यहोवा की दया एक पश्‍चात्तापी अपराधी को विश्‍वास करने का आधार देती है कि उसे क्षमा किया जा सकता है। नहेमायाह ने कहा: “तू क्षमा करनेवाला अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से कोप करनेवाला, और अतिकरुणामय ईश्‍वर है।” (नहेमायाह ९:१७; निर्गमन ३४:६, ७ से तुलना कीजिए.) निःसंदेह, ईश्‍वरीय दया का आनन्द निरन्तर लेते रहने के लिए, पापी को परमेश्‍वर के नियम पर चलने का प्रयास करना चाहिए। जैसे भजनकार ने कहा, “तेरी दया मुझ पर हो, तब मैं जीवित रहूंगा; क्योंकि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूं। हे यहोवा, तेरी दया तो बड़ी है; इसलिये अपने नियमों के अनुसार मुझे जिला।”—भजन ११९:७७, १५६.

१६. इस तथ्य में क्या सांत्वना है कि यहोवा हमारी पापमय स्थिति को ध्यान में रखता है?

१६ यहोवा हमारी पापमय स्थिति को ध्यान में रखता है, इस तथ्य से भी एक पश्‍चात्तापी अपराधी को विश्‍वास के साथ प्रार्थना करने के लिए सांत्वना और कारण मिलता है कि परमेश्‍वर उसे क्षमा करेगा। (भजन ५१:५; रोमियों ५:१२) भजनकार दाऊद ने सांत्वना देनेवाला आश्‍वासन दिया जब उसने घोषित किया: “उस [यहोवा परमेश्‍वर] ने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है। जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करुणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है। उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उस ने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है। जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है। क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही हैं।” (भजन १०३:१०-१४) जी हाँ, हमारा स्वर्गीय पिता एक मानव जनक से भी ज़्यादा दयालु और करुणामय है।

१७. एक व्यक्‍ति का परमेश्‍वर के प्रति वफ़ादार सेवा के पिछले रिकार्ड का क्षमा के साथ क्या सम्बन्ध है?

१७ एक पश्‍चात्तापी पापी इस विश्‍वास के साथ क्षमा के लिए प्रार्थना कर सकता है कि यहोवा उसकी वफ़ादार सेवा के पिछले रिकार्ड को नज़रअंदाज़ नहीं करेगा। नहेमायाह अपने पाप की क्षमा के लिए निवेदन नहीं कर रहा था, लेकिन उसने यह कहा: “हे मेरे परमेश्‍वर! मेरे हित के लिये मुझे स्मरण कर।” (नहेमायाह १३:३१) एक पश्‍चात्तापी मसीही इन शब्दों में सांत्वना प्राप्त कर सकता है: “परमेश्‍वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये . . . दिखाया।”—इब्रानियों ६:१०.

प्राचीनों से सहायता

१८. यदि एक मसीही के पाप ने उसे आध्यात्मिक तौर से रोगी बना दिया है, तो क्या किया जाना चाहिए?

१८ क्या हो यदि एक मसीही, आध्यात्मिक परादीस में रहने के अयोग्य महसूस करे या प्रार्थना करने के अयोग्य है क्योंकि उसके पाप ने उसे आध्यात्मिक तौर से रोगी बना दिया है? “कलीसिया के प्राचीनों को बुलाए, और वे प्रभु के नाम से उस पर तेल मल कर उसके लिये प्रार्थना करें,” चेले याकूब ने लिखा। “और विश्‍वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जाएगा और प्रभु उस को उठाकर खड़ा करेगा; और यदि उस ने पाप भी किए हों, तो उन की भी क्षमा हो जाएगी।” जी हाँ, कलीसिया के प्राचीन एक पश्‍चात्तापी संगी विश्‍वासी को अच्छे आध्यात्मिक स्वास्थ्य में वापस लाने की आशा में उसके साथ और उसके लिए प्रभावपूर्ण ढंग से प्रार्थना कर सकते हैं।—याकूब ५:१४-१६.

१९. यदि एक व्यक्‍ति को बहिष्कृत किया गया है, तो उसे क्षमा प्राप्त करने और बहाल होने के लिए क्या करना चाहिए?

१९ यदि न्यायिक कमेटी एक अपश्‍चात्तापी पापी को बहिष्कृत करती है, तो भी यह ज़रूरी नहीं कि उसने अक्षम्य पाप किया है। फिर भी, क्षमा प्राप्त करने और बहाल होने के लिए, उसे विनम्र तरीक़े से परमेश्‍वर के नियमों का पालन करना, पश्‍चात्ताप के योग्य फल उत्पन्‍न करना और प्राचीनों को बहाली के लिए आवेदन करना चाहिए। प्राचीन कुरिन्थुस की कलीसिया में से एक व्यभिचारी को बहिष्कृत करने के बाद, पौलुस ने लिखा: “ऐसे जन के लिये यह दण्ड जो भाइयों में से बहुतों ने दिया, बहुत है। इसलिये इस से यह भला है कि उसका अपराध क्षमा करो; और शान्ति दो, न हो कि ऐसा मनुष्य बहुत उदासी में डूब जाए। इस कारण मैं तुम से बिनती करता हूं, कि उस को अपने प्रेम का प्रमाण दो।”—२ कुरिन्थियों २:६-८; १ कुरिन्थियों ५:१-१३.

परमेश्‍वर शक्‍ति देता है

२०, २१. जिस व्यक्‍ति को शायद अक्षम्य पाप करने की दुश्‍चिंता हो रही है, क्या चीज़ उसकी सहायता कर सकती है?

२० यदि ख़राब स्वास्थ्य या तनाव जैसे तत्त्वों के कारण अक्षम्य पाप करने की दुश्‍चिंता हो रही है, तो पर्याप्त विश्राम और निद्रा सहायक हो सकती हैं। फिर भी, ख़ास तौर से आपको पतरस के इन शब्दों को याद रखना चाहिए: “अपनी सारी चिन्ता [परमेश्‍वर] पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।” और शैतान द्वारा अपने आपको कभी भी हतोत्साहित न होने दीजिए, क्योंकि पतरस ने आगे कहा: “सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए। विश्‍वास में दृढ़ होकर, और यह जानकर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं। अब परमेश्‍वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, . . . तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा।”—१ पतरस ५:६-१०.

२१ इसलिए यदि आप पश्‍चात्तापी हैं परन्तु आशंकित रहे हैं कि आप अक्षम्य पाप के दोषी हैं, तब याद रखिए कि परमेश्‍वर के मार्ग बुद्धिमानी के, न्याय संगत, और प्रेममय हैं। अतः, उससे विश्‍वास के साथ प्रार्थना कीजिए। वह जो आध्यात्मिक भोजन “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” द्वारा प्रदान करता है, उसे लेते रहिए। (मत्ती २४:४५-४७) संगी विश्‍वासियों के साथ मेल-जोल रखिए और मसीही सेवकाई में नियमित रूप से भाग लीजिए। यह आपके विश्‍वास को मज़बूत करेगा और आपको किसी भी ऐसे डर से मुक्‍त करेगा कि शायद परमेश्‍वर ने आपका पाप क्षमा नहीं किया है।

२२. हम आगे क्या विचार करेंगे?

२२ आध्यात्मिक परादीस के निवासी इस ज्ञान में सांत्वना प्राप्त कर सकते हैं कि यहोवा पूरी रीति से क्षमा करता है। फिर भी, आज उनका जीवन संकट से मुक्‍त नहीं हैं। शायद वे हताश हैं क्योंकि कोई प्रिय जन मर गया है या एक प्रिय मित्र संगीन तरीक़े से बीमार है। जैसे कि हम देखेंगे, ऐसे और अन्य परिस्थितियों में, यहोवा अपनी पवित्र आत्मा द्वारा अपने लोगों की सहायता और अगुवाई करता है।

आपके उत्तर क्या हैं?

▫ क्या प्रमाण है कि यहोवा ‘पूरी रीति से क्षमा करता’ है?

▫ कौनसे पाप के लिए कोई क्षमा नहीं है?

▫ कौनसी परिस्थितियों में एक व्यक्‍ति के पाप क्षमा किए जाते हैं?

▫ पश्‍चात्तापी अपराधी परमेश्‍वर की क्षमा में क्यों विश्‍वास कर सकते हैं?

▫ पश्‍चात्तापी अपराधियों के लिए कौनसी सहायता उपलब्ध है?

[पेज 21 पर तसवीरें]

क्या आप जानते हैं कि क्यों दाऊद और पतरस को क्षमा किया गया था लेकिन यहूदा इस्करियोती को नहीं?

[पेज 23 पर तसवीरें]

कलीसिया के प्राचीनों द्वारा सहायता एक मसीही को काफ़ी हद तक आध्यात्मिक तौर से सहायता कर सकती है

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