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  • ‘सुधार का समय’—बस करीब है!
    प्रहरीदुर्ग—2000 | सितंबर 1
    • लेकिन यह काम कुछ दिनों का, हफ्तों का या महीनों का नहीं था। इसमें काफी वक्‍त लगता, फिर भी चेले इस काम को हाथ में लेने से नहीं झिझके। बिना देर किए उन्होंने प्रचार काम शुरू कर दिया। साथ ही राज्य के दोबारा स्थापना किए जाने की अपनी आशा को कभी नहीं छोड़ा। तभी तो पतरस ने यरूशलेम में एक बहुत बड़ी भीड़ के सामने कहा: “मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाए, ताकि यहोवा की ओर से ताज़गी के दिन आए। और वह उस मसीह यीशु को भेजे जो तुम्हारे लिये पहिले से ही ठहराया गया है। अवश्‍य है कि तब तक यीशु स्वर्ग में ठहरा रहे, जब तक कि सब बातों के सुधार का समय न आ जाए, जिस की चर्चा परमेश्‍वर ने अपने पवित्र भविष्यद्वक्‍ताओं के मुख से की है, जो जगत की उत्पत्ति से होते आए हैं।”—प्रेरितों 3:19-21; NW.

  • ‘सुधार का समय’—बस करीब है!
    प्रहरीदुर्ग—2000 | सितंबर 1
    • जैसा कि पतरस ने भीड़ को बताया, ‘यीशु को स्वर्ग में ठहरे रहना’ था। इसका मतलब है कि यीशु को अपना राज्य शुरू करने से पहले कुछ समय तक इंतज़ार करना था। उसका इंतज़ार 1914 में खत्म हुआ जब परमेश्‍वर ने उसे राजा नियुक्‍त करके सत्ता उसके हाथ में कर दिया। इसके अलावा पतरस ने कहा कि यहोवा, यीशु को ‘भेजेगा।’ इसका मतलब था कि यहोवा का मकसद पूरा करने में यीशु की एक अहम भूमिका होती। बाइबल इस बात को लाक्षणिक भाषा में बताती है: ‘और [परमेश्‍वर के स्वर्गीय संगठन ने] बेटा [यानी परमेश्‍वर का राज्य जिसका राजा यीशु मसीह है] जना जो लोहे का दण्ड लिए हुए, सब जातियों पर राज्य करने पर है।’—प्रकाशितवाक्य 12:5.

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