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लोगों के सामने और घर घर सिखाएँ

“मैं तुम्हें लोगों के सामने और घर घर सिखाने से पीछे नहीं हटा।”—प्रेरितों २०:२०, “बाइंग्टन.”

१. एक कैथोलिक पादरी ने यहोवा के गवाहों की घर घर की सेवकाई की प्रभावकारिता पर कैसी टिप्पणी की?

“कैथोलिक लोग सुसमाचार को घर घर ले जाते हैं।” अक्‍तूबर ४, १९८७, का द प्रॉविडेन्स संडे जर्नल में एक शीर्षक ने कहा। इस अख़बार ने रिपोर्ट किया कि इस कार्य का मुख्य लक्ष्य “उन में से कुछेक निष्क्रिय पल्लीवासियों को फिर से पल्ली में एक ज़्यादा सक्रिय जीवन बिताने के लिए आमंत्रित करना था।” प्रोविडेन्स के धर्मप्रदेश में ऑफिस फॉर इवॅन्जेलाइज़ेशन के निदेशक, पादरी जॉन ॲल्लार्ड, को यह कहते हुए उद्धृत किया गया: “बेशक, बहुत सारा अविश्‍वास होगा। लोग कहने वाले हैं, ‘देखो, वे जा रहे हैं, यहोवा के गवाहों की तरह।’ लेकिन यहोवा के गवाह प्रभावकारी हैं, है ना? मैं दावे से कह सकता हूँ कि आप [अमरीका के रोड़ आइलैंड] प्रान्त के किसी भी किंग्डम हॉल में जा सकेंगे और वहाँ आप को भूतपूर्व कैथोलिकों से भरी हुई मण्डलियाँ मिलेंगी।”

२. उचित रूप से कौनसा सवाल किया गया है?

२ जी हाँ, यहोवा के गवाह अपनी प्रभावकारी घर घर की सेवकाई के लिए सुप्रसिद्ध हैं। लेकिन वे घर घर क्यों जाते हैं?

प्रेरितिक ढंग

३. (अ) यीशु मसीह ने अपने शिष्यों को कौनसा नियतकार्य सौंपा? (ब) मसीह के प्रारम्भिक अनुयायियों ने अपने नियतकार्य को किस मुख्य रूप से पूरा किया?

३ यीशु मसीह ने अपने अनुयायियों को यह अर्थपूर्ण कार्य दिया: “इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूँ।” (मत्ती २८:१९, २०) वह काम किस रीति से किया जाता, सामान्य युग के साल ३३ के पिन्तेकुस्त के दिन के फ़ौरन बाद ज़ाहिर हुआ। “और प्रति दिन मन्दिर में और घर घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से, कि यीशु ही मसीह है न रुके।” (प्रेरितों ५:४२) तक़रीबन बीस साल बाद, प्रेरित पौलुस घर घर की सेवकाई में काम कर रहा था, इसलिए कि उसने इफिसुस के शहर में रहनेवाले मसीही प्राचीनों को याद दिलाया: “और जो जो बातें तुम्हारे लाभ की थीं, उन को बताने और लोगों के सामने और घर घर सिखाने से कभी न झिझका।”—प्रेरितों २०:२०.

४. हम क्यों कह सकते हैं कि प्रेरितों ५:४२ और प्रेरितों २०:२० से यह मतलब होता है कि यीशु के अनुयायियों का प्रचार कार्य घर घर से वितरित था?

४ प्रेरितों ५:४२ में “घर घर,” ये शब्द कॅटʼ ओइʹकॉन से अनुवाद किए गए हैं। यहाँ का·टाʹ शब्द वितरणात्मक रूप से इस्तेमाल किया गया है। इसलिए, शिष्यों का प्रचार कार्य एक घर से दूसरे घर में वितरित किया गया था। प्रेरितों २०:२० पर टिप्पणी करते हुए, रॅन्डॉल्फ ओ. येगर ने लिखा कि पौलुस ने “दोनों आम सभाओं [डी·मो·सीʹया] में और घर घर से (कारक के साथ वितरणात्मक [का·टाʹ]) सिखाया था। पौलुस ने इफिसुस में तीन साल बिताए थे। उसने हर घर को भेंट की, या कम से कम उस ने सभी लोगों को सुसमाचार सुनाया था। (२६वाँ आयत) यहाँ घर घर से और साथ ही आम सभाओं में किए गए सुमाचार प्रचार के लिए धर्मशास्त्रीय अधिकार है।”

५. प्रेरितों २०:२० में, पौलुस मात्र प्राचीनों से किए मैत्रीपूर्ण भेंटों या रखवाली भेंटों का ही ज़िक्र क्यों नहीं कर रहा था?

५ लूका ८:१ में का·टाʹ शब्द का समान प्रयोग प्रकट होता है, जहाँ यीशु का “नगर नगर और गाँव गाँव” प्रचार करने के बारे में बताया गया है। प्रेरितों २०:२० में पौलुस ने उस शब्द के बहुवचन रूप काटʼ ओइʹकूस का प्रयोग किया। यहाँ कुछेक बाइबल अनुवादों में “आपके घरों में” लिखा गया है। लेकिन प्रेरित मात्र प्राचीनों को दी मैत्रीपूर्ण भेंटों या संगी विश्‍वासियों के घरों में रखवाली की भेंटों का ज़िक्र नहीं कर रहा था। उसके अगले शब्दों से प्रकट होता है कि वह अविश्‍वासियों के बीच की जानेवाली घर घर की सेवकाई के बारे में बोल रहा था, इसलिए कि उस ने कहा: “बरन [मैं] यहूदियों और यूनानियों के सामने गवाही देता रहा, कि परमेश्‍वर की ओर मन फिराना, और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्‍वास करना चाहिए।” (प्रेरितों २०:२१) संगी विश्‍वासियों ने पहले ही मन फिराकर यीशु में विश्‍वास किया था। इसलिए, दोनों प्रेरितों ५:४२ और प्रेरितों २०:२० “घर घर” या एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े पर जाकर अविश्‍वासियों को उपदेश देने से सम्बन्ध रखते हैं।

उसके लिए कोई एवज़ी नहीं

६. इफिसुस में पौलुस ने जिस प्रकार का प्रचार कार्य किया, उसके बारे में क्या कहा गया है?

६ प्रेरितों २०:२० में दिए पौलुस के शब्दों पर टिप्पणी करते हुए, १८४४ में एबिएल ॲब्बट लिवरमोर ने लिखा: “वह सिर्फ़ आम सभा में भाषण देने और अन्य माध्यम का इस्तेमाल करने से संतुष्ट न रहा, लेकिन वह वैयक्‍तिक रूप से, घर घर, अपने महान्‌ कार्य में लगा रहा, और स्वर्ग की सच्चाई को अक्षरशः घर ले गया, इफिसियों के घरों और दिलों तक।” अधिक हाल में, यह कहा गया है: “सुसमाचार को घर घर ले जाना आरम्भ से ही पहली सदी के मसीहियों की विशिष्टता थी (प्रेरितों २:४६; ५:४२ से तुलना करें)। . . . [पौलुस] ने इफिसुस में रहनेवाले यहूदियों और अन्यजातियों, दोनों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी पूर्ण रूप से निभायी थी, और अगर वे अपने पापों में नाश किए जाते तो उन के पास कोई बहाना बचा न था।”—द वेस्लियन बाइबल कॉम्मेन्टरी, खण्ड ४, पृष्ठ ६४२-३.

७. ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि यहोवा के गवाहों की घर घर की सेवकाई पर परमेश्‍वर का अनुमोदन है?

७ हालाँकि सुसमाचार सुनाने में सब के सामने भाषण देने की एक जगह है, घर जाकर वैयक्‍तिक संपर्क करने की कोई एवज़ी नहीं। इस सम्बन्ध में, विद्वान्‌ जोसेफ़ ॲड्डिसन्‌ ॲलेक्सान्डर ने कहा: “गिरजा ने अभी तक ऐसी किसी बात का आविष्कार नहीं किया जो गिरजे में किए और घर घर के प्रचार कार्य की या तो जगह ले सकता है या उसके प्रभाव से बढ़कर हो सकता है।” जैसे विद्वान्‌ ओ. ए. हिल्ज़ ने इसे व्यक्‍त किया: “सब के सामने सिखाने और घर घर सिखाने के कार्य को साथ साथ जाना ही चाहिए।” अपनी साप्ताहिक आम सभाओं में दिए जानेवाले भाषणों के ज़रिए यहोवा के गवाह शिक्षा देते हैं। उन्हें स्पष्ट सबूत भी प्राप्त है कि घर घर बाइबल सच्चाई को फैलाने का प्रेरितिक ढंग प्रभावकारी है। और यहोवा बेशक इसे पसन्द करते हैं, इसलिए कि ऐसी सेवकाई के परिणामस्वरूप वह हर साल हज़ारों को अपनी उच्च उपासना की ओर धारा के जैसे आने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।—यशायाह २:१-४; ६०:८, २२.

८. (अ) घर घर का प्रचार कार्य प्रभावकारी क्यों है, इस के बारे में क्या कहा गया है? (ब) घर घर के प्रचार कार्य और अन्य प्रकार की गवाही देने के कार्य में यहोवा के गवाहों की तुलना पौलुस से किस तरह की जा सकती है?

८ एक और विशेषज्ञ ने कहा है: “अपने दरवाज़े के पास दी गयी शिक्षा को याद रखना लोगों के लिए गिरजे में दी गयी शिक्षा को याद रखने से ज़्यादा आसान है।” ख़ैर, पौलुस नियमित रूप से दरवाज़ों के पास था, और एक सेवक के तौर से एक उत्तम मिसाल पेश कर रहा था। “वह महासभा और बाज़ार में सिखाने और भाषण देने से ही संतुष्ट न रहा,” बाइबल विद्वान्‌ एड्‌विन डब्ल्यू. राइस ने लिखा। “वह हमेशा अध्यवसायी रूप से ‘घर घर’ ‘सिखाता’ रहा। यह बुराई के साथ घर घर का, अत्यंत समीप और आमने-सामने का, तथा मसीह की ओर आदमियों को जीतने का संघर्ष था, जो वह इफिसुस में लड़ा।” यहोवा के गवाह जानते हैं कि दरवाज़ों पर आमने-सामने की जानेवाली बातचीत प्रभावकारी है। इसके अलावा, वे पुनःभेंट करते हैं और उन्हें विरोधियों से भी बात करने में खुशी होगी अगर ये व्यक्‍ति तर्कसंगत बातचीत होने देंगे। यह पौलुस के कितने समान है! उसके बारे में, एफ़. एन. पेलुबेट ने लिखा: “पौलुस का सारा कार्य सिर्फ़ सभाओं में नहीं किया गया। बेशक जहाँ कहीं उसे पता चला कि कोई व्यक्‍ति धर्म के बारे में पूछताछ कर रहा है, या दिलचस्पी रखता है, या विरोधी होकर भी इस विषय पर बातचीत करने को तैयार है, उस ने व्यक्‍तिगत रूप से ऐसे अनेक लोगों से उनके घरों में मुलाक़ात की होगी।”

प्राचीन नेतृत्व लेते हैं

९. पौलुस ने संगी प्राचीनों के लिए कैसी मिसाल पेश की?

९ पौलुस ने संगी प्राचीनों के लिए कैसी मिसाल पेश की? उसने दिखाया कि उन्हें सुसमाचार के निडर और अथक घर घर के उद्‌घोषक होना चाहिए। १८७९ में, जे. ग्लेन्ट्‌वर्त बट्‌लर ने लिखा: “[इफिसियों के] प्राचीनों को मालूम था कि [पौलुस के] प्रचार कार्य में वह निजी ख़तरे या लोकप्रियता के विचार से सम्पूर्ण रूप से अप्रभावित था; कि उस ने आवश्‍यक सच्चाई में से किसी भी बात को देने से इनकार नहीं किया था; कि उसने एक-तरफ़े पक्षपात से, सच्चाई के अनाखे या नए पहलुओं पर ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया था, लेकिन उसने सिर्फ़ उसी पर और उन सारी बातों पर, जो उन्‍नति के लिए या ‘ज्ञानवृद्धि हेतु’ लाभदायक थीं, बल दिया था: अपनी शुद्धता और पूर्णता में परमेश्‍वर की सम्पूर्ण सलाह! और मसीही सच्चाई का यह विश्‍वसनीय ‘प्रदर्शन,’ यह उत्तेजित ‘शिक्षा’ देना उसकी आदत रही थी, न सिर्फ़ तुरन्‍नुस की पाठशाला और शिष्यों के इकट्ठा होने की अन्य जगहों में, लेकिन हर परिवार में, जिन तक पहुँचा जा सकता था। घर घर, और एक-एक व्यक्‍ति के पास जाकर, वह दिन-ब-दिन मसीह-जैसी इच्छा और उत्कंठा के साथ सुसमाचार को ले गया था। सारे वर्गों और जातियों को, शत्रुतापूर्ण यहूदी को और ताना मारनेवाले यूनानियों को उसका मुख्य विषय—जिस में, जब इसे पूरी तरह से समझाया जाता था, बाक़ी सारी अत्यावश्‍यक बचानेवाली सच्चाइयाँ हैं—परमेश्‍वर की ओर मन फिराव, और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्‍वास था।

१०, ११. (अ) मसीही सेवकाई के सम्बन्ध में, पौलुस ने इफिसुस के प्राचीनों से क्या अपेक्षा रखी? (ब) पौलुस के जैसे, यहोवा के गवाह, जिन में प्राचीन भी सम्मिलित हैं, किस प्रकार के प्रचार कार्य में हिस्सा लेते हैं?

१० तो फिर, सारांश में, पौलुस ने इफिसुस के प्राचीनों से क्या अपेक्षा की? विद्वान्‌ ई. एस. यंग ने प्रेरित के शब्दों का इस तरह भावानुवाद किया: “मैं ने न केवल सब के सामने बातें की, लेकिन मैं ने घर घर, सारे वर्गों के साथ, दोनों यहूदी और अन्यजातियों के साथ परिश्रम किया। सारे वर्गों के प्रति मेरी सेवकाई का विषय ‘परमेश्‍वर की ओर मन फिराव और हमारे प्रभु यीश मसीह पर विश्‍वास’ था।’” पौलुस के शब्दों को एक दूसरी रीति से कहते हुए, डब्ल्यू. बी. राइली ने लिखा: “स्पष्ट अर्थ यह था: ‘मैं आप से वह काम जारी रखने की अपेक्षा रखता हूँ, जिसकी मैं ने शुरुआत की थी, दोनों करने और सिखाने में, और जैसे मैं ने प्रतिरोध किया, वैसे प्रतिरोध करने की भी अपेक्षा रखता हूँ; और दोनों वैयक्‍तिक रूप से तथा सब के सामने सिखाने, जैसे मैं ने सड़कों पर और घर घर किया था, यहूदियों और यूनानियों को परमेश्‍वर की ओर मन फिराव और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्‍वास के बारे में साक्षी देने का काम जारी रखने की अपेक्षा रखता हूँ, इसलिए कि ये ही बुनियादी बातें हैं!’”

११ स्पष्ट रूप से, प्रेरितों के काम अध्याय २० में, पौलुस संगी प्राचीनों को दिखा रहा था कि उन से यहोवा के घर घर जानेवाले गवाह होने की अपेक्षा की जाती थी। इस सम्बन्ध में, पहली-सदी के प्राचीनों को मण्डली के अन्य सदस्यों के लिए एक उचित मिसाल पेश करते हुए नेतृत्व लेना था। (इब्रानियों १३:१७ से तुलना करें।) पौलुस की तरह, फिर, यहोवा के गवाह घर घर जाकर सुसमाचार सुनाते हैं, और सारी जातियों के लोगों को परमेश्‍वर के राज्य के बारे में, उसकी ओर मन फिराव के बारे में और यीशु मसीह पर विश्‍वास करने के बारे में लोगों को बताते हैं। (मरकुस १३:१०; लूका २४:४५-४८) और ऐसे घर घर के कार्य में, आधुनिक गवाहों के प्राचीनों से नेतृत्व लेने की अपेक्षा की जाती है।—प्रेरितों २०:२८.

१२. कुछेक भूतपूर्व प्राचीनों ने क्या करने से इनकार कर दिया, लेकिन प्राचीन आज कौनसे कार्य में नेतृत्व लेते हैं?

१२ १८७९ में, चालर्स टेज़ रस्सेल ने जायन्ज़ वॉच टावर ॲन्ड हेरल्ड ऑफ क्राइस्टस्‌ प्रेज़ेन्स प्रकाशित करना शुरू किया, जिसे अब द वॉचटावर अन्‍नाउनसिन्ग जेहोवाज़ किंग्डम कहा जाता है। रस्सेल और अन्य बाइबल स्टूडेन्टस्‌ ने प्रेरितिक रीति से राज्य का सन्देश घोषित किया। परन्तु, बाद वाले सालों में मण्डली के कुछेक प्राचीनों ने अपनी गवाही देने की ज़िम्मेदारियों को नहीं निभाया। उदाहरण के लिए, एक गवाह ने लिखा: “सब कुछ अच्छा चल रहा था, उस समय तक—१९२७ में—जब यह घोषणा की गयी कि हर एक को घर घर के प्रचार कार्य में, साहित्य के साथ और ख़ास तौर से रविवार के घर घर के कार्य में हिस्सा लेना था। हमारे चुने हुए प्राचीनों ने पूरी कक्षा को ऐसा कार्य शुरू करने या उस में हिस्सा लेने का विरोध किया और हतोत्साह करने की कोशिश की।” कुछ समय बाद, जो आदमी घर घर के कार्य में हिस्सा नहीं लेते, उन्हें प्राचीनों के तौर से सेवा करने का ख़ास अनुग्रह अब और प्राप्त न हुआ। आज भी, जिन लोगों को प्राचीनों और सहायक सेवकों के तौर से सेवा करने का ख़ास अनुग्रह प्राप्त है, उन से घर घर के प्रचार कार्य और मसीही सेवकाई के अन्य प्रकारों में नेतृत्व लेने की अपेक्षा रखी जाती है।

हर कोई एक गवाह है

१३. (अ) अगर लोग राज्य के सन्देश की ओर ध्यान न देंगे, तब भी हमें क्या करना चाहिए? (ब) पौलुस की तुलना यहेज़केल से किस तरह की गयी है?

१३ यहोवा की मदद से, मसीहियों को घर घर जाकर राज्य का सन्देश घोषित करना चाहिए, चाहे इसे क़दरदानी से स्वीकार न भी किया जाए। परमेश्‍वर के पहरुए के तौर से, यहेज़केल को लोगों को चिताना था, चाहे लोग सुनें या न सुनें। (यहेज़केल २:५-७; ३:११, २७; ३३:१-६) यहेज़केल और पौलुस के बीच एक तुलना दिखाते हुए, ई. एम. ब्लेक्‌लॉक ने लिखा: “[प्रेरितों के काम अध्याय २० में पौलुस के भाषण] से इफिसुस में की गयी सेवकाई की एक सुस्पष्ट तस्वीर दिखायी देती है। निम्नलिखित बातों पर ग़ौर कीजिए: पहली बात, पौलुस की हठीली विश्‍वसनीयता। वह लोकप्रियता या जनता के अनुमोदन की खोज में न था। चूँकि उसे यहेज़केल के जैसे एक पहरुए का कार्य सौंपा जा चुका था, उस ने अपनी बातों का समर्थन करने के लिए अपना कर्तत्व ईमानदार जोश और चरित्रबल से निभाया। दूसरी बात, उसकी प्रेमपूर्ण सहानुभूति। वह इस प्रकार का आदमी न था जो बिना किसी जज़बात के अपनी लबों से विनाश के वचन निकालता। तीसरी बात, उसका अथक सुसमाचार प्रचार। सब के सामने और घर घर जाकर, शहर में और प्रान्त भर, उस ने सुसमाचार का प्रचार किया था।”

१४. गवाही देना प्रार्थना में यीशु मसीह के ज़रिए परमेश्‍वर के प्रति समर्पण करनेवाले हर किसी की ज़िम्मेदारी क्यों है?

१४ अपने आधुनिक दासों पर परमेश्‍वर के प्रचुर आशीर्वाद से कोई संदेह नहीं कि वह उनका यहोवा के गवाह, यह नाम अपनाने से खुश हैं। (यशायाह ४३:१०-१२) इसके अलावा, वे मसीह के भी गवाह हैं, इसलिए कि यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा: “जब तुम पर पवित्र आत्मा आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।” (प्रेरितों १:८) तो गवाही देना हर एक व्यक्‍ति की ज़िम्मेदारी है जो प्रार्थना में यीशु मसीह के ज़रिए यहोवा परमेश्‍वर के प्रति समर्पण करता है।

१५. प्रारम्भिक मसीहियों के प्रचार कार्य के बारे क्या कहा जा चुका है?

१५ गवाही देने के बारे में कहा गया है: “यह सम्पूर्ण गिरजे को सम्मिलित करता है। प्रारम्भिक गिरजे का धर्मप्रचारक कार्य विमेन्ज़ मिशनरी सोसाइटी या फॉरेन मिशन्‌ बोर्ड की ज़िम्मेदारी न थी। और न ही गवाही देने के काम को प्राचीन, डीकन, या प्रेरित के भी समान व्यवसायियों पर छोड़ा जाता था। . . . उन प्रारम्भिक दिनों में गिरजा ही प्रचारक मंडल थी। प्रारम्भिक गिरजे का प्रचारक कार्यक्रम दो मान्यताओं पर आधारित था: (१) गिरजे का मुख्य काम विश्‍व भर सुसमाचार-प्रचार है। (२) इस काम को पूरा करने की ज़िम्मेदारी सारे मसीही समुदाय पर है।”—जे. हर्बर्ट केन.

१६. ईसाईजगत्‌ के लेखक भी मसीहियों और गवाही देने के कार्य के बारे में क्या स्वीकार करते हैं?

१६ हालाँकि ईसाईजगत्‌ के आधुनिक लेखक राज्य के सन्देश से सहमत नहीं, उन में कुछ लोग स्वीकार करते हैं कि मसीहियों पर गवाही देने की ज़िम्मेदारी है। मिसाल के तौर पर, एवरीवन अ मिनिस्टर नामक किताब में, ऑस्कार ई. फोइक्ट ग़ौर करता है: “कोई पास्टर उस सेवकाई को पूरा नहीं कर सकता जो परमेश्‍वर ने प्रत्येक विश्‍वासी को सौंपी है। खेदजनक रूप से गिरजा में सदियों की ग़लत विचारणा ने ५०० पल्लीवासियों के काम को एक अकेले पास्टर का काम बना दिया है। इस तरह प्रारम्भिक गिरजे में न था। जिन लोगों ने विश्‍वास किया, वे बाइबल का प्रचार करते हुए हर कहीं गए।”

१७. प्रारम्भिक मसीहियों के जीवन में गवाही देने के कार्य का जो स्थान था, उसके बारे में क्या कहा जा सकता है?

१७ प्रारम्भिक मसीहियों के जीवन में गवाही देने का काम सर्वोपरि था, उसी तरह जैसे आज यह यहोवा के लोगों के बीच है। हारवार्ड विश्‍वविद्यालय के एड्‌वर्ड कॉल्डवेल मूर ने लिखा: “मोटे तौर पर, मसीही आन्दोलन की पहली तीन सदियों का विशेष गुण विश्‍वास के फैलाव के लिए बड़ा उत्साह था। मसीही उत्साह सुसमाचार प्रचार करने में, उद्धार के सन्देश को बताने में था। . . . बहरहाल, सबसे प्रारम्भिक अवधि में, यीशु के प्रभाव और उपदेशों के फैलाव के कम से कम एक छोटे हिस्से का श्रय उन आदमियों को दिया जाना चाहिए जिन्हें हमें मिशनरी कहना चाहिए। यह हर तरह की दस्तकारी, व्यवसाय, और समाज के हर वर्ग के लोगों की उपलब्धि थी। [वे रोमी] साम्राज्य के कोने-कोने तक भीतरी जीवन का रहस्य ले गए, दुनिया के प्रति उस नयी मनोवृत्ति को लेकर, जिस से उनके तजर्बे में उद्धार होता था। . . . [प्रारम्भिक मसीहियत] को मौजूदा विश्‍व-व्यवस्था के आनेवाले अन्त के बारे में गहरा यक़ीन था। इस ने एक नयी विश्‍व-व्यवस्था के आकस्मिक और चमत्कारी स्थापन में विश्‍वास किया।”

१८. राजनीतिक नेताओं के सपनों से कहीं अधिक बढ़कर कौनसी बढ़िया आशा है?

१८ घर घर के प्रचार कार्य में और अपनी सेवकाई के अन्य पहलुओं में, यहोवा के गवाह हर्षमय रूप से अपने सुननेवालों को उस नयी दुनिया की ओर निर्दिष्ट करते हैं, जिसका वादा परमेश्‍वर ने किया है। अनन्त जीवन के उसके पूर्वबतलाए गए आशीर्वाद एक नयी विश्‍व-व्यवस्था के तथाकथित निर्माताओं के पसन्दीदा सपनों से कहीं बढ़कर हैं। (२ पतरस ३:१३; प्रकाशितवाक्य २१:१-४) हालाँकि ऐसा लगेगा कि हर कोई परमेश्‍वर की बढ़िया नयी दुनिया में जीना चाहेगा, दरअसल ऐसा नहीं है। फिर भी, आइए इसके बाद हम ऐसे कुछ प्रभावकारी तरीक़ों पर ग़ौर करें जिन को इस्तेमाल करके यहोवा के दास उन लोगों को सिखा सकते हैं जो अनन्त जीवन की खोज में हैं।

आप किस तरह जवाब देंगे?

◻ हम क्यों कह सकते हैं कि प्रेरितों ५:४२ और प्रेरितों २०:२० का मतलब है कि यीशु के अनुयायियों को घर घर जाकर प्रचार करना चाहिए?

◻ हम किस तरह जानते हैं कि यहोवा के गवाहों की सेवकाई पर परमेश्‍वर का अनुमोदन है?

◻ सेवकाई के सम्बन्ध में, प्राचीनों और सहायक सेवकों से क्या आवश्‍यक है?

◻ एक मसीही के जीवन में गवाही देने के कार्य का क्या स्थान होना चाहिए?

[पेज 22 पर तसवीर]

सामान्य युग के ३३ में, यीशु के शिष्यों ने बिना रुककर घर घर प्रचार किया

[पेज 25 पर तसवीर]

पौलुस ने घर घर सिखाया सेवकाई का यह पहलू आज यहोवा के गवाहों द्वारा पूरा किया जा रहा है

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