जब सभी प्रजातियाँ एक साथ मिलकर शान्ति में रहेंगी
परमेश्वर ने “एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाई हैं।” (प्रेरितों १७:२६) मानव परिवार के उद्गम के बारे में यह बाइबल का सरल कथन है।
यह सूचित करता है कि सारी मानवजाति, चाहे वे कहीं भी रहते हों या उनकी कोई भी शारीरिक विशेषताएँ क्यों न हों, एक सहपूर्वज से आयी है। इसका यह भी अर्थ है कि सभी दृश्य भिन्नताओं के बावजूद, जहाँ तक योग्यताओं और अकल का सवाल है ‘मनुष्यों की सब जातियों’ के पास समान क्षमता है। जी हाँ, परमेश्वर की दृष्टि में प्रत्येक प्रजाति या राष्ट्रीयता के मनुष्य बराबर हैं।—प्रेरितों १०:३४, ३५.
यदि बाइबल का दृष्टिकोण सही है तो, आशा है कि प्रजातीय भिन्नताओं पर आधारित सभी पक्षपात और अन्याय मिटाए जा सकते हैं। इसके अलावा, यदि मानव परिवार के उद्गम के बारे में बाइबल यथार्थ है, तो यह तर्कसंगत है कि वही पुस्तक हमें वह जानकारी भी दे सकती है जो यह दिखाए कि किस प्रकार मानवजाति एक साथ मिलकर शान्ति में रह सकती है।
ख़ैर, तथ्य क्या दिखाते हैं? क्या विज्ञान मानव उद्गम के बारे में बाइबल अभिलेख की संपुष्टि करता है?
वैज्ञानिक प्रमाण
मानवविज्ञानी आर. बेनेडिक्ट और जी. वेल्टफ़िश का प्रकाशन ‘मानवजाति की प्रजातियाँ’ (The Races of Mankind) कहता है: “समस्त मानवजाति के माता-पिता, आदम और हव्वा की बाइबल कहानी ने सदियों पहले वही सच्चाई बताई जो विज्ञान ने आज दिखाई है: कि पृथ्वी के सभी लोग एक परिवार हैं और उनका एक उद्गम है।” ये लेखक यह भी दिखाते हैं कि “यदि उनका एक उद्गम नहीं था तो यह संभव नहीं कि मानव शरीर की जटिल बनावट ‘संयोग से’ . . . सभी मनुष्यों में एक जैसी हो गई हो।”
कोलम्बिया विश्वविद्यालय में प्राणि-विज्ञान के प्रोफ़ेसर, एल. सी. डन की पुस्तिका ‘प्रजाति और जीवविज्ञान’ (Race and Biology) कहती है: “सारी मूलभूत शारीरिक विशेषताओं में एक समान होते हुए, सभी मनुष्य स्पष्ट रूप से एक ही जाति के हैं। सभी समूहों के सदस्य अंतर्विवाह कर सकते हैं और असल में करते भी हैं।” फिर वह आगे समझाती है: “फिर भी प्रत्येक मनुष्य विशिष्ट है और प्रत्येक अन्य मनुष्य से छोटी-छोटी बातों में भी भिन्न है। यह अंशतः इसलिए है कि लोग भिन्न-भिन्न वातावरण में रहते हैं और अंशतः इसलिए कि जो जीन उन्होंने विरासत में पायी हैं उनमें भिन्नता है।”
वैज्ञानिक प्रमाण निर्णायक है। जीवविज्ञानी रूप से कहा जाए तो, श्रेष्ठ या हीन प्रजाति, शुद्ध या दूषित प्रजाति जैसी कोई चीज़ है ही नहीं। एक व्यक्ति की त्वचा, बाल, या आँखों का रंग जैसी विशेषताएँ—ऐसी चीज़ें जिन्हें कुछ व्यक्ति शायद प्रजातीय रूप से महत्त्वपूर्ण समझें—एक व्यक्ति की अक़्ल या क्षमताओं का कोई संकेत नहीं हैं। इसके बजाय, वे आनुवंशिक विरासत के परिणाम हैं।
सचमुच, प्रजातीय भिन्नताएँ बहुत कम हैं, जैसे कि हैम्पटन एल. कारसन ‘आनुवंशिकता और मानव जीवन’ (Heredity and Human Life) में लिखता है: “हम जिस विरोधाभास का सामना करते हैं वह यह है कि मनुष्यों का हर समूह बाह्य रूप से भिन्न दिखाई देता है फिर भी इन भिन्नताओं के नीचे मूलभूत समानता है।”
यदि सभी मनुष्य वास्तव में केवल एक परिवार हैं, तो फिर घोर प्रजातीय समस्याएँ क्यों होती हैं?
समस्या क्यों
प्रजातिवाद के होने का मूलभूत कारण यह है कि प्रथम मानव माता-पिता ने अपने बच्चों को बुरी शुरूआत दी। आदम और हव्वा ने जानबूझकर परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया और इस प्रकार अपरिपूर्ण, दोषपूर्ण बन गए। परिणामस्वरूप, आदम की अपरिपूर्णता—बुराई की ओर यह प्रवृत्ति—उसके वंशज को मिली। (रोमियों ५:१२) इसलिए जन्म से ही सभी मनुष्य स्वार्थ और घमंड की ओर प्रवृत्त हैं, जो प्रजातीय झगड़ों और हलचल का कारण बना है।
प्रजातिवाद के होने का एक और कारण है। जब आदम और हव्वा परमेश्वर के नियंत्रण से अलग हो गए, तब वे एक दुष्ट आत्मिक प्राणी के शासन के अधीन आ गए जिसे बाइबल शैतान, या इब्लीस कहती है। इस प्राणी के प्रभाव के अधीन, जो ‘सारे संसार को भरमा रहा है,’ प्रजाति के मामले में लोगों को बहकाने के लिए अकसर सुविचारित प्रयास किए गए हैं। (प्रकाशितवाक्य १२:९; २ कुरिन्थियों ४:४) नृजातिकेंद्रण—यह विचार कि एक व्यक्ति का अपना समूह श्रेष्ठ है—को हवा देकर भड़कता जज़्बात बनाया गया है, और जानबूझकर या अनजाने में लाखों लोग इससे अति प्रभावित हुए हैं, जिसके परिणाम विनाशकारी हुए हैं।
साफ़-साफ़ कहा जाए तो, शैतान के नियंत्रण में पड़े स्वार्थी, अपरिपूर्ण मनुष्यों ने प्रजाति के बारे में सारी झूठी शिक्षाएँ फैलाई हैं जो प्रजातीय समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार हैं।
इसलिए, मानव जाति को संयुक्त होने के लिए ज़रूरी है कि सभी मानें कि हम सचमुच एक मानव परिवार हैं और कि परमेश्वर ने “एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाई हैं।” (प्रेरितों १७:२६) इसके अलावा, सभी प्रजातियों को एक साथ मिलकर शान्ति में रहने के लिए मानव मामलों में शैतान का प्रभाव मिटाना होगा। क्या ये चीज़ें कभी होंगी? क्या यह विश्वास करने का कोई आधार है कि ये होंगी?
प्रजातीय पक्षपात का अन्त करना
यीशु मसीह ने प्रकट किया कि किस प्रकार प्रजातीय पक्षपात मिटाया जा सकता है जब उसने अपने अनुयायियों को आज्ञा दी कि “एक दूसरे से प्रेम रखो” जैसा वह उनसे प्रेम रखता था। (यूहन्ना १३:३४, ३५) यह प्रेम सिर्फ़ किसी ख़ास प्रजाति या प्रजातियों के सदस्यों के लिए नहीं होना था। बिलकुल नहीं! “भाइयों के संपूर्ण भाईचारे से प्रेम रखो,” उसके एक चेले ने प्रोत्साहित किया।—१ पतरस २:१७, NW.
यह मसीही प्रेम किस प्रकार दिखाया जाता है? इसे बाइबल समझाती है जब वह आग्रह करती है: “परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।” (रोमियों १२:१०) सोचिए कि क्या अर्थ होता है जब ऐसा किया जाता है! प्रत्येक व्यक्ति दूसरों के साथ प्रजाति या राष्ट्रीयता भिन्न होने के बावजूद भी सच्ची मान-मर्यादा और आदर के साथ व्यवहार करता है, उन्हें नीचा नहीं समझता, बल्कि असल में ‘उन्हें अपने से अच्छा समझता है।’ (फिलिप्पियों २:३) जब सच्चे मसीही प्रेम की ऐसी आत्मा होती है, तब प्रजातीय पक्षपात की समस्या सुलझ जाती है।
यह सच है कि जिन्हें प्रजातीय पक्षपात सिखाया गया है, उन्हें ऐसे शैतान-उत्प्रेरित विचारों से अपने आप को मुक्त करने में असाधारण प्रयास करना पड़ता है। लेकिन यह किया जा सकता है! पहली सदी में, मसीही कलीसिया में लाए गए सभी लोगों ने अपूर्व एकता का आनन्द लिया। उसके बारे में प्रेरित पौलुस ने लिखा: “अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्वतंत्र; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो।” (गलतियों ३:२८) सचमुच, मसीह के सच्चे अनुयायियों ने सच्चे भाईचारे का आनन्द लिया।
लेकिन कुछ लोग शायद विरोध करें: ‘यह आज हो ही नहीं सकता।’ फिर भी, यहोवा के गवाहों—पैंतालिस लाख से ज़्यादा लोगों का एक संगठन—के बीच यह पहले ही हो चुका है! सर्व सम्मति से, सभी यहोवा के गवाह इस अधर्मी व्यवस्था से सीखे पक्षपातों से पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हुए हैं। एक अश्वेत अमरीकी स्त्री ने यथार्थवादिता से संगी श्वेत गवाहों के बारे में नोट किया: “मुझे उन में से कुछ लोगों के बीच प्रजातीय श्रेष्ठता की बची हुई मनोवृत्ति दिखती है, और मैं ने कभी-कभी उनमें से कुछ लोगों में एक क़िस्म की बेचैनी देखी है जब वे किसी दूसरी प्रजाति के लोगों की क़रीबी संगति में होते हैं।”
इसके बावजूद भी, इस स्त्री ने स्वीकार किया: “यहोवा के गवाहों ने अपने आपको उस हद तक प्रजातीय पक्षपात से मुक्त कर लिया है जितना कि पृथ्वी पर कोई और लोग नहीं कर पाए हैं। प्रजाति भिन्न होने के बावजूद वे एक दूसरे से प्रेम करने का प्रयास करते हैं . . . कई मौक़ों पर श्वेत गवाहों के सच्चे प्रेम का अनुभव करने पर मेरा हृदय इतना प्रभावित हुआ कि आँसू रोके नहीं रुके।”
जब लाखों अन्य लोग प्रजातीय श्रेष्ठता के शैतानी विचारों से प्रभावित हैं तब असल में क्या कोई ख़ास फ़रक पड़ता है कि कुछ लोग प्रजातीय एकता का आनन्द लेते हैं—चाहे ये लाखों में ही क्यों न हों? नहीं, हम मानते हैं कि यह प्रजाति की समस्या को नहीं सुलझाता। ऐसा करना मनुष्यों के प्रयास से परे है। सिर्फ़ हमारा सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्वर, ऐसा कर सकता है।
यह ख़ुशी की बात है कि, अभी बहुत जल्द यहोवा अपने पुत्र, यीशु मसीह के हाथों अपने राज्य के द्वारा पृथ्वी को सारे अन्याय से और उन सभी लोगों से मुक्त करेगा जो स्वार्थी रूप से प्रजातीय या किसी और क़िस्म का भेदभाव और घृणा फैलाते हैं। (दानिय्येल २:४४; मत्ती ६:९, १०) फिर, मसीह के प्रशासन के अधीन एक परिपूर्ण शैक्षिक कार्यक्रम के द्वारा सभी प्रजातियाँ सचमुच संयुक्त हो जाएँगी। जैसे-जैसे वह शिक्षा बढ़ती है, वे पूर्ण समरसता में रहेंगे और प्रजातीय भेदभाव का नामो-निशान न रहेगा। परमेश्वर की प्रतिज्ञा आख़िरकार पूरी होगी: “पहिली बातें जाती रहीं। . . . देख मैं सब कुछ नया कर देता हूं।”—प्रकाशितवाक्य २१:४, ५.
क्या आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो उस समय के लिए तरसता है जब सच्चा भाईचारा सर्वत्र होगा, जब सभी प्रजातियाँ एक साथ मिलकर शान्ति में रहेंगी? यदि हाँ, तो हम आप के नज़दीक के राज्यगृह में उपस्थित होने के लिए आपका स्वागत करते हैं, जहाँ यहोवा के गवाह बाइबल का अध्ययन करने के लिए नियमित रूप से मिलते हैं। स्वयं अपने लिए देखिए कि वे सभी प्रजातियों के लोगों के लिए सच्चा मसीही प्रेम प्रदर्शित करते हैं या नहीं।
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जल्द ही सभी जगह सारी प्रजातियाँ एक साथ मिलकर शान्ति में रहेंगी