जब एड्रियन 16 साल के हुए, तो बाइबल पढ़ने लगे। वे कहते हैं, “बाइबल पढ़ने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने तौर-तरीके बदलने होंगे।” उन्हें मन से नफरत निकालनी थी और गुंडागर्दी छोड़नी थी। उन्होंने बाइबल में पढ़ा कि उन्हें क्यों बदला नहीं लेना चाहिए। (रोमियों 12:17-19) यह बात उन्हें बहुत अच्छी लगी। वे कहते हैं, “मैंने बाइबल से जाना कि यहोवा अपने वक्त पर और अपने तरीके से नाइंसाफी दूर करेगा। मुझे इस बात पर यकीन हो गया, इसलिए धीरे-धीरे मैंने गुंडागर्दी छोड़ दी।”
एक दिन शाम को कुछ गुंडों ने एड्रियन पर हमला कर दिया। बाइबल पढ़ने से पहले एड्रियन की उनसे दुश्मनी थी। उन गुंडों के सरदार ने एड्रियन से चिल्लाकर कहा, “हिम्मत है तो मार के दिखा!” एड्रियन कहते हैं, “मेरा बहुत मन कर रहा था कि उन्हें सबक सिखाऊँ।” मगर एड्रियन ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने बस मन-ही-मन यहोवा से प्रार्थना की और वहाँ से चले गए।
एड्रियन कहते हैं, “अगले दिन मैंने गैंग के सरदार को फिर देखा। इस बार वह अकेला था। उसे देखते ही मुझे इतना गुस्सा आया कि सोचा अब इसे नहीं छोड़ूँगा। लेकिन एक बार फिर मैंने मन में यहोवा से प्रार्थना की कि वह गुस्से पर काबू पाने में मेरी मदद करे। तब जानते हैं क्या हुआ? वह सरदार मेरे पास आया और उसने कहा, ‘कल जो हुआ, उसके लिए मुझे माफ कर दो। यकीन मानो, मैं भी तुम्हारी तरह बनना चाहता हूँ। मैं बाइबल पढ़ना चाहता हूँ।’ मैं बता नहीं सकता उस वक्त मुझे कितनी खुशी हुई। अच्छा हुआ कि मैंने अपने गुस्से को काबू में कर लिया था! इस वजह से हम दोनों साथ में बाइबल पढ़ने लगे।”