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  • सब बातों में ईमानदार रहिए
    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्‍वर से जानें
    • 2. हर दिन के कामों में हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम ईमानदार हैं?

      यहोवा चाहता है कि हम ‘एक-दूसरे से सच बोलें।’ (जकरयाह 8:16, 17) इसका मतलब, हम अपने परिवारवालों, मसीही भाई-बहनों, साथ काम करनेवालों और सरकारी अधिकारियों से बात करते वक्‍त झूठ नहीं बोलते, न ही अपनी बातों से उन्हें गुमराह करते हैं। हम कभी किसी की चीज़ें नहीं चुराते और न ही धोखा देते हैं। (नीतिवचन 24:28 और इफिसियों 4:28 पढ़िए।) इसके अलावा, सरकार जो भी कर या टैक्स भरने की माँग करती है, हम उसे भरते हैं। (रोमियों 13:5-7) ये कुछ तरीके हैं जिनसे हम दिखा सकते हैं कि हम “सब बातों में ईमानदारी से काम” करते हैं।​—इब्रानियों 13:18.

  • निष्पक्ष रहने का क्या मतलब है?
    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्‍वर से जानें
    • पाठ 45. राष्ट्रगान बज रहा है और एक जवान बहन चुपचाप खड़ी है। वह न तो राष्ट्रगान गा रही है और न ही बाकी विद्यार्थियों की तरह उसने अपना हाथ दिल पर रखा है।

      पाठ 45

      निष्पक्ष रहने का क्या मतलब है?

      यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि “तुम दुनिया के नहीं हो।” (यूहन्‍ना 15:19) दुनिया से अलग रहने का एक तरीका है, निष्पक्ष रहना। यानी हम दुनिया की राजनीति और युद्धों में किसी का पक्ष नहीं लेते। लेकिन ऐसा करना हमेशा आसान नहीं होता। हो सकता है, इस वजह से लोग हमें बुरा-भला कहें या हम पर ताने कसें। फिर भी हम कैसे निष्पक्ष रह सकते हैं और यहोवा के वफादार बने रह सकते हैं? आइए जानें।

      1. इंसान की सरकारों के बारे में सच्चे मसीहियों की क्या सोच है?

      हम मसीही, सरकारों का आदर करते हैं। हम यीशु की यह बात मानते हैं, “जो सम्राट का है वह सम्राट को चुकाओ।” इसका मतलब, हम देश के नियम-कानून मानते हैं जैसे कि हम टैक्स भरते हैं। (मरकुस 12:17) बाइबल में बताया गया है कि इंसान की सरकारें सिर्फ इसलिए राज कर रही हैं, क्योंकि यहोवा ने उन्हें इजाज़त दी है। (रोमियों 13:1) इससे पता चलता है कि सरकारों के पास जो अधिकार है, वह यहोवा के अधिकार से बढ़कर नहीं है। सिर्फ यहोवा और उसका राज ही इंसान की समस्याओं को खत्म कर सकता है।

      2. हम निष्पक्ष कैसे रह सकते हैं?

      हम राजनीति में हिस्सा नहीं लेते, ठीक जैसे यीशु ने नहीं लिया था। एक बार यीशु का चमत्कार देखकर लोग उसे राजा बनाना चाहते थे। पर वह राज़ी नहीं हुआ और वहाँ से चला गया। (यूहन्‍ना 6:15) बाद में उसने कहा, “मेरा राज इस दुनिया का नहीं है।” (यूहन्‍ना 18:36) हम भी कई तरीकों से निष्पक्ष रहते हैं जैसे, हम युद्ध में लड़ने नहीं जाते। (मीका 4:3 पढ़िए।) हम झंडे जैसे राष्ट्रीय चिन्हों का आदर करते हैं, मगर उनकी भक्‍ति नहीं करते। (1 यूहन्‍ना 5:21) हम किसी भी राजनैतिक पार्टी या उम्मीदवार का पक्ष नहीं लेते और न ही उनके खिलाफ बोलते हैं। ऐसे और भी मामले हैं जिनमें निष्पक्ष रहकर हम दिखा सकते हैं कि हम परमेश्‍वर की सरकार या उसके राज का समर्थन करते हैं।

      और जानिए

      किन हालात में निष्पक्ष रहना आसान नहीं होता? और उन हालात में हम कैसे सही फैसले कर सकते हैं ताकि यहोवा खुश हो? आइए जानें।

      एक आदमी के दायीं और बायीं तरफ दो अलग राजनैतिक पार्टी के उम्मीदवार हैं। वे लोगों के सामने भाषण दे रहे हैं मगर वह आदमी उन पर ध्यान नहीं दे रहा और किसी का पक्ष नहीं ले रहा।

      3. सच्चे मसीही निष्पक्ष रहते हैं

      निष्पक्ष रहने के बारे में हम यीशु और उसके शिष्यों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। रोमियों 13:1, 5-7 और 1 पतरस 2:13, 14 पढ़िए। फिर वीडियो देखिए और आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:

      वीडियो: सच्चे मसीही निष्पक्ष रहते हैं​—भाग 1  (4:28)

      • हमें क्यों सरकारों का आदर करना चाहिए?

      • हम किन तरीकों से दिखा सकते हैं कि हम सरकारों के अधीन रहते हैं?

      जब दो देशों के बीच युद्ध चल रहा होता है, तो दूसरे देश शायद यह दावा करें कि वे निष्पक्ष हैं। लेकिन वे किसी-न-किसी तरह दोनों ही देशों का साथ देते हैं। तो फिर सही मायने में निष्पक्ष रहने का क्या मतलब है? यूहन्‍ना 17:16 पढ़िए। फिर वीडियो देखिए और आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:

      वीडियो: सच्चे मसीही निष्पक्ष रहते हैं​—भाग 2  (3:11)

      • निष्पक्ष रहने का क्या मतलब है और क्या नहीं?

      जब सरकार हमसे कुछ ऐसा करने के लिए कहती है जो परमेश्‍वर के नियम के खिलाफ है, तो हमें क्या करना चाहिए? प्रेषितों 5:28, 29 पढ़िए। फिर वीडियो देखिए और आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:

      वीडियो: सच्चे मसीही निष्पक्ष रहते हैं​—भाग 3  (1:18)

      • अगर इंसान का कोई कानून परमेश्‍वर के कानून के खिलाफ है, तो हमें किसका कानून मानना चाहिए?

      • क्या आप एक हालात बता सकते हैं जिसमें एक मसीही, सरकार का नियम नहीं मानेगा?

      4. अपनी सोच और कामों में निष्पक्ष रहिए

      1 यूहन्‍ना 5:21 पढ़िए। फिर वीडियो देखिए और आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:

      वीडियो: सच्चे मसीहियों के लिए हिम्मत क्यों ज़रूरी है​—निष्पक्ष रहने के लिए  (2:49)

      • भाई एंझ ने राजनैतिक पार्टी का सदस्य बनने से और झंडे को सलामी देने से क्यों इनकार कर दिया?

      • क्या आपको लगता है कि उसने समझदारी से काम लिया?

      ऐसे और कौन-से हालात हो सकते हैं जिनमें हम किसी का पक्ष लेने लग सकते हैं? वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:

      वीडियो: प्रहरीदुर्ग से मिली सीख​—इस बँटी हुई दुनिया में निष्पक्ष बने रहिए  (5:16)

      • जब दो देशों के बीच मैच चल रहा होता है, तो ऐसे में हम कैसे निष्पक्ष रह सकते हैं?

      • नेताओं के फैसलों या नीतियों से हमारा फायदा या नुकसान हो सकता है। इन हालात में भी हम कैसे निष्पक्ष रह सकते हैं?

      • हम जो खबरें सुनते हैं और जिन लोगों की संगति करते हैं, उस वजह से हम कैसे पक्ष लेने लग सकते हैं?

      तसवीरें: 1. लोगों की भीड़ गुस्से में है और हाथ में पोस्टर लिए धरना दे रही है। 2. एक मैच चल रहा है और एक आदमी अपने देश का झंडा फहराकर उनकी जीत के लिए चिल्ला रहा है। 3. एक विद्यार्थी अपने दिल पर हाथ रखकर राष्ट्रगान गा रहा है। 4. एक सैनिक हाथ में मशीन-गन लिए खड़ा है। 5. दो राजनैतिक उम्मीदवार स्टेज पर से वोट माँग रहे हैं। 6. चुनाव के वक्‍त एक औरत मतदान पेटी में अपना वोट डाल रही है।

      किन मामलों में एक मसीही को अपनी सोच और कामों में निष्पक्ष रहना चाहिए?

      शायद कोई पूछे: “आप झंडे को सलामी क्यों नहीं देते या राष्ट्रगान क्यों नहीं गाते?”

      • आप क्या जवाब देंगे?

      अब तक हमने सीखा

      मसीही, राजनैतिक मामलों में निष्पक्ष रहते हैं। वे पूरी कोशिश करते हैं कि अपनी सोच, बातों और अपने कामों में किसी का पक्ष न लें।

      आप क्या कहेंगे?

      • सरकारों का क्या हक बनता है जो हमें अदा करना चाहिए?

      • हम राजनैतिक मामलों में क्यों निष्पक्ष रहते हैं?

      • किन हालात में निष्पक्ष रहना आसान नहीं होता?

      लक्ष्य

      ये भी देखें

      निष्पक्ष रहने के लिए हमें कौन-से त्याग करने पड़ सकते हैं?

      यहोवा ने हमेशा हमारा खयाल रखा  (3:14)

      परिवार के लोग पहले से क्या तैयारी कर सकते हैं ताकि हालात उठने पर वे निष्पक्ष रह सकें?

      सार्वजनिक जगहों पर निष्पक्ष बने रहिए  (4:25)

      एक आदमी बहुत बड़ा अफसर था जिस पर अपने देश की सुरक्षा का ज़िम्मा था। मगर उसे इससे भी बड़ा सम्मान मिला। आइए जानें कि वह क्या था।

      “परमेश्‍वर के लिए सबकुछ मुमकिन है”  (5:19)

      सच्चे मसीही इस दुनिया के भाग नहीं हैं। क्या नौकरी के मामले में भी यह बात सच है? आइए जानें।

      “हर एक व्यक्‍ति अपना ही बोझ उठाएगा” (प्रहरीदुर्ग,  15 मार्च, 2006)

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