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  • सोच-समझकर मुक्के चलाइए
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हमारी राज-सेवा—2012
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सोच-समझकर मुक्के चलाइए

1. पहला कुरिंथियों 9:26 के शब्द हमारी प्रचार सेवा में कैसे लागू होते हैं?

प्रेषित पौलुस ने लिखा, “मैं अंधाधुंध यहाँ-वहाँ नहीं दौड़ता, मैं इस तरह मुक्के नहीं चलाता मानो हवा को पीट रहा हूँ।” (1 कुरिं. 9:26) पौलुस के कहने का मतलब था कि परमेश्‍वर की सेवा में उसने जो लक्ष्य रखे थे, वह उन पर पूरी तरह ध्यान लगाए हुए था और उन्हें पाने की जी-तोड़ मेहनत कर रहा था। पौलुस के ये शब्द एक मायने में हमारी प्रचार सेवा में भी लागू होते हैं। हम भी इस तरह “मुक्के” चलाना यानी सोच-समझकर मेहनत करना चाहते हैं ताकि हमें बढ़िया-से-बढ़िया नतीजे मिल सकें। हम यह कैसे कर सकते हैं?

2. पौलुस और पहली सदी के दूसरे प्रचारकों की तरह हमें कब और कहाँ प्रचार करना चाहिए?

2 वहाँ जाइए, जहाँ लोग मिलें: पौलुस और पहली सदी के दूसरे प्रचारकों ने वहाँ जाकर प्रचार किया, जहाँ उन्हें लोग मिलते। (प्रेषि. 5:42; 16:13; 17:17) हमारे बारे में क्या? अगर हमारे इलाके में ज़्यादातर लोग शाम के वक्‍त घर पर मिलते हैं, तो शायद घर-घर प्रचार करने का यही सबसे अच्छा समय हो। बस अड्डे या ट्रेन स्टेशन के बारे में क्या, जहाँ सुबह-सुबह काम पर जाने या देर दोपहर घर लौटने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है? हमारे प्रचार इलाके में ज़्यादातर लोग कब बाज़ारों और दुकानों में खरीदारी करने जाते हैं? ऐसे मौकों पर सड़क गवाही देने से सबसे अच्छे नतीजे मिल सकते हैं।

3. प्रचार इलाके में सोच-समझकर काम करने में क्या शामिल है?

3 प्रचार इलाके में सोच-समझकर काम कीजिए: सोच-समझकर मेहनत करने में इस बात पर भी ध्यान देना ज़रूरी है कि हम अपने प्रचार इलाके में किस तरह काम करेंगे। मिसाल के लिए, प्रचारकों के बड़े समूह को एक ही इलाके में ले जाने के बजाय, अच्छा होगा कि समूह को छोटे-छोटे समूहों में बाँट दें। वरना बड़े समूह को संगठित करने और प्रचार इलाका देने में बहुत समय और मेहनत ज़ाया हो सकती है। अगर हम दूर-दराज़ इलाकों में प्रचार करने जाते हैं, तब भी छोटे-छोटे समूहों में जाना अच्छा होगा। इससे इलाका जल्द-से-जल्द पूरा किया जा सकता है और हमें ज़्यादा लोगों से बात करने के मौके मिलेंगे। इसके अलावा, हम अपने घर के पास एक निजी इलाका लेकर भी वहाँ गवाही दे सकते हैं, जिससे आने-जाने का समय बच सके।

4. एक समझदार मछुवारे की तरह ‘इंसानों को इकट्ठा करने’ में क्या बात हमारी मदद कर सकती है?

4 यीशु ने प्रचारकों की तुलना ‘मछलियाँ इकट्ठी करनेवालों’ से की और कहा कि वे “इंसानों को इकट्ठा करनेवाले” होंगे। (मर. 1:17) एक मछुवारा सिर्फ यूँ ही पानी में जाल नहीं डालता बल्कि मछलियाँ पकड़ने के इरादे से ऐसा करता है। इसलिए एक समझदार मछुवारा ऐसी जगह पर और ऐसे वक्‍त पर जाल डालता है, जब उसके हाथ ज़्यादा मछलियाँ लग सके। और वह बिना देर किए ऐसा करता है। जी हाँ, वह सोच-समझकर मेहनत करता है। आइए हम भी अपनी सेवा में इसी तरह मेहनत करें।—इब्रा. 6:11.

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