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  • ‘मृत्यु को नाश किया जाएगा’
    प्रहरीदुर्ग—1998 | जुलाई 1
    • १० “अन्त” मसीह के हज़ार साल के राज्य का अंत है, जब यीशु नम्रता और निष्ठा के साथ अपना राज्य अपने परमेश्‍वर और पिता के हाथों में सौंप देता है। (प्रकाशितवाक्य २०:४) परमेश्‍वर का यह उद्देश्‍य पूरा हो जाएगा कि “सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे।” (इफिसियों १:९, १०) लेकिन इससे पहले मसीह परमेश्‍वर की अटल इच्छा के विरोधियों की “सारी प्रधानता और सारा अधिकार और सामर्थ का अन्त” करेगा। इसमें अरमगिदोन में होनेवाले विनाश से और भी ज़्यादा शामिल है। (प्रकाशितवाक्य १६:१६; १९:११-२१) पौलुस कहता है: “जब तक कि [मसीह] अपने बैरियों को अपने पांवों तले न ले आए, तब तक उसका राज्य करना अवश्‍य है। सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।” (१ कुरिन्थियों १५:२५, २६) जी हाँ, आदम से मिलनेवाले पाप और मृत्यु का नामो-निशान मिटा दिया जाएगा। और इसे पूरा करने के लिए ज़रूरी कदम उठाकर परमेश्‍वर मरे हुओं को जीवित करने के द्वारा “कब्रों” को खाली कर चुका होगा।—यूहन्‍ना ५:२८.

  • ‘मृत्यु को नाश किया जाएगा’
    प्रहरीदुर्ग—1998 | जुलाई 1
    • १५. इसका क्या मतलब है कि ‘जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार’ दोबारा जीवन पानेवालों का “न्याय किया” जाएगा?

      १५ दोबारा जीवित होनेवालों का ‘जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार’ कैसे “न्याय किया” जाएगा? ये पुस्तकें उनकी पिछली ज़िंदगी के कामों का लेखा नहीं; क्योंकि जब वे मर गए थे तो अपने उस जीवन के पापों से मुक्‍त हो गए थे। (रोमियों ६:७, २३) लेकिन पुनरुत्थान पानेवाले इंसान अभी-भी आदम के पाप के भागी होंगे। यह तब होगा जब इन पुस्तकों से परमेश्‍वर के नियम बताएँ जाएँगे जिन्हें सभी लोगों को लागू करना होगा ताकि यीशु मसीह के बलिदान से पूरी तरह लाभ उठा सकें। जब आदम के पाप के आखिरी निशान तक को नाश किया जा चुकेगा उस समय सही मायनों में पूरी तरह से ‘मृत्यु का नाश’ होगा। हज़ार साल के अंत में, परमेश्‍वर ‘सब के लिए सब कुछ’ होगा। (१ कुरिन्थियों १५:२८) इसके बाद इंसान को कभी-भी महायाजक या छुड़ानेवाले की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। पूरी मानवजाति को उस सिद्ध अवस्था में लाया जाएगा जिसमें आदम शुरूआत में था।

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