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“सारे दशमांस भण्डार में ले आओ”

‘मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलता . . . हूँ कि नहीं।’—मलाकी ३:१०.

१. (क) सामान्य युग पूर्व पाँचवी सदी में, यहोवा ने अपने लोगों को क्या निमंत्रण दिया? (ख) सामान्य युग पहली सदी में, न्याय करने के लिए मंदिर में यहोवा के आगमन का क्या परिणाम हुआ?

सामान्य युग पूर्व पाँचवी सदी में, इस्राएलियों ने यहोवा के साथ विश्‍वासघात किया था। उन्होंने दशमांश को रोक रखा था और अयोग्य पशुओं को मंदिर में भेंट के तौर पर लाए। फिर भी, यहोवा ने वादा किया कि अगर वे सारे दशमांश को भण्डार में लाएंगे, तो वह उन पर अपरम्पार आशीष की वर्षा करेगा। (मलाकी ३:८-१०) कुछ ५०० साल बाद, यहोवा, जिसका प्रतिनिधित्व वाचा के दूत की हैसियत से यीशु कर रहा था, न्याय करने के लिए यरूशलेम के मंदिर में आया। (मलाकी ३:१) एक जाति की हैसियत से इस्राएल में कमी पायी गयी, पर जो व्यक्‍ति यहोवा की तरफ़ फिरे उन्हें प्रचुर मात्रा में आशीष मिली। (मलाकी ३:७) वे यहोवा के आध्यात्मिक पुत्र, एक नयी सृष्टि, ‘परमेश्‍वर का इस्राएल’ बनने के लिए अभिषिक्‍त किए गए।—गलतियों ६:१६; रोमियों ३:२५, २६.

२. मलाकी ३:१-१० की दूसरी पूर्ति कब होनेवाली थी, और इस सम्बन्ध में हमें क्या करने का निमंत्रण दिया गया है?

२ तक़रीबन १,९०० साल बाद, १९१४ में, परमेश्‍वर के स्वर्गीय राज्य के राजा की हैसियत से यीशु सिंहासनारूढ़ किया गया, और मलाकी ३:१-१० के ईश्‍वरीय रूप से उत्प्रेरित शब्दों की दूसरी पूर्ति का समय आ गया था। इस रोमांचक घटना के सम्बन्ध में, आज मसीहियों को भण्डार में सारे दशमांश लाने का निमंत्रण दिया गया है। अगर हम ऐसा करें, तो हम भी अपरम्पार आशिषों का आनन्द लेंगे।

३. (क) पहली सदी में, (ख) और प्रथम विश्‍व युद्ध से पहले, यहोवा के आगे मार्ग सुधारनेवाला दूत कौन था?

३ मंदिर में अपने आगमन के विषय में, यहोवा ने कहा: “देखो, मैं अपने दूत को भेजता हूं, और वह मार्ग को मेरे आगे सुधारेगा।” (मलाकी ३:१) इसकी पहली-सदी की पूर्ति के तौर पर, पापों के पश्‍चात्ताप का प्रचार करते हुए यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला इस्राएल आया। (मरकुस १:२, ३) मंदिर में यहोवा के दूसरे आगमन के सम्बन्ध में क्या कोई प्रारंभिक कार्य था? जी हाँ। प्रथम विश्‍व युद्ध से पहले के दशकों में, शुद्ध बाइबल सिद्धांत सिखाते हुए और परमेश्‍वर का निरादर करनेवाले झूठ, जैसे त्रियेक और नरक-यातना के सिद्धांतों का पर्दाफ़ाश करते हुए, बाइबल विद्यार्थी प्रकट हुए। उन्‍नीस सौ चौदह में अन्यजातियों के समय के आनेवाले अंत के बारे में भी उन्होंने चेतावनी दी। सच्चाई के इन ज्योति वाहकों की तरफ़ अनेकों ने प्रतिक्रिया दिखायी।—भजन ४३:३; मत्ती ५:१४, १६.

४. प्रभु के दिन के दौरान कौनसा सवाल सुलझाया जाना था?

४ वर्ष १९१४ से, जिसे बाइबल ‘प्रभु का दिन’ कहती है की शुरूआत हुई। (प्रकाशितवाक्य १:१०) उस दिन के दौरान महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटित होनेवाली थीं, जिस में “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” का पहचानकर और उसका “[स्वामी की] सारी संपत्ति पर सरदार” ठहराए जाना सम्मिलित था। (मत्ती २४:४५-४७) उन्‍नीस सौ चौदह में, हज़ारों गिरजाओं ने मसीही होने का दावा किया। कौनसा समूह स्वामी, यीशु मसीह द्वारा उसके विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास की हैसियत से मंज़ूर किया जाएगा? वह सवाल तब सुलझाया जानेवाला था जब यहोवा मंदिर में आता।

आध्यात्मिक मंदिर में आना

५, ६. (क) न्याय करने के लिए यहोवा कौनसे मंदिर में आया? (ख) मसीहीजगत ने यहोवा से क्या न्याय प्राप्त किया?

५ तौभी, वह कौनसे मंदिर में आया? यह स्पष्ट है कि वह यरूशलेम में किसी आक्षरिक मंदिर में नहीं आया। उन में से आख़री मंदिर तो सा.यु. ७० में नाश किया गया। तथापि, यहोवा का एक ज़्यादा महान्‌ मंदिर है जिसका यरूशलेम के उस मंदिर द्वारा पूर्वसंकेत किया गया। इस ज़्यादा महान्‌ मंदिर के बारे में पौलुस ने बात की और दिखाया कि यह सचमुच कितना शानदार है, जिसका पवित्र स्थान स्वर्ग में और यहाँ पृथ्वी पर आँगन है। (इब्रानियों ९:११, १२, २४; १०:१९, २०) एक न्याय कार्य करने के लिए यहोवा इस महान्‌ आध्यात्मिक मंदिर आया।—प्रकाशितवाक्य ११:१; १५:८ से तुलना कीजिए.

६ यह कब हुआ? उपलब्ध ठोस सबूत के मुताबिक, १९१८ में।a परिणाम क्या था? मसीहीजगत के विषय में, यहोवा ने एक ऐसा संगठन देखा जिसके हाथों से लहू टपक रहा था, एक भ्रष्ट धार्मिक व्यवस्था जिसने इस संसार के साथ अपने आपको वेश्‍यावृत्ति में लगाया, ख़ुद को अमीरों के साथ एक कर दिया और ग़रीबों को सताया, सच्ची उपासना करने के बजाय मूर्तिपूजक धर्म-सिद्धांतों को सिखाया। (याकूब १:२७; ४:४) मलाकी के ज़रिये, यहोवा ने चेतावनी दी थी: “तब मैं . . . टोन्हों, और व्यभिचारियों, और झूठी किरिया खानेवालों के विरुद्ध, और जो मज़दूर की मज़दूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अन्धेर करते, . . . उन सभों के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूंगा।” (मलाकी ३:५) मसीहीजगत ने यह सब और इससे भी बुरे कार्य किए थे। उन्‍नीस सौ उन्‍नीस तक यह साफ़-साफ़ दिखायी दिया कि यहोवा ने बाक़ी बड़े बाबुल, झूठे धर्म के विश्‍व भवन के साथ विनाश के लिए उन्हें धिक्कारा था। तब से लेकर, सच्चे दिलवालों को यह आह्वान दिया गया: “हे मेरे लोगो, उस में से निकल आओ।”—प्रकाशितवाक्य १८:१, ४.

७. अपने विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास की हैसियत से यीशु ने किसे मंज़ूर किया?

७ तो फिर, विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन था? पहली सदी में, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला और यीशु, वाचा के दूत के गवाही कार्य की तरफ़ प्रतिक्रिया दिखानेवालों के छोटे समूह से इसकी शुरूआत हुई। हमारी सदी में, ये १९१४ के पूर्व वर्षों के दौरान बाइबल विद्यार्थियों के प्रारंभिक कार्य की तरफ़ प्रतिक्रिया दिखानेवाले कुछ हज़ार जन थे। प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान इन व्यक्‍तियों ने कड़ी परीक्षाएं सहीं, पर उन्होंने यह प्रदर्शित किया कि उनका हृदय यहोवा के साथ था।

शोधक कार्य

८, ९. उन्‍नीस सौ अठारह में, किन तरीक़ों में विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास को शोधक कार्य की आवश्‍यकता थी, और इस सम्बन्ध में यहोवा ने क्या वादा किया?

८ बहरहाल, इस समूह को भी शुद्ध करने की ज़रूरत थी। कुछेक जो इन से मिले हुए थे, विश्‍वास के दुश्‍मन निकले और उन्हें निकालना पड़ा। (फिलिप्पियों ३:१८) यहोवा की सेवा में शामिल ज़िम्मेदारियों को सँभालने में अन्य जन अनिच्छुक थे और वे बहक गए। (इब्रानियों २:१) इसके अलावा, अनेक बाबुल के रिवाज मौजूद थे जिन्हें दूर करने की ज़रूरत थी। संघटनात्मक रूप से भी विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास को शुद्ध किया जाना ज़रूरी था। इस संसार के प्रति तटस्थता की एक सही स्थिति सीखकर इसे अमल में लाना था। और जैसे-जैसे यह संसार और भ्रष्ट होता गया, कलीसियाओं से नैतिक और आध्यात्मिक अशुद्धता दूर रखने के लिए उन्हें अत्यन्त परिश्रम करने की ज़रूरत थी।—यहूदा ३, ४ से तुलना कीजिए.

९ जी हाँ, शोधक कार्य की ज़रूरत थी, पर यहोवा ने सिंहासनारूढ़ यीशु के विषय में स्नेहपूर्वक यह वादा किया था: “वह रूपे का तानेवाला और शुद्ध करनेवाला बनेगा, और लेवियों को शुद्ध करेगा और उनको सोने रूपे की नाईं निर्मल करेगा, तब वे यहोवा की भेंट धर्म से चढ़ाएंगे।” (मलाकी ३:३) वाचा के इस दूत के ज़रिये, यहोवा ने १९१८ से अपना वादा पूरा किया और अपने लोगों को शुद्ध किया है।

१०. परमेश्‍वर के लोगों ने किस प्रकार की भेंट लाया, और यहोवा ने उन्हें क्या निमंत्रण दिया?

१० मसीह के अभिषिक्‍त भाई और यहोवा की सेवा में उनके साथ बाद में मिलनेवाली बड़ी भीड़ सभी ने रूपे के तानेवाले और शुद्ध करनेवाले के तौर पर यहोवा के कार्य से लाभ पाया है। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १४, १५) एक संगठन के रूप में वे धर्म से भेंट चढ़ाते हुए आए, और अब भी आते हैं। और उनकी भेंट ‘यहोवा को ऐसी भाती है, जैसी पहिले दिनों में और प्राचीनकाल में भावती थी।’ (मलाकी ३:४) भविष्यसूचक रूप से यहोवा ने इन्हीं को आमंत्रण दिया: “सारे दशमांश भण्डार में ले आओ कि मेरे भवन में भोजनवस्तु रहे; और सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि ऐसा करके मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूं कि नहीं।”—मलाकी ३:१०.

भेंट और दशमांश

११. क्यों मूसा के नियम व्यवस्था के अनुसार भेंट अब आवश्‍यक नहीं है?

११ मलाकी के दिनों में परमेश्‍वर के लोग आक्षरिक भेंट और दशमांश, जैसे अनाज, फल, और पशुधन लाते थे। यीशु के दिनों में भी, वफ़ादार इस्राएली मंदिर में आक्षरिक भेंट लाते थे। बहरहाल, यीशु की मृत्यु के बाद वह सब बदल गया। व्यवस्था रद्द की गयी, जिस में ख़ास भौतिक भेंट और दशमांश प्रस्तुत करने की आज्ञा सम्मिलित थी। (इफिसियों २:१५) व्यवस्था के अंतर्गत भेंट के भविष्यसूचक प्रतीक को यीशु ने पूरा किया। (इफिसियों ५:२; इब्रानियों १०:१, २, १०) तो फिर, किस तरह मसीही लोग भेंट और दशमांश ला सकते हैं?

१२. मसीही लोग किस प्रकार की आध्यात्मिक भेंट और बलिदान देते हैं?

१२ उनके लिए, भेंट उल्लेखनीय रूप से आध्यात्मिक प्रकार की हैं। (फिलिप्पियों २:१७; २ तीमुथियुस ४:६ से तुलना कीजिए.) उदाहरण के लिए, पौलुस ने प्रचार कार्य का एक भेंट के रूप में ज़िक्र किया जब उसने कहा: “हम उसके द्वारा स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात्‌ उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्‍वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।” एक और आध्यात्मिक प्रकार के बलिदान की तरफ़ उसने संकेत किया जब उसने कहा: “भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्‍वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्‍न होता है।” (इब्रानियों १३:१५, १६) जब माता-पिता अपने बच्चों को पायनियर सेवा में प्रवेश करने का प्रोत्साहन देते हैं, यह शायद कहा जा सकता है कि वे उन्हें यहोवा को भेंट चढ़ा रहे हैं, उसी तरह जैसे यिप्तह ने परमेश्‍वर को, जिसने उसे विजय दी थी, अपनी बेटी “होमबलि करके” चढ़ायी।—न्यायियों ११:३०, ३१, ३९.

१३. क्यों यह ज़रूरी नहीं कि मसीही लोग अपनी आमदनी का आक्षरिक दसवां अंश दें?

१३ तथापि, दशमांश के बारे में क्या? क्या मसीही लोग अपनी आमदनी का दसवां अंश अलग रखकर इसे यहोवा के संगठन को देने के बाध्य हैं, जिस तरह मसीहीजगत के कुछेक गिरजाओं में किया जाता है? जी नहीं, यह ज़रूरी नहीं है। ऐसा कोई शास्त्रवचन नहीं है जो कहता है कि ऐसा नियम मसीहियों के लिए है। जब पौलुस यहूदिया में रहनेवाले ज़रूरतमंद लोगों के लिए अंशदान इकट्ठा कर रहा था, उसने यह ज़िक्र नहीं किया कि कितना प्रतिशत दान करना है। इसके बजाय, उसने कहा: “हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे; न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्‍वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।” (२ कुरिन्थियों ९:७) उन व्यक्‍तियों के बारे में बात करते हुए जो ख़ास सेवकाई में हैं, पौलुस ने दिखाया कि जबकि कई जनों को ऐच्छिक अंशदान द्वारा सही तरह से सहायता मिलती थी, वह काम करने और ख़ुद का भरण-पोषण करने के लिए तैयार था। (प्रेरितों १८:३, ४; १ कुरिन्थियों ९:१३-१५) इस उद्देश्‍य के लिए कोई दशमांश नहीं नियुक्‍त किया गया था।

१४. (क) क्यों दशमांश को ले आना यहोवा को सब कुछ देने को चित्रित नहीं करता है? (ख) दशमांश द्वारा क्या चित्रित होता है?

१४ स्पष्टतः, मसीहियों के लिए दशमांश किसी चीज़ का प्रतीक है, या उसे चित्रित करता है। चूँकि यह दसवां अंश है और बाइबल में संख्या दस अक़सर पार्थिव पूर्णता का प्रतीक है, क्या दशमांश यहोवा को अपना सब कुछ देने को सूचित करता है? जी नहीं। जब हम अपने आपको यहोवा को समर्पित करते हैं और इसे पानी के बपतिस्मे द्वारा चिह्नित करते हैं, तब हम अपना सब कुछ उसे दे देते हैं। हमारे समर्पण के समय से, हमारे पास ऐसा कुछ नहीं जो पहले से यहोवा का नहीं है। तथापि, यहोवा व्यक्‍तियों को अपनी चीज़ें निपटाने देता है। अतः दशमांश हमारे उस अंश को चित्रित करता है जिसे हम यहोवा के सम्मुख लाते हैं, या यहोवा की सेवा में उपयोग करते हैं। यह उसके लिए हमारे प्रेम का एक प्रमाण और इस तथ्य की स्वीकृति के रूप में है कि हम उसी के हैं। यह ज़रूरी नहीं कि आधुनिक-दिन का दशमांश सिर्फ़ एक दसवां अंश हो। किसी-किसी मामले में यह कम होगा। या किसी अन्य मामलों में ज़्यादा होगा। हर व्यक्‍ति उतना ही लाता है जितना उसका हृदय उसे लाने को प्रेरित करता है और जितना उसकी परिस्थितियाँ अनुमति देती हैं।

१५, १६. हमारे आध्यात्मिक दशमांश में क्या सम्मिलित है?

१५ इस आध्यात्मिक दशमांश में क्या सम्मिलित है? एक बात तो यह है कि हम यहोवा को अपना समय और शक्‍ति देते हैं। जो समय हम सभाओं में, असेम्बली और सम्मेलन में उपस्थित होने में, क्षेत्र सेवा में बिताते हैं ये सब यहोवा के लिए है—हमारे दशमांश का एक भाग। बीमारों से भेंट करने और दूसरों की मदद करने में व्यतीत किया गया समय और शक्‍ति—ये भी हमारे दशमांश का भाग है। इसी तरह, राज्यगृह के निर्माण में मदद करना और राज्यगृह की देख-रेख और सफ़ाई में हिस्सा लेना एक भाग है।

१६ हमारे दशमांश में हमारे आर्थिक अंशदान भी सम्मिलित हैं। हाल के सालों में यहोवा के संगठन में हुई असाधारण वृद्धि के कारण, आर्थिक उत्तरदायित्व बढ़ गए हैं। नए राज्यगृह, नई शाखा इमारतों और नए सभागृहों की, साथ ही जो पहले से निर्मित हैं उनकी मरम्मत ज़रूरी है। जिन्होंने ख़ास सेवा के लिए अपने आपको उपलब्ध किया है—जो ऐसा करने के लिए अक़सर निजी बलिदान देते हैं—उनका ख़र्च पूरा करना भी एक कठिन चुनौती है। उन्‍नीस सौ इक्यानवे में सिर्फ़ मिशनरियों, सफ़री ओवरसियरों, और ख़ास पायनियरों के ख़र्च चलाने का कुल मूल्य चार करोड़ डॉलर से अधिक था, यह सब ऐच्छिक अंशदानों द्वारा प्रदान किया गया।

१७. हमारे आध्यात्मिक दशमांश के रूप में हम ने क्या देना चाहिए?

१७ हमारे आध्यात्मिक दशमांश के तौर पर हम ने क्या देना चाहिए? यहोवा कोई प्रतिशतता नहीं रखता। फिर भी, समर्पण का भाव, यहोवा और भाइयों के लिए असली प्रेम, साथ ही अत्यावश्‍यकता के भाव का यह एहसास कि जानें बचाई जानी हैं, अपने सारे आध्यात्मिक दशमांश ले आने के लिए हमें प्रोत्साहित करता है। जिस हद तक सम्भव है उस हद तक यहोवा की सेवा करने के लिए हम प्रेरित होते हैं। अगर हम अपने आपको या अपने साधनों को अनिच्छा से या कंजूसी से देंगे, तो यह परमेश्‍वर को लूटने के बराबर होगा।—लूका २१:१-४ से तुलना कीजिए.

अपरम्पार आशीष

१८, १९. अपना सारा दशमांश लाने के कारण किस तरह यहोवा के लोगों को आशीष प्राप्त हुई है?

१८ उन्‍नीस सौ उन्‍नीस से, प्रचार कार्य की ज़रूरतों के लिए यहोवा के लोगों ने अपने समय, शक्‍ति, और आर्थिक साधन के साथ उदारता से प्रतिक्रिया दिखायी है। सचमुच उन्होंने भण्डार में सारा दशमांश को लाया है। परिणामस्वरूप, यहोवा ने अपना वादा पूरा किया है और अपरम्पार आशीष दी है। उनकी संख्यात्मक वृद्धि में यह अत्यन्त नाटकीय रूप से देखा गया है। उन कुछ हज़ार अभिषिक्‍त जनों से जो १९१८ में यहोवा की सेवा कर रहे थे जब वह अपने मंदिर आया था, वे इतने बढ़ गए हैं कि अभिषिक्‍त जन और उनके साथी, अन्य भेड़ें, २२९ देशों में अब ४० लाख से अधिक हैं। (यशायाह ६०:२२) सच्चाई की समझ में निरन्तर वृद्धि से भी उन्हें आशीष मिली है। भविष्यसूचक वचन उन के लिए और भी निश्‍चित बना दिया गया है। यहोवा के उद्देश्‍यों की पूर्ति में उनका भरोसा पूर्ण रूप से दृढ़ हो गया है। (२ पतरस १:१९) सचमुच वे “यहोवा के सिखलाए हुए” लोग हैं।—यशायाह ५४:१३.

१९ मलाकी के ज़रिये, यहोवा ने एक और आशीष को पूर्वबतलाया: “तब यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें कीं, और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।” (मलाकी ३:१६) मसीही होने का दावा करनेवाले सभी संगठनों में से, केवल यहोवा के गवाह उसके नाम के बारे में सोचते हैं और राष्ट्रों में इसकी बड़ाई करते हैं। (भजन ३४:३) यहोवा उनकी वफ़ादारी को याद रखता है और इस आश्‍वासन से वे कितने ख़ुश हैं!

२०, २१. (क) सच्चे मसीही कौनसे धन्य रिश्‍ते का आनन्द लेते हैं? (ख) मसीहियत के बारे में, कौनसा भेद स्पष्ट होता जा रहा है?

२० अभिषिक्‍त शेष जन यहोवा के ख़ास लोग हैं, और उनके साथ संगति करने के लिए आनेवाली बड़ी भीड़, उनके साथ सच्ची उपासना की आशीष प्राप्त करती है। (जकर्याह ८:२३) मलाकी के ज़रिये, यहोवा वादा करता है: “सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि जो दिन मैं ने ठहराया है, उस दिन वे लोग मेरे वरन मेरे निज भाग ठहरेंगे, और मैं उन से ऐसी कोमलता करूंगा जैसी कोई अपने सेवा करनेवाले पुत्र से करे।” (मलाकी ३:१७) यह क्या ही एक आशीष है कि यहोवा को उनकी ऐसी कोमल परवाह है!

२१ वाक़ई, सच्चे और झूठे मसीहियों के दरमियान फ़र्क और भी ज़्यादा ज़ाहिर होता जा रहा है। जबकि यहोवा के लोग उसके स्तरों का पालन करने का प्रयास कर रहे हैं, मसीहीजगत इस संसार की अशुद्धता की दलदल में और भी डूबता जा रहा है। सचमुच, यहोवा के शब्द सच साबित हुए हैं: “तब तुम फिरकर धर्मी और दुष्ट का भेद, अर्थात्‌ जो परमेश्‍वर की सेवा करता है, और जो उसकी सेवा नहीं करता, उन दोनों का भेद पहिचान सकोगे।”—मलाकी ३:१८.

२२. अगर हम सारा दशमांश निरन्तर लाते रहें, तो हम कौनसी आशीष का आनन्द लेने के लिए निश्‍चित रह सकते हैं?

२२ जल्द ही, झूठे मसीहियों के लिए दण्ड भुगतने का समय आएगा। “देखो, वह धधकते भट्ठे का सा दिन आता है, जब सब अभिमानी और सब दुराचारी लोग अनाज की खूंटी बन जाएंगे; और उस आनेवाले दिन में वे ऐसे भस्म हो जाएंगे कि उनका पता तक न रहेगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।” (मलाकी ४:१) यहोवा के लोग जानते हैं कि उस समय वह उनकी रक्षा करेगा, जिस तरह उसने सा.यु. ७० में अपने आध्यात्मिक राष्ट्र की रक्षा की थी। (मलाकी ४:२) उस आश्‍वासन को प्राप्त करने पर वे कितने ख़ुश हैं! इसलिए, आइए उस समय तक हम में से हर कोई व्यक्‍ति यहोवा के लिए अपनी क़दरदानी और प्रेम उसके भण्डार में सारा दशमांश लाने के द्वारा दिखाए। फिर हम निश्‍चित हो सकते हैं कि वह हम पर अपरम्पार आशीष देता रहेगा।

[फुटनोट]

a अधिक जानकारी के लिए, जून १५, १९८७, वॉचटावर (Watchtower), पृष्ठ १४-२० देखिए.

क्या आप समझा सकते हैं?

▫ आधुनिक समय में, वाचा के अपने दूत के साथ यहोवा मंदिर कब आया?

▫ विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, और १९१८ के बाद उन्हें कौनसे शोधक कार्य की ज़रूरत पड़ी?

▫ सच्चे मसीही लोग यहोवा को किस प्रकार की आध्यात्मिक भेंट देते हैं?

▫ वह दशमांश क्या है जिसे मसीहियों को भण्डार में लाने का निमंत्रण दिया जाता है?

▫ आध्यात्मिक दशमांश देने से यहोवा के लोगों को किन आशिषों का आनन्द प्राप्त होता है?

[पेज 16 पर तसवीरें]

राज्यगृह बनाने के लिए हमारी शक्‍ति और साधन देना हमारे आध्यात्मिक दशमांश में सम्मिलित है

[पेज 17 पर तसवीरें]

अपने लोगों पर यहोवा की आशीष के कारण, काफ़ी निर्माण-कार्य आवश्‍यक हुआ है, जिस में राज्यगृह और सभागृह सम्मिलित हैं

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