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  • ‘हर एक अच्छे वरदान’ का देनेवाला
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1993
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    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2009
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1993
w93 12/1 पेज 28-31

‘हर एक अच्छे वरदान’ का देनेवाला

“एक बार रिफॉर्म्ड गिरजे का एक सेवक मेरे पास आया। वह जानना चाहता था कि मैं अपना गिरजा कैसे चलाता हूँ। मैं ने उससे कहा: . . . ‘हम कोई वेतन नहीं देते; ऐसी कोई बात नहीं है जिससे कि लोग झगड़ा करें। हम कभी कोई चंदा नहीं लेते।’ ‘आप को पैसा कैसे मिलता है?’ उसने पूछा। मैंने उत्तर दिया, ‘अब, डॉ.——, यदि मैं आपको सबसे सरल सच्चाई बताऊँ तो आप शायद ही विश्‍वास कर पाएँ। जब लोग इस तरह से दिलचस्पी दिखाते हैं, वे पाते हैं कि उनसे कोई चंदा नहीं माँगा जा रहा है। लेकिन वे देखते हैं कि ख़र्चे हैं। वे अपने आप से कहते हैं, “इस भवन की क़ीमत है। . . . मैं किस तरह इस हेतु के लिए कुछ पैसा चंदा दे सकता हूँ?”’ उसने मेरी ओर ऐसे देखा मानो वह सोच रहा हो, ‘आप मुझे क्या समझते हैं—एक नौसिखिया?’ मैं ने कहा, ‘अब, डॉ.——, मैं आपको साफ़-साफ़ सच्चाई बता रहा हूँ। . . . जब एक व्यक्‍ति को आशिष मिलती है और उसके पास कोई भौतिक साधन होते हैं, तो वह उन्हें प्रभु के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। यदि उसके पास कोई साधन नहीं हैं, तो हम उसके लिए उसे परेशान क्यों करें?’”

—चार्ल्स टी. रस्सल, वॉच टावर सोसाइटी के पहले अध्यक्ष, “द वॉच टावर,” जुलाई १५, १९१५.

हम देते हैं क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ने सबसे पहले दिया। उसका देना अनगिनित युगों पहले सृष्टि के साथ शुरू हुआ—उसकी सबसे पहली सृष्टि, उसका “एकलौता पुत्र।” (यूहन्‍ना ३:१६) प्रेम के कारण, उसने जीवन की देन दूसरों को भी दी।

परमेश्‍वर का पुत्र, यीशु मसीह, हमारे लिए यहोवा की सबसे बड़ी देन है। लेकिन परमेश्‍वर का पुत्र, अपने आप में ही, परमेश्‍वर की देनों का अन्त नहीं है। ‘परमेश्‍वर के बड़े अनुग्रह’ को ही प्रेरित पौलुस यहोवा का ऐसा “दान” कहता है “जो वर्णन से बाहर है।” (२ कुरिन्थियों ९:१४, १५) स्पष्टतया इस देन में वह सभी भलाई और प्रेममय-कृपा सम्मिलित है जो परमेश्‍वर यीशु के द्वारा अपने लोगों पर दिखाता है। ऐसा अपात्र अनुग्रह इतना आश्‍चर्यजनक है कि यह वर्णन या अभिव्यक्‍ति करने की मानव शक्‍ति से बढ़कर है। इसके अलावा, परमेश्‍वर के दान के और भी पहलू हैं।

बहुत समय पहले, एक राजा ने बुद्धिमत्ता से और नम्रता से स्वीकार किया कि जो भी अच्छी चीज़ें वह दान के रूप में देता था वह वास्तव में यहोवा की थीं। उसने कहा: “आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है। . . . मैं क्या हूं? और मेरी प्रजा क्या है? कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्‍ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है।”—१ इतिहास २९:११-१४.

परमेश्‍वर का उदाहरण

यीशु मसीह का एक शिष्य, याकूब जानता था कि यहोवा परमेश्‍वर किसी भी ऐसी वस्तु का स्रोत है जो हर तरीक़े से पूर्णतया अच्छी है। उसकी ओर से केवल पूर्ण दान ही आते हैं। याकूब ने लिखा: “हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, और न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।”—याकूब १:१७.

दान देने के मामले में भी, याकूब ने देखा कि परमेश्‍वर मनुष्यों से कितना भिन्‍न है। मनुष्य अच्छे दान दे सकते हैं लेकिन हमेशा ऐसा करते नहीं हैं। ये दान एक स्वार्थी उद्देश्‍य से दिए जा सकते हैं, या ये एक व्यक्‍ति को कुछ बुरा काम करने के लिए प्रलोभित करने के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं। यहोवा के साथ कोई अदल बदल नहीं है; वह बदलता नहीं है। इसलिए, जो दान वह देता है उनका स्वरूप नहीं बदलता। वे हमेशा शुद्ध होते हैं। वे हमेशा मानवजाति के कल्याण और ख़ुशी को बढ़ावा देते हैं। वे हमेशा कृपालु और मददगार होते हैं, कभी विनाशक नहीं होते।

दान देने के उद्देश्‍य

याकूब के दिनों में, लोकप्रिय धार्मिक नेता सिर्फ़ लोगों द्वारा देखे जाने के लिए ही दान दिया करते थे। वे एक बुरे उद्देश्‍य से देते थे। लोगों की प्रशंसा प्राप्त करने की उत्सुकता में, उन्होंने अपने धार्मिक स्तरों का समझौता किया। लेकिन, मसीहियों को भिन्‍न होना था। यीशु ने उन्हें सलाह दी: “इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं कि वे अपना फल पा चुके। परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए। ताकि तेरा दान गुप्त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।”—मत्ती ६:२-४.

एक मसीही के दान देने का कारण दूसरों की किसी ज़रूरत को पूरा करना या उन्हें ख़ुश करना या सच्ची उपासना को बढ़ावा देना होता है। यह अपनी बड़ाई के लिए नहीं होता है। आख़िरकार, यहोवा की आँखें हमारे हृदय की गहराई तक बेध सकती हैं। वह हमारे दया के दान के पीछे अन्तरतम उद्देश्‍य को देख सकता है।

यहोवा के गवाह दान देने में यहोवा और उसके पुत्र के उदाहरण का अनुकरण करने की कोशिश करते हैं। जो कुछ उनके पास है वे उसमें से देते हैं। उनके पास राज्य सुसमाचार है, और वे इसे दूसरों की आशिष के लिए देते हैं। वे जानते हैं कि नीतिवचन ३:९ कहता है: “अपनी संपत्ति के द्वारा, और अपनी भूमि की सारी पहिली उपज दे देकर यहोवा की प्रतिष्ठा करना।” क्योंकि हर शाखा दफ़्तर, कलीसिया, और व्यक्‍ति मन से सभी के कल्याण के लिए योग देना चाहता है, सम्पूर्ण भाईचारा आध्यात्मिक रूप से मज़बूत और समृद्ध बनता है। भौतिक समृद्धि आध्यात्मिक समृद्धि की ओर नहीं ले जाती, लेकिन आध्यात्मिक समृद्धि इतनी भौतिक समृद्धि ज़रूर लाती है जो यहोवा के कार्य की ज़रूरतों के लिए पर्याप्त है।

हिस्सा लेने के तरीक़े

अनेक तरीक़े हैं जिनमें हर कोई सुसमाचार के समर्थन के लिए व्यक्‍तिगत रूप से योग दे सकता है। एक तरीक़ा है राजगृह के सम्बन्ध में। कलीसिया के सभी सदस्य राजगृह को इस्तेमाल करते हैं। किसी ने इसके निर्माण या किराए, बिजली, वातानुकूलन, और देखरेख के लिए पैसा दिया है। क्योंकि हरेक व्यक्‍ति द्वारा कलीसिया समर्थन ज़रूरी है, राजगृह में अंशदान बक्स रखे जाते हैं, और जो स्वैच्छिक चंदा मिलता है उसे कलीसिया के ख़र्चों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जो बाक़ी बचता है उसमें से कलीसिया के निर्णय के अनुसार, स्थानीय वॉच टावर शाखा को अंशदान दिया जा सकता है।

अंशदान स्वयं संस्था की शाखा को संसार के उन भागों में मिशनरियों और ख़ास पायनियरों के प्रशिक्षण और समर्थन के लिए दिया जा सकता है जहाँ सुसमाचार आम जनता तक नहीं पहुँचा है। सुसमाचार को फैलाने के अन्य ख़र्च सफ़री ओवरसियरों के कार्य के सम्बन्ध में होते हैं। प्रेरित पौलुस ने, जिसने पहली शताब्दी में सफ़री कार्य में उदाहरण रखा, फिलिप्पी की कलीसिया को शाबाशी दी: “तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्या बरन दो बार कुछ भेजा था।” (फिलिप्पियों ४:१४-१६) पूर्ण-समय सेवा के इन पहलुओं के ख़र्च के अलावा, जो कि सभी शाखाओं में होते हैं, हर बेथेल घर की और जो वहाँ रहते और काम करते हैं उनकी देखरेख करनी होती है। उस साहित्य को लिखना और छापना जिसमें सुसमाचार का सुंदर संदेश होता है सचमुच परमेश्‍वर द्वारा दिए विशेषाधिकार हैं, लेकिन साहित्य का वितरण भी ज़रूरी है, और उसमें ख़र्च लगता है। फिर सम्मेलनों और अधिवेशनों का ख़र्च होता है, और “सुसमाचार की प्रतिरक्षा करने और उसे क़ानूनन स्थापित” करने के लिए जो मुक़द्दमे लड़े गए हैं उनके ख़र्च अलग हैं।—फिलिप्पियों १:७, NW.

यहोवा के प्रत्येक सेवक द्वारा जो समय सुसमाचार प्रचार में बिताया जाता है वह स्वैच्छिक होता है, और वैसे ही उसका भौतिक धन का देना भी होता है। सच्ची उपासना के विस्तार के समर्थन में इस्तेमाल होने के लिए नियमित रूप से पैसा एक तरफ़ रखने की सलाह प्रेरित पौलुस द्वारा दी गई है: “अब उस चन्दे के विषय में जो पवित्र लोगों के लिये किया जाता है, . . . सप्ताह के पहिले दिन तुम में से हर एक अपनी आमदनी के अनुसार कुछ अपने पास रख छोड़ा करे।”—१ कुरिन्थियों १६:१, २.

जब एक व्यक्‍ति चंदा देता है, वह हमेशा नहीं जानता कि यह ठीक किस प्रकार इस्तेमाल किया जाएगा, लेकिन वह राज्य प्रचार के विस्तार में परिणाम देखता है। यरबुक ऑफ़ जिहोवाज़ विटनेसेस्‌ १९९३ में दी गई रिपोर्टें दिखाती हैं कि राज्य सुसमाचार २०० से ज़्यादा देशों और समुद्र के द्वीपों में ४५,००,००० से ज़्यादा मसीही सेवकों द्वारा प्रचार किया जा रहा है। ये रिपोर्टें हृदय को ख़ुश कर देती हैं। फिर कोई भी दान, चाहे कितना भी बड़ा हो, संसार भर में सुसमाचार को फैलाने में सहायक होता है।

इस कार्य का अर्थप्रबन्ध सब के यौगिक दान से होता है। कुछ लोग ज़्यादा देने में समर्थ हैं, जो कि प्रचार कार्य में ज़्यादा हद तक सहायता करता है। दूसरे लोग कम देते हैं। लेकिन जो लोग थोड़ा चंदा देते हैं उन्हें लज्जित होने या ऐसा महसूस करने की ज़रूरत नहीं कि उनका हिस्सा बिलकुल महत्त्वहीन है। यहोवा निश्‍चय ही वैसा महसूस नहीं करता। यीशु ने इसे पूरी तरह स्पष्ट कर दिया जब उसने दिखाया कि यहोवा ने उस विधवा की दमड़ी की कितनी क़दर की। “और उस ने एक कंनाल बिधवा को भी उस में दो दमड़ियां डालते देखा। तब उस ने कहा; मैं तुम से सच कहता हूं कि इस कंगाल बिधवा ने सब से बढ़कर डाला है। क्योंकि उन सब ने अपनी अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्तु इस ने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है।”—लूका २१:२-४.

चाहे हमारी आर्थिक स्थिति कुछ भी क्यों न हो, हम ऐसे तरीक़ों से दे सकते हैं जो यहोवा को प्रसन्‍न करते हैं। भजनहार भली-भांति सार देता है कि हम किस प्रकार अपने राजा और न्यायी को महिमा दे सकते हैं। वह कहता है: “यहोवा के नाम की ऐसी महिमा करो जो उसके योग्य है; भेंट लेकर उसके आंगनों में आओ!” (भजन ९६:८) इसलिए, ऐसा हो कि हम अपने प्रसन्‍न दान के द्वारा अपने स्वर्गीय पिता के प्रेममय उदाहरण का अनुकरण करें क्योंकि उसने हमें पहले होकर दिया।

[पेज 30 पर बक्स]

कुछ लोग किस प्रकार राज्य-प्रचार कार्य के लिए चंदा देते हैं

▫ विश्‍वव्यापी कार्य के लिए अंशदान: अनेक लोग कुछ पैसा एक तरफ़ रखते हैं या बजट करते हैं जिसे वे उन अंशदान बक्सों में डालते हैं जिस पर लिखा होता है: “संस्था के विश्‍वव्यापी कार्य के लिए अंशदान—मत्ती २४:१४.” हर महीने कलीसियाएँ इस पैसे को ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में स्थित विश्‍व मुख्यालय में, या फिर सबसे नज़दीक के शाखा दफ़्तर में भेज देती हैं।

▫ दान: पैसे के रूप में स्वैच्छिक चंदा सीधे वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ पेन्सिल्वेनिया, २५ कोलम्बिया हाइटस्‌, ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क ११२०१ को, या संस्था के स्थानीय शाखा दफ़्तर को भेजा जा सकता है। गहने या अन्य मूल्यवान वस्तुएँ भी चंदे के रूप में दी जा सकती हैं। इन अंशदानों के साथ एक संक्षिप्त पत्र भेजा जाना चाहिए जिसमें कहा गया हो कि यह पूर्णतया दान है।

▫ शर्तबन्द-चंदा व्यवस्था: वॉच टावर सोसाइटी को दाता की मृत्यु तक न्यास (ट्रस्ट) में रखने के लिए पैसा दिया जा सकता है, यह इस प्रबन्ध के साथ हो सकता है कि निजी ज़रूरत के समय, यह दाता को वापस दे दिया जाएगा।

▫ बीमा: वॉच टावर सोसाइटी को जीवन बीमा-पत्र या सेवा-निवृत्ति/पेंशन योजना का लाभग्राही बनाया जा सकता है। संस्था को ऐसी किसी भी व्यवस्था के बारे में सूचना दी जानी चाहिए।

▫ बैंक खाते: बैंक खाते, जमा प्रमाण-पत्र, या व्यक्‍तिगत निवृत्ति खाते, स्थानीय बैंक माँगों के अनुरूप, वॉच टावर सोसाइटी के लिए न्यास में रखे जा सकते हैं या मृत्यु पर देय वॉच टावर सोसाइटी के नाम किए जा सकते हैं। संस्था को ऐसी किसी भी व्यवस्था के बारे में सूचना दी जानी चाहिए।

▫ शेयर और ऋणपत्र: शेयर और ऋणपत्र वॉच टावर को पूर्णतया दान के रूप में या ऐसी व्यवस्था के अधीन दिए जा सकते हैं जिसमें आमदनी पहले की तरह ही दाता को दी जाती है।

▫ भूसम्पत्ति: विक्रेय भूसम्पत्ति वॉच टावर सोसाइटी को पूर्णतया दान के रूप में दी जा सकती है या दाता के लिए आजीवन-सम्पदा सुरक्षित रखने के द्वारा दान की जा सकती है, जो वहाँ अपने जीवनकाल के दौरान रह सकता या सकती है। ऐसी किसी भी भूसम्पत्ति का संस्था के नाम दानपत्र बनाने से पहले व्यक्‍ति को संस्था के साथ संपर्क करना चाहिए।

▫ वसीयत और न्यास (ट्रस्ट): सम्पत्ति या पैसा वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ऑफ पेन्सिल्वेनिया को एक क़ानूनी तौर पर निष्पादित वसीयत के द्वारा दान दिया जा सकता है, या संस्था को एक न्यास अनुबन्ध का लाभग्राही बनाया जा सकता है। किसी धार्मिक संगठन को लाभ पहुँचानेवाले एक न्यास से कई कर लाभ मिल सकते हैं। वसीयत या न्यास अनुबन्ध पत्र की एक प्रति संस्था को भेजी जानी चाहिए।

ऐसे मामलों के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए Watch Tower Bible and Tract Society of India, H-58 Old Khandala Road, Lonavla 410 401, Mah. को या इस पत्रिका के प्रकाशकों को लिखिए।

[पेज 31 पर तसवीरें]

आपका चंदा किस प्रकार प्रयोग किया जाता है

1. बेथेल स्वयंसेवक

२. शाखा दफ़्तर निर्माण

३. संकट राहत

४. राज्यगृह

५. मिशनरी

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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