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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2012
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तन-मन से यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाना

“तुम चाहे जो भी काम करो, उसे तन-मन लगाकर ऐसे करो मानो यहोवा के लिए करते हो।”—कुलु. 3:23.

इनके जवाब ढूँढ़िए:

  • हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में यहोवा की महिमा कैसे कर सकते हैं?

  • परमेश्‍वर की उपासना में हम कौन-से बलिदान चढ़ाते हैं?

  • हम अपनी धन-संपत्ति यहोवा को बलिदान के तौर पर कैसे चढ़ा सकते हैं?

1-3. (क) क्या यीशु के बलिदान का मतलब यह है कि अब यहोवा हमसे कोई बलिदान नहीं चाहता? समझाइए। (ख) आज बलिदान चढ़ाने के बारे में क्या सवाल उठता है?

पहली सदी में यहोवा ने अपने लोगों पर यह ज़ाहिर किया कि यीशु के फिरौती बलिदान ने मूसा के कानून को रद्द कर दिया है। (कुलु. 2:13, 14) सदियों से यहूदी जो बलिदान चढ़ाते आए थे, अब न उनकी कोई ज़रूरत थी, ना ही उनका कोई मोल था। कानून ने ‘मसीह तक ले जानेवाले संरक्षक’ की अपनी भूमिका पूरी कर ली थी।—गला. 3:24.

2 मगर इसका यह मतलब नहीं कि मसीहियों को आज बलिदानों में दिलचस्पी लेने की ज़रूरत नहीं है। प्रेषित पतरस ने कहा कि “यीशु मसीह के ज़रिए परमेश्‍वर को ऐसे बलिदान चढ़ाओ जो उसकी पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन के मुताबिक हों और उसे मंज़ूर हों।” (1 पत. 2:5) वह आध्यात्मिक बलिदानों की बात कर रहा था। प्रेषित पौलुस ने भी समझाया कि एक समर्पित मसीही की ज़िंदगी के हर पहलू को “बलिदान” कहा जा सकता है।—रोमि. 12:1.

3 एक मसीही, यहोवा को अपनी चीज़ें भेंट करके या उसकी सेवा की खातिर कुछ चीज़ों का त्याग करके बलिदान चढ़ा सकता है। बलिदान के मामले में यहोवा ने इसराएलियों के लिए जो स्तर ठहराए थे, उसके आधार पर हम यह कैसे तय कर सकते हैं कि हमारे बलिदान यहोवा को मंज़ूर हैं या नहीं?

रोज़मर्रा की ज़िंदगी में

4. हमें रोज़मर्रा के कामों के बारे में क्या याद रखना चाहिए?

4 अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम जो काम करते हैं उसकी तुलना यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाने से करना शायद हमें अजीब लगे। हम सोच सकते हैं कि घर के काम, स्कूल के काम, नौकरी-पेशे, खरीददारी वगैरह का आध्यात्मिक बातों से क्या नाता हो सकता है। लेकिन, अगर आपने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की है या करनेवाले हैं तो इन रोज़मर्रा के कामों के बारे में आपका रवैया काफी मायने रखता है। हम चौबीसों घंटे एक मसीही हैं। शास्त्र में दिए सिद्धांतों को हमें अपनी ज़िंदगी के हर पहलू में लागू करना चाहिए। इसलिए प्रेषित पौलुस ने यह बढ़ावा दिया: “तुम चाहे जो भी काम करो, उसे तन-मन लगाकर ऐसे करो मानो यहोवा के लिए करते हो न कि इंसानों के लिए।”—कुलुस्सियों 3:18-24 पढ़िए।

5, 6. हमें चालचलन और पहनावे जैसे मामलों में क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?

5 एक मसीही के रोज़मर्रा के काम उसकी पवित्र सेवा का भाग नहीं होते। लेकिन पौलुस के ये शब्द कि हर काम ‘तन-मन लगाकर यहोवा के लिए करो’, हमें अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी के बारे में सोचने पर मजबूर कर देते हैं। हम इस सलाह को खुद पर कैसे लागू कर सकते हैं? क्या हमारे पहनावे और चालचलन से हमेशा गरिमा झलकती है? या रोज़मर्रा के काम करते वक्‍त हम यहोवा के साक्षी के तौर पर खुद की पहचान कराने में झिझक महसूस करते हैं क्योंकि हमारा चालचलन या पहनावा ठीक नहीं है? ऐसा कभी ना हो! यहोवा के लोग ऐसा कुछ नहीं करना चाहेंगे जिससे यहोवा के नाम की बदनामी हो।—यशा. 43:10; 2 कुरिं. 6:3, 4, 9.

6 आइए अब इस बात पर ध्यान दें कि अगर हम ‘यहोवा के लिए तन-मन लगाकर’ काम करने की इच्छा रखते हैं, तो इस फैसले का हमारी ज़िंदगी पर क्या असर होगा। यह भी याद रखिए कि यहोवा चाहता था कि इसराएली उसे जो बलिदान चढ़ाएँ वे सबसे बढ़िया हों।—निर्ग. 23:19.

इसका आपकी ज़िंदगी पर असर

7. मसीही समर्पण का मतलब क्या है?

7 जब आपने खुद को यहोवा को समर्पित किया था, तो आपने बिना किसी शर्त उसकी सेवा करने का वादा किया था, है ना? एक तरह से आपने कहा था कि आपकी ज़िंदगी में चाहे जैसे भी हालात आएँ, आप यहोवा की मरज़ी को पहली जगह देंगे। (इब्रानियों 10:7 पढ़िए।) यह एक बढ़िया कदम था। बेशक आपने देखा होगा कि जब आप कोई फैसला लेने से पहले यह पता करते हैं कि इस मामले में यहोवा की मरज़ी क्या है और फिर उसके मुताबिक काम करने की कोशिश करते हैं तो इससे आपको फायदा होता है। (यशा. 48:17, 18) हम अपने सिखानेवाले परमेश्‍वर यहोवा के गुणों को ज़ाहिर करते हैं इसलिए हम भी पवित्र और आनंदित रहते हैं।—लैव्य. 11:44; 1 तीमु. 1:11.

8. हमें यह क्यों याद रखना चाहिए कि इसराएली यहोवा को जो बलि चढ़ाते थे, उन्हें पवित्र माना जाता था?

8 इसराएली यहोवा को जो बलि चढ़ाते थे, उन्हें पवित्र माना जाता था। (लैव्य. 6:25; 7:1) “पवित्रता” के लिए जो मूल इब्रानी शब्द इस्तेमाल किया गया था, वह परमेश्‍वर के लिए अलग रखे जाने या पावन ठहराए जाने का विचार देता है। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बलिदान यहोवा को मंज़ूर हों, तो ज़रूरी है कि हम दुनिया से अलग हों और उसकी सोच से दूषित न हों। हमें किसी ऐसी चीज़ से प्यार नहीं करना चाहिए जिससे यहोवा नफरत करता है। (1 यूहन्‍ना 2:15-17 पढ़िए।) इसका मतलब है कि हमें ऐसी संगति नहीं करनी चाहिए या फिर ऐसे कामों में शामिल नहीं होना चाहिए जिससे हम परमेश्‍वर की नज़र में दूषित हो जाएँ। (यशा. 2:4; प्रका. 18:4) इसका मतलब यह भी है कि हम अपनी आँखें ऐसी चीज़ों पर नहीं लगाए रखेंगे जो गंदी या अनैतिक हों, ना ही हम ऐसी चीज़ों की कल्पना करेंगे।—कुलु. 3:5, 6.

9. भलाई करना और दूसरों की मदद करना इतना ज़रूरी क्यों है?

9 पौलुस ने मसीहियों को बढ़ावा दिया: “भलाई करना और अपनी चीज़ों से दूसरों की मदद करना न भूलो, क्योंकि परमेश्‍वर ऐसे बलिदानों से बहुत खुश होता है।” (इब्रा. 13:16) इसका मतलब है कि भलाई करने और दूसरों की मदद करने को यहोवा एक ऐसा बलिदान समझता है जो उसे मंज़ूर है। दूसरों के लिए प्यार-भरी परवाह दिखाना सच्चे मसीहियों की पहचान है।—यूह. 13:34, 35; कुलु. 1:10.

उपासना में किए जानेवाले बलिदान

10, 11. यहोवा हमारे प्रचार काम और हमारी उपासना को किस नज़र से देखता है और इस बात का हम पर क्या असर होना चाहिए?

10 दूसरों की भलाई करने का एक तरीका है, “अपनी आशा का सब लोगों के सामने ऐलान” करना। क्या आप हर मौके का फायदा उठाकर गवाही देते हैं? पौलुस ने इस ज़रूरी मसीही काम को “गुणगान का बलिदान” कहा “यानी अपने होठों का फल जो [परमेश्‍वर के] नाम का सरेआम ऐलान करते हैं।” (इब्रा. 10:23; 13:15; होशे 14:2) अच्छा होगा कि हम इस बारे में सोचें कि खुशखबरी का प्रचार करने में हम और ज़्यादा वक्‍त कैसे बिता सकते हैं और इसमें हम ज़्यादा असरदार कैसे हो सकते हैं। सेवा-सभा के कई भाग ऐसा करने में हमारी मदद करते हैं। घर-घर की सेवा और मौका ढूँढ़कर गवाही देने का हमारा काम, “गुणगान का बलिदान” है यानी हमारी उपासना का हिस्सा है इसलिए हमें इस काम में अपनी तरफ से सबसे बढ़िया बलिदान देना चाहिए। हालाँकि हमारे हालात अलग-अलग हैं, लेकिन अकसर आध्यात्मिक बातों के लिए हमारी कदर इस बात से ज़ाहिर होती है कि हम कितना वक्‍त प्रचार में बिताते हैं।

11 इसके अलावा मसीही, नियमित तौर पर उपासना में समय बिताते हैं, फिर चाहे यह निजी तौर पर हो या एक समूह के तौर पर। यहोवा हमसे ऐसा करने की माँग करता है। यह सच है कि आज हमें सब्त के विश्राम का कानून मानने की ज़रूरत नहीं, ना ही हमें त्योहार मनाने के लिए यरूशलेम जाना पड़ता है। लेकिन पुराने ज़माने के ये रिवाज़ आज भी मसीही जीवन के लिए मायने रखते हैं। परमेश्‍वर अपने सेवकों से आज भी उम्मीद करता है कि वे फिज़ूल के कामों से वक्‍त निकालें और उसके वचन का अध्ययन करें, प्रार्थना करें, मसीही सभाओं में हाज़िर हों और यह भी कि मसीही परिवार के मुखिया अपने परिवार के साथ पारिवारिक उपासना करें। (1 थिस्स. 5:17; इब्रा. 10:24, 25) इस मामले में हम खुद से पूछ सकते हैं: ‘क्या मैं अपनी उपासना बेहतर तरीके से कर सकता हूँ?’

12. (क) पुराने ज़माने में उपासना में चढ़ायी जानेवाली धूप की तुलना आज हम किससे कर सकते हैं? (ख) इस बात का हमारी प्रार्थनाओं पर क्या असर होना चाहिए?

12 राजा दाविद ने यहोवा के लिए एक गीत में लिखा: “मेरी प्रार्थना तेरे साम्हने सुगन्ध धूप . . . ठहरे।” (भज. 141:2) एक पल के लिए अपनी प्रार्थनाओं के बारे में सोचिए। क्या आप नियमित तौर पर प्रार्थना करते हैं? आपकी प्रार्थनाएँ किस तरह की हैं? प्रकाशितवाक्य की किताब ‘पवित्र जनों की प्रार्थनाओं’ की तुलना धूप से करती है। उनकी प्रार्थनाएँ एक सुगंधित धूप की तरह यहोवा के दिल को भा जाती हैं। (प्रका. 5:8) इसराएल में जो धूप यहोवा की वेदी पर नियमित तौर पर चढ़ायी जाती थी उसे बहुत सावधानी से तैयार किया जाना था। वह यहोवा को सिर्फ तभी कबूल होती जब वह उसकी हिदायतों के मुताबिक तैयार की गयी होती। (निर्ग. 30:34-37; लैव्य. 10:1, 2) उसी तरह, दिल से की गयी हमारी प्रार्थनाएँ यहोवा को ज़रूर कबूल होंगी अगर ये उसकी हिदायतों के मुताबिक की जाएँ।

हम देते हैं और पाते भी हैं

13, 14. (क) इपफ्रुदीतुस और फिलिप्पी की मंडली ने पौलुस के लिए क्या किया और प्रेषित पौलुस ने इस बारे में कैसा महसूस किया? (ख) हम इपफ्रुदीतुस और फिलिप्पियों की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

13 दुनिया-भर में हो रहे काम के लिए किए गए दान को हम एक बलिदान कह सकते हैं, फिर चाहे हम ज़्यादा दान करें या कम। (मर. 12:41-44) पहली सदी में फिलिप्पी की मंडली ने इपफ्रुदीतुस को पौलुस की ज़रूरतों का ख्याल रखने के लिए रोम भेजा। भाई-बहनों ने एक तोहफे के तौर पर शायद इपफ्रुदीतुस के हाथ कुछ पैसे भी भेजे थे। फिलिप्पी की मंडली ने ऐसा पहली बार नहीं किया था, उन्होंने पहले भी पौलुस को उदारता दिखायी थी। ऐसा करके वे पौलुस को पैसों की चिंता से मुक्‍त करना चाहते थे ताकि वह अपनी सेवा पर ध्यान दे सके। पौलुस ने उस तोहफे को किस नज़र से देखा? उसने कहा कि यह “परमेश्‍वर को भानेवाला ऐसा खुशबूदार बलिदान है जिससे वह बेहद खुश होता है।” (फिलिप्पियों 4:15-19 पढ़िए।) वाकई पौलुस ने फिलिप्पियों की इस भलाई की कदर की और ज़ाहिर है यहोवा ने भी ऐसा किया।

14 उसी तरह आज जब हम दुनिया-भर में हो रहे काम के लिए दान करते हैं, तो यहोवा उसकी दिल से कदर करता है। इसके अलावा, उसने वादा किया है कि अगर हम राज के कामों को ज़िंदगी में पहली जगह देते रहें, तो वह हमारी शारीरिक और आध्यात्मिक ज़रूरतों का ख्याल रखेगा।—मत्ती 6:33; लूका 6:38.

कदरदानी ज़ाहिर कीजिए

15. आपके पास यहोवा का एहसान मानने की क्या वजह हैं?

15 अगर हम इस बारे में सोचें कि हमारे पास यहोवा का एहसान मानने की कितनी वजह हैं, तो शायद हम इन्हें गिन ही न पाएँ। क्या हमें हर दिन उसका शुक्रिया अदा नहीं करना चाहिए कि उसने हमें ज़िंदगी का खूबसूरत तोहफा दिया है? वह ज़रूरत की हर चीज़ मुहैया कराता है जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, यहाँ तक कि हवा भी जो हमें ज़िंदा रखती है। इसके अलावा, सही ज्ञान पर आधारित हमारा विश्‍वास, हमें आशा देता है। हमें बनाने के अलावा यहोवा ने हमारे लिए जो कुछ किया है वह उसकी उपासना करने और उसे गुणगान के बलिदान चढ़ाने के लिए एक बड़ी वजह है।—प्रकाशितवाक्य 4:11 पढ़िए।

16. हम मसीह के फिरौती बलिदान के लिए अपनी कदरदानी कैसे दिखा सकते हैं?

16 जैसा कि हमने पिछले लेख में देखा, यीशु मसीह का फिरौती बलिदान एक कीमती तोहफा है जो यहोवा ने मानवजाति को दिया है। यह यहोवा के प्यार का क्या ही ज़बरदस्त सबूत है! (1 यूह. 4:10) हम इस प्यार के लिए अपना एहसान कैसे दिखा सकते हैं? पौलुस ने कहा: “मसीह का प्यार हमें मजबूर करता है, क्योंकि हमने यह निचोड़ निकाला है: एक आदमी सबके लिए मरा . . . वह सबके लिए मरा ताकि जो जीते हैं वे अब से खुद के लिए न जीएँ, बल्कि उसके लिए जीएँ जो उनके लिए मरा और जी उठाया गया।” (2 कुरिं. 5:14, 15) दरअसल पौलुस कह रहा था कि अगर हम परमेश्‍वर की महा-कृपा की कदर करते हैं, तो हम अपनी ज़िंदगी इस तरह जीएँगे कि यहोवा और उसके बेटे की महिमा हो। परमेश्‍वर और यीशु मसीह की आज्ञा मानने, साथ ही प्रचार करने और चेला बनाने के काम में हिस्सा लेने के ज़रिए हम उनके लिए अपना प्यार और कदरदानी दिखा सकते हैं।—1 तीमु. 2:3, 4; 1 यूह. 5:3.

17, 18. किन तरीकों से कुछ भाई-बहनों ने यहोवा को चढ़ाए गुणगान के बलिदानों को और सुधारा है? एक मिसाल दीजिए।

17 क्या आप परमेश्‍वर को चढ़ाए गए गुणगान के बलिदानों को और सुधार सकते हैं? जब कई लोगों ने इस बात पर मनन किया कि यहोवा ने उनके लिए क्या-क्या भलाई के काम किए हैं तो वे अपनी ज़िंदगी में फेरबदल करने के लिए उभारे गए। नतीजतन उन्होंने प्रचार और राज के दूसरे कामों में और ज़्यादा हिस्सा लिया। कुछ लोग साल में एक या दो महीने सहायक पायनियर के तौर पर सेवा कर पाए हैं तो दूसरे पायनियर बन पाए हैं। कुछ और निर्माण-काम में हिस्सा ले पाए हैं। क्या ये कदरदानी दिखाने के बेहतरीन तरीके नहीं हैं? अगर ऐसे पवित्र काम कदरदानी ज़ाहिर करने और शुक्रिया अदा करने के इरादे से किए जाएँ, तो परमेश्‍वर इन्हें कबूल करता है।

18 यहोवा के लिए एहसान की भावना बहुत-से मसीहियों को उभारती है कि वे उसकी सेवा में और ज़्यादा करें। उनमें से एक है बहन मोरेना। वह एक कैथोलिक परिवार में पली-बढ़ी थी। उसने अपने धर्म और एशियाई तत्वज्ञान में परमेश्‍वर के बारे में अपने सवालों के जवाब ढूँढ़ने की कोशिश की मगर उसे निराशा ही हाथ लगी। जब उसने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया तब जाकर उसकी आध्यात्मिक प्यास बुझी। जब उसे शास्त्र से अपने सवालों के जवाब मिले तो उसकी ज़िंदगी को एक नयी दिशा मिल गयी। यहोवा का धन्यवाद करने के लिए उसने खुद को पूरी तरह उसकी सेवा में लगा देने की ठानी। बपतिस्मे के तुरंत बाद, वह नियमित तौर पर सहयोगी पायनियर सेवा करने लगी ओर जब उसके हालात सुधरे, तब वह पायनियर बन गयी। यह 30 साल पहले की बात है। मोरेना आज भी पूरे-समय की सेवा कर रही है।

19. आप अपने बलिदानों को कैसे बेहतर बना सकते हैं?

19 बेशक, यहोवा के ऐसे बहुत से वफादार सेवक हैं जिनके हालात उन्हें पायनियर सेवा करने की इजाज़त नहीं देते। हम यहोवा की सेवा में चाहे जितना भी कर पाएँ, हम सब उसे ऐसे आध्यात्मिक बलिदान चढ़ा सकते हैं जो उसे मंज़ूर हों। चालचलन के मामले में, हमें उसके नेक उसूलों के मुताबिक चलने की ज़रूरत है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम हर समय उसके लोगों के तौर पर जाने जाते हैं। हमें पूरा विश्‍वास है कि यहोवा अपना मकसद ज़रूर पूरा करेगा। खुशखबरी का प्रचार करने के ज़रिए हम भले कामों में हिस्सा लेते हैं। यहोवा ने हमारे लिए जो कुछ किया है, उसके लिए एहसान भरे दिल से आइए हम तन-मन से यहोवा को बलिदान चढ़ाते रहें!

[पेज 25 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

क्या यहोवा की भलाई आपको उभारती है कि आप अपने गुणगान के बलिदानों को बेहतर बनाएँ?

[पेज 23 पर तसवीर]

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