बाइबल की किताब नंबर 37—हाग्गै
लेखक: हाग्गै
लिखने की जगह: यरूशलेम
लिखना पूरा हुआ: सा.यु.पू. 520
कब से कब तक का ब्यौरा: 112 दिन (सा.यु.पू. 520)
उसका नाम था हाग्गै। और उसका काम था, ‘यहोवा का दूत’ और नबी बनकर उसकी सेवा करना। मगर वह कहाँ से आया था? (हाग्गै 1:13) वह कौन था? हाग्गै छोटे नबियों की सूची में दसवें नंबर पर आता है। सामान्य युग पूर्व 537 में जब यहूदी अपने वतन वापस लौटे, तब वहाँ भविष्यवाणी का काम करनेवाले तीन नबियों में से हाग्गै सबसे पहला था। बाकी दो नबी जकर्याह और मलाकी थे। हाग्गै (इब्रानी में, खग्गाई) नाम का मतलब है, “उत्सव [पर पैदा हुआ]।” इससे पता चलता है कि वह शायद किसी पर्व के दिन पैदा हुआ था।
2 यहूदी परंपरा के मुताबिक, यह मानना सही है कि हाग्गै बाबुल में पैदा हुआ था और वह जरुब्बाबेल और महायाजक यहोशू के साथ यरूशलेम लौट गया था। उसने जकर्याह नबी के साथ मिलकर काम किया था। एज्रा 5:1 और एज्रा 6:14 से पता चलता है कि कैसे इन दोनों ने बंधुआई से लौटे यहूदियों में जोश भरा था ताकि वे मंदिर बनाने का काम दोबारा शुरू करें। हाग्गै दो मायनों में यहोवा का नबी था। पहला, उसने यहूदियों को उकसाया कि वे यहोवा की तरफ अपना फर्ज़ पूरा करें। और दूसरा, उसने कई भविष्यवाणियों के अलावा यह भविष्यवाणी भी की कि सारी जातियों को कँपकँपाया जाएगा।—हाग्गै 2:6, 7.
3 यहोवा ने हाग्गै को यहूदियों के पास क्यों भेजा? क्योंकि सा.यु.पू. 537 में कुस्रू ने एक फरमान जारी किया था जिसके तहत यहूदियों को अपने वतन लौटकर यहोवा का भवन दोबारा खड़ा करने की इजाज़त दी गयी थी। लेकिन अब सा.यु.पू. 520 आ गया था, फिर भी मंदिर बनकर तैयार नहीं हुआ। इन तमाम सालों के दौरान यहूदी, दुश्मनों के विरोध सहते-सहते, साथ ही बेरुखी का शिकार होने और धन-दौलत के लालच में पड़ने की वजह से यह भूल गए थे कि वे किस लिए बंधुआई से लौटे थे।—एज्रा 1:1-4; 3:10-13; 4:1-24; हाग्गै 1:4.
4 बाइबल में दर्ज़ रिकॉर्ड बताता है कि (सा.यु.पू. 536 में) मंदिर की नींव अभी डाली ही गयी थी कि “देश के लोग यहूदियों के हाथ ढीला करने और उन्हें डराकर मन्दिर बनाने में रुकावट डालने लगे। और . . . उनके मनोरथ को निष्फल करने के लिये वकीलों को रुपया देते रहे।” (एज्रा 4:4, 5) आखिरकार, सा.यु.पू. 522 में ये गैर-यहूदी विरोधी, राजा से हुक्म जारी करवाकर मंदिर के काम पर पाबंदी लगाने में कामयाब हो गए। हाग्गै ने फारसी राजा दारा हिस्तसपिस की हुकूमत के दूसरे साल, यानी सा.यु.पू. 520 में भविष्यवाणी करना शुरू किया और इससे यहूदियों में मंदिर का काम दोबारा शुरू करने का जोश भर आया। यह देखकर आस-पड़ोस के राज्यपालों ने दारा को एक खत लिखा और उसे इस मसले पर अपना फैसला सुनाने के लिए कहा। इस पर दारा ने कुस्रू के फरमान को दोबारा जारी किया और यहूदियों का साथ दिया न कि उनके दुश्मनों का।
5 यहूदियों को कभी इस बात पर शक नहीं था कि हाग्गै की किताब, इब्रानी संग्रह का हिस्सा है। यह बात इससे भी पुख्ता होती है कि एज्रा 5:1 में हाग्गै को “इस्राएल के परमेश्वर के नाम से” नबूवत करनेवाला बताया गया है और एज्रा 6:14 में भी उसका हवाला दिया गया है। हाग्गै की किताब ‘परमेश्वर की प्रेरणा से रचे गए सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र’ का हिस्सा है, यह इस बात से साबित होता है कि पौलुस ने इब्रानियों 12:26 में इस किताब से हवाला दिया था। उसने कहा: “अब उस ने यह प्रतिज्ञा की है, कि एक बार फिर मैं केवल पृथ्वी को नहीं, बरन आकाश को भी हिला दूंगा।”—हाग्गै 2:6.
6 हाग्गै की भविष्यवाणी में चार पैगाम शामिल हैं जिन्हें उसने 112 दिनों के दौरान सुनाया था। उसकी शैली सरल है और वह बातों को घुमा-फिराकर नहीं लिखता बल्कि सीधे मुद्दे पर आता है। और वह जिस तरह यहोवा के नाम पर ज़ोर देता है, वह खासकर गौरतलब है। अपनी किताब की 38 आयतों में, वह 35 बार यहोवा के नाम का ज़िक्र करता है, जिनमें से 14 बार यह नाम, शब्द “सेनाओं के यहोवा” में आता है। वह शक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ता कि उसका पैगाम यहोवा की तरफ से था: “यहोवा के दूत हाग्गै ने यहोवा से आज्ञा पाकर उन लोगों से यह कहा, यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम्हारे संग हूं।”—1:13.
7 परमेश्वर के लोगों के इतिहास में यह सबसे अहम वक्त था और हाग्गै का काम बहुत फायदेमंद साबित हुआ। वह भविष्यवाणी करने के अपने काम से कभी पीछे नहीं हटा और ना ही उसने यहूदियों को अपना पैगाम सुनाने में नरमी बरती। इसके बजाय, उसने उनसे सीधे-सीधे कहा कि यह टालमटोल करने का नहीं, काम करने का वक्त है। अगर वे यहोवा से आशीषें पाना चाहते थे, तो उन्हें यहोवा का भवन दोबारा बनाने और सच्ची उपासना को बहाल करने के काम में जुट जाना था। हाग्गै के पैगाम का निचोड़ यह है कि सच्चे परमेश्वर यहोवा की उपासना करने और उसका दिया हुआ काम पूरा करने से ही एक इंसान उससे आशीषें पा सकता है।
क्यों फायदेमंद है
13 यहोवा ने हाग्गै के ज़रिए जो चार पैगाम सुनाए थे, वे उस ज़माने के यहूदियों के लिए फायदेमंद साबित हुए। इन पैगामों से उनमें इतना जोश भर आया कि वे मंदिर बनाने के काम में लग गए। नतीजा, साढ़े चार साल के अंदर ही मंदिर बनकर तैयार हो गया और इस्राएल में सच्ची उपासना फिर से होने लगी। (एज्रा 6:14, 15) यहूदियों ने तन-मन से जो काम किया, उस पर यहोवा ने आशीष दी। मंदिर के निर्माण के दौरान ही फारस के राजा दारा ने सरकारी दस्तावेज़ों की जाँच-पड़ताल की और कुस्रू के फरमान को दोबारा जारी किया। इस तरह उसकी मदद से मंदिर का काम पूरा हुआ।—एज्रा 6:1-13.
14 हाग्गै की किताब हमारे ज़माने के लिए भी बुद्धि-भरी सलाह देती है। वह कैसे? पहले तो यह इस बात पर ज़ोर देती है कि एक इंसान को ज़िंदगी में अपने सुख-चैन से ज़्यादा परमेश्वर की उपासना को पहली जगह देनी चाहिए। (हाग्गै 1:2-8; मत्ती 6:33) यह किताब इन बातों को भी मन में बिठा देती हैं: स्वार्थी होने से एक इंसान अपना ही नुकसान करता है, धन-दौलत के पीछे भागना व्यर्थ है, और यहोवा की आशीष और शांति ही एक इंसान को धनी बनाती है। (हाग्गै 1:9-11; 2:9; नीति. 10:22) यह किताब इस बात पर भी ज़ोर देती है कि परमेश्वर की सेवा अपने आपमें एक इंसान को शुद्ध नहीं करती, बल्कि साफ मन और जी-जान से की गयी सेवा उसे पवित्र करती है। और इस सेवा को अशुद्ध चालचलन से दूषित नहीं किया जाना चाहिए। (हाग्गै 2:10-14; कुलु. 3:23; रोमि. 6:19) हाग्गै की किताब बताती है कि परमेश्वर के सेवकों को निराशावादी नहीं होना चाहिए यानी सिर्फ “बीते हुए अच्छे दिनों” की यादों में खोए नहीं रहना चाहिए। बल्कि उन्हें आगे की ओर देखते हुए ‘अपने अपने चालचलन पर सोचना’ या ध्यान देना चाहिए और यहोवा की महिमा करने के मौके ढूँढ़ने चाहिए। तब यहोवा उनके संग रहेगा।—हाग्गै 2:3, 4; 1:7, 8, 13; फिलि. 3:13, 14; रोमि. 8:31.
15 एक बार जब यहूदी, मंदिर के काम में जुट गए, तो उन्हें यहोवा की आशीषें मिलीं और वे फलने-फूलने लगे। उनके रास्ते की सारी रुकावटें दूर हो गयीं। और देखते-ही-देखते मंदिर का निर्माण पूरा हो गया। निडरता और जोश के साथ किए जानेवाले काम पर यहोवा हमेशा आशीष देता है। विश्वास और हिम्मत से हम हर बाधा पार कर सकते हैं, फिर चाहे यह सचमुच की बाधा हो या बस हमारे मन की हो। ‘यहोवा के वचन’ को मानने से अच्छे नतीजे मिलते हैं।—हाग्गै 1:1.
16 हाग्गै 2:6 में दी इस भविष्यवाणी के बारे में क्या कि यहोवा ‘आकाश और पृथ्वी को कम्पित करेगा’? प्रेरित पौलुस भविष्यवाणी के इन शब्दों को इस तरह लागू करता है: “अब [परमेश्वर] ने यह प्रतिज्ञा की है, कि एक बार फिर मैं केवल पृथ्वी को नहीं, बरन आकाश को भी हिला दूंगा। और यह वाक्य ‘एक बार फिर’ इस बात को प्रगट करता है, कि जो वस्तुएं हिलाई जाती हैं, वे सृजी हुई वस्तुएं होने के कारण टल जाएंगी; ताकि जो वस्तुएं हिलाई नहीं जातीं, वे अटल बनी रहें। इस कारण हम इस राज्य को पाकर जो हिलने का नहीं, उस अनुग्रह को हाथ से न जाने दें, जिस के द्वारा हम भक्ति, और भय सहित, परमेश्वर की ऐसी आराधना कर सकते हैं जिस से वह प्रसन्न होता है। क्योंकि हमारा परमेश्वर भस्म करनेवाली आग है।” (इब्रा. 12:26-29) हाग्गै बताता है कि ‘राज्य-राज्य की गद्दी को उलटने; और अन्यजातियों के राज्य-राज्य का बल तोड़ने’ के लिए ही आकाश और पृथ्वी को कंपित किया जा रहा है। (हाग्गै 2:21, 22) इस भविष्यवाणी का हवाला देते हुए पौलुस कहता है कि इसके उलट, परमेश्वर का राज्य ‘हिलाया नहीं जा सकता।’ इस राज्य की आशा पर मनन करते हुए आइए हम “हियाव बान्धकर काम” करें और परमेश्वर की पवित्र सेवा में लगे रहें। हम यह भी याद रखें कि इससे पहले कि यहोवा धरती की जातियों को उलट दे, उनमें से कुछ बेशकीमती वस्तुएँ बचकर निकल आएँगी, जैसे कि लिखा है: “मैं सारी जातियों को कम्पकपाऊंगा, और सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं आएंगी; और मैं इस भवन को अपनी महिमा के तेज से भर दूंगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।”—2:4, 7.