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  • सबके साथ अच्छे रिश्‍ते कैसे बनाएँ?

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  • सबके साथ अच्छे रिश्‍ते कैसे बनाएँ?
  • सजग होइए!—2021
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सजग होइए!—2021
g21 अंक 1 पेज 6-7
एक परिवार ने अपने घर मेहमानों को खाने पर बुलाया है।

सबके साथ अच्छे रिश्‍ते कैसे बनाएँ?

ईश्‍वर ने हमें बढ़िया सलाह दी है जिसे मानने से हम सबके साथ अच्छा रिश्‍ता बना सकते हैं। बहुत-से लोगों को उसकी सलाह मानकर फायदा हुआ है। वे घर में, काम की जगह पर और अपने दोस्तों के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बना पाए हैं। आइए देखें कि ईश्‍वर ने हमें क्या सलाह दी है।

एक-दूसरे को माफ कीजिए

‘अगर किसी के पास दूसरे के खिलाफ शिकायत की कोई वजह है, तो भी एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करते रहो।’​—कुलुस्सियों 3:13.

हम सब से गलतियाँ होती हैं। कभी हम लोगों का दिल दुखाते हैं, तो कभी वे हमारा। इसलिए हमें एक-दूसरे को माफ करना चाहिए। जब हम दूसरों को माफ करते हैं, तो हम उनसे नाराज़ नहीं रहते। हम “बुराई का बदला बुराई से” नहीं देते और न ही उनकी गलतियाँ उन्हें बार-बार याद दिलाते हैं। (रोमियों 12:17) लेकिन कई बार हमें किसी बात का इतना बुरा लगता है कि हम उसे भुला नहीं पाते और हमारे लिए दूसरों को माफ करना मुश्‍किल हो जाता है। तब हमें क्या करना चाहिए? हमें उस व्यक्‍ति से जाकर अकेले में बात करनी चाहिए, ताकि हमारे बीच सबकुछ पहले जैसा हो जाए। इस दौरान हमें एक-दूसरे को सही या गलत साबित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।​—रोमियों 12:18.

नम्र रहिए और सबकी इज़्ज़त कीजिए

“नम्रता से दूसरों को खुद से बेहतर समझो।”​—फिलिप्पियों 2:3.

हम सभी ऐसे लोगों से दोस्ती करना चाहते हैं जो नम्र होते हैं, दूसरों की इज़्ज़त करते हैं और सबके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। ऐसे लोग जान-बूझकर किसी को चोट नहीं पहुँचाते। जो लोग खुद को कुछ ज़्यादा ही समझते हैं और हमेशा अपनी चलाना चाहते हैं, उनसे कोई दोस्ती नहीं करना चाहता।

भेदभाव मत कीजिए

“परमेश्‍वर भेदभाव नहीं करता, मगर हर वह इंसान जो उसका डर मानता है और सही काम करता है, फिर चाहे वह किसी भी राष्ट्र का क्यों न हो, उसे वह स्वीकार करता है।”​—प्रेषितों 10:34, 35.

ऊपरवाले की नज़र में सब लोग एक-समान हैं, फिर चाहे वे किसी भी देश के हों, कोई भी भाषा बोलते हों, अमीर हों या गरीब या उनका जो भी रंग-रूप हो। “उसने एक ही इंसान से सारे राष्ट्र बनाए,” इसलिए हम सब भाई-बहन हैं। (प्रेषितों 17:26) जब हम लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, तो उन्हें भी खुशी होती है और हमें भी। और सबसे बढ़कर हम अपने बनानेवाले का दिल खुश करते हैं।

शांत और कोमल स्वभाव बनाए रखिए

‘कोमलता का पहनावा पहन लो।’​—कुलुस्सियों 3:12.

अगर हम कोमल स्वभाव के होंगे, तो लोग आसानी से हमसे बात कर पाएँगे। और अगर हमसे कोई गलती हो जाए, तो वे हमें बताने से हिचकिचाएँगे नहीं, क्योंकि उन्हें पता होगा कि हम भड़केंगे नहीं, बल्कि शांत रहेंगे। जब कोई हमें बुरा-भला कहे, तब भी अगर हम शांति से जवाब दें, तो सामनेवाले का गुस्सा भी शांत हो सकता है। एक बुद्धिमान व्यक्‍ति ने कहा था, “नरमी से जवाब देने पर क्रोध शांत हो जाता है, लेकिन चुभनेवाली बात से गुस्सा भड़क उठता है।”​—नीतिवचन 15:1.

उदार बनिए और एहसान मानिए

“लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।”​—प्रेषितों 20:35.

आज कई लोग लालची हैं और सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। लेकिन सच तो यह है कि सच्ची खुशी उदार होने से ही मिलती है। (लूका 6:38) जिनका दिल बड़ा होता है, वे चीज़ों से ज़्यादा लोगों से प्यार करते हैं। जब कोई उन्हें कुछ देता है, तो वे उनका एहसान मानते हैं और दिल से उनका धन्यवाद करते हैं। (कुलुस्सियों 3:15) ज़रा सोचिए, आपको कैसे लोग पसंद हैं, कंजूस या उदार? जो दूसरों का शुक्रिया अदा करते हैं या जो बिलकुल एहसान नहीं मानते? तो क्यों न आप भी उदार बनें और दूसरों का दिल से धन्यवाद करें।​—मत्ती 7:12.

अब मैं दूसरों को नीची नज़रों से नहीं देखती

आशा का कहना है, “शास्त्र में बताया गया है कि हमें दूसरों के बारे में वैसा ही सोचना चाहिए जैसा हम खुद के बारे में सोचते हैं। हमें खुद को बड़ा बुद्धिमान नहीं समझना चाहिए।” (रोमियों 12:16) उन्होंने यह भी कहा, “इस सलाह से मुझे बहुत फायदा हुआ है। पहले मैं अपनी जाति और धर्म को दूसरों से बेहतर समझती थी। लेकिन अब मैं दूसरों को नीची नज़रों से नहीं देखती। मैं सभी से अच्छे से बात करती हूँ।”

आशा।

और जानिए:

सबके साथ अच्छे रिश्‍ते कैसे बनाएँ, इस बारे में और जानने के लिए हमारी वेबसाइट jw.org पर जाइए और शास्त्र से जानिए > सुख और शांति > रिश्‍ते भाग में देखिए।

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