सुसमाचार की भेंट—एक प्रार्थनामय रीति से
प्रेरित पौलुस ने प्रोत्साहनजनक रीति से फिलिप्पियों को लिखा, “जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूँ।” (फिलि. ४:१३) हमें भी सुसमाचार धैर्यपूर्वक प्रस्तुत करने के लिए यहोवा की शक्ति पर पूर्ण रूप से निर्भर करने की ज़रूरत है। हम यह कैसे कर सकते हैं?
२ यीशु ने “नित्य प्रार्थना करने और हियाव न छोड़ने” की ज़रूरत पर बल दिया। (लूका १८:१) पौलुस ने प्रोत्साहित किया, “निरन्तर प्रार्थना में लगे रहो।” (१ थिस्स. ५:१७) जी हाँ, शक्ति प्रार्थना से आती है। हमें सुसमाचार को एक प्रार्थनामय रीति से प्रस्तुत करना है। हम दूसरों को गवाही देने के अवसरों के लिए, घर-घर के कार्य में विवेक और समझ के लिए, और हमारे बाइबल विद्यार्थियों के दिलों तक पहुँचने में सफलता के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। इसलिए कि अन्त आने से पहले राज्य सुसमाचार का प्रचार करने की अत्यावश्यक ज़रूरत है, हमे विश्वव्यापी रुप से राज्य हितों की वृद्धि के लिए भी प्राथना करनी चाहिए। (मत्ती २४:१४) हमें प्रर्थना में ‘जागते रहना’ चाहिए ताकि आध्यात्मिक निद्रालुता से बच सकते हैं और दसरों को यहोवा के उद्देश्यों को बताने के विशेषाधिकार के लिए क़दर बढ़ा सकते हैं।—कुलु. ४:२; w६२ पृष्ठ ४९७.
बाइबल अध्ययनों में
३ एक बाइबल अध्ययन संचालित करते वक्त प्रार्थना इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? प्रार्थना के साथ अध्ययन आरम्भ करना हमें सही मानसिक स्थिति देता है, और जो कहा जा रहा है, उसके महत्त्व को समझने में विद्यार्थी की मदद करता है। वह निर्देशन के लिए यहोवा की ओर देखना सीखता है। वह विद्यार्थी हमारे उदाहरण के द्वारा कैसे प्रार्थना करना है यह भी सीखता है।—लूका ११:१.
४ गृह बाइबल अध्ययन की प्रार्थनाओं में शामिल करने के लिए उपयुक्त बातें क्या हैं? यीशु की आदर्श प्रार्थना और फिलिप्पियों के हित में पौलुस की प्रार्थना उत्कृष्ट उदाहरण हैं। (मत्ती ६:९-१३; फिलि. १:९-११) हमारी प्रार्थनाएँ लम्बी होने का आवश्यकता नहीं, लेकिन वे विशिष्ट बातों से सम्बन्ध रखनी चाहिए। यहोवा के अनेक उत्कृष्ट कार्यों के लिए स्मृति की अभिव्यक्तियो को शामिल करना महत्त्वपूर्ण है। हम उसकी महानता, राजसत्ता, और परिपूर्ण गुणों के लिए क़दरदानी व्यक्त कर सकते हैं। (भजन १४५:३-५) उस बाइबल विद्यार्थी का नाम से उल्लेख करना, उसकी परिस्थितियों को समझते हुए प्रार्थना करना कि वह आध्यात्मिक प्रगति करें, लाभदायक होगा। जैसे वह प्रगति करता है हम सभाओं में उपस्थित रहने और दूसरों को, वह जो सत्य सीख रहा है, बताने के उसके प्रयत्नों पर आशीष देने के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। विश्व-व्यापी प्रचार कार्य के लिए यहोवा के अनुग्रह के लिए याचना शामिल करें।
हमारे भाईयों और बहनों के लिए
५ यहोवा के सभी लोग हमारे सहकर्मी हैं। (१ कुरि. ३:९) इसलिए जब सांसारिक अधिकारी सुमाचार के प्रचार में बाधा डालने की कोशिश करते हैं, हम “राजाओं और सब ऊंचे पदवालों के निमित्त” प्रार्थना करने के लिए प्रेरित होते हैं। किस उद्देश्य से? “इसलिए कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गम्भीरता से जीवन बिताएं।” (१ तीमु. २:१, २) ऐसी प्रार्थनाएं सारे विश्व के हमारे भाईयों के हित में हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि अधिकारी हमारे कार्य की ओर अनुकूल रूप से प्रवण रहे।
६ प्रार्थना के द्वारा हमारे उन भाईयों के लिए शक्ति का निवेदन कर सकते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में प्रचार कर रहे हैं और जो आध्यात्मिक रूप से बीमार हैं, ताकि वे सेवकाई म अधिक भाग ले सकते हैं। (२ थिस्स. ३:१, २) मण्डली के प्राचीनों, यात्रा ओवरसियरों, और शासी निकाय—और उन सभों के लिए “जो तुम में परिश्रम करते हैं”—प्रार्थना करना अच्छा है।—१ थिस्स. ५:१२.
७ सभी समयों पर हमें यहोवा पर अपनी चिन्ताओं को छोड़ देने की ज़रूरत है। (भजन ५५:२२; १ पतरस ५:७) हमें यह आश्वासन दिया गया है कि उसकी इच्छा के अनुरूप हम चाहे जो भी माँगे, वह हमारी बात सुनेगा। (१ यूहन्ना ५:१४) इसलिए अगर हम, हमारी सेवकाई पूर्ण रूप से सम्पादित करने के लिए यहोवा की मदद के लिए प्रार्थना करेंगे, हम यह विश्वास रख सकते हैं कि वह हमारी बात सुनेगा और हमारा राह सफ़ल बनाएगा।—२ तीमु. ४:५.