परमेश्वर के शिक्षण के अनुसार चलिए
“आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर . . . जाएं; तब वह हम को अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।”—मीका ४:२.
१. मीका के अनुसार, अन्तिम दिनों में परमेश्वर अपने लोगों के लिए क्या करेगा?
परमेश्वर के भविष्यवक्ता मीका ने पूर्वबताया कि “अन्त के दिनों,” अर्थात् हमारे समय में अनेक लोग परमेश्वर की उपासना करने के लिए सक्रिय रूप से उसकी खोज करेंगे। ये लोग यह कहते हुए एक दूसरे को प्रोत्साहित करेंगे: “आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर . . . जाएं; तब वह हम को अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे।”—मीका ४:१, २.
२, ३. लोगों के लोभी होने के बारे में पौलुस की भविष्यवाणी आज कैसे पूरी हो रही है?
२ दूसरा तीमुथियुस ३:१-५ का हमारा अध्ययन हमें “अन्तिम दिनों” में यहोवा द्वारा सिखाए जाने के परिणाम देखने में मदद कर सकता है। पिछले लेख में हमने उन लोगों को मिलनेवाले लाभों को नोट करते हुए शुरू किया जो “अपस्वार्थी” न होने की पौलुस की चेतावनी को मानते हैं। पौलुस ने आगे कहा कि हमारे समय में लोग “लोभी” भी होंगे।
३ यह देखने के लिए कि ये शब्द हमारे समय पर कितने सही बैठते हैं किसी को आधुनिक इतिहास में कॉलेज डिग्री की ज़रूरत नहीं। क्या आपने पूँजीपतियों और व्यवसाय कारपोरेशनों के मालिकों के बारे में नहीं पढ़ा जो हर साल करोड़ों डॉलर कमाने से भी सन्तुष्ट नहीं हैं? ये पैसे के लोभी और चाहते रहते हैं, चाहे यह ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से ही क्यों न हो। पौलुस के शब्द उन अनेक लोगों पर भी ठीक बैठते हैं जो, जबकि अमीर नहीं हैं, लेकिन उतने ही लालची हैं, कभी संतुष्ट नहीं होते। आप अपने क्षेत्र में शायद ऐसे अनेक लोगों के बारे में जानते हों।
४-६. लोभी बनने से बचने के लिए बाइबल मसीहियों की मदद किस प्रकार करती है?
४ क्या पौलुस ने जिस बात का उल्लेख किया वह मानव स्वभाव का मात्र एक अनिवार्य पहलू है? बाइबल के रचयिता के अनुसार नहीं, जिसने बहुत पहले यह सत्य बताया: “रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटककर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है।” ध्यान दीजिए, परमेश्वर ने नहीं कहा, ‘रुपया सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है।’ उसने कहा कि ऐसा “रुपये का लोभ” है।—१ तीमुथियुस ६:१०.
५ दिलचस्पी की बात है कि पौलुस के शब्दों के संदर्भ ने स्वीकार किया कि पहली शताब्दी में कुछ उत्तम मसीही वर्तमान रीति-व्यवस्था में अमीर थे, चाहे उन्होंने सम्पत्ति विरासत में पाई हो या कमाई हो। (१ तीमुथियुस ६:१७) तो फिर, यह स्पष्ट होना चाहिए कि हमारी आर्थिक स्थिति चाहे कैसी भी क्यों न हो, बाइबल हमें रुपये के लोभी बनने के ख़तरों से सावधान करती है। क्या बाइबल इस दुःखद और सामान्य त्रुटि से बचने के लिए अतिरिक्त शिक्षण प्रस्तुत करती है? सचमुच यह करती है, जैसे यीशु के पहाड़ी उपदेश में। इसकी बुद्धिमत्ता संसार भर में प्रसिद्ध है। उदाहरण के लिए, नोट कीजिए कि यीशु ने मत्ती ६:२६-३३ में क्या कहा।
६ जैसे लूका १२:१५-२१ में लेखबद्ध है, यीशु ने एक धनवान व्यक्ति के बारे में कहा जो ज़्यादा सम्पत्ति एकत्रित करने की निरन्तर कोशिश में लगा था लेकिन जिसने अचानक अपना प्राण खो दिया। यीशु का क्या अर्थ था? उसने कहा: “चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।” ऐसी सलाह देने के साथ-साथ, बाइबल आलसीपन की निन्दा करती है और ईमानदारी से मेहनत करने के महत्त्व पर बल देती है। (१ थिस्सलुनीकियों ४:११, १२) ओह, शायद कुछ लोग कहें कि ये शिक्षाएँ हमारे समय पर लागू नहीं होतीं—लेकिन वे होती हैं, और काम कर रही हैं।
सिखाए हुए और लाभ प्राप्त
७. हमारे पास इस विश्वास का क्या कारण है कि हम धन के बारे में बाइबल की सलाह को सफलतापूर्वक लागू कर सकते हैं?
७ अनेक राष्ट्रों में, आपको सभी सामाजिक और आर्थिक स्तरों के पुरुषों और स्त्रियों के सच्चे-जीवन उदाहरण मिलेंगे जिन्होंने रुपये के बारे में ईश्वरीय सिद्धान्तों को लागू किया है। उन्होंने ख़ुद को और अपने परिवारों को लाभ पहुँचाया है, जिसे बाहरवाले भी देख सकते हैं। उदाहरण के लिए, प्रिन्सटन विश्वविद्यालय के लिए प्रकाशक द्वारा, समकालीन अमरीका में धार्मिक आन्दोलन (अंग्रेज़ी) पुस्तक में, एक मानव-विज्ञानी ने लिखा: “[गवाहों] के प्रकाशनों में और कलीसिया भाषणों में उन्हें याद दिलाया जाता है कि उनकी प्रतिष्ठा नई गाड़ियों, महँगे कपड़ों, या ऐशो-आराम पर निर्भर नहीं है। साथ ही साथ एक गवाह को अपने मालिक के लिए मेहनत से कार्य करना है [और] पूरी तरह से ईमानदार होना है . . . ऐसे गुण एक ऐसे आदमी को भी एक उपयोगी कर्मचारी बनाते हैं जिसके पास बहुत कौशल नहीं है, और उत्तरी फिलाडेल्फिया [अमरीका] में कुछ गवाह नौकरियों में तरक्क़ी करके काफ़ी ज़िम्मेदार पदों तक पहुँच गए हैं।” स्पष्टतया, जिन लोगों ने परमेश्वर के वचन के द्वारा उससे शिक्षण स्वीकार किया है उन्हें ऐसी मनोवृत्तियों से सतर्क किया गया है जो वर्तमान परिस्थितियों का सामना करना ज़्यादा कठिन बनाती हैं। उनका अनुभव प्रमाणित करता है कि बाइबल शिक्षण के कारण जीवन बेहतर, ज़्यादा सुखी बनता है।
८. क्यों “डींगमार,” “अभिमानी,” और “निन्दक” में सम्बन्ध जोड़ा जा सकता है, और इन तीन अभिव्यक्तियों का क्या अर्थ है?
८ पौलुस द्वारा सूचीबद्ध अगली तीन बातों में हम सम्बन्ध जोड़ सकते हैं। अन्तिम दिनों में मनुष्य “डींगमार, अभिमानी, निन्दक” होंगे। ये तीनों विशेषताएँ समान नहीं हैं, लेकिन सभी घमंड से सम्बन्धित हैं। पहला है “डींगमार।” एक कोश कहता है कि यहाँ मूल यूनानी शब्द का अर्थ है: “‘वह जो अपने बारे में उतना दिखाता है जितना कि वह वास्तव में नहीं है,’ या ‘जितना वह कर नहीं सकता उतना करने का वादा करता है।’” आप समझ सकते हैं कि क्यों कुछ बाइबल “शेख़ीबाज” शब्द प्रयोग करती हैं। उसके बाद आता है “अभिमानी,” या अक्षरशः “अहंकारपूर्ण-दिखनेवाला।” अन्त में आता है, “निन्दक।” कुछ लोग सोच सकते हैं कि निन्दक वे लोग हैं जो परमेश्वर के बारे में श्रद्धाहीनता से बोलते हैं, लेकिन मूल शब्द में मनुष्यों के विरुद्ध हानिकर, अपवादपरक, या अपशब्दपूर्ण बोली भी सम्मिलित है। सो पौलुस परमेश्वर और मनुष्य दोनों के विरुद्ध निर्देशित निन्दा की चर्चा कर रहा है।
९. व्यापक हानिकर मनोवृत्तियों की विषमता में, बाइबल लोगों को कैसी मनोवृत्ति विकसित करने का प्रोत्साहन देती है?
९ जब आप ऐसे लोगों के आस-पास होते हैं जो पौलुस के विवरण पर ठीक बैठते हैं, चाहे वे सहकर्मी, सहपाठी, या सम्बन्धी हों, तब आपको कैसा लगता है? क्या यह आपके जीवन को ज़्यादा सरल बनाता है? या क्या ऐसे लोग आपके जीवन को जटिल बनाते हैं, आपके लिए हमारे समय का सामना करना ज़्यादा कठिन बनाते हैं? लेकिन, परमेश्वर का वचन हमें १ कुरिन्थियों ४:७; कुलुस्सियों ३:१२, १३; और इफिसियों ४:२९ जैसे वचनों में दिया गया शिक्षण प्रस्तुत करने के द्वारा इन मनोवृत्तियों से दूर रहना सिखाता है।
१०. क्या बात दिखाती है कि यहोवा के लोग बाइबलीय शिक्षण स्वीकार करने से लाभ उठाते हैं?
१० जबकि मसीही अपरिपूर्ण हैं, उनका इस उत्तम शिक्षण पर अमल करना इस कठिन समय में उनकी बहुत मदद करता है। इटेलियन पत्रिका ला चीवील्टा काटोलीका ने कहा कि यहोवा के गवाहों की वृद्धि का एक कारण है कि “यह संगठन अपने सदस्यों को सुनिश्चित और पक्की पहचान देता है।” लेकिन, “पक्की पहचान” से क्या लेखक का अर्थ था “डींगमार, अभिमानी, निन्दक”? इसके विपरीत, यह जेज़ुइट पत्रिका कहती है कि यह संगठन “अपने सदस्यों को सुनिश्चित और पक्की पहचान देता है, और यह उनके लिए वह स्थान है जहाँ उनका स्नेह और भाईचारे के भाव से और एकता से स्वागत होता है।” क्या यह स्पष्ट नहीं कि जो बातें गवाहों को सिखाई गई हैं वे उनकी मदद कर रही हैं?
शिक्षण परिवार सदस्यों को लाभ पहुँचाता है
११, १२. पौलुस ने किस प्रकार यथार्थता से सूचित किया कि अनेक परिवारों में स्थिति कैसी होगी?
११ हम अगली चार बातों को एक साथ देख सकते हैं, जो कि कुछ-कुछ सम्बन्धित हैं। पौलुस ने पूर्वबताया कि अन्तिम दिनों के दौरान अनेक लोग “माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र [निष्ठाहीन, NW], मयारहित [स्वाभाविक प्रेमरहित, NW]” होंगे। आप जानते हैं कि इन में से दो त्रुटियाँ—कृतघ्न होना और निष्ठाहीन होना—हमारे चारों ओर हैं। फिर भी, हम आसानी से देख सकते हैं कि क्यों पौलुस ने उन्हें “माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले” और “स्वाभाविक प्रेमरहित” होने के बीच में रखा है। ये चार साथ गुँथे हुए हैं।
१२ असल में किसी भी सतर्क व्यक्ति, जवान या बूढ़े को यह स्वीकार करना पड़ेगा कि माता-पिता की आज्ञा टालना व्याप्त है, और यह बदतर होता जा रहा है। अनेक माता-पिता शिकायत करते हैं कि युवा लोग उनके लिए की जानेवाली सभी चीज़ों के लिए कृतघ्न प्रतीत होते हैं। अनेक युवा विरोध करते हैं कि उनके माता-पिता वास्तव में उनके (या सामान्य रूप से परिवार के) प्रति निष्ठावान् नहीं हैं बल्कि अपनी नौकरियों, सुख-विलास, या अपने में ही व्यस्त हैं। यह निर्धारित करने की कोशिश करने के बजाय कि कौन दोषी है, परिणामों को देखिए। प्रौढ़ लोगों और युवाओं के बीच अलगाव के कारण अकसर किशोर नैतिकता, या अनैतिकता के अपने ही स्तर बना लेते हैं। परिणाम? किशोरियों में गर्भावस्था, गर्भपात, और लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियों का तेज़ी से बढ़ता हुआ दर। अकसर, घर में स्वाभाविक प्रेम की कमी हिंसा का कारण बनती है। शायद आप अपने क्षेत्र के उदाहरण बता सकते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि स्वाभाविक प्रेम समाप्त होता जा रहा है।
१३, १४. (क) अनेक परिवारों के बिगाड़ के बावजूद, हमें बाइबल पर क्यों ध्यान देना चाहिए? (ख) पारिवारिक जीवन के बारे में परमेश्वर किस क़िस्म की बुद्धिमत्तापूर्ण सलाह प्रस्तुत करता है?
१३ यह शायद इस बात को समझा सकता है कि क्यों अधिकाधिक लोग उन लोगों के विरुद्ध होते जा रहे हैं जो एक समय उनके विस्तृत परिवार, एक ही कुल, जाति, या समूह के सदस्य प्रतीत होते थे। लेकिन ध्यान रखिए कि हम इन चीज़ों को आज जीवन की नकारात्मक बातों पर ज़ोर देने के लिए नहीं बता रहे हैं। हमारी दो मुख्य चिन्ताएं हैं: क्या बाइबल शिक्षाएँ उन त्रुटियों के कारण दुःख झेलने से बचने में हमारी मदद कर सकती हैं जिनकी सूची पौलुस ने दी, और क्या बाइबल शिक्षाओं को अपने जीवन में लागू करने से हम लाभ प्राप्त करेंगे? उत्तर हाँ में हो सकते हैं, जैसा पौलुस की सूची में उन चार बातों के सम्बन्ध में स्पष्ट है।
१४ एक साधारण कथन तर्कसंगत है: ऐसा पारिवारिक जीवन बनाने में जो हृदय को प्रसन्न करता है और जिसको अच्छी सफलता मिलती है, कोई शिक्षा बाइबल की शिक्षा से उत्तम नहीं। यह उसकी सलाह के मात्र एक नमूने से सिद्ध हो जाता है जो परिवार के सदस्यों को न सिर्फ़ फन्दों से बचने में, बल्कि सफ़ल होने में भी मदद कर सकती है। जबकि अनेक अन्य सुन्दर लेखांश हैं जो पतियों, पत्नियों, और बच्चों को निर्दिष्ट हैं, कुलुस्सियों ३:१८-२१ इसे सुचित्रित करता है। यह शिक्षण हमारे दिन में काम करता है। माना, सच्चे मसीहियों के परिवारों में भी उलझनें और चुनौतियाँ होती हैं। फिर भी, कुल परिणाम दिखाते हैं कि परिवारों के लिए बाइबल अति सहायक शिक्षा प्रदान कर रही है।
१५, १६. ज़ाम्बिया में यहोवा के गवाहों का अध्ययन करते समय एक अनुसंधायिका ने कैसी स्थिति पायी?
१५ लेथब्रिज, कनाडा के विश्वविद्यालय से एक अनुसंधायिका ने डेढ़ साल तक ज़ाम्बिया में सामाजिक जीवन का अध्ययन किया। उसने निष्कर्ष निकाला: “स्थायी वैवाहिक बंधन बनाए रखने में यहोवा के गवाह अन्य सम्प्रदायों के सदस्यों से ज़्यादा सफलता का अनुभव करते हैं। . . . उनकी सफलता पति-पत्नी के बीच आदान-प्रदान के परिष्कृत सम्बन्ध को चित्रित करती है, जो अपने हाल ही में अपनाए, धमकीरहित, सहयोगी प्रयासों में, एक दूसरे के प्रति अपने व्यवहार के लिए एक नए नामधारी शासक, परमेश्वर को जवाबदेह हो गए हैं। . . . यहोवा के गवाह पति को सिखाया जाता है कि अपनी पत्नी और बच्चों के हित की ज़िम्मेदारी को सम्भालने में परिपक्व बने। . . . पति और पत्नी को वफ़ादार व्यक्ति बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है . . . वफ़ादारी की यह अभिभावी माँग विवाह को मज़बूत बनाती है।”
१६ वह अध्ययन अनेक सच्चे अनुभवों पर आधारित था। उदाहरण के लिए, इस अनुसंधायिका ने कहा कि सामान्य व्यवहार के विपरीत, “यहोवा के गवाह पुरुष अकसर बग़ीचे में अपनी पत्नियों की मदद करते हुए पाए जाते हैं, सिर्फ़ तैयारी के समय के दौरान ही नहीं, बल्कि पौधे लगाने और खुदाई में भी उनकी मदद करते हैं।” अतः यह स्पष्ट है कि पृथ्वी-व्याप्त अनगिनत अनुभव दिखाते हैं कि बाइबल शिक्षण जीवनों को प्रभावित करता है।
१७, १८. धार्मिक परम्परा और विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध के बारे में एक अध्ययन में क्या चकित करनेवाले परिणाम सामने आए?
१७ पिछले लेख ने धर्म के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए पत्रिका (अंग्रेज़ी) में दिए जाँच-परिणामों का उल्लेख किया। वर्ष १९९१ में इसके एक लेख का शीर्षक था “धार्मिक परम्परा और विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध: जवान बालिग़ों के राष्ट्रीय प्रतिदर्श से प्रमाण।” शायद आप जानते हैं कि विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध कितना व्याप्त है। छोटी उम्र में ही अनेक लोग कामवासना के आगे झुक जाते हैं, और अनेक किशोरों के पास कई यौन साथी होते हैं। क्या बाइबल शिक्षाएँ इस सामान्य चलन को बदल सकती हैं?
१८ जिन तीन संगी प्रोफ़ेसरों ने इस विषय पर अध्ययन किया, उनकी यह प्रत्याशा थी ‘कि ज़्यादा रूढ़िवादी मसीही परम्परा में पले किशोरों और जवान बालिग़ों में विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध रखने की संभावना कम होगी।’ लेकिन तथ्यों ने क्या दिखाया? कुल मिलाकर, ७० प्रतिशत से ८२ प्रतिशत ने विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध में भाग लिया था। कुछ लोगों के लिए “रूढ़िवादी परम्परा ने विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध की संभावना को [कम] कर दिया था, लेकिन ‘किशोरावस्था में विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध’ के मामले में नहीं।” अनुसंधायकों ने धार्मिक प्रतीत होनेवाले परिवारों से कुछ युवाओं पर टिप्पणी की जिन्होंने “पारम्परिक प्रोटेस्टेंट सम्प्रदायों के युवाओं की तुलना में विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध की काफ़ी ज़्यादा संभावना दिखाई।”—तिरछे टाइप हमारे।
१९, २०. यहोवा के गवाहों के मध्य अनेक युवाओं को परमेश्वर के शिक्षण ने कैसे मदद दी है और उनका बचाव किया है?
१९ प्रोफ़ेसरों ने यहोवा के गवाहों के युवाओं के मध्य ठीक इसके विपरीत पाया, जो “दूसरों से सबसे भिन्न समूह में थे।” क्यों? “अनुभवों, प्रत्याशाओं, और धार्मिक क्रियाओं में भाग लेने के द्वारा उत्पन्न वचनबद्धता और सामाजिक एकीकरण का स्तर . . . सामान्य रूप से विश्वास के सिद्धान्तों का पालन करने के उच्चतर स्तर बना सकता है।” उन्होंने आगे कहा: “किशोरों और जवान बालिग़ गवाहों से अपेक्षा की जाती है कि सुसमाचार प्रचार करने की ज़िम्मेदारी को पूरा करें।”
२० अतः अनैतिकता से दूर रहने में उनकी मदद करने के द्वारा बाइबल शिक्षण ने यहोवा के गवाहों पर लाभकारी प्रभाव डाला। इसके फलस्वरूप लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियों से बचाव होता है, जिनमें से कुछ लाइलाज और दूसरी घातक हैं। इसका अर्थ हुआ कि गर्भपात करने का कोई दबाव नहीं होता है, जो बाइबल सिखाती है कि जान लेने के बराबर है। इसके फलस्वरूप जवान बालिग़ साफ़ अंतःकरण के साथ विवाह करने में भी समर्थ होते हैं। इसका अर्थ हुआ कि विवाह ज़्यादा मज़बूत बुनियाद पर बनाए जाते हैं। ऐसी शिक्षाएँ सामना करने, ज़्यादा स्वस्थ रहने, और ज़्यादा सुखी रहने में हमारी मदद कर सकती हैं।
सकारात्मक शिक्षण
२१. पौलुस ने हमारे समय के लिए किन बातों को यथार्थता से पूर्वबताया?
२१ अब २ तीमुथियुस ३:३, ४ पर वापस जाइए और नोट कीजिए कि पौलुस ने और क्या कहा जो हमारे समय को अनेक लोगों के लिए कठिन बनाएगा—लेकिन सबके लिए नहीं: “[मनुष्य] क्षमारहित, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी। विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे।” कितना सही! इसके बावजूद भी, बाइबल शिक्षण हमारा बचाव कर सकता है और सामना करने के लिए और सफलता प्राप्त करने के लिए हमें सुसज्जित कर सकता है।
२२, २३. पौलुस ने अपनी सूची की समाप्ति किस सकारात्मक प्रोत्साहन के साथ की, और उसका क्या अभिप्राय है?
२२ प्रेरित पौलुस अपनी सूची एक सकारात्मक टिप्पणी के साथ समाप्त करता है। वह अन्तिम बात को एक ईश्वरीय आदेश में बदल देता है जो हमें अपार लाभ भी पहुँचा सकता है। पौलुस उनका उल्लेख करता है जो “भक्ति का भेष तो धरेंगे, पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना।” याद कीजिए कि कुछ गिरजों में युवाओं के विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध का दर असल में औसत से ऊँचा है। यदि उन गिरजा जानेवाले लोगों की अनैतिकता केवल सामान्य स्तर पर भी होती, तोभी क्या यह प्रमाण नहीं होता कि उनकी भक्ति का भेष शक्तिहीन है? इसके अतिरिक्त, लोग व्यापार में कैसे कार्य करते हैं, कैसे अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ व्यवहार करते हैं, या कैसे रिश्तेदारों के साथ व्यवहार करते हैं, क्या इन मामलों में धार्मिक शिक्षाएँ उनके व्यवहार को बदलती हैं?
२३ पौलुस के शब्द दिखाते हैं कि हम जो कुछ परमेश्वर के वचन से सीखते हैं उसे व्यवहार में लाना चाहिए। उपासना का ऐसा तरीक़ा अपनाना चाहिए जो मसीहियत की वास्तविक शक्ति दिखाता है। जिनकी भक्ति का भेष शक्तिहीन है, उनके सम्बन्ध में पौलुस हमें कहता है: “ऐसों से परे रहना।” यह एक स्पष्ट आज्ञा है, ऐसी आज्ञा जो हमें निश्चित लाभ पहुँचाएगी।
२४. प्रकाशितवाक्य अध्याय १८ में दिया प्रोत्साहन किस प्रकार पौलुस की सलाह का समानान्तर है?
२४ किस तरीक़े से? बाइबल की अन्तिम पुस्तक एक प्रतीकात्मक स्त्री, एक वेश्या का चित्रण देती है, जिसको बड़ा बाबुल कहा गया है। प्रमाण दिखाता है कि बड़ा बाबुल झूठे धर्म के विश्वव्यापी साम्राज्य को चित्रित करता है, जिसे यहोवा ने जाँचा और अस्वीकार कर दिया है। लेकिन, ज़रूरी नहीं कि हम उसमें सम्मिलित हों। प्रकाशितवाक्य १८:४ हमें प्रोत्साहित करता है: “हे मेरे लोगो, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े।” क्या यह वही संदेश नहीं जो पौलुस ने दिया, “ऐसों से परे रहना”? उस आज्ञा का पालन करने के द्वारा हम एक और तरीक़े से परमेश्वर के शिक्षण से लाभ उठा सकते हैं।
२५, २६. जो लोग अभी यहोवा परमेश्वर से शिक्षण स्वीकार करते और लागू करते हैं उनके लिए भविष्य में क्या रखा है?
२५ जल्द ही परमेश्वर मानव मामलों में सीधे हस्तक्षेप करेगा। वह सारे झूठे धर्म और बाक़ी बची वर्तमान दुष्ट रीति-व्यवस्था को मिटा देगा। जैसा प्रकाशितवाक्य १९:१, २ सूचित करता है वह आनन्द का कारण होगा। पृथ्वी पर जो लोग परमेश्वर का शिक्षण स्वीकार करते और उसका अनुसरण करते हैं, वे बचाए जाएँगे और उन्हें उसकी शिक्षाओं का अनुसरण करते रहने की अनुमति दी जाएगी जब इस कठिन समय की बाधाएँ न रहेंगी।—प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
२६ उस पुनःस्थापित पार्थिव परादीस में जीना निश्चित ही इतना आनन्ददायी होगा जितना कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते। परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि यह हमारे लिए संभव है, और हम उस पर पूरा भरोसा रख सकते हैं। अतः वह हमें उसकी सहायक शिक्षा को स्वीकार करने और उसका अनुसरण करने के बहुत कारण देता है। कब? आइए हम अभी हमारे कठिन समय में और उस परादीस में भी जिसकी वह प्रतिज्ञा करता है उसकी हिदायतों का अनुसरण करें।—मीका ४:३, ४.
मनन करने के लिए मुद्दे
▫ धन के बारे में यहोवा की सलाह से उसके लोग कैसे लाभ उठाते हैं?
▫ परमेश्वर का वचन लागू करने से उसके सेवकों को आनेवाले किन अच्छे परिणामों को एक जेज़ुइट पत्रिका ने प्रमाणित किया?
▫ ज़ाम्बिया में एक अध्ययन ने क्या लाभ प्रकट किए जो ईश्वरीय शिक्षण को लागू करनेवाले परिवारों को मिले?
▫ ईश्वरीय शिक्षण युवा लोगों के लिए क्या बचाव प्रदान करता है?
[पेज 27 पर बक्स]
कितने भयंकर परिणाम!
“किशोरों को एडस् का बड़ा ख़तरा है क्योंकि वे सेक्स और नशीले पदार्थों के साथ प्रयोग करना पसन्द करते हैं, ख़तरे मोल लेकर क्षणिक सुख के लिए जीते हैं, और क्योंकि वे महसूस करते हैं कि वे मर नहीं सकते और अधिकार का विरोध करते हैं,” एडस् और किशोरों पर एक सम्मेलन में प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट कहती है।—न्यू यॉर्क डेली न्यूज़, रविवार, मार्च ७, १९९३.
“लैंगिक रूप से सक्रिय किशोरियाँ एडस् महामारी की अगली ‘अग्रभाग’ के रूप में उभर रही हैं, संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्वी एशिया में किए गए एक अध्ययन ने पता लगाया।”—द न्यू यॉर्क टाइम्स्, शुक्रवार, जुलाई ३०, १९९३.
[पेज 28, 29 पर तसवीरें]
बाइबल शिक्षण यहोवा के गवाहों को कलीसिया में और घर में लाभ पहुँचाता है