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  • अनुचित कृपा से सचेत रहिए
  • हमारी राज-सेवा—1994
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अनुचित कृपा से सचेत रहिए

यहोवा के लोग अपनी कृपालु और उदार भावना के लिए प्रसिद्ध हैं। अकसर यह भौतिक रूप से प्रदर्शित होती है जब हम अच्छे पड़ोसी सामरी की नकल करते हैं जिसके बारे में यीशु ने अपने मर्मस्पर्शी दृष्टान्त में कहा। (लूका १०:२९-३७) फिर भी, कुछेक जो भौतिक सहायता के योग्य नहीं हैं शायद हमारी कृपा का फ़ायदा उठाने का प्रयास करें। अतः, दूसरों के लिए हमारा प्रेम “यर्थाथ ज्ञान और पूर्ण समझ” से संतुलित होना चाहिए।—फिलि. १:९, NW.

२ कलीसिया के अन्दर: उदाहरण के लिए, कोई कह सकता है कि वह बेरोज़गार है या सहायता का निवेदन करते वक्‍त दूसरे कारण दे सकता है। अकसर ये व्यक्‍ति क्रियाशील रूप से रोज़गार नहीं ढूँढ रहे हैं लेकिन सिर्फ़ चाहते हैं कि दूसरे लोग जीवन की ज़रूरतें प्रदान करें। ऐसे लोगों के बारे में प्रेरित पौलुस ने आज्ञा दी: “यदि कोई काम करना न चाहे, तो खाने भी न पाए।”—२ थिस्सु. ३:१०.

३ “समय और आकस्मिक घटनाएँ” हम सब पर आती हैं, सो यदि हम भौतिक ज़रूरत में हैं, “दिन भर की रोटी” की कमी है, हमें अत्यधिक चिंतित महसूस नहीं करना चाहिए, क्योंकि यहोवा उनके लिए प्रबंध करता है जो उससे प्रेम करते हैं और उसकी इच्छा पूरी कर रहे हैं। (सभो. ९:११, NW; मत्ती ६:११, ३१, ३२) एक ज़रूरतमंद व्यक्‍ति किसी प्राचीन से बात करना शायद लाभकारी पा सकता है। प्राचीन ऐसे सरकारी कार्यक्रमों से परिचित हो सकते हैं जो सहायता देने के लिए बनाए गए हैं और शायद काग़ज़ी कार्यवाही पूरी करने या ऐसे कार्यक्रमों के लिए आवश्‍यकताओं को समझाने में मदद करने की स्थिति में हों। किसी भी स्थिति में, सहायता का निवेदन करने वाले प्रत्येक जन की परिस्थितियों को जाँचकर प्राचीन निश्‍चित कर सकते हैं कि क्या किया जा सकता है।—१ तीमु. ५:३-१६ से तुलना कीजिए.

४ यात्रा करनेवाले ढोंगी: संस्था को रिपोर्टें मिलती रहती हैं कि यात्रा करने वाले ढोंगियों द्वारा कलीसियाओं में कुछ लोग पैसों और भौतिक वस्तुओं में ठगे गए हैं। इससे हमें आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि शास्त्रवचन हमें चेतावनी देते हैं कि “दुष्ट, और बहकानेवाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।” (२ तीमु. ३:१३) अकसर ये ढोंगी दावा करते हैं कि वे असहाय हैं और घर वापसी के सफ़र के लिए वाहन-व्यवस्था और भोजन प्राप्त करने के लिए उन्हें पैसों की ज़रूरत है। हालाँकि वे निष्कपट प्रतीत होते हैं, अधिकांश मामलों में वे यहोवा के गवाह होते ही नहीं लेकिन सिर्फ़ होने का ढोंग करते हैं।

५ यदि एक अपरिचित व्यक्‍ति सहायता चाहता है, कलीसिया प्राचीनों से सलाह लेना बुद्धिमानी होगी, जो यह निश्‍चित करने में अगुवाई करेंगे कि वह व्यक्‍ति हमारा भाई है या नहीं। आम तौर पर उस व्यक्‍ति की कलीसिया को टेलिफोन किया जाना चाहिए ताकि उस व्यक्‍ति की स्थिति की पुष्टि की जा सके। असली भाई और बहन जो अपने आप को अप्रत्याशित रूप से ज़रूरत में पाते हैं, समझेंगे कि इस प्रकार की पूछताछ सभी सम्बद्ध व्यक्‍तियों की सुरक्षा के लिए की जा रही है। दूसरी ओर, इस प्रकार की जाँच से ढोंगी लोगों का पर्दाफ़ाश होगा। हम से अपरिचित सभी लोगों के प्रति अत्यधिक रूप से शक्की होने की कोई ज़रूरत नहीं है, लेकिन हमें दुष्ट ढोंगियों से सचेत रहना चाहिए।

६ बुद्धिमान राजा सुलैमान ने सलाह दी: “जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्‍ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना।” (नीति. ३:२७) हमारी बुद्धिपूर्ण समझ से, हम दूसरों के प्रति दयालुता दिखा सकते हैं जबकि अनुचित कृपा से सचेत रह सकते हैं।

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