माता-पिताओं, अपने बच्चों में सुख प्राप्त कीजिए
“तेरे माता-पिता . . . प्रसन्न हों।”—नीतिवचन २३:२५, NHT.
१. किस बात से माता-पिता को अपने बच्चों में सुख मिलता है?
एक पौधे को बढ़कर एक ऐसा भव्य वृक्ष बनते देखना कितना अच्छा होता है जो सुंदरता और छाया प्रदान करता है—विशेषकर जब आपने उसे लगाया हो और उसकी देखभाल की हो! उसी तरह, वे माता-पिता ऐसे बच्चों का पालन-पोषण करते हैं जो बड़े होकर परमेश्वर के प्रौढ़ सेवक बनते हैं, उन्हें ऐसे बच्चों में बहुत सुख मिलता है, जैसे बाइबल का यह नीतिवचन कहता है: “धर्मी का पिता अति आनन्दित होगा, और जो बुद्धिमान पुत्र को जन्म देता है, वह उसके कारण मग्न होगा। तेरे माता-पिता तेरे कारण प्रसन्न हों, और तेरी जननी हर्षित हो।”—नीतिवचन २३:२४, २५, NHT.
२, ३. (क) माता-पिता कैसे दुःख और कड़वाहट से दूर रह सकते हैं? (ख) पौधों और बच्चों दोनों को सुख का कारण बनने के लिए किस बात की ज़रूरत है?
२ फिर भी, एक बच्चा अपने-आप “धर्मी” और “बुद्धिमान” नहीं बन जाता। युवजनों को “दुःख” और “कड़वाहट” का कारण बनने से रोकने के लिए बड़े प्रयास की ज़रूरत है, वैसे ही जैसे एक पौधे को एक भव्य वृक्ष का रूप देने में काम शामिल हो सकता है। (नीतिवचन १७:२१, २५, NHT) उदाहरण के लिए, सहारे के लिए एक खपची एक छोटे पौधे को सीधे और बढ़कर मज़बूत होने के लिए अनुवर्धित कर सकती है। पानी की नियमित सप्लाई आवश्यक है, और एक पौधे को जन्तुओं से सुरक्षित रखने की शायद ज़रूरत हो। अंत में, छँटाई एक सुंदर वृक्ष को तैयार करने में सहायता करेगी।
३ परमेश्वर का वचन प्रकट करता है कि बच्चों को ईश्वरीय प्रशिक्षण, बाइबल सत्य के पानी से संतृप्ति, नैतिक दुर्व्यवहार से सुरक्षा, और अप्रिय लक्षणों को छाँटकर निकालने के लिए प्रेमपूर्ण अनुशासन जैसी बातों की ज़रूरत है। इन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, पिताओं से विशेषकर आग्रह किया गया है कि अपने बच्चों का पालन-पोषण “प्रभु की शिक्षा और अनुशासन में” करें। (इफिसियों ६:४, NHT) इसमें क्या शामिल है?
यहोवा की आज्ञाओं पर ज़ोर
४. माता-पिता की अपने बच्चों के प्रति कौन-सी ज़िम्मेदारी है, और इससे पहले कि वे इसे पूरा कर सकें किस बात की माँग की जाती है?
४ मूल यूनानी में ‘प्रभु के अनुशासन’ का अर्थ है अपने सोच-विचार को यहोवा की इच्छा के अनुरूप करना। तो फिर, माता-पिता को अपने बालकों के मन में, मामलों पर यहोवा के सोच-विचार को बिठाना है। और उन्हें करुणामय अनुशासन या सुधारनेवाला प्रशिक्षण देने में परमेश्वर के उदाहरण की नक़ल करना भी ज़रूरी है। (भजन १०३:१०, ११; नीतिवचन ३:११, १२) लेकिन इससे पहले कि माता-पिता ऐसा कर सकें, उन्हें ख़ुद यहोवा की आज्ञाओं को आत्मसात् करना ज़रूरी है, जैसे परमेश्वर के भविष्यवक्ता मूसा ने प्राचीन इस्राएलियों को सलाह दी: “[यहोवा की] ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें।” (तिरछे टाइप हमारे।)—व्यवस्थाविवरण ६:६.
५. इस्राएली माता-पिता को कब और किस तरीक़े से अपने बच्चों को उपदेश देना था, और ‘समझाकर सिखाने’ का अर्थ क्या है?
५ बाइबल का नियमित अध्ययन, मनन, और प्रार्थना माता-पिता को वह करने के लिए तैयार करते हैं जिसकी आज्ञा मूसा ने इसके बाद दी: “तू [यहोवा की आज्ञाओं को] अपने बालबच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।” (तिरछे टाइप हमारे।) ‘समझाकर सिखाना’ अनुवादित इब्रानी शब्द का अर्थ है “दोहराना,” “बार-बार कहना,” “सुस्पष्ट रूप से मन में बिठाना।” ध्यान दीजिए कि मूसा ने आगे कैसे यहोवा की आज्ञाओं को सामने रखने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया: “इन्हें अपने हाथ पर चिन्हानी करके बान्धना, और ये तेरी आंखों के बीच टीके का काम दें। और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना।” स्पष्ट है, यहोवा माँग करता है कि माता-पिता अपने बच्चों को नियमित, प्रेमपूर्ण ध्यान दें!—व्यवस्थाविवरण ६:७-९.
६. माता-पिता को अपने बच्चों को क्या समझाकर सिखाना था और इसका लाभ क्या था?
६ यहोवा की “ये आज्ञाएं” क्या हैं जिन्हें माता-पिता को अपने बच्चों को समझाकर सिखाना था? मूसा ने अभी-अभी उन्हें दोहराया था जिन्हें सामान्यतः दस आज्ञाएँ कहा जाता है, जिनमें हत्या न करने, व्यभिचार न करने, चोरी न करने, झूठी साक्षी न देने, और लालच न करने की आज्ञाएँ शामिल थीं। ऐसी नैतिक माँगें, साथ ही ‘अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखने’ की आज्ञा थी जिन्हें इस्राएली माता-पिता को अपने नन्हें-मुन्नों को समझाकर सिखानी थीं। (व्यवस्थाविवरण ५:६-२१; ६:१-५) क्या आप सहमत नहीं हैं कि आज बच्चों को इस प्रकार के शिक्षण की ज़रूरत है?
७. (क) बाइबल में बच्चों की तुलना किसके साथ की गयी थी? (ख) हम अब किस बात की जाँच करेंगे?
७ इस्राएली पिता से कहा गया था: “तेरे घर के भीतर तेरी स्त्री फलवन्त दाखलता सी होगी; तेरी मेज़ के चारों ओर तेरे बालक जलपाई के पौधे से होंगे।” (भजन १२८:३) फिर भी, अगर माता-पिता को अपने “पौधों” से दुःख के बजाय सुख पाना है, तो उन्हें अपने बच्चों में प्रतिदिन, व्यक्तिगत दिलचस्पी लेनी है। (नीतिवचन १०:१; १३:२४; २९:१५, १७) आइए हम जाँच करें कि माता-पिता कैसे अपने बच्चों को ऐसी रीति से प्रशिक्षण, आध्यात्मिक सिंचाई, सुरक्षा और प्रेमपूर्ण अनुशासन दे सकते हैं कि वे उनमें सच्चा सुख पाने लगें।
बालकपन से प्रशिक्षण
८. (क) किसने तीमुथियुस के लिए अनुवर्धन खपचियों के तौर पर कार्य किया? (ख) प्रशिक्षण कब शुरू हुआ, और उसका परिणाम क्या था?
८ तीमुथियुस को लीजिए, जिसे मानो मज़बूती से लगी हुईं दो अनुवर्धन खपचियों से सहारा मिला—उसकी माँ और उसकी नानी। क्योंकि तीमुथियुस का पिता एक यूनानी था और प्रत्यक्षतः एक अविश्वासी, ये तो उसकी यहूदी माँ, यूनीके और उसकी नानी लोइस थीं जिन्होंने इस लड़के को “बालकपन से पवित्र शास्त्र” से प्रशिक्षित किया। (तिरछे टाइप हमारे।) (२ तीमुथियुस १:५; ३:१५; प्रेरितों १६:१) तीमुथियुस को—तब भी जब वह एक शिशु था—‘यहोवा के आश्चर्यकर्मों’ को सिखाने में उनके परिश्रम का बड़ा प्रतिफल मिला। (भजन ७८:१, ३, ४) तीमुथियुस शायद तब केवल एक किशोर ही था जब वह दूर-दराज़ देशों में एक मिशनरी बना, और प्रारंभिक मसीही कलीसियाओं को स्थिर करने में उसने एक मुख्य भूमिका निभायी।—प्रेरितों १६:२-५; १ कुरिन्थियों ४:१७; फिलिप्पियों २:१९-२३.
९. युवजन कैसे भौतिकवाद के फन्दों से दूर रहना सीख सकते हैं?
९ माता-पिताओं, आप किस प्रकार की अनुवर्धन खपचियाँ हैं? उदाहरण के लिए, क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चे भौतिक वस्तुओं का एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करें? तब हर नवीनतम यंत्र या ऐसी अन्य वस्तुओं, जिनकी आपको वास्तव में ज़रूरत नहीं है, के पीछे न भागने के द्वारा आपका सही उदाहरण रखना ज़रूरी है। अगर आप भौतिक लाभ के पीछे भागने का चुनाव करते हैं, तो चकित मत होइए जब आपके बच्चे आपकी नक़ल करते हैं। (मत्ती ६:२४; १ तीमुथियुस ६:९, १०) वाक़ई, अगर अनुवर्धन खपचियाँ ही सीधी नहीं हैं तो एक पौधा कैसे सीधा बढ़ सकता है?
१०. माता-पिता को हमेशा किसके निर्देशन की खोज करनी चाहिए, और उनकी मनोवृत्ति कैसी होनी चाहिए?
१० जो माता-पिता अपने बच्चों में सुख पाते हैं वे निरन्तर उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए ईश्वरीय मदद की खोज करते रहेंगे, और हमेशा ध्यान में रखेंगे कि आध्यात्मिक रूप से उनके बच्चों का सर्वोत्तम हित किसमें है। चार बच्चों की एक माँ ने कहा: “हमारे बच्चों के जन्म लेने से पहले ही, हम नियमित रूप से यहोवा से प्रार्थना करते थे कि अच्छे माता-पिता बनने, उसके वचन से मार्गदर्शित होने, और उसे अपने जीवन में लागू करने के लिए हमारी मदद करे।” उसने आगे कहा: “‘यहोवा का स्थान प्रथम है’ केवल एक सामान्य वाक्यांश ही नहीं था बल्कि हमारा जीवन जीने का तरीक़ा था।”—न्यायियों १३:८.
नियमित “सिंचाई” करना
११. पौधों और बच्चों दोनों की वृद्धि के लिए किस बात की ज़रूरत है?
११ पौधों को विशेषकर पानी की निरन्तर सप्लाई की ज़रूरत होती है, जो नदी के किनारे फलने-फूलनेवाले पेड़ों से सूचित होता है। (प्रकाशितवाक्य २२:१, २ से तुलना कीजिए।) शिशु भी आध्यात्मिक रूप से फले-फूलेंगे अगर उनको नियमित रूप से बाइबल सत्य का पानी दिया जाए। लेकिन माता-पिता को अपने बच्चे की ध्यान-अवधि को मन में रखने की ज़रूरत है। शायद उपदेश की चंद लम्बी बैठकों के बजाय, बार-बार की गई छोटी बैठकें ज़्यादा प्रभावकारी होंगी। ऐसी छोटी बैठकों के महत्त्व को कम मत समझिए। एकसाथ समय बिताना माता या पिता और बच्चे के बीच एक बन्धन को जन्म देने के लिए आवश्यक है, ऐसी घनिष्ठता जिसके लिए शास्त्र में बार-बार प्रोत्साहन दिया गया है।—व्यवस्थाविवरण ६:६-९; ११:१८-२१; नीतिवचन २२:६.
१२. बच्चों के साथ प्रार्थना करने का महत्त्व क्या है?
१२ दिन की समाप्ति पर बच्चों के साथ एक बैठक हो सकती है। एक युवा याद करती है: “हर रात मेरे माता-पिता हमारे बिस्तर के सिरे पर बैठते और हमारी व्यक्तिगत प्रार्थनाएँ करते हुए हमें सुनते।” दूसरी ने ऐसा करने के महत्त्व के बारे में कहा: “इससे मुझे सोने से पहले हर रात यहोवा से प्रार्थना करने की आदत लग गयी।” जब बच्चे प्रतिदिन अपने माता-पिता को यहोवा के बारे में बात करते हुए और उससे प्रार्थना करते हुए सुनते हैं, तो वह उनके लिए एक वास्तविक व्यक्ति बन जाता है। एक युवक ने कहा: “मैं यहोवा को प्रार्थना करते वक़्त अपनी आँखें बंद करता और वास्तव में एक दादाजी जैसे व्यक्ति को देख सकता था। मेरे माता-पिता ने मुझे यह समझने में मदद दी कि हम जो कुछ करते और कहते हैं उसमें यहोवा एक भाग अदा करता है।”
१३. नियमित उपदेश अवधियों में क्या शामिल हो सकता है?
१३ बाइबल सत्य के पानी को आत्मसात् करने में बालकों की मदद करने के लिए, माता-पिता नियमित उपदेश अवधियों में अनेक व्यावहारिक बातें शामिल कर सकते हैं। दो बच्चों के माता-पिता ने कहा: “दोनों बच्चों को राज्यगृह में चुपचाप बैठने का प्रशिक्षण उनके जीवन के पहले चंद सप्ताहों से मिलना शुरू हो गया।” एक पिता ने बताया कि उसके परिवार ने क्या किया: “हम अभिसूचक कार्डों पर बाइबल की सभी पुस्तकें लिख लेते और उन्हें क्रम से रखने का अभ्यास किया करते, हम सभी बारी-बारी ऐसा करते। बच्चे हमेशा इसका उत्सुकता से इंतज़ार करते।” अनेक परिवार भोजन से पहले या भोजन के बाद एक संक्षिप्त उपदेश अवधि को शामिल करते हैं। एक पिता ने कहा: “शाम के भोजन का समय हमारे लिए दैनिक बाइबल पाठ की चर्चा करने का अच्छा समय रहा है।”
१४. (क) बालकों के साथ आध्यात्मिक रूप से कौन-सी लाभप्रद गतिविधियों में भाग लिया जा सकता है? (ख) बच्चों में सीखने की कौन-सी क्षमता है?
१४ बालक बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तकa से सुस्पष्ट बाइबल वृत्तान्तों को सुनने का भी आनन्द लेते हैं। “जब बच्चे छोटे थे,” एक दम्पति ने कहा, “बाइबल कहानियों पुस्तक से एक पाठ पूरा किया जाता, और फिर बच्चे पोशाकें पहनते और एक छोटे नाटक के रूप में अपने भागों को अदा करते। उन्हें यह बहुत ही पसन्द था और अकसर हठ करते कि हर अध्ययन में एक से ज़्यादा कहानी पूरी की जाए।” अपने बच्चे की सीखने की क्षमता को कम मत समझिए! चार वर्ष के बच्चों ने बाइबल कहानियों पुस्तक के पूरे-पूरे अध्याय याद किए हैं और बाइबल भी पढ़ना सीखा है! एक युवा याद करती है कि जब वह क़रीब साढ़े तीन वर्ष की थी वह बार-बार अंग्रेज़ी में “ज्यूडिशियल डिसिशन्स्” का ग़लत उच्चार करती, लेकिन उसके पिता ने उसे अभ्यास करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया।
१५. बच्चों के साथ चर्चाओं में कौन-सी बातों को शामिल किया जा सकता है, और कौन-सा प्रमाण है कि ऐसी चर्चाएँ महत्त्वपूर्ण हैं?
१५ अपने बालकों के साथ आपकी बैठकों का प्रयोग, उन्हें दूसरों के साथ सत्य के पानी को बाँटने के लिए तैयार करने के वास्ते भी किया जा सकता है, जैसे कि सभाओं में टिप्पणी करने के द्वारा। (इब्रानियों १०:२४, २५) “हमारी अभ्यास बैठकों के दौरान, मुझे अपने शब्दों में टिप्पणी करनी होती थी,” एक युवा याद करती है। “बिना समझे यूँ ही पढ़ लेने की मुझे अनुमति नहीं थी।” इसके अलावा, बच्चों को क्षेत्र सेवकाई में एक अर्थपूर्ण भाग लेने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। परमेश्वर का भय माननेवाले माता-पिता द्वारा पाली-पोसी गयी एक स्त्री समझाती है: “हम कभी-भी पीछे-पीछे जानेवाले नहीं थे जो अपने माता-पिता को उनके कार्य में केवल साथ देते थे। हम जानते थे कि हमारा एक भाग है, हालाँकि यह केवल दरवाज़े की घंटी बजाना या केवल एक पर्ची छोड़ना होता था। हर सप्ताहांत की गतिविधि से पहले ध्यानपूर्ण तैयारी के द्वारा, हम जानते थे कि हम क्या कहेंगे। हमने कभी शनिवार की सुबह को उठकर यह नहीं पूछा कि हम सेवकाई में जा रहे हैं कि नहीं। हम जानते थे कि हम जा रहे हैं।”
१६. बच्चों के साथ पारिवारिक अध्ययन करने में नियमितता क्यों महत्त्वपूर्ण है?
१६ बाइबल सत्य के पानी को बालकों को नियमित रूप से देने की ज़रूरत पर जितना ज़्यादा ज़ोर दिया जाए कम है, जिसका अर्थ है कि साप्ताहिक पारिवारिक बाइबल अध्ययन आवश्यक है। दो बच्चों का एक पिता दावा करता है कि “बच्चों को रिस दिलाने में एक मुख्य तत्त्व अनियमितता है।” (इफिसियों ६:४) उसने कहा: “मैं ने और मेरी पत्नी ने एक दिन और समय चुन लिया और नियमित रूप से उस नियत समय पर पारिवारिक अध्ययन संचालित किया। इस बात को ज़्यादा समय नहीं लगा जब बच्चे उस समय पर इसकी अपेक्षा करते थे।” बालकपन से ऐसा सारा प्रशिक्षण महत्त्वपूर्ण है, जो इस सामान्योक्ति के सामंजस्य में है, ‘पौधे को जैसा आकार दोगे, पेड़ वैसा ही बढ़ेगा।’
१७. बालकों को बाइबल सच्चाई प्रदान करने जितना ही महत्त्वपूर्ण क्या है?
१७ बालकों को बाइबल सच्चाइयाँ प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है, लेकिन जनकीय उदाहरण उतना ही महत्त्वपूर्ण है। क्या आपके बच्चे आपको अध्ययन करते, नियमित रूप से सभाओं में उपस्थित होते, क्षेत्र सेवकाई में भाग लेते, जी हाँ, यहोवा की इच्छा को पूरा करने में आनन्द पाते हुए देखते हैं? (भजन ४०:८) यह अत्यावश्यक है कि वे यह देखें। महत्त्व की बात है, एक बेटी ने अपनी माँ के बारे में, जिसने अपने पति के विरोध को सहा था और छः बच्चों को विश्वासी साक्षी बनने के लिए पाला-पोसा था, कहा: “जिस बात ने हमें सबसे ज़्यादा प्रभावित किया वह था माँ का अपना उदाहरण—यह कथनी से ज़्यादा ताक़तवर था।”
बालकों को सुरक्षा प्रदान करना
१८. (क) बच्चों को जिस सुरक्षा की ज़रूरत है माता-पिता उन्हें यह कैसे प्रदान कर सकते हैं? (ख) इस्राएल में बालकों को शरीर के प्रजनक अंगों के बारे में किस प्रकार का उपदेश मिलता था?
१८ जैसे पौधों को ख़तरनाक जन्तुओं से अकसर सुरक्षा की ज़रूरत होती है, इस दुष्ट रीति-व्यवस्था में बालकों को ‘दुष्टों’ से सुरक्षा की ज़रूरत है। (२ तीमुथियुस ३:१-५, १३) माता-पिता यह सुरक्षा कैसे दे सकते हैं? उन्हें ईश्वरीय बुद्धि प्राप्त करने में मदद देने के द्वारा! (सभोपदेशक ७:१२) यहोवा ने इस्राएलियों को—जिनमें उनके ‘बालक’ भी शामिल थे—आज्ञा दी कि उसकी व्यवस्था के पठन को सुनें, जिसमें उचित और अनुचित लैंगिक व्यवहार की पहचान भी शामिल थी। (व्यवस्थाविवरण ३१:१२; लैव्यव्यवस्था १८:६-२४) शरीर के प्रजनक अंगों का बार-बार उल्लेख किया गया है, जिनमें “अंड” और “जननांग” शामिल हैं। (लैव्यव्यवस्था १५:१-३, १६; २१:२०; २२:२४; गिनती २५:८; व्यवस्थाविवरण २३:१०) आज के संसार की नितांत भ्रष्टता के कारण, बालकों को शरीर के ऐसे अंगों का उचित और अनुचित प्रयोग जानने की ज़रूरत है, जो उस सृष्टि का भाग हैं जिसे परमेश्वर ने “बहुत ही अच्छा” कहा।—उत्पत्ति १:३१; १ कुरिन्थियों १२:२१-२४.
१९. बालकों को उनके शरीर के गुप्त अंगों के बारे में कौन-से निर्देश देना उचित है?
१९ यह सर्वोत्तम होगा कि दोनों माता-पिता मिलकर या प्रत्येक वयस्क अभिभावक, बच्चे को उसके शरीर के गुप्त अंगों की पहचान कराएँ। इसके बाद उन्हें समझाना चाहिए कि किसी अन्य व्यक्ति को इन अंगों को छूने नहीं देना चाहिए। क्योंकि बाल-दुर्व्यवहारकर्त्ता अकसर परखते हैं कि बच्चे अस्पष्ट लैंगिक प्रस्तावों की ओर कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं, एक बच्चे को दृढ़तापूर्वक विरोध करना और यह कहना सिखाया जाना चाहिए, “मैं तुम्हारी शिकायत करूँगा/गी!” अपने बालकों को सिखाइए कि उन्हें हमेशा ऐसे किसी भी व्यक्ति की शिकायत करनी चाहिए जो उन्हें ऐसे तरीक़े से छूने की कोशिश करता है जिससे वे परेशान महसूस करते हैं, चाहे कोई भी डरावनी धमकियाँ क्यों न दी जाएँ।
प्रेमपूर्ण अनुशासन देना
२०. (क) अनुशासन छँटाई के जैसा कैसे है? (ख) अनुशासन का शुरूआत में प्रभाव कैसा होता है, लेकिन परिणाम क्या होता है?
२० जैसे पेड़ छँटाई से लाभ प्राप्त करता है, वैसे ही बालक प्रेमपूर्ण अनुशासन से लाभ प्राप्त करते हैं। (नीतिवचन १:८, ९; ४:१३; १३:१) जब अनचाही टहनियों को काट दिया जाता है, तब दूसरी टहनियों की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है। सो अगर आपके बच्चे विशेषकर भौतिक सम्पत्ति पर ध्यान केन्द्रित करते हैं या बुरी संगति अथवा अहितकर मनोरंजन की ओर उनका झुकाव है, तो ये ग़लत प्रवृत्तियाँ उन टहनियों के जैसी हैं जिन्हें काट देने की ज़रूरत है। अगर इन्हें निकाल दिया जाता है, तो आपके बच्चों को आध्यात्मिक दिशा में बढ़ने में मदद मिलेगी। ऐसा अनुशासन शुरू-शुरू में शायद सुखदायक न लगे, ठीक जैसे छँटाई शायद एक पेड़ को कुछ आघात पहुँचा सकती है। लेकिन अनुशासन का अच्छा परिणाम होता है उस दिशा में नवीकृत वृद्धि जिसमें आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बढ़े।—इब्रानियों १२:५-११.
२१, २२. (क) क्या बात सूचित करती है कि न तो अनुशासन देना ना ही प्राप्त करना सुखदायक होता है? (ख) अनुशासन देने से माता-पिता को क्यों दूर नहीं रहना चाहिए?
२१ यह सहज ही स्वीकार किया जाता है कि शुरू-शुरू में न तो अनुशासन देना ना ही प्राप्त करना सुखदायक होता है। “मेरा बेटा एक ऐसे युवा के साथ काफ़ी समय बिता रहा था जिसके बारे में प्राचीनों ने मुझे चिताया था कि वह अच्छी संगति नहीं है,” एक पिता ने कहा। “मुझे ज़्यादा जल्दी कार्य करना चाहिए था। हालाँकि मेरा बेटा किसी घोर बुराई में शामिल नहीं हुआ, उसके सोच-विचार को पुनःसमंजित करने में कुछ समय लगा।” बेटे ने कहा: “जब मुझे अपने सबसे अच्छे दोस्त से अलग कर दिया गया, तो मैं टूट गया।” लेकिन उसने आगे कहा: “यह एक अच्छा निर्णय था, क्योंकि उसके थोड़े ही समय बाद उसे बहिष्कृत कर दिया गया।”
२२ “शिक्षा [अनुशासन] के लिए ताड़ना जीवन का मार्ग है,” परमेश्वर का वचन कहता है। सो अनुशासन देना चाहे कितना भी मुश्किल क्यों न हो, इसे अपने बच्चों से दूर मत रखिए। (नीतिवचन ६:२३, NHT; २३:१३; २९:१७) कुछ समय बाद, वे आभारी होंगे कि आपने उन्हें सुधारा। “मुझे याद है कि जब मुझे अनुशासन दिया गया तो मैं अपने माता-पिता पर बहुत क्रोधित था,” एक युवा याद करता है। “अब मैं और भी क्रोधित होता अगर मेरे माता-पिता ने मुझे वह अनुशासन न दिया होता।”
प्रयास के योग्य प्रतिफल
२३. युवजनों में लगाया गया सारा प्रेमपूर्ण ध्यान क्यों प्रयास के योग्य है?
२३ इसमें कोई संदेह नहीं है कि बच्चे जिनमें माता-पिता, साथ ही दूसरे व्यक्ति सुख पाते हैं वे ढेर सारे दिन-प्रतिदिन के प्रेमपूर्ण ध्यान की उपज हैं। लेकिन, उनमें जितना प्रयास लगाया जाता है—चाहे वे शारीरिक बच्चे हों या आध्यात्मिक—वह उस प्रतिफल के योग्य है जिसका आनन्द उठाया जा सकता है। वृद्ध प्रेरित यूहन्ना ने यह दिखाया जब उसने लिखा: “मुझे इस से बढ़कर और कोई आनन्द नहीं, कि मैं सुनूं, कि मेरे लड़के-बाले सत्य पर चलते हैं।”—३ यूहन्ना ४.
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।
क्या आपको याद है?
◻ प्रशंसनीय बनने के लिए पौधों और बच्चों दोनों को किस बात की ज़रूरत है?
◻ माता-पिता, वस्तुतः, कैसे प्रभावकारी अनुवर्धन खपचियों का काम दे सकते हैं?
◻ बालकों के साथ उपदेश बैठकों में क्या बात शामिल की जा सकती है, और उन्हें किस बात का विरोध करना सिखाया जाना चाहिए?
◻ बच्चे के लिए अनुशासन, पेड़ के लिए छँटाई की तरह, कैसे महत्त्वपूर्ण है?
[पेज 10 पर चित्रों का श्रेय]
Courtesy of Green Chimney’s Farm