बाइबल एक अनोखी किताब
कहा गया है कि सारी दुनिया में यह सब से ज़्यादा बिकने-वाली किताब है, और उचित ही ऐसा कहा गया है। अन्य किसी किताब की तुलना में बाइबल को ही ज़्यादा पढ़ा जाता है और प्रिय समझा जाता है। आज तक, इसका वितरण (पूरी बाइबल या कुछ भाग) २,००० से अधिक भाषाओं में अंदाज़न ४ अरब कापियाँ हो चुका है।
लेकिन, बाइबल के वितरण से भी ज़्यादा दिलचस्पी की बात इसका यह दावा है कि यह परमेश्वर की ओर से है। “समस्त शास्त्र ईश्वर-प्रेरित है,” मसीही प्रेरित पौलुस ने लिखा। (२ तीमुथियुस ३:१६, NW) इसका क्या मतलब है? इस वाक्यांश “ईश्वर-प्रेरित” (यूनानी, थिओप्न्यूस्टोस्) का शाब्दिक अर्थ है “ईश्वर-श्वसनित।” एक संबंधित यूनानी शब्द, न्यूमा का अर्थ है “आत्मा।” सो, दावा यह है कि परमेश्वर की पवित्र आत्मा ने मानवी लेखकों को प्रेरित किया, मानो उन पर साँस फूँकी, ताकि उस रचना को सचमुच परमेश्वर का वचन कहा जा सके, मनुष्य का नहीं। वाक़ई, बहुत से लोग, जिन्होंने बाइबल का अध्ययन किया है इसकी सभी किताबों के बीच के ताल-मेल, इसकी वैज्ञानिक यथार्थता, इसके लेखकों की ईमानदारी और स्पष्टवादिता, और सबसे महत्त्वपूर्ण, इसकी पूरी हुई भविष्यवाणियों पर ताज्जुब करते हैं—इन सारी बातों ने करोड़ों विचारशील पाठकों को क़ायल कर दिया है कि यह किताब मनुष्य से किसी ऊँचे स्रोत से है।a
मगर परमेश्वर ने कितनी सख़्त नज़र रखते हुए बाइबल के लिखे जाने का मार्गदर्शन किया? कुछ लोग कहते हैं कि उसने बाइबल को लफ़्ज़-ब-लफ़्ज़ लिखवाया। दूसरे लोग कहते हैं कि उसने बाइबल में दिए गए विचारों को ही प्रेरित किया, शब्दों को नहीं। लेकिन, असल में, प्रेरणा को एक ही तरीक़े तक सीमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि परमेश्वर ने ‘बापदादों से भांति भांति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कीं।’ (इब्रानियों १:१. १ कुरिन्थियों १२:६ से तुलना कीजिए।) अगले लेख में, हम उन तरीक़ों की जाँच करेंगे जिनसे परमेश्वर ने बाइबल को लिखनेवाले कुछ ४० मानवी लेखकों के साथ बात की।
[फुटनोट]
a ज़्यादा जानकारी के लिए, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किताब बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का वचन? (अंग्रेज़ी), पृष्ठ ५३-४, और ९८-१६१ देखिए।