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अध्याय 5

झुंड की देखभाल करनेवाले प्राचीन

यीशु ने धरती पर सेवा करते वक्‍त अपने कामों से दिखाया कि वही “अच्छा चरवाहा” है। (यूह. 10:11) एक बार लोगों की भीड़ उसकी बातें सुनने के लिए बड़ी उत्सुकता से उसके पीछे-पीछे चली आ रही थी। उन्हें देखकर यीशु “तड़प उठा, क्योंकि वे ऐसी भेड़ों की तरह थे जिनकी खाल खींच ली गयी हो और जिन्हें बिन चरवाहे के यहाँ-वहाँ भटकने के लिए छोड़ दिया गया हो।” (मत्ती 9:36) पतरस और दूसरे प्रेषितों ने गौर किया कि यीशु को लोगों से बहुत प्यार है और वह उनकी परवाह करता है। वह इसराएल के झूठे चरवाहों से कितना अलग था! उन चरवाहों ने झुंड को इस कदर अनदेखा किया था कि भेड़ें तितर-बितर हो गयी थीं और परमेश्‍वर के साथ उनका रिश्‍ता कमज़ोर पड़ गया था। (यहे. 34:7, 8) प्रेषितों ने देखा कि यीशु बढ़िया तरीके से सिखाता है और अपनी भेड़ों की परवाह करता है। उसने अपने झुंड की खातिर अपनी जान तक कुरबान कर दी। यीशु से प्रेषितों ने सीखा कि उन्हें उन लोगों की मदद करनी चाहिए जिनमें विश्‍वास है, ताकि वे ‘अपने चरवाहे और जीवन की निगरानी करनेवाले’ यहोवा के पास लौट आएँ।​—1 पत. 2:25.

2 एक मौके पर यीशु ने पतरस को भेड़ों को खिलाने और उनकी देखभाल करने की अहमियत समझायी। (यूह. 21:15-17) इसमें कोई शक नहीं कि यीशु की बात का पतरस के दिल पर गहरा असर हुआ। बाद में पतरस ने पहली सदी की मसीही मंडली के प्राचीनों को यह सलाह दी: “तुम चरवाहों की तरह परमेश्‍वर के झुंड की देखभाल करो जो तुम्हें सौंपा गया है और निगरानी करनेवालों के नाते परमेश्‍वर के सामने खुशी-खुशी सेवा करो, न कि मजबूरी में। तुम तत्परता से सेवा करो, न कि बेईमानी की कमाई के लालच से। और जो परमेश्‍वर की संपत्ति हैं उन पर रौब मत जमाओ बल्कि झुंड के लिए एक मिसाल बनो।” (1 पत. 5:1-3) पतरस के शब्द आज मंडली के प्राचीनों पर भी लागू होते हैं। वे यीशु की तरह खुशी-खुशी और जोश से सेवा करते हैं। इस तरह वे परमेश्‍वर की सेवा करने में झुंड के लिए एक मिसाल बनते हैं।​—इब्रा. 13:7.

प्राचीन, यीशु की तरह खुशी-खुशी और जोश से सेवा करते हैं। इस तरह वे परमेश्‍वर की सेवा करने में झुंड के लिए एक मिसाल बनते हैं

3 हम परमेश्‍वर के कितने एहसानमंद हैं कि उसने मंडली की निगरानी करने के लिए प्राचीनों को नियुक्‍त किया है। उनकी सेवा से हमें बहुत फायदे होते हैं। जैसे, ये भाई मंडली के लोगों का हौसला बढ़ाते हैं और हर व्यक्‍ति पर खास ध्यान देते हैं। वे हर हफ्ते मंडली की सभाएँ चलाने में बहुत मेहनत करते हैं, जिनसे भाई-बहनों का विश्‍वास मज़बूत होता है। (रोमि. 12:8) वे झुंड को दुष्ट लोगों और दूसरे खतरों से बचाते हैं, जिससे झुंड सुरक्षित महसूस करता है। (यशा. 32:2; तीतु. 1:9-11) वे प्रचार काम में आगे रहते हैं जिससे भाई-बहनों को बढ़ावा मिलता है कि वे हर महीने जोश से प्रचार करते रहें। (इब्रा. 13:15-17) यहोवा ने “आदमियों के रूप में तोहफे” देकर, मंडली की तरक्की के लिए बढ़िया इंतज़ाम किया है।​—इफि. 4:8, 11, 12.

प्राचीनों के लिए योग्यताएँ

4 मंडली की अच्छी देखभाल के लिए ज़रूरी है कि ऐसे भाइयों को निगरानी का काम सौंपा जाए, जो बाइबल में बतायी योग्यताएँ पूरी करते हों। इन योग्यताओं को पूरा करने पर ही कहा जा सकता है कि वे पवित्र शक्‍ति से चुने गए हैं। (प्रेषि. 20:28) मसीही प्राचीनों पर भारी ज़िम्मेदारी है, इसलिए उनके लिए बाइबल में ऊँचे स्तर दिए गए हैं। मगर ये स्तर इतने भी ऊँचे नहीं हैं कि इन्हें वे भाई मान न सकें। अगर उनके दिल में यहोवा के लिए सच्चा प्यार है और वे यहोवा के काम आना चाहते हैं, तो वे इन स्तरों को खुशी-खुशी मानेंगे। मंडली के सभी लोगों को साफ नज़र आना चाहिए कि निगरानी करनेवाला भाई रोज़मर्रा ज़िंदगी के हर मामले में बाइबल के सिद्धांतों पर चलता है।

मंडली की अच्छी देखभाल के लिए ज़रूरी है कि ऐसे भाइयों को निगरानी का काम सौंपा जाए, जो बाइबल में बतायी योग्यताएँ पूरी करते हों

5 प्रेषित पौलुस ने तीमुथियुस के नाम अपनी पहली चिट्ठी में और तीतुस को लिखी चिट्ठी में बताया कि निगरानी करनेवाले भाइयों को बाइबल की कौन-सी बुनियादी योग्यताएँ पूरी करनी चाहिए। पहला तीमुथियुस 3:1-7 में लिखा है, “अगर कोई आदमी निगरानी का काम करने की कोशिश में आगे बढ़ता है, तो वह एक बढ़िया काम करने की चाहत रखता है। इसलिए निगरानी करनेवाले को ऐसा होना चाहिए जिस पर कोई आरोप न हो, उसकी एक ही पत्नी हो, वह हर बात में संयम बरतता हो, सही सोच रखता हो, कायदे से चलता हो, मेहमान-नवाज़ी करनेवाला हो, सिखाने के काबिल हो, पियक्कड़ न हो, मार-पीट करनेवाला न हो, मगर लिहाज़ करनेवाला हो, झगड़ालू न हो, पैसे का लालची न हो, अपने परिवार की अच्छी तरह अगुवाई करता हो, जिसके बच्चे पूरी गंभीरता से उसके अधीन रहते हों, (क्योंकि अगर एक आदमी अपने ही परिवार की अगुवाई करना नहीं जानता, तो वह परमेश्‍वर की मंडली की देखभाल कैसे करेगा?), नया विश्‍वासी न हो ताकि वह घमंड से फूल न जाए और वही सज़ा न पाए जो शैतान को दी गयी है। यही नहीं, बाहरवाले भी उसके बारे में अच्छा कहते हों ताकि उसकी बदनामी न हो और वह शैतान के फंदे में न फँसे।”

6 पौलुस ने तीतुस को लिखा, “मैं तुझे क्रेते में इसलिए छोड़ आया था कि तू वहाँ के बिगड़े हुए हालात सुधारे और जैसे मैंने तुझे हिदायत दी थी, तू शहर-शहर प्राचीनों को नियुक्‍त करे। ऐसे भाई को नियुक्‍त करना जिस पर कोई आरोप न हो, उसकी एक ही पत्नी हो, उसके बच्चे विश्‍वासी हों और उन पर ऐयाशी की ज़िंदगी जीने का या बागी होने का इलज़ाम न हो। निगरानी करनेवाला भाई परमेश्‍वर का ठहराया प्रबंधक होता है इसलिए उस पर कोई इलज़ाम नहीं होना चाहिए। उसे मनमानी करनेवाला, गुस्सैल, पियक्कड़, मार-पीट करनेवाला और बेईमानी की कमाई का लालची नहीं होना चाहिए। बल्कि उसे मेहमान-नवाज़ी करनेवाला, भलाई से प्यार करनेवाला, सही सोच रखनेवाला, नेक, वफादार, संयम बरतनेवाला होना चाहिए। सिखाने की कला के मामले में वह विश्‍वासयोग्य वचन को मज़बूती से थामे रहता हो ताकि वह न सिर्फ खरी शिक्षा देकर हौसला बढ़ाए बल्कि जो इस शिक्षा का विरोध करते हैं उन्हें सुधारे भी।”​—तीतु. 1:5-9.

7 बाइबल में निगरानी करनेवाले भाइयों के लिए बतायी योग्यताएँ पूरी करना शायद बहुत मुश्‍किल लगे, मगर इस वजह से भाइयों को आगे बढ़कर निगरानी का काम करने से झिझकना नहीं चाहिए। जब प्राचीन ऐसे मसीही गुण ज़ाहिर करते हैं जिनकी उनसे उम्मीद की जाती है, तो मंडली के भाई-बहन भी ये गुण बढ़ाने के लिए उभारे जाते हैं। पौलुस ने लिखा कि “आदमियों के रूप में तोहफे” इसलिए दिए गए हैं “ताकि पवित्र जनों का सुधार हो और वे सेवा का काम करें और मसीह का शरीर तब तक बढ़ता जाए जब तक कि हम सब विश्‍वास में और परमेश्‍वर के बेटे के सही ज्ञान में एकता हासिल न कर लें और पूरी तरह से विकसित आदमी की तरह मसीह की पूरी कद-काठी हासिल न कर लें।”​—इफि. 4:8, 12, 13.

8 निगरानी की ज़िम्मेदारी नौजवानों को या नए विश्‍वासियों  को नहीं  दी जाती। यह ज़िम्मेदारी ऐसे भाइयों को दी जाती है जो काफी समय से मसीही ज़िंदगी जीते आए हैं, जिन्हें बाइबल का अच्छा ज्ञान और गहरी समझ है और जिनके दिल में मंडली के लिए सच्चा प्यार है। उनमें इतना साहस होता है कि अगर मंडली में कोई गलत काम करता है, तो वे चुप नहीं रहते बल्कि निडर होकर उसे समझाते और सुधारते हैं। इस तरह वे उन लोगों से भेड़ों की हिफाज़त करते हैं, जो उनका नाजायज़ फायदा उठाना चाहते हैं। (यशा. 32:2) निगरानी की ज़िम्मेदारी के लिए ऐसे भाइयों को चुना जाता है जिनके बारे में मंडली के सब लोग बेझिझक कह सकते हैं कि वे प्रौढ़ हैं और परमेश्‍वर के झुंड की सच्चे दिल से परवाह करते हैं।

9 जो भाई निगरानी की ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए आगे बढ़ रहा है, वह अपनी ज़िंदगी में बुद्धि-भरे फैसले लेता है। अगर वह शादीशुदा है तो वह शादी के मामले में मसीही स्तरों पर चलता है, यानी उसकी एक ही पत्नी  होती है और वह अपने परिवार की अच्छी तरह अगुवाई करता है।  अगर भाई के बच्चे विश्‍वासी हों  और उन पर ऐयाशी की ज़िंदगी जीने या बागी होने का इलज़ाम न हो,  बल्कि वे पूरी गंभीरता से उसके अधीन रहते हों,  तो मंडली के लोग पूरे भरोसे के साथ परिवार और मसीही ज़िंदगी से जुड़े मामलों पर उससे सलाह-मशविरा कर सकेंगे। निगरानी करनेवाले भाई पर कोई आरोप नहीं  होता और बाहरवाले भी उसके बारे में अच्छा कहते हैं।  उस पर गलत चालचलन का इलज़ाम लगाने का कोई वाजिब कारण नहीं होता, जिससे मंडली का नाम बदनाम हो सकता है। ऐसे भाई को निगरानी की ज़िम्मेदारी के काबिल नहीं समझा जाएगा जिसने कुछ ही समय पहले कोई गंभीर पाप किया हो और उसे सुधारा गया हो। निगरानी करनेवाले भाइयों की बढ़िया मिसाल से मंडली के भाई-बहनों को भी उनकी तरह बनने का बढ़ावा मिलता है। साथ ही, उन्हें पूरा भरोसा होता है कि प्राचीन उनकी अच्छी देखभाल करेंगे ताकि यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता मज़बूत रहे।​—1 कुरिं. 11:1; 16:15, 16.

10 मसीही मंडली में इन काबिल भाइयों की ज़िम्मेदारी इसराएल के मुखियाओं की ज़िम्मेदारी से मिलती-जुलती है जिन्हें “बुद्धिमान और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले और तजुरबेकार” कहा गया है। (व्यव. 1:13) ऐसा नहीं है कि मसीही प्राचीनों से कभी कोई गलती नहीं होती। मगर मंडली और समाज में वे सीधाई से चलनेवाले और परमेश्‍वर का डर माननेवाले इंसानों के तौर पर जाने जाते हैं। उनकी ज़िंदगी से साफ ज़ाहिर होता है कि वे परमेश्‍वर के सिद्धांतों के मुताबिक जीते हैं। बेदाग ज़िंदगी जीने की वजह से वे मंडली में बेझिझक और निडर होकर बोल पाते हैं।​—रोमि. 3:23.

11 जो भाई निगरानी का काम करने के योग्य होते हैं, वे दूसरों के साथ अपने व्यवहार में और हर बात में संयम बरतते हैं।  वे किसी मामले में कट्टर नहीं होते बल्कि ज़िंदगी के सभी पहलुओं में संतुलन रखते हैं और संयम से काम लेते हैं।  वे खाने-पीने, अपने शौक पूरे करने, मनोरंजन करने और दूसरे कामों में संयम बरतते हैं। वे शराब के मामले में भी संयम रखते हैं ताकि उन पर ज़्यादा शराब पीने या पियक्कड़  होने का इलज़ाम न  लगे। अगर एक व्यक्‍ति शराब से मतवाला हो जाए तो उसकी इंद्रियाँ ठीक से काम नहीं करेंगी। नतीजा, वह आसानी से अपना संयम खो बैठेगा और मंडली की ठीक तरीके से निगरानी नहीं कर पाएगा।

12 मंडली की देखरेख करने के लिए ज़रूरी है कि एक प्राचीन कायदे से चलनेवाला  हो। उसमें अच्छी आदतें हों और ये आदतें उसके पहनावे, उसके घर और रोज़मर्रा के कामों से दिखती हों। वह भाई बेवजह अपने काम में टाल-मटोल नहीं करता। वह पहले से देखता है कि कौन-से काम किए जाने हैं और फिर उसके मुताबिक योजना बनाता है। वह परमेश्‍वर के सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करता।

13 एक प्राचीन को लिहाज़ करनेवाला  होना चाहिए। उसे प्राचीनों के निकाय के साथ मिलकर काम करना चाहिए और उसे सहयोग देना चाहिए। उसे अपने बारे में सही नज़रिया रखना चाहिए और दूसरों से बहुत ज़्यादा की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। लिहाज़ करनेवाला प्राचीन अपनी राय पर अड़ा नहीं रहता और न ही यह सोचता है कि उसके विचार दूसरे प्राचीनों से बेहतर और सही हैं। हो सकता है, दूसरों में कुछ ऐसे गुण और काबिलीयतें हों जो उसमें नहीं हैं। जब एक प्राचीन, बाइबल के आधार पर अपनी राय कायम करता है और यीशु की तरह बनने की कोशिश करता है, तो वह लिहाज़ कर रहा होता है। (फिलि. 2:2-8) एक प्राचीन न तो झगड़ालू  होता है, न ही मार-पीट करनेवाला।  इसके बजाय, वह दूसरों का आदर करता है और उन्हें खुद से बेहतर समझता है। वह मनमानी नहीं करता  यानी वह यह ज़िद नहीं करता कि दूसरे हमेशा उसके तरीके से काम करें या उसके विचार मानें। वह गुस्सैल नहीं होता  बल्कि दूसरों के साथ शांति से पेश आता है।

14 मंडली में प्राचीन के नाते सेवा करनेवाला भाई सही सोच  रखता है। इसका मतलब, वह मुश्‍किल हालात में भी शांत रहता है और उतावली में आकर फैसले नहीं करता। उसे यहोवा के सिद्धांतों की और उन्हें ज़िंदगी में लागू करने की अच्छी समझ होती है। सही सोच रखने का मतलब यह भी है कि एक इंसान सलाह या हिदायतें मिलने पर सही रवैया रखे। वह दोहरी ज़िंदगी नहीं जीता।

15 पौलुस ने तीतुस को याद दिलाया कि एक प्राचीन भलाई से प्यार करनेवाला  होता है। उसे नेक  और वफादार  होना चाहिए। ये गुण दूसरों के साथ उसके व्यवहार और उसके पक्के इरादे से साफ झलकते हैं। वह यहोवा के लिए भक्‍ति दिखाने में डाँवाँडोल नहीं होता। वह हर हाल में परमेश्‍वर के नेक स्तरों के मुताबिक फैसले करता है। जिन बातों को गुप्त रखा जाना चाहिए उन्हें वह अपने तक ही रखता है। वह सच्चे दिल से मेहमान-नवाज़ी  करता है। वह दूसरों की खातिर खुशी-खुशी काम करता है और उनकी सेवा में अपनी चीज़ें लगाता है।​—प्रेषि. 20:33-35.

16 प्राचीन की ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभाने के लिए ज़रूरी है कि एक भाई सिखाने के काबिल हो।  तीतुस को लिखी पौलुस की चिट्ठी के मुताबिक, प्राचीन ‘विश्‍वासयोग्य वचन को मज़बूती से थामे रहता है ताकि वह न सिर्फ खरी शिक्षा देकर हौसला बढ़ाए बल्कि जो इस शिक्षा का विरोध करते हैं उन्हें सुधारे भी।’ (तीतु. 1:9) एक प्राचीन तर्क करने, सबूत पेश करने और सवाल उठाए जाने पर जवाब देने के काबिल होता है। साथ ही, वह आयतों को इस तरह समझाता है कि सुननेवाले कायल हो जाते हैं और उनका विश्‍वास मज़बूत होता है। वह अच्छे और बुरे समय में भी सिखाने के काबिल होता है। (2 तीमु. 4:2) उसमें सब्र का गुण होता है इसलिए वह गलती करनेवाले को कोमलता से सुधारता है, शक करनेवाले को यकीन दिलाता है और विश्‍वास के आधार पर भले काम करने का बढ़ावा देता है। अगर एक भाई लोगों के सामने भाषण दे सकता है या किसी एक व्यक्‍ति को सिखा सकता है, तो यह इस बात का सबूत है कि वह प्राचीन बनने की यह अहम योग्यता पूरी करता है, यानी वह सिखाने के काबिल है।

17 प्राचीनों के लिए ज़रूरी है कि वे प्रचार में जोश से हिस्सा लें। इस मामले में भी यह साफ ज़ाहिर होना चाहिए कि वे यीशु की तरह बनने की कोशिश कर रहे हैं। यीशु ने खुशखबरी सुनाने के काम को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दी। उसने अपने चेलों में भी दिलचस्पी ली और कुशल प्रचारक बनने में उनकी मदद की। (मर. 1:38; लूका 8:1) व्यस्त होने के बावजूद, प्राचीन जब ठान लेते हैं कि वे प्रचार के लिए समय निकालेंगे, तो सभी भाई-बहनों में उनके जैसा जोश भर आता है। प्राचीन जब अपने परिवार के सदस्यों के साथ और मंडली के भाई-बहनों के साथ प्रचार करते हैं, तो वे “एक-दूसरे का हौसला” बढ़ाते हैं।​—रोमि. 1:11, 12.

18 इन बातों पर सोचने से ऐसा लग सकता है कि प्राचीनों से बहुत ज़्यादा की उम्मीद की जाती है। बेशक कोई भी प्राचीन बाइबल में दिए सभी ऊँचे स्तरों पर पूरी तरह खरा नहीं उतर सकता। लेकिन किसी भी प्राचीन में, इनमें से एक भी गुण की इतनी भारी कमी नहीं होनी चाहिए कि वह एक बड़ी खामी बनकर नज़र आए। कुछ प्राचीनों में कई बढ़िया गुण होते हैं, जबकि दूसरे प्राचीन कुछ और गुणों में अच्छी मिसाल रखते हैं। कुल मिलाकर एक निकाय के तौर पर प्राचीनों में वे सारे बढ़िया गुण होते हैं, जो मंडली की सही तरह से निगरानी करने के लिए ज़रूरी हैं।

19 जब प्राचीनों का निकाय, निगरानी की ज़िम्मेदारी के लिए भाइयों की सिफारिश करता है तो प्राचीन, प्रेषित पौलुस के ये शब्द ध्यान में रखते हैं, “मैं तुममें से हरेक से जो वहाँ है, यह कहता हूँ कि कोई भी अपने आपको जितना समझना चाहिए, उससे बढ़कर न समझे। इसके बजाय परमेश्‍वर ने हरेक को जितना विश्‍वास दिया है उसके मुताबिक वह सही सोच बनाए रखे।” (रोमि. 12:3) हर प्राचीन के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि वह खुद को दूसरों से बड़ा न समझे। दूसरे भाइयों की योग्यताओं की जाँच करते वक्‍त एक प्राचीन को ध्यान रखना चाहिए कि वह ‘खुद को दूसरों से नेक न समझे।’ (सभो. 7:16) निगरानी करनेवालों के लिए बाइबल में बतायी योग्यताओं को ध्यान में रखकर प्राचीनों का निकाय यह देखने की कोशिश करता है कि क्या फलाँ भाई उन योग्यताओं को काफी हद तक पूरा कर रहा है। भाइयों की सिफारिश करते वक्‍त, प्राचीन किसी भी तरह का पक्षपात नहीं करेंगे या कपटी नहीं होंगे। वे इस बात का ध्यान रखेंगे कि इन भाइयों में कमियाँ हो सकती हैं क्योंकि वे परिपूर्ण नहीं हैं। साथ ही प्राचीन, यहोवा के नेक स्तरों के मुताबिक और मंडली की भलाई चाहते हुए भाइयों की सिफारिश करेंगे। वे मदद के लिए यहोवा से प्रार्थना करेंगे और उसकी पवित्र शक्‍ति के निर्देशों के मुताबिक फैसला लेंगे। प्राचीनों के लिए यह बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। इसे पूरा करते वक्‍त उन्हें पौलुस की यह सलाह माननी चाहिए, “कभी किसी आदमी पर हाथ रखने में जल्दबाज़ी मत कर।”​—1 तीमु. 5:21, 22.

पवित्र शक्‍ति के गुण

20 जो भाई बाइबल में प्राचीनों के लिए बतायी योग्यताएँ पूरी करते हैं, वे इस बात का सबूत देते हैं कि वे पवित्र शक्‍ति का निर्देश मानते हैं। साथ ही, वे अपने जीने के तरीके से पवित्र शक्‍ति के गुण ज़ाहिर करते हैं। पौलुस ने पवित्र शक्‍ति के नौ गुण बताए, “प्यार, खुशी, शांति, सब्र, कृपा, भलाई, विश्‍वास, कोमलता, संयम।” (गला. 5:22, 23) ऐसे गुण ज़ाहिर करनेवाले प्राचीनों से भाई-बहनों को ताज़गी मिलती है और वे एकता में रहकर परमेश्‍वर की पवित्र सेवा कर पाते हैं। वाकई, प्राचीनों के चालचलन और उनकी मेहनत का कितना बढ़िया नतीजा होता है! इससे साबित होता है कि वे पवित्र शक्‍ति से नियुक्‍त किए गए हैं।​—प्रेषि. 20:28.

एकता मज़बूत करनेवाले भाई

21 यह बेहद ज़रूरी है कि प्राचीन, मंडली की एकता के लिए साथ मिलकर काम करें। प्राचीनों का स्वभाव एक-दूसरे से बिलकुल अलग हो सकता है, फिर भी वे आदर के साथ एक-दूसरे की राय सुनते हैं। इस तरह वे निकाय की एकता बरकरार रखते हैं, फिर चाहे किसी मामले पर वे एक-दूसरे से सहमत न हों। अगर बाइबल के किसी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं होता, तो हर प्राचीन को प्राचीनों के निकाय का फैसला खुशी-खुशी मानना चाहिए और उसे सहयोग देना चाहिए। जब एक प्राचीन दूसरों के फैसले मानने के लिए तैयार रहता है, तो वह दिखाता है कि वह ‘स्वर्ग से मिलनेवाली बुद्धि’ के मुताबिक काम करता है, जो “शांति कायम करनेवाली, लिहाज़ करनेवाली” होती है। (याकू. 3:17, 18) किसी भी प्राचीन को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह दूसरों से बेहतर है और न ही उसे बाकी प्राचीनों को दबाने या उन पर रौब जमाने की कोशिश करनी चाहिए। जब सभी प्राचीन मंडली की भलाई के लिए साथ मिलकर काम करते हैं, तो वे असल में यहोवा के साथ मिलकर काम कर रहे होते हैं।​—1 कुरिं., अध्या. 12; कुलु. 2:19.

निगरानी का काम करने के लिए आगे बढ़ना

22 प्रौढ़ मसीही भाइयों में प्राचीन बनने की इच्छा होनी चाहिए। (1 तीमु. 3:1) लेकिन ध्यान रखिए, प्राचीन के नाते सेवा करने के लिए कड़ी मेहनत करना और त्याग की भावना होना बहुत ज़रूरी है। एक प्राचीन को भाइयों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए, खासकर यहोवा की सेवा करने के मामलों में। जो भाई इस ज़िम्मेदारी के काबिल बनना चाहता है, उसे बाइबल में प्राचीनों के लिए बतायी योग्यताएँ पूरी करने के लिए मेहनत करनी चाहिए।

हालात बदल सकते हैं

23 हो सकता है, एक भाई काफी समय से प्राचीन के नाते सेवा कर रहा है मगर अब शायद बीमारी, ढलती उम्र या किसी और वजह से यह ज़िम्मेदारी अच्छी तरह न निभा सके। फिर भी, जब तक उसके पास यह ज़िम्मेदारी है, तब तक उसे एक प्राचीन की नज़र से ही देखा जाना चाहिए और उसका आदर किया जाना चाहिए। अपनी सीमाओं की वजह से उसे प्राचीन की ज़िम्मेदारी छोड़ने की ज़रूरत नहीं है। वह अब भी दूसरे प्राचीनों की तरह दुगना आदर पाने के योग्य है।

24 लेकिन अगर एक भाई को लगता है कि अब अपने हालात की वजह से वह पहले की तरह सेवा नहीं कर पाएगा और यह ज़िम्मेदारी छोड़ देना ही बेहतर है, तो वह चाहे तो ऐसा कर सकता है। (1 पत. 5:2) इसके बाद हालाँकि वह एक प्राचीन की ज़िम्मेदारियाँ नहीं निभाएगा, फिर भी उसका आदर किया जाना चाहिए। वह अब भी मंडली की बहुत मदद कर सकता है।

मंडली में अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ

25 प्राचीन मंडली में अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ निभाते हैं। इनमें प्राचीनों के निकाय का संयोजक, सचिव, सेवा निगरान, प्रहरीदुर्ग  अध्ययन चलानेवाला और ‘मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा’ निगरान की ज़िम्मेदारियाँ शामिल हैं। बहुत-से प्राचीन, समूह निगरानों के तौर पर सेवा करते हैं। प्राचीनों की ये ज़िम्मेदारियाँ बदलती नहीं रहतीं, बल्कि वे इन्हें लंबे समय तक निभाते हैं। लेकिन अगर इनमें से कोई भाई दूसरी मंडली में चला जाए, सेहत खराब होने की वजह से अपनी ज़िम्मेदारी पूरी न कर पाए या बाइबल में दी योग्यताएँ पूरी करने में नाकाम रहे, तो उसकी जगह दूसरे प्राचीन को चुना जाता है। जिन मंडलियों में बहुत कम प्राचीन हैं, वहाँ जब तक दूसरे भाई प्राचीन बनने के योग्य नहीं हो जाते, तब तक प्राचीनों को शायद एक-से-ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ निभानी पड़ें।

26 प्राचीनों के निकाय की जो सभाएँ होती हैं उनमें प्राचीनों के निकाय का संयोजक  चेयरमैन होता है। लेकिन परमेश्‍वर के झुंड की देखरेख करने में वह नम्र होकर बाकी प्राचीनों के साथ मिलकर काम करता है। (रोमि. 12:10; 1 पत. 5:2, 3) इस भाई को मंडली के सभी कामों की अच्छी व्यवस्था करनी आनी चाहिए और उसे तन-मन से अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए।​—रोमि. 12:8.

27 सचिव  मंडली के रिकॉर्ड रखता है और प्राचीनों को आनेवाले खतों और दूसरे ज़रूरी मामलों की सूचना देता है। अगर उसे मदद की ज़रूरत पड़े, तो किसी और प्राचीन या काबिल सहायक सेवक को यह काम दिया जा सकता है।

28 सेवा निगरान  प्रचार और सेवा से जुड़े दूसरे मामलों की देखरेख करता है। वह मंडली के सभी प्रचार समूहों के साथ नियमित तौर पर प्रचार में जाता है। वह इस तरह योजना बनाता है कि हर महीने के एक शनिवार और रविवार के दिन किसी एक समूह के साथ प्रचार कर सके। छोटी मंडलियों में जहाँ गिने-चुने प्रचार समूह होते हैं, वहाँ वह एक समूह का दौरा साल में दो बार करता है। जब वह समूह से मिलता है, तो प्रचार की सभा चलाता है, समूह के साथ प्रचार करता है और प्रचारकों के साथ उनकी वापसी भेंट या बाइबल अध्ययन में जाकर उनकी मदद करता है।

समूह निगरान

29 मंडली की खास ज़िम्मेदारियों में से एक है समूह निगरान  के तौर पर सेवा करना। इस ज़िम्मेदारी में ये काम शामिल हैं, (1) चौकस रहना कि उसके प्रचार समूह में हर व्यक्‍ति यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत बनाए रखे; (2) प्रचार में नियमित तौर से और अच्छी तरह हिस्सा लेने और उसमें खुशी पाने में समूह के हरेक व्यक्‍ति की मदद करना और (3) समूह के सहायक सेवकों की मदद करना और उन्हें प्रशिक्षण देना ताकि वे मंडली में ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए आगे आएँ और उसके योग्य बनें। इन बातों को ध्यान में रखकर प्राचीनों का निकाय तय करता है कि कौन-सा भाई समूह निगरान की ज़िम्मेदारी के लिए सही रहेगा।

30 जैसा कि हमने देखा, यह एक बड़ी ज़िम्मेदारी है, इसलिए जहाँ तक हो सके तो एक प्राचीन को ही समूह निगरान की ज़िम्मेदारी दी जानी चाहिए। जब कोई प्राचीन मौजूद न हो, तब किसी काबिल सहायक सेवक को यह काम दिया जा सकता है। जब सहायक सेवक, समूह की देखरेख करता है तो उसे समूह सेवक कहा जाता है, क्योंकि वह मंडली में प्राचीन के नाते सेवा नहीं करता। इसके बजाय, वह प्राचीनों के निर्देशों के मुताबिक यह ज़िम्मेदारी निभाता है।

31 समूह निगरान की एक अहम ज़िम्मेदारी है, प्रचार काम में अगुवाई करना। अगर वह नियमित तौर पर पूरे जोश से प्रचार काम करे, तो उसके समूह के प्रचारकों को भी ऐसा करने का बढ़ावा मिलेगा। भाई-बहनों को एक-दूसरे की संगति से हिम्मत और मदद मिलती है। इस वजह से अच्छा होगा कि ज़्यादातर प्रचारकों की सहूलियत को ध्यान में रखकर समूह के साथ प्रचार करने का इंतज़ाम किया जाए। (लूका 10:1-16) समूह निगरान को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रचार के लिए काफी इलाका हो। आम तौर पर प्रचार की सभा समूह निगरान चलाएगा और प्रचारकों को उस दिन की सेवा के लिए ज़रूरी हिदायतें देकर तैयार करेगा। अगर वह किसी वजह से मौजूद नहीं रहेगा, तो उसे किसी और प्राचीन या सहायक सेवक को सभा चलाने के लिए कहना चाहिए। अगर प्राचीन या सहायक सेवक भी न हो, तो समूह निगरान को किसी काबिल प्रचारक का इंतज़ाम करना चाहिए, ताकि समूह को ज़रूरी निर्देश देने के लिए कोई-न-कोई मौजूद हो।

32 समूह निगरान को काफी पहले से सेवा निगरान के दौरे के लिए तैयारी करनी चाहिए। उसे अपने समूह को इस दौरे के बारे में पहले से बताना चाहिए और उससे मिलनेवाले फायदों के लिए उनके अंदर उत्साह बढ़ाना चाहिए। अगर समूह के सभी लोगों को सेवा निगरान के दौरे के बारे में पूरी जानकारी दी जाए, तो वे उससे जुड़े सभी इंतज़ामों को पूरा-पूरा सहयोग देंगे।

33 हर प्रचार समूह को छोटा रखा जाता है। इससे समूह निगरान अपने समूह के सभी लोगों से अच्छी तरह वाकिफ हो पाता है। प्यार करनेवाले चरवाहे की तरह वह हरेक में सच्ची दिलचस्पी लेता है। वह प्रचार और सभाओं में जाने के लिए निजी तौर पर उनकी मदद करता है और उनका जोश बढ़ाता है। इसके अलावा, हर प्रचारक का विश्‍वास मज़बूत बनाए रखने के लिए जो भी मदद दी जा सकती है, वह देता है। वह बीमार और निराश भाई-बहनों से मिलकर उनकी हिम्मत बँधाता है। जब वह कोई सुझाव या सलाह देता है, तो कुछ भाइयों को बढ़ावा मिलता है कि वे और भी ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए आगे आएँ। इस तरह ये भाई मंडली में अपने भाई-बहनों के और भी काम आ सकते हैं। एक समूह निगरान अपने समूह के लोगों की मदद करने पर खास ध्यान देता है। मगर प्राचीन और चरवाहा होने के नाते वह मंडली में दूसरे भाई-बहनों के लिए भी प्यार और परवाह ज़ाहिर करता है और ज़रूरत पड़ने पर उनकी मदद करने से पीछे नहीं हटता।​—प्रेषि. 20:17, 28.

34 समूह निगरान की एक और ज़िम्मेदारी है, अपने समूह के भाई-बहनों की प्रचार रिपोर्ट इकट्ठी करना। फिर वह उनकी रिपोर्ट मंडली के सचिव को देता है। हर प्रचारक वक्‍त पर अपनी रिपोर्ट देकर समूह निगरान का काम आसान बना सकता है। वह चाहे तो हर महीने के आखिर में सीधे अपने समूह निगरान को रिपोर्ट दे सकता है या फिर राज-घर में रिपोर्ट के लिए रखे बक्स में उसे डाल सकता है।

मंडली सेवा-समिति

35 प्राचीनों के निकाय के संयोजक, सचिव और सेवा निगरान से मिलकर मंडली सेवा-समिति बनती है। मंडली की कुछ ज़िम्मेदारियाँ यह समिति सँभालती है। उदाहरण के लिए, सेवा-समिति शादियों और शोक सभाओं के लिए राज-घर का इस्तेमाल करने की मंज़ूरी देती है। सेवा-समिति ही तय करती है कि कौन-सा प्रचारक किस प्रचार समूह में रहेगा। यह समिति पायनियर सेवा, सहयोगी पायनियर सेवा और दूसरी तरह की सेवा के लिए दी जानेवाली अर्ज़ी मंज़ूर करती है। सेवा-समिति प्राचीनों के निकाय के निर्देशन में काम करती है।

36 शाखा दफ्तर बताता है कि सेवा-समिति के भाइयों साथ ही, प्रहरीदुर्ग  अध्ययन चलानेवाले भाई, ‘मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा’ निगरान और निकाय के दूसरे प्राचीनों की कौन-कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ हैं।

37 हर मंडली में प्राचीनों का निकाय मंडली की तरक्की से जुड़े मामलों पर चर्चा करने के लिए नियमित तौर पर बैठक रखता है। प्राचीन सर्किट निगरान के दौरे के वक्‍त बैठक तो रखते ही हैं, इसके अलावा उन्हें हर दौरे के तीन महीने बाद एक और बैठक रखनी चाहिए। बेशक, अगर हालात माँग करते हैं, तो किसी भी समय प्राचीन बैठक रख सकते हैं।

अधीन रहिए

38 प्राचीन परिपूर्ण नहीं हैं, उनमें भी कमियाँ होती हैं। फिर भी मंडली के सभी भाई-बहनों को बढ़ावा दिया जाता है कि वे प्राचीनों के अधीन रहें, क्योंकि यह यहोवा का इंतज़ाम है। ये भाई यहोवा के प्रतिनिधि हैं और उन्हें निगरानी करने का अधिकार परमेश्‍वर से मिला है। वह प्राचीनों से उनके कामों का हिसाब लेगा। इब्रानियों 13:17 कहता है, “जो तुम्हारे बीच अगुवाई करते हैं उनकी आज्ञा मानो और उनके अधीन रहो, क्योंकि वे यह जानते हुए तुम्हारी निगरानी करते हैं कि उन्हें इसका हिसाब देना होगा ताकि वे यह काम खुशी से करें न कि आहें भरते हुए क्योंकि इससे तुम्हारा ही नुकसान होगा।” यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति से एक भाई को प्राचीन नियुक्‍त करता है। लेकिन अगर वह पवित्र शक्‍ति का फल ज़ाहिर न करे और शास्त्र में दी योग्यताओं के मुताबिक ज़िंदगी न जीए, तो उसी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए यहोवा उससे निगरानी की ज़िम्मेदारी ले लेगा।

39 मंडली में निगरानी करनेवाले भाई सच में कड़ी मेहनत करते हैं और बेहतरीन मिसाल रखते हैं। क्या हम इस बात के लिए उनकी कदर नहीं करते? पौलुस ने थिस्सलुनीके की मंडली को लिखी चिट्ठी में कहा, “हम तुमसे गुज़ारिश करते हैं कि तुम्हारे बीच जो कड़ी मेहनत करते हैं और प्रभु में तुम्हारी अगुवाई करते हैं और तुम्हें समझाते-बुझाते हैं, उनका आदर करो। और उनके काम की वजह से प्यार से उनकी बहुत कदर करो।” (1 थिस्स. 5:12, 13) प्राचीनों की कड़ी मेहनत की वजह से परमेश्‍वर की सेवा करना हमारे लिए आसान हो जाता है और हमें खुशी मिलती है। पौलुस ने तीमुथियुस के नाम पहली चिट्ठी में लिखा कि प्राचीनों के बारे में हमारा नज़रिया कैसा होना चाहिए। उसने कहा, “जो प्राचीन बढ़िया तरीके से अगुवाई करते हैं, वे दुगने आदर के योग्य समझे जाएँ। खासकर वे जो बोलने और सिखाने में कड़ी मेहनत करते हैं।”​—1 तीमु. 5:17.

संगठन में दूसरी ज़िम्मेदारियाँ

40 कुछ प्राचीनों को ‘मरीज़ मुलाकात दल’ के सदस्य चुना जाता है, तो कुछ प्राचीनों को ‘अस्पताल संपर्क समिति’ के सदस्यों के तौर पर चुना जाता है। ‘अस्पताल संपर्क समिति’ के भाई अस्पतालों में जाकर उन डॉक्टरों से मिलते हैं, जो साक्षियों का इलाज बगैर खून के करते हैं। वे इन डॉक्टरों को बढ़ावा देते हैं कि वे बगैर खून इलाज के जो तरीके अपना रहे हैं और जो नए-नए तरीके निकले हैं, उनका इस्तेमाल करते रहें। कुछ और प्राचीन, राज-घरों और सम्मेलन भवनों का निर्माण करने और उनकी देखरेख करने में हाथ बँटाते हैं और अधिवेशन-समिति के सदस्यों के तौर पर सेवा करते हैं। इस तरह वे राज के काम को आगे बढ़ा रहे हैं। ये भाई इन ज़िम्मेदारियों को निभाने में कड़ी मेहनत करते हैं और अपना तन-मन लगा देते हैं। संगठन के सभी भाई-बहन उनकी मेहनत की दिल से सराहना करते हैं। जी हाँ, हम ‘ऐसे भाइयों को अनमोल समझते हैं।’​—फिलि. 2:29.

सर्किट निगरान

41 शासी निकाय काबिल प्राचीनों को सर्किट निगरान के तौर पर सेवा करने के लिए नियुक्‍त करता है। शाखा दफ्तर उन्हें उनकी सर्किट की मंडलियों का दौरा करने के लिए भेजता है। वे आम तौर पर साल में दो बार मंडलियों का दौरा करते हैं। समय-समय पर वे दूर-दराज़ इलाकों में सेवा करनेवाले पायनियरों से भी मिलते हैं। वे अपने दौरों का एक कार्यक्रम बनाते हैं और हर मंडली को इसकी सूचना बहुत पहले से देते हैं, ताकि मंडलियों को पूरा-पूरा फायदा हो।

42 प्राचीनों के निकाय का संयोजक, सर्किट निगरान के दौरे से जुड़े सारे इंतज़ाम करने में अगुवाई करता है, ताकि उसके दौरे से सभी तरो-ताज़ा महसूस करें। (रोमि. 1:11, 12) जब संयोजक को सर्किट निगरान के दौरे के बारे में सूचना मिलती है, तो वह अलग-अलग भाइयों की मदद से उसके ठहरने का इंतज़ाम करता है। इसके अलावा, अगर उसकी और उसकी पत्नी की कुछ खास ज़रूरतें हैं, तो संयोजक उस हिसाब से भी ज़रूरी इंतज़ाम करता है। वह इस बात का भी ध्यान रखता है कि सभी भाई-बहनों को और सर्किट निगरान को भी इन इंतज़ामों के बारे में पता हो।

43 सर्किट निगरान मंडली की सभाओं, प्रचार की सभाओं और दूसरी सभाओं के बारे में जानने के लिए संयोजक से संपर्क करेगा। इन सभाओं का इंतज़ाम, सर्किट निगरान के सुझावों को ध्यान में रखते हुए और शाखा दफ्तर से मिली हिदायतों के मुताबिक किया जाएगा। मंडली की सभाओं, पायनियरों के साथ सर्किट निगरान की सभा, प्राचीनों और सहायक सेवकों के साथ उसकी बैठक, साथ ही प्रचार की सभाओं की जगह और समय के बारे में सबको पहले से बताया जाना चाहिए।

44 सर्किट निगरान, मंगलवार की दोपहर को कॉन्ग्रीगेशन्स पब्लिशर रेकॉर्ड  (मंडली प्रचारक रिकॉर्ड), सभाओं की हाज़िरी का रिकॉर्ड, प्रचार के इलाकों का रिकॉर्ड और हिसाब-किताब की जाँच करता है। इससे वह कुछ हद तक समझ पाता है कि मंडली की ज़रूरतें क्या हैं और वह उन भाइयों की मदद कैसे कर सकता है जो ये रिकॉर्ड रखते हैं। प्राचीनों के निकाय के संयोजक को सारे रिकॉर्ड सर्किट निगरान को पहले से देने चाहिए।

45 दौरे के वक्‍त, सर्किट निगरान समय निकालकर अलग-अलग प्रचारकों से बात करता है। वह सभाओं में, प्रचार में, खाने के वक्‍त या दूसरे मौकों पर ऐसा करता है। इसके अलावा, वह प्राचीनों और सहायक सेवकों के साथ एक बैठक रखता है और उन्हें बाइबल से ज़रूरी सलाह, सुझाव और हौसला बढ़ानेवाली बातें बताता है। इन बातों की मदद से प्राचीन और सहायक सेवक भेड़ों की देखभाल कर पाते हैं। (नीति. 27:23; प्रेषि. 20:26-32; 1 तीमु. 4:11-16) वह पायनियरों से भी मिलकर उन्हें सेवा में लगे रहने का बढ़ावा देता है और अगर वे सेवा में कुछ मुश्‍किलों का सामना करते हैं, तो निजी तौर पर उनकी मदद भी करता है।

46 इन सबके अलावा, अगर सर्किट निगरान को कुछ और मामलों पर ध्यान देना है, तो उस हफ्ते जितना हो सकेगा वह उन मामलों को सुलझाने में प्राचीनों की मदद करेगा। अगर उस हफ्ते वे किसी मामले को निपटा नहीं पाते, तो वह प्राचीनों या मामले में शामिल व्यक्‍ति से कहेगा कि वे शास्त्र में और भी खोजबीन करें ताकि उन्हें उस मामले के बारे में सही मार्गदर्शन मिल सके। अगर उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए शाखा दफ्तर से मदद चाहिए, तो सर्किट निगरान और प्राचीन मिलकर मामले के बारे में शाखा दफ्तर को पूरी रिपोर्ट लिखेंगे।

47 मंडली का दौरा करते वक्‍त सर्किट निगरान उसकी सभी सभाओं में हाज़िर होता है। शाखा दफ्तर की हिदायतों के मुताबिक, सर्किट निगरान के दौरे के वक्‍त सभाओं में फेरबदल किया जा सकता है। सर्किट निगरान भाई-बहनों का हौसला और जोश बढ़ाने, उन्हें सिखाने और मज़बूत करने के लिए भाषण देता है। वह उनके दिल में यहोवा, यीशु मसीह और संगठन के लिए प्यार बढ़ाने की कोशिश करता है।

48 सर्किट निगरान के दौरे का एक मकसद है, प्रचार में जोश से हिस्सा लेने का बढ़ावा देना और कुछ सुझाव देना ताकि भाई-बहन यह काम अच्छी तरह कर सकें। हो सकता है, मंडली के बहुत-से भाई-बहन अपने रोज़मर्रा के काम में फेरबदल करें, ताकि वे उस हफ्ते प्रचार में पूरा-पूरा हिस्सा ले सकें। वे शायद उस महीने सहयोगी पायनियर सेवा भी करें। अगर कोई प्रचारक सर्किट निगरान या उसकी पत्नी के साथ प्रचार करना चाहता है, तो वह पहले से बता सकता है। सर्किट निगरान या उसकी पत्नी को अपने साथ बाइबल अध्ययन और वापसी भेंट पर ले जाने से काफी फायदा हो सकता है। सर्किट निगरान के दौरे के समय प्रचार में हिस्सा लेने के लिए आप जो कड़ी मेहनत करते हैं, उसकी बहुत कदर की जाती है।​—नीति. 27:17.

49 हर सर्किट के लिए हर साल दो सर्किट सम्मेलन रखे जाते हैं। इन सम्मेलनों के लिए सारे इंतज़ाम करना सर्किट निगरान की ज़िम्मेदारी है। वह सम्मेलन से जुड़े सारे इंतज़ामों की देखरेख करने के लिए एक भाई को सम्मेलन निगरान और एक को सहायक सम्मेलन निगरान नियुक्‍त करता है। उन्हें सर्किट निगरान को पूरा सहयोग देना चाहिए। तब सर्किट निगरान, सम्मेलन के कार्यक्रम पर पूरा-पूरा ध्यान दे सकेगा। सर्किट निगरान अलग-अलग विभागों में सेवा करने के लिए दूसरे काबिल भाइयों को भी चुनेगा। वह हर सम्मेलन के बाद सर्किट के हिसाब-किताब की लेखा जाँच (ऑडिट) करवाने का भी इंतज़ाम करेगा। साल में एक सम्मेलन में, एक भाई शाखा प्रतिनिधि के तौर पर आएगा और सम्मेलन में भाषण देगा। कुछ सर्किटों में मंडलियाँ काफी दूर-दूर हैं या फिर सम्मेलन भवन में ज़्यादा लोगों के बैठने की सुविधा नहीं है। इस वजह से ऐसे सर्किट को दो भागों में बाँटा जाता है और हर भाग में एक सर्किट सम्मेलन रखा जाता है।

50 सर्किट निगरान हर महीने के आखिर में अपनी प्रचार रिपोर्ट सीधे शाखा दफ्तर को भेजता है। जिस मंडली का वह दौरा कर रहा है, अगर वह उसके सफर, खाने-पीने, ठहरने और दूसरी ज़रूरी चीज़ों का खर्च नहीं उठा पाती, तो भाई शाखा दफ्तर से खर्च उठाने के लिए कह सकता है। सफरी निगरानों को पूरा भरोसा है कि यहोवा के राज को पहली जगह देने से उनकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी की जाएँगी, ठीक जैसे यीशु ने वादा किया था। (लूका 12:31) ये प्राचीन मंडलियों की सेवा करने में अपने आपको पूरी तरह लगा देते हैं। इन प्राचीनों की मेहमान-नवाज़ी करना एक सम्मान की बात है।​—3 यूह. 5-8.

शाखा-समिति

51 पूरी दुनिया में यहोवा के साक्षियों के हर शाखा दफ्तर में, एक शाखा-समिति होती है। शाखा-समिति तीन या उससे ज़्यादा भाइयों से मिलकर बनती है जो बाइबल में बतायी योग्यताएँ पूरी करते हैं और प्रौढ़ हैं। इस समिति के भाई अपने देश में या फिर उन देशों में प्रचार काम की देखरेख करते हैं, जो उनकी निगरानी में आते हैं। समिति का एक सदस्य शाखा-समिति प्रबंधक होता है।

52 शाखा-समिति के भाई उन सभी मंडलियों के मामलों की देखरेख करते हैं, जो उनकी शाखा के इलाके में आती हैं। यह समिति ध्यान रखती है कि शाखा के पूरे इलाके में राज की खुशखबरी सुनायी जाए। समिति इस बात का भी खयाल रखती है कि मंडलियाँ और सर्किट अच्छी तरह संगठित हों, ताकि वे अपने इलाके के लोगों की मदद कर सकें। शाखा-समिति मिशनरियों और खास पायनियरों, पायनियरों और सहयोगी पायनियरों की सेवा की भी देखरेख करती है। जब कहीं सम्मेलन और अधिवेशन होते हैं तो शाखा-समिति के भाई उससे जुड़े इंतज़ाम करते हैं, ज़िम्मेदारियाँ और भाग सौंपते हैं ताकि “सब बातें कायदे से और अच्छे इंतज़ाम के मुताबिक हों।”​—1 कुरिं. 14:40.

53 कुछ देशों में देश-समिति (कंट्री कमिटी) बनायी जाती है, जो दूसरे देश की शाखा-समिति की निगरानी में काम करती है। देश-समिति के होने से उस देश में राज के काम की अच्छी निगरानी हो पाती है। यह बेथेल घर और दफ्तर के मामलों की देखरेख करती है, खतों के जवाब देने और मंडलियों से आनेवाली रिपोर्ट देखती है और प्रचार से जुड़े कामों की देखरेख करती है। देश-समिति, परमेश्‍वर के राज के कामों को बढ़ावा देने के लिए शाखा-समिति को सहयोग देती है।

54 शाखा-समितियों और देश-समितियों के सभी सदस्यों को शासी निकाय चुनता है।

मुख्यालय प्रतिनिधि

55 समय-समय पर शासी निकाय, काबिल भाइयों को पूरी दुनिया में शाखा दफ्तरों का दौरा करने के लिए भेजता है। उन भाइयों को मुख्यालय प्रतिनिधि कहा जाता है। उनका खास काम है, बेथेल परिवार का हौसला बढ़ाना और शाखा-समिति के भाइयों की मदद करना, खासकर जब उन्हें प्रचार को लेकर कुछ सवाल हों या किसी समस्या से निपटना हो। मुख्यालय प्रतिनिधि अपने दौरे के वक्‍त, कुछ सफरी निगरानों और जहाँ तक हो सके, पूरे समय प्रचार करनेवाले मिशनरियों से भी मिलता है। वह उनकी समस्याओं और ज़रूरतों के बारे में उनसे बात करता है और उनकी सबसे खास ज़िम्मेदारी यानी प्रचार और चेला बनाने के काम में उनकी हिम्मत बँधाता है।

56 मुख्यालय प्रतिनिधि को खासकर यह जानने में दिलचस्पी होती है कि प्रचार काम और मंडली के दूसरे काम कैसे हो रहे हैं और क्या सफलता हासिल की जा रही है। अगर समय हो, तो वह शायद रिमोट ट्रांस्लेशन ऑफिस (आर.टी.ओ.) का भी दौरा करे। जब मुख्यालय प्रतिनिधि, किसी शाखा का दौरा करता है, तो जहाँ तक मुमकिन है वह प्रचार काम में भी हिस्सा लेता है।

प्राचीनों को झुंड की रखवाली करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है और अगर हम हमेशा उनके अधीन रहकर सेवा करें, तो हम मंडली के मुखिया, मसीह यीशु के साथ एकता में होते हैं

प्यार से की जानेवाली निगरानी

57 प्रौढ़ मसीही भाइयों की कड़ी मेहनत, उनके प्यार और परवाह से हमें बहुत फायदा होता है। प्राचीनों को झुंड की रखवाली करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है और अगर हम हमेशा उनके अधीन रहकर सेवा करें, तो हम मंडली के मुखिया, मसीह यीशु के साथ एकता में होते हैं। (1 कुरिं. 16:15-18; इफि. 1:22, 23) नतीजा यह होता है कि परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति, पूरी दुनिया की सभी मंडलियों पर काम करती है और परमेश्‍वर का वचन सारी धरती पर होनेवाले काम के लिए मार्गदर्शन देता है।​—भज. 119:105.

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