वफ़ादारी किस क़ीमत पर?
“वफ़ादार पुरुष के साथ तू अपने को वफ़ादार दिखाएगा।”—भजन १८:२५, न्यू.व.
१, २. (अ) वफ़ादारी क्या है, और उसके पहलू हमारी ज़िन्दगी को किस तरह प्रभावित करते हैं? (ब) हमारे उत्कृष्ट मिसाल होने के नाते यहोवा की ओर मुड़ना क्यों अच्छा है?
ईमानदारी, फ़र्ज़, प्रेम, दायित्व, स्वामिभक्ति। इन सभी शब्दों में कौनसी बात सामान्य है? ये वफ़ादारी के विभिन्न पहलू हैं। वफ़ादारी दिली निष्ठा से उत्पन्न होनेवाला एक ईश्वरीय गुण है। परन्तु, आज अनेकों के लिए वफ़ादारी ज़्यादा महत्त्व नहीं रखती। एक जीवन साथी के प्रति ईमानदारी, परिवार के बड़े सदस्यों के प्रति फ़र्ज़, एक नौकर की अपने स्वामी के प्रति स्वामिभक्ति—इन सभी बातों को परवाह के योग्य नहीं माना जाता और इन में अक्सर समझौता किया जाता है। और जब वफ़ादारियों का संघर्ष उत्पन्न होता है, तब क्या? हाल में, इंग्लंड में जब एक लेखाकार ने कर निरीक्षक को अपनी कंपनी की वित्तसाधन के बारे में असलियत बता दी, तब उसकी नौकरी चली गयी।
२ सिर्फ़ वफ़ादारी के बारे में बात करना आसान है, लेकिन सच्ची वफ़ादारी का समर्थन ऐसे कार्य से होना चाहिए जिस में भयभीत समझौता सम्मिलित न हो। अपरिपूर्ण इंसान होने के नाते, हम अक्सर इस में असफ़ल हो जाते हैं। इसलिए हमारा एक ऐसे मिसाल पर ग़ौर करना अच्छा है, जिनकी वफ़ादारी पर सफ़लतापूर्वक संदेह नहीं किया जा सकता, यानी स्वयं यहोवा परमेश्वर।
वफ़ादारी का मूर्तरूप
३. यहोवा उत्पत्ति ३:१५ में बताए गए अपने उद्देश्य की ओर किस तरह वफ़ादार साबित हुए हैं?
३ जब आदम ने पाप किया, तब यहोवा ने मानव परिवार का उद्धार करने के लिए, जो कि अब तक अनजन्मा था, अपना उद्देश्य स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। इस कार्य का आधार अपनी मानवी सृष्टि के लिए उनका प्रेम था। (यूहन्ना ३:१६) समय आने पर, यीशु मसीह, उत्पत्ति ३:१५ में पूर्वबतलाया गया प्रतिज्ञात वंश, छुटकारे का बलिदान साबित हुआ, और यहोवा के लिए यह असंभव था कि वह अपने व्यक्त उद्देश्य के विषय में पीछे हटते। यीशु के बलिदान को स्वीकार करने की वजह से, हमारे विश्वास से निराशा प्राप्त न होगी।—रोमियों ९:३३.
४. यहोवा यीशु के प्रति किस तरह से वफ़ादार साबित हुए, और इसका परिणाम क्या रहा?
४ यीशु के प्रति यहोवा की वफ़ादारी से पुत्र को, जब वह पृथ्वी पर था, बहुत बड़ी मात्रा में बल प्रदान हुआ। यीशु जानता था कि उसे मृत्यु का सामना करना पड़ेगा, और वह अन्त तक अपने परमेश्वर के प्रति वफ़ादारी बनाए रखने के लिए दृढ़ रूप से कृतसंकल्प था। अपने पूर्व-मानवीय अस्तित्व के बारे में पूरा ज्ञान उसे उसके बपतिस्मा और पवित्र आत्मा से किए गए अभिषेक के अवसर पर प्रकट किया गया। जिस रात उसे पकड़वा लिया गया, उसने प्रार्थना की कि उसे अपने स्वर्ग के पिता के पास लौटाया जाए, और ‘वह महिमा दे दी जाए जो जगत के होने से पहले उसको उनके साथ थी।’ (यूहन्ना १७:५) यह किस तरह संभव होनेवाला था? यहोवा के अपने वफ़ादार पुत्र को क़ब्र में सड़ने के लिए न छोड़ने के द्वारा ही ऐसा हो सकता था। यहोवा ने उसे मृत्यु से अमर जीवन प्राप्त करने के लिए जिलाया, और इस प्रकार भजन १६:१० में लिखे गए वचनों को वफ़ादारी से पूरा किया: “तू मेरे प्राण को अधोलोक [शीओल, न्यू.व.] में न छोड़ेगा।”—प्रेरितों २:२४-३१; १३:३५; प्रकाशितवाक्य १:१८.
५. यीशु से किए यहोवा की प्रतिज्ञाओं के साथ और कौनसे वफ़ादार कार्य सम्बन्ध रखते हैं?
५ उसके पुनरुत्थान के बाद, यीशु को उसी तरह मालूम था कि वह यहोवा की उक्ति पर भरोसा कर सकता था कि वह ‘उसके शत्रुओं को उसके चरणों की चौकी बना’ देते। (भजन ११०:१) १९१४ में वह समय आ गया, ‘अन्यजातियों के नियत समय’ के अन्त में, जब राज्य स्वर्ग में स्थापित हुआ। यीशु के अपने शत्रुओं पर के प्रतिज्ञात आधिपत्य का आरंभ स्वर्ग से शैतान और उसके दुष्टात्माओं के निष्कासन से हुआ। जब इन्हें एक हज़ार साल के लिए अथाह-कुण्ड में डाला जाएगा और “पृथ्वी के राजाओं और उन की सेनाओं” का विनाश हो चुका होगा, तब ये बातें पराकाष्ठा पर पहुँचेंगी।—लूका २१:२४; प्रकाशितवाक्य १२:७-१२; १९:१९; २०:१-३.
६. परमेश्वर हमें कौनसी सुनिश्चित आशा देते हैं, और हम इसके लिए हमारी क़दरदानी किस तरह दिखा सकते हैं?
६ भजनकार ने प्रोत्साहित किया: “यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ाकर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा।” (भजन ३७:३४) हम आश्वस्त रह सकते हैं कि यहोवा अपने वचन पर डटे रहेंगे और, इस दुष्ट दुनिया के अन्त तक वह ‘उसके मार्ग पर बने रहनेवाले’ आदमियों, औरतों और बच्चों को बचाएँगे। मूल इब्रानी पाठ में उस वाक्यांश से यहोवा की, दोनों, अध्यवसाय और विश्वासनीयता से सेवा करने का विचार सूचित होता है। इसलिए, यह अब थक जाने या हमें दिए गए सेवा के विशेषाधिकारों को त्याग देने का समय नहीं है। यह हमारे परमेश्वर और उसके राज्य की वफ़ादार सेवा में यत्न करने का समय है। (यशायाह ३५:३, ४) हमें प्रोत्साहित करने के लिए उत्तम मिसाल मौजूद हैं। आइए इन में से कुछेकों पर ग़ौर करें।
कुलपिता वफ़ादारी प्रतिबिम्बित करते हैं
७, ८. (अ) यहोवा ने नूह और उसके परिवार को कौनसे नियत कार्य दिए? (ब) नूह का परिवार किस तरह जग-व्याप्त जल-प्रलय के दौरान परमेश्वर की रक्षा के क़ाबिल साबित हुआ?
७ जब यहोवा ने एक जल प्रलय से दुष्ट मानवी समाज को नष्ट करने का इरादा किया, तब उन्होंने कुलपिता नूह के साथ उसके परिवार के संरक्षण और इस पृथ्वी पर जीवन का सिलसिला बनाए रखने के लिए एक क़रार किया। (उत्पत्ति ६:१८) नूह इस ईश्वरीय रक्षा की प्रत्याशा के लिए आभारी था, लेकिन उसे और उसके परिवार को इसके योग्य साबित होना था। कैसे? यहोवा की आज्ञानुसार सब कुछ करने के द्वारा। पहले उनके सम्मुख जहाज़ बाँधने का बड़ा कार्य था। जब यह पूरा हुआ, तब नूह को इस में जानवर क्षेत्र के प्रतिनिधि और एक लम्बी अवधि तक उनके पोषण के लिए आहार भी भर देना था। पर यही नहीं। तैयारी के उस बढ़ाए हुए समय में, नूह आनेवाले ईश्वरीय दण्ड के बारे में चेतावनी देते हुए, एक अभूतपूर्व प्रचार कार्य में यथाशक्ति सब कुछ कर रहा था।—उत्पत्ति, अध्याय ६ और ७; २ पतरस २:५.
८ बाइबल हमें बताती है कि “परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया। उसने ठीक उसी तरह किया।” (उत्पत्ति ६:२२, न्यू.व.; ७:५) नूह और उसका परिवार अपने नियत कार्य को पूरा करने में वफ़ादार साबित हुए। उनकी आत्म-त्यागी मनोवृत्ति का अर्थ यह हुआ कि उन्होंने लाभकारी रूप से समय गुज़ारा, लेकिन कार्य दुष्कर था और प्रचार कार्य मुश्किल। चूँकि उन्होंने प्रलय से पहले बच्चे नहीं जने, इसलिए नूह के बेटे और उनकी पत्नियों को जो नियत कार्य था, उस पर ध्यान केंद्रित करने और अपने क्रिया-कलाप को समन्वित करने में मदद हुई। उस तबाही लानेवाले प्रलय से एक दुष्ट संसार का यथोचित अन्त हुआ। सिर्फ़ नूह, उसकी पत्नी, उनके तीन बेटे और तीन बहुएँ बच गए। हम बहुत ही खुश हो सकते हैं कि वे परमेश्वर और उनके आदेशों के प्रति वफ़ादार थे, इसलिए कि हम में से हर एक व्यक्ति शेम, हाम या येपेत के ज़रिए, सीधे रूप से नूह से ही उत्पन्न हुए हैं।—उत्पत्ति ५:३२; १ पतरस ३:२०.
९. (अ) किस तरह यहोवा द्वारा इब्राहीम की परीक्षा उसकी वफ़ादारी की परीक्षा थी? (ब) इस में इसहाक ने अपनी वफ़ादारी कैसे दर्शायी?
९ जब इब्राहीम इसहाक की बलि चढ़ाने की तैयारी कर रहा था, तब वह यहोवा के आदेश के प्रति निष्ठावान् आज्ञाकारिता दिखाकर कार्य कर रहा था। यह उसकी वफ़ादारी की कैसी परीक्षा थी! फिर भी, यहोवा ने यह कहकर इब्राहीम के हाथ को रोका: “तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस से मैं अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है।” यद्यपि, हम भली-भाँति करेंगे यदि हम उन बातों पर ग़ौर करेंगे जो इस से पहले हुईं। मोरिय्याह पहाड़ जाने के लिए तीन-दिवसीय यात्रा में, इब्राहीम को निश्चय ही इन बातों पर मनन करने और अपना निर्णय बदलने के लिए पर्याप्त समय मिला। और इसहाक का क्या, जिसने लकड़ियाँ ढोयीं और जिसने अपने पिता को उसके हाथ-पैर बाँधने दिया? वह अपने पिता, इब्राहीम के प्रति निष्ठा में न डगमगाया, और न ही उसने उस भूमिका पर कोई सवाल किया, जो उसे निभानी थी, हालाँकि ऐसे लगा कि वफ़ादारी का मार्ग अपनाने से उसे अपनी जान की बलि देनी पड़ती।—उत्पत्ति २२:१-१८; इब्रानियों ११:१७.
मसीही वफ़ादारी
१०, ११. प्रारम्भिक मसीहियों ने वफ़ादारी की कौनसी मिसालें क़ायम कीं?
१० यहोवा ने हमेशा सच्ची वफ़ादारी से कार्य किया है। “परमेश्वर के सदृश्य बनो,” पौलुस प्रोत्साहित करता है। (इफिसियों ५:१, २) जिस तरह कुलपिताओं ने अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाई, उसी तरह मसीही भी अनुकूल प्रतिक्रिया दिखानेवाले थे। प्रारम्भिक मसीहियों ने वफ़ादार उपासना में उत्तम मिसालें क़ायम कीं, जैसा कि निम्नलिखित अनुभव से दर्शाया जाता है।
११ सम्राट् कौंस्टेंटाइन के पिता, रोमी सम्राट् कौंस्टेंटस I को प्रत्यक्षतः यीशु मसीह के अनुयायियों के लिए गहरा आदर था। अपने राजमहल से जुड़े हुए मसीहियों की परीक्षा लेने के लिए, उसने उनसे कहा कि वे उसकी सेवा में तभी रह सकते थे अगर वे मूर्तियों के सामने बलिदान चढ़ाने के लिए तैयार होते। उन्हें बताया गया कि इंकार करने से उन्हें बरख़ास्त किया जाता और उसकी तरफ़ से उन पर बदला लिया जाता। इस सरल चाल से, कौंस्टेंटस उन लोगों की शिनाख़्त करना चाहता था जो कभी भी अपनी वफ़ादारी से समझौता नहीं करते। जो लोग परमेश्वर और उनके सिद्धान्तों के प्रति वफ़ादार रहे, उन्हें सम्राट् की सेवा में रख लिया गया, और उन में से कुछेक तो भरोसेयोग्य सलाहकार भी बन गए। जो परमेश्वर के आदेश के प्रति बेवफ़ा निकले, उन्हें बदनाम करके निकाल दिया गया।
१२. मसीही अध्यक्षों को वफ़ादारी किस तरह प्रकट करनी चाहिए, और यह मण्डली के हित के लिए अत्यावश्यक क्यों है?
१२ हालाँकि वफ़ादारी को सभी मसीहियों की ज़िन्दगी की विशेषता होनी चाहिए, तीतुस १:८ में मसीही अध्यक्ष बनने के लिए किसी आदमी के लिए ज़रूरी गुणों की सूची में इसका ख़ास तौर से ज़िक्र किया गया है। विलियम बार्कले कहता है कि यूनानी शब्द होʹसियोस, जिसका यहाँ अनुवाद “वफ़ादार,” किया गया है, “उस आदमी” का वर्णन करता है, “जो अनन्त नियमों का आज्ञापालन करता है; उन नियमों का जो किसी भी मानव-निर्मित नियम से आगे थे और हैं।” यह अत्यावश्यक है कि प्राचीन परमेश्वर के नियमों के प्रति ऐसी ही वफ़ादार स्थिति लें। इस सही मिसाल से मण्डली को बढ़ने और, हर क़िस्म की परीक्षाओं और दबावों का सामना करने के लिए, जो इसे सामूहिक रूप से या इसके सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से जोखिम में डालते हैं, पर्याप्त मात्रा में शक्तिशाली बनने की मदद होगी। (१ पतरस ५:३) नियुक्त प्राचीनों को झुण्ड के प्रति एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, कि वे कभी यहोवा के प्रति अपनी वफ़ादारी से समझौता न करें, इसलिए कि मण्डली को “उन के विश्वास का अनुकरण” करने का प्रबोधन किया जाता है।—इब्रानियों १३:७.
वफ़ादारी—किस क़ीमत पर?
१३. इस सूक्ति का क्या मतलब है कि “हर आदमी की क़ीमत होती है,” और कौनसी मिसालों से प्रतीत होता है कि यह सच है?
१३ “हर आदमी की क़ीमत होती है,” एक ऐसी सूक्ति है, जिसका श्रेय १८वीं सदी के एक ब्रिटिश प्रधान मंत्री, सर् रॉबर्ट वॉलपोल को दिया जाता है। यह इस तथ्य का अच्छी तरह से संक्षिप्त विवरण देता है कि पूरे इतिहास में अक्सर वफ़ादारियाँ स्वार्थी लाभ के लिए बेची जा चुकी हैं। बाइबल अनुवादक, विलियम टिन्डेल का ही विचार करें, जिसने ग़लती से हेन्री फिलिप्पस् को अपने वफ़ादार दोस्त के तौर से स्वीकार किया। १५३५ में फिलिप्पस् ने बेवफ़ाई से टिन्डेल का विश्वासघात करके उसके शत्रुओं को उसका पता बता दिया, जिसके परिणाम स्वरूप टिन्डेल की तत्काल गिरफ़्तारी और अकाल मौत हुई। एक इतिहासकार कहता है कि फिलिप्पस् को, जो संभवतः अँग्रेज़ राजा या अँग्रेज़ कैथोलिकों का कर्ता था, “उसके यहूदा-कार्य के लिए बहुत ज़्यादा पैसे दिए गए।” निश्चय ही, वह इतिहासकार यहूदा इस्करियोती का उल्लेख कर रहा था, जिसने यीशु मसीह का विश्वासघात करने की क़ीमत के तौर से, चाँदी के ३० मुहर लिए। परन्तु, हमें इन मिसालों से यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि किसी व्यक्ति की वफ़ादारी की “क़ीमत” हमेशा पैसा ही होता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है।
१४. यहोवा के प्रति यूसुफ की वफ़ादारी की परीक्षा किस तरह ली गयी, और इसका नतीजा क्या रहा?
१४ जब पोतीपर की पत्नी ने यूसुफ को ‘[उसके] साथ सोने’ का आग्रह किया, यहोवा के प्रति उसकी वफ़ादारी की परीक्षा हुई। वह क्या करता? एक ऐसे दिमाग़ के साथ जिस में संबद्ध सिद्धान्त पहले से ही स्पष्ट थे, यूसुफ घर से भाग गया, इस विषय में कृतसंकल्प होकर कि वह कभी “ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी” नहीं बन सकता था। लैंगिक विलास की प्रत्याशा यूसुफ के अपने परमेश्वर, यहोवा के प्रति वफ़ादारी पर कभी क़ाबू नहीं कर सकती थी।—उत्पत्ति ३९:७-९.
१५. अबशालोम ने बेवफ़ाई कैसे प्रकट किया, और इसका नतीजा क्या रहा है?
१५ फिर भी, अन्य ख़तरे हैं; महत्त्वाकांक्षा वफ़ादारी को दुर्बल बना सकती है। अबशालोम के अपने पिता, राजा दाऊद के ख़िलाफ़ की गयी बग़ावत की प्रेरणा के पीछे यही बात थी। षड्यन्त्र और साज़िश से, अबशालोम ने लोगों की कृपादृष्टि प्राप्त करने की कोशिश की। आख़िर में, उसने अपने पिता के वफ़ादार समर्थकों का सामना करने के लिए एक सेना एकत्र की। योआब के हाथों अबशालोम की मौत से उसकी अपने पिता, दाऊद के प्रति बेवफ़ाई ख़त्म हो गया, लेकिन एक ईश्वर-शासित व्यवस्था को उलट देने की कोशिश करने के लिए यह क्या ही बड़ी क़ीमत थी!—२ शमूएल १५:१-१२; १८:६-१७.
वह वफ़ादारी जिसकी कोई क़ीमत नहीं
१६. २ कुरिन्थियों ११:३ शैतान के इरादों के बारे में क्या प्रकट करता है?
१६ हालाँकि शैतान दावा करता है कि हर किसी की एक क़ीमत होती है, और यह बात अबशालोम के मामले में सही थी, यह यूसुफ के मामले में तो सच नहीं था, और ना ही यह कभी यहोवा के वफ़ादार उपासकों के बारे में भी सच रहा है। फिर भी, हमारे सृष्टिकर्ता के प्रति हमारी वफ़ादारी को तोड़ने के लिए शैतान हमारे सामने कोई भी प्रस्ताव रखेगा। प्रेरित पौलुस ने अपना डर व्यक्त किया कि “जैसे साँप ने अपनी चतुराई से हव्वा को बहकाया,” वैसे ही हमारी सोच भी भ्रष्ट की जाएगी, जिस से हम यहोवा के प्रति अपनी वफ़ादारी और उनकी उपासना में समझौता करने के लिए प्रेरित हो जाएँगे।—२ कुरिन्थियों ११:३.
१७. कुछ लोगों ने क्या हासिल करने के लिए सेवा के अमूल्य विशेषाधिकारों का सौदा किया है?
१७ यह उचित है कि हम अपने आप से पूछें: ‘अपने सृष्टिकर्ता की उपासना करने के ख़ास अनुग्रह के बदले में क्या मैं कोई क़ीमत स्वीकार करूँगा?’ यह एक दुखद वास्तविकता है कि, यूसुफ से भिन्न, कुछ लोगों ने, जो किसी समय यहोवा के सेवक थे, बदले में बहुत तुच्छ बातें माँगी। कुछ प्राचीनों ने भी अनैतिक लैंगिक विलास के उपभोग के लिए पवित्र सेवा के अपने अमूल्य विशेषाधिकार का सौदा किया है। चाहे प्राचीन हों या कोई और, ऐसा करनेवाले अनेक लोगों ने अप्राप्य रूप से पारिवारिक एकता, मण्डली का प्रेम और आदर, और यहोवा की पसंदगी खो दी है—उसी व्यक्ति की, जो वफ़ादारी बनाए रखने और शैतान की ओर से किसी भी प्रलोभन का प्रतिरोध करने की शक्ति दे सकते हैं।—यशायाह १२:२; फिलिप्पियों ४:१३.
१८. क्यों १ तीमुथियुस ६:९, १० में दी गयी चेतावनी की ओर ध्यान देना महत्त्वपूर्ण है?
१८ दूसरों ने, बाइबल की स्पष्ट चेतावनियों के बावजूद, सांसारिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए महत्त्वाकांक्षी संकल्प के साथ “अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है।” (१ तीमुथियुस ६:९, १०) पौलुस द्वारा ज़िक्र किए गए एक मसीही, देमास ने इस वजह से, या तो अस्थायी रूप से या स्थायी रूप से सब कुछ खो दिया। (२ तीमुथियुस ४:१०) अनर्थकारी परिणामों के बग़ैर यहोवा के प्रति वफ़ादारी में कभी भी समझौता नहीं किया जा सकता। “परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।”—गलतियों ६:७.
१९, २०. (अ) कौनसे ख़तरे अत्याधिक टेलिविजन देखने से जुड़े हुए हैं? (ब) एक गवाह परिवार ने कौनसी मिसाल क़ायम की है?
१९ कभी-कभी सौदाकारी की क़ीमत एक अतिसूक्ष्म रीति से प्रकट होता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका की एक रिपोर्ट बताती है कि बहुत सारे परिवार अपनी जागृतावस्था के समय का लगभग आधा हिस्सा घर में बैठकर टेलिविजन देखने में बिताते हैं, और युवजन विशेष रूप से इसके आदी हैं। अगर कोई मसीही टेलिविजन पर दिखाए काम-भावना और हिंसा से भरे कार्यक्रमों से अपने दिमाग़ का पोषण करता, तो वह जल्दी ही अपने मसीही सिद्धान्तों को दुर्बल बना देता। यह आसानी से उसका यहोवा के प्रति बेवफ़ा होने और उनसे दूर होने का कारण बन जाता। ऐसी बुरी संगति अच्छी आदतों को ज़रूर बिगाड़ देती है। (१ कुरिन्थियों १५:३३) हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि धर्मशास्त्रों में हमें यहोवा के वचन का अध्ययन करने और उस पर मनन करने के लिए समय निकालने की चेतावनी दी गयी है। क्या टेलिविजन से सामने बैठकर आराम करने में बिताया अत्याधिक समय उस समय के लिए एक उचित विनिमय है, जो यहोवा का एक वफ़ादार उपासक होकर अनन्त जीवन की ओर ले जानेवाली जानकारी हासिल करने में इस्तेमाल किया जा सकता है? इस सम्बन्ध में कई लोगों को, जो आज सच्चाई में आ रहे हें, अपनी सोच में बड़ा समायोजन लाना पड़ा है।—१ तीमुथियुस ४:१५, १६; २ तीमुथियुस २:१५.
२० टाकाशी इंग्लंड में रहनेवाला एक जापानी व्यापारी है। वह अधिकतर शामों को अपने परिवार के साथ तीन-चार घंटे टेलिविजन देखा करता था। चार साल पहले, उसकी पत्नी के और उस के बपतिस्मा के बाद, उसने संकल्प किया कि निजी और पारिवारिक बाइबल अध्ययन को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। अपने टेलिविजन देखने के समय को प्रति दिन औसतन १५ या ३० मिनट तक ही सीमित रखने के द्वारा, उसने परिवार में उत्तम नेतृत्त्व लिया। हालाँकि टाकाशी को दो बाइबल, एक अँग्रेज़ी और दूसरी जापानी, इस्तेमाल करके अभ्यास करना पड़ता है, उसकी आध्यात्मिक वृद्धि तेज़ रही है, और वह अब एक अँग्रेज़ी-भाषा मण्डली में सेवकाई सेवक के रूप में सेवा करता है। उसकी पत्नी एक सहायक पायनियर है। वह कहता है, “हमारे दो जवान बेटों के आध्यात्मिक हितों की रक्षा करने के लिए, मैं हर दिन ध्यान से जाँच करता हूँ कि मेरी पत्नी और मैं उन्हें टेलिविजन पर क्या-क्या देखने देते हैं।” ऐसा आत्मानुशासन लाभप्रद होता है।
२१. हम शैतान के दाँवपेच के बारे में क्या जानते हैं, और हम किस तरह अपनी रक्षा कर सकते हैं?
२१ हम इसके बारे में निश्चित रह सकते हैं: शैतान हमारी कमज़ोरियाँ जानता है, शायद हम से बेहतर। जब वह यहोवा के प्रति हमारी निष्ठा में समझौता कराने या उसको दुर्बल कराने की कोशिश करता है, वह कोई कसर न छोड़ेगा। (मत्ती ४:८, ९ से तुलना करें।) तो फिर, हम अपनी रक्षा किस तरह कर सकते हैं? अपने समर्पण को सतत हमारी मन की आँखों के सामने रखने और, जब हम दूसरों की आध्यात्मिक ज़रूरतों के लिए सेवा करते हैं, तब निपुणता विकसित करने में खुशी लेने के द्वारा हम ऐसा कर सकते हैं। यहोवा के वफ़ादार सेवकों के तौर से, हमें उनकी सेवा में व्यस्त रहना चाहिए और हर समय उनके पवित्र वचन से नियंत्रित होना चाहिए। यह हमें अपने दृढ़संकल्प को बनाए रखने की मदद करेगा कि शैतान द्वारा प्रस्तावित कोई भी क़ीमत हमें परमेश्वर के प्रति वफ़ादारी बनाए रखने के रास्ते से नहीं हटाएगी।—भजन ११९:१४-१६.
आप किस तरह जवाब देते हैं?
◻ यहोवा और यीशु ने वफ़ादारी किस तरह दर्शायी है?
◻ वफ़ादारी के कुछ और बाइबलीय उदाहरण क्या है?
◻ शैतान हमारे सामने क्या प्रस्ताव रख सकता है, या क्या करने की कोशिश कर सकता है?
◻ यहोवा की हमारी उपासना में वफ़ादार रहने के लिए हम अपने आप को किस तरह शक्तिशाली बना सकते हैं?