ईश्वर कुछ प्रार्थनाएँ क्यों नहीं सुनता?
ईश्वर चाहता है कि हम उससे बात करें। पवित्र शास्त्र में लिखा है कि जब हम उससे सच्चे दिल से प्रार्थना करते हैं, तो उसे बहुत खुशी होती है और वह हमारी सुनता है। मगर शास्त्र में यह भी बताया गया है कि कुछ वजहों से ईश्वर एक व्यक्ति की प्रार्थना नहीं सुनता। तो आइए देखें कि हमें प्रार्थना कैसे करनी चाहिए और कैसे नहीं।
‘प्रार्थना करते वक्त, एक ही बात बार-बार मत दोहराओ।’—मत्ती 6:7.
अगर आपका दोस्त जब देखो वही चार शब्द आपसे बार-बार कहता रहे, तो आपको कैसा लगेगा? बेशक, आप एक ही बात सुन-सुनकर चिढ़ जाएँगे। परमेश्वर यहोवा को भी यह हरगिज़ पसंद नहीं कि हम किसी किताब में लिखी प्रार्थनाएँ पढ़ें या फिर रटी-रटायी प्रार्थनाएँ करें। वह चाहता है कि हम उसे अपना दोस्त मानकर उसे अपने दिल की बात बताएँ।
‘जब तुम माँगते हो तो पाते नहीं, क्योंकि तुम गलत इरादे से माँगते हो।’—याकूब 4:3.
अगर हम ऐसी चीज़ के लिए प्रार्थना करें, जो हम जानते हैं कि गलत है, तो ईश्वर हमारी नहीं सुनेगा। आपको क्या लगता है अगर एक जुआरी ईश्वर से यह प्रार्थना करे कि उसकी लॉटरी लग जाए, तो क्या ईश्वर उसकी प्रार्थना सुनेगा? नहीं! पवित्र शास्त्र में ईश्वर ने साफ-साफ लिखवाया है कि उसे लालची लोगों से नफरत है। वह यह भी नहीं चाहता कि हम किस्मत या नसीब जैसी बातों पर यकीन करें। (यशायाह 65:11; लूका 12:15) अगर हम चाहते हैं कि ईश्वर हमारी प्रार्थनाएँ सुने, तो हमें ध्यान रखना है कि हम प्रार्थना में क्या माँगते हैं। हमें सोचना होगा कि क्या यह माँगना सही होगा, क्या परमेश्वर के हिसाब से यह ठीक रहेगा। पवित्र शास्त्र बाइबल में बताया गया है कि किन बातों के लिए प्रार्थना करना सही रहेगा।
‘जो परमेश्वर का कानून मानने से इनकार करता है, उसकी प्रार्थना घिनौनी है।’—नीतिवचन 28:9.
पवित्र शास्त्र में लिखा है कि पुराने ज़माने में जो लोग गलत कामों में लगे हुए थे, उनकी प्रार्थनाएँ ईश्वर ने नहीं सुनीं। (यशायाह 1:15, 16) आज भी परमेश्वर यहोवा ऐसे लोगों की प्रार्थनाएँ नहीं सुनता जो जानबूझकर गलत काम करते रहते हैं। (मलाकी 3:6) इसका मतलब, अगर हम चाहते हैं कि ईश्वर हमारी दुआएँ सुने, तो हमें सही राह पर चलना चाहिए और हमेशा वही करना चाहिए जो उसकी नज़र में सही है। लेकिन अगर हमने बीते समय में गलतियाँ की थीं, तो क्या ईश्वर हमारी प्रार्थनाएँ कभी नहीं सुनेगा? ऐसी बात नहीं है। अगर हम उससे माफी माँगें और सही राह पर चलने लगें, तो वह ज़रूर सुनेगा।—प्रेषितों 3:19.