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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1989
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क्या आपको याद है?

क्या आपने प्रहरीदुर्ग के हाल के अंको को पढ़कर आनन्द अनुभव किया है? तो देखिए कि यदि आप इन निम्नलिखित प्रश्‍नों का उत्तर दे सकते हैं:

◻ चूँकि समस्त बाइबल लेखक अपने प्रस्तुती-करण में विभिन्‍नता प्रकट करते हैं तो वे किस दिशा की ओर, और परमेश्‍वर के किस उद्देश्‍य की ओर संकेत करते हैं?

उन सबने प्रदर्शित किया कि मनुष्यजाति को खुश करने के लिए यहोवा क्या करनेवाले हैं और परमेश्‍वर की प्रसन्‍नता प्राप्त करने के लिए मनुष्यों को व्यक्‍तिगत रीति से क्या करना चाहिए।​—२/१ पृष्ठ ७.

◻ सच्चे मसीहियों और नाम के मसीहियों के बीच कौन से चार ख़ास फ़र्क हैं?

सच्चे मसीही लहु से दूर रहते हैं। (प्रेरितों के कार्य १५:२८, २९) वे एक ऊँचे नैतिक स्तर को बनाए रखते हैं। (१ कुरिन्थियों ६:९, १०) असली मसीही राजनीति और राष्ट्रीय विवादों में तटस्थ रहते हैं। (यूहन्‍ना १७:१६) जो यीशु के पीछे हो लेते हैं वे अपने घरेलू रिश्‍तों में उनके उदाहरण को अपना आदर्श मानते हैं। (इफिसियों ५:२१-२५)​—२/१ पृष्ठ ११-१३.

◻ ईमानदार होने के क्या कुछेक प्रतिफल और लाभ हैं?

विश्‍वास और भरोसे का वातावरण उत्पन्‍न होता है जिससे अच्छी मनोवृति और अच्छे रिश्‍ते बने रहते हैं। ईमानदारी से एक शुद्ध विवेक बनाए रखने में मदद मिलती है, और उससे मन की शांति मिलती है, जिससे व्यक्‍ति शर्म के भय के बिना दूसरों से मिल जुल सकता हैं। (इब्रानियों ९:१४; १ तीमुथियुस १:१९)​—३/१ पृष्ठ ७.

◻ प्रकाशितवाक्य ९:१६ में वर्णित “सवारों की फ़ौजें” किसको चित्रित करती हैं?

यह लाक्षणिक घोड़ न ही केवल अभिषिक्‍त व्यक्‍तियों के घटते हुए अवशेष को बल्कि “दूसरी भेड़ो” की बढ़ती हुई और शक्‍तिशाली “बड़ी भीड़” को भी चित्रित करते हैं। (प्रकाशितवाक्य ७:९; यूहन्‍ना १०:१६)​—४/१ पृष्ठ १९.

◻ वर्तमान समय में किशोरियों के गर्भवती होने की समस्या का क्या हल है?

यूवजन को नैतिक और आध्यात्मिक पथप्रदर्शन मिलना चाहिए। बाइबल बताती है कि ऐसा करने की जिम्मेवारी माँ-बाप की है। (इफिसियों ६:४)​—५/१ पृष्ठ २७.

◻ वह कौनसे तीन आधारभूत कारण हैं जिनसे भूत और वर्तमान कालो में यहोवा साक्षियों के मिश्‍नेरी कार्य की सफलता में मदद मिली है?

एक है, लोगों के अपने घरों में व्यक्‍तिगत रूप से संपर्क। दूसरा है, सीधे रूप से और सरल बाइबल पर आधारित राज्य का समाचार। तीसरा है, मिशनरियों का मसीह जैसा प्रेम जो वे लोगों के प्रति अपने व्यवहार में प्रकट करते हैं।​—६/१ पृष्ठ १४.

◻ बच्चों के सफलतापूर्वक पालन-पोषण में क्या मुश्‍किले पेश आती हैं?

माँ-बाप और बच्चे अपूर्ण होते हैं और इसलिए गलतियाँ करते हैं (रामियों ५:१२) इसके अतिरिक्‍त वर्तमान काल के समाज की दुष्ट प्रवृतियों से बढ़ते हुए बच्चे अति प्रभावित होते हैं; इससे उनकी मान्यताओं और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। (२ तीमुथियुस ३:१-५)​—८/१ पृष्ठ ४.

◻ वह “शुद्ध भाषा” क्या है, जिसका वर्णन सपन्याह ३:९ में किया गया है?

वह शास्त्रीय सच्चाई की भाषा है जिसके द्वारा सभी राष्ट्रों और जातियों में परमेश्‍वर के भय माननेवाले लोग कन्धे से कन्धा मिलाकर यहोवा की सेवा कर सकते हैं।​—८/१ पृष्ठ ८.

◻ कैसे कोई व्यक्‍ति यहोवा से स्वीकृति प्राप्त कर सकता है?

समर्पण और बपतिस्मा द्वारा एक अपूर्ण मनुष्य के लिए सम्भव है कि वह ऐसा मनुष्य बने जिससे परमेश्‍वर प्रसन्‍न हो अथवा जिसे परमेश्‍वर की स्वीकृति प्राप्त हो। (लूका २:१४)​—८/१ पृष्ठ १४.

◻ माँ-बाप अपने पथ भ्रष्ट नाबालिग़ बच्चे को क्या मदद दे सकते हैं यद्यपि कि वह गैर-बपतिस्मा प्राप्त प्रकाशक होने के बावजूद अपात्र माना गया है या उसका बहिष्कार हो गया है?

जिस तरह से माँ-बाप उसे आहार, कपड़ा और शरण देते रहेंगे, उसी तरह उन्हें परमेश्‍वर के वचन के आधार पर उसे प्रशिक्षण देते रहना और नियन्त्रण में रखना चाहिए। वे उसके साथ अकेले में अध्ययन कर सकते हैं या उसे पारिवारिक अध्ययन की व्यवस्था में अन्तर्ग्रस्त कर सकते हैं।​—८/१ पृष्ठ २३.

◻ परमेश्‍वर के साथ रिश्‍ता बनाए रखने से कौनसी स्वतंत्रताएँ प्राप्त होती है?

मनुष्यों के भय रखने के दासत्व से, और ऐसे रीति-रिवाज़ों के बोझ से स्वतंत्रता जिनका कोई सच्चा अर्थ अथवा मूल्य नहीं है। (नीतिवचन २९:२५) इसके अतिरिक्‍त मृत्यु के डर से स्वतंत्रता। (सभोपदेशक ९:५, १०; यूहन्‍ना ५:२८, २९)​—९/१ पृष्ठ ५.

◻ प्रकाशितवाक्य ११:१ में जिस मन्दिर का ज़िक्र किया गया है वह क्या है, और वह कब अस्तित्व में आया?

वह महान आत्मिक मन्दिर है जिसका परम-पवित्र स्थान स्वर्ग में यहोवा का निवास स्थान है। वह २९ सा.यु. में अस्तित्व में आया जब यीशु को अभिषिक्‍त किया गया था और उन्होंने महायाजक के रूप में सेवाकार्य आरम्भ किया। (इब्रानियों ३:१; १०:५)​—९/१ पृष्ठ १२.

◻ “एगनौस्तिक” शब्द कहाँ से लिया गया हैं और बाइबल में उसका प्रयोग कैसे किया गया है?

“एगनौस्तिक” यूनानी शब्द एगनोस्तोस से लिया गया है जिसका अर्थ है “अन्जान”। अथेने क लोगों को भाषण देते हुए पौलूस ने उसके एक रूप का प्रयोग किया जब उसने मूर्तिपूजक लोगों की एक वेदी का ज़िक्र किया, जिस पर लिखा था: “अन्जान ईश्‍वर के प्रति समर्पित।” (प्रेरितों के काम १७:२३) ९/१ पृष्ठ २१.

◻ यहोवा के प्रति कृतज्ञता का प्रदर्शन करने के कौनसे कुछेक तरीके हैं?

जब परमेश्‍वर के प्रति कृतज्ञता प्रबल हो जाती है, तो मूल्यांकन करनेवाला हृदय में परमेश्‍वर की सेवा करने की उकसानेवाली इच्छा उभर आती है। इस इच्छा को तृप्त करने का एक तरीका यह है​—प्रचार सेवा में भाग लेना, शायद पायोनियर सेवा में। दूसरा तरीका है कि इस समय संसार-भर में चल रहे निर्माण कार्य में सहयोग दें।​—१०/१ पृष्ठ २०.

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