अध्याय 3
‘जो तुम्हारे बीच अगुवाई करते हैं उन्हें याद रखो’
इब्रानियों 13:7 में दर्ज़ पौलुस के इन शब्दों का इस तरह भी अनुवाद किया जा सकता है, “जो तुम्हारे शासक हैं उन्हें याद रखो।” यीशु के वफादार प्रेषितों ने यह भूमिका कैसे निभायी? ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त से उन्होंने शासी निकाय के तौर पर सेवा की और नयी-नयी बनी मसीही मंडली को निर्देश देने में अगुवाई की। (प्रेषि. 6:2-4) ईसवी सन् 49 के आते-आते शासी निकाय में प्रेषितों के अलावा और भी भाइयों को शामिल किया गया। खतने का मसला सुलझाते वक्त उस निकाय में यरूशलेम के ‘प्रेषित और प्राचीन’ शामिल थे। (प्रेषि. 15:1, 2) उन पर ऐसे मामले सुलझाने की ज़िम्मेदारी थी जिनका असर पूरी दुनिया में रहनेवाले मसीहियों पर होता। वे मंडलियों को खत लिखते और निर्देश देते थे। इससे मंडलियाँ विश्वास में मज़बूत होती थीं और सभी चेले अपने विचारों और कामों में एकता बनाए रख पाते थे। मंडलियाँ शासी निकाय की हिदायतें मानतीं और उसके अधीन रहती थीं। नतीजा, उन्हें यहोवा की आशीष मिली और उनमें तरक्की होती गयी।—प्रेषि. 8:1, 14, 15; 15:22-31; 16:4, 5; इब्रा. 13:17.
2 प्रेषितों की मौत के बाद, सच्चे धर्म के खिलाफ बगावत होने लगी। (2 थिस्स. 2:3-12) जैसे यीशु ने गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल में बताया था, गेहूँ (अभिषिक्त मसीहियों) के बीच बहुत-से जंगली पौधों (नकली मसीहियों) के बीज बो दिए गए थे। फिर जब तक कि कटाई का वक्त यानी “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” नहीं आ गया, तब तक दोनों समूहों को साथ-साथ बढ़ने दिया गया। (मत्ती 13:24-30, 36-43) इन सदियों के दौरान भी यीशु गिने-चुने अभिषिक्त मसीहियों की सेवा से खुश था। लेकिन उस वक्त कोई शासी निकाय नहीं था, यानी धरती पर ऐसा इंतज़ाम नहीं था जिसके ज़रिए यीशु अपने चेलों को निर्देश देता। (मत्ती 28:20) मगर उसने पहले से बता दिया था कि कटाई के वक्त एक बदलाव होगा।
3 यीशु ने अपने चेलों से पूछा था, “असल में वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है?” इसके बाद उसने एक ऐसी मिसाल दी जो दरअसल “दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त” की “निशानी” का एक पहलू था। (मत्ती 24:3, 42-47) यीशु ने अपनी बातों से ज़ाहिर किया कि यह विश्वासयोग्य दास परमेश्वर के लोगों को “सही वक्त पर” खाना देने में व्यस्त रहेगा। यह दास आदमियों के एक समूह से मिलकर बना है, ठीक जैसे पहली सदी में यीशु ने एक अकेले व्यक्ति के द्वारा नहीं बल्कि कुछ आदमियों के द्वारा अपने लोगों की अगुवाई की थी।
“विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को पहचानिए
4 यीशु ने चेलों को सही वक्त पर खाना देने की ज़िम्मेदारी किसे दी? ज़ाहिर-सी बात है कि उसने धरती पर मौजूद अभिषिक्त मसीहियों को यह ज़िम्मेदारी दी। बाइबल उन्हें “शाही याजकों का दल” कहती है। उन्हें आज्ञा दी गयी है कि वे ‘“सारी दुनिया में उसके महान गुणों का ऐलान करें,” जिसने उन्हें अंधकार से निकालकर अपनी शानदार रौशनी में बुलाया है।’ (1 पत. 2:9; मला. 2:7; प्रका. 12:17) क्या विश्वासयोग्य दास, धरती पर मौजूद सभी अभिषिक्त मसीहियों से मिलकर बना है? नहीं। गौर कीजिए, जब यीशु ने चमत्कार करके करीब 5,000 आदमियों और उनके अलावा औरतों और बच्चों को खिलाया, तब यीशु ने चेलों के हाथ में खाना दिया और चेलों ने इसे पूरी भीड़ में बाँटा। (मत्ती 14:19) इस तरह उसने कुछ लोगों के हाथों बहुतों को खाना खिलाया। आज भी वह कुछ लोगों के ज़रिए मसीही मंडली को परमेश्वर के वचन के बारे में समझ दे रहा है।
5 हमारे समय में “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान प्रबंधक” अभिषिक्त भाइयों से मिलकर बना एक छोटा समूह है। यह समूह मसीह की मौजूदगी के दौरान सही वक्त पर खाना तैयार करने और उसे लोगों तक पहुँचाने में सीधे-सीधे हिस्सा ले रहा है। (लूका 12:42) इस समूह के भाई इन आखिरी दिनों में साक्षियों के मुख्यालय में एक-साथ सेवा कर रहे हैं। आज इन्हीं अभिषिक्त भाइयों से मिलकर यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय बना है।
6 मसीह यीशु इसी निकाय के ज़रिए बाइबल की भविष्यवाणियों के पूरा होने की जानकारी देता है। साथ ही, वह बाइबल सिद्धांतों को रोज़मर्रा ज़िंदगी में लागू करने के बारे में ज़रूरी निर्देश देता है। यह जानकारी यानी सही वक्त पर खाना, यहोवा के साक्षियों की सभी मंडलियों में बाँटा जाता है। (यशा. 43:10; गला. 6:16) प्राचीन समय में, एक भरोसेमंद दास या प्रबंधक को घर की देखरेख करने की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती थी। उसी तरह, विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास को सभी वफादार सेवकों की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है। इस वजह से विश्वासयोग्य दास सम्मेलन और अधिवेशन कार्यक्रम, संगठन की संपत्ति और प्रचार काम की निगरानी भी करता है। इसके अलावा, यह दास संगठन में अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए भाइयों को नियुक्त करता है और बाइबल पर आधारित प्रकाशन तैयार करने की देखरेख करता है। इन सारे कामों से “घर के कर्मचारियों” को फायदा होता है।—मत्ती 24:45.
7 ‘घर के कर्मचारी’ कौन हैं? ये वे लोग हैं जो विश्वासयोग्य दास के द्वारा तैयार किया गया खाना खाते हैं। शुरू-शुरू में, घर के सभी कर्मचारी अभिषिक्त मसीही थे। आगे चलकर इन कर्मचारियों में ‘दूसरी भेड़ों’ से बनी एक बड़ी भीड़ भी शामिल हो गयी। (यूह. 10:16) इन दोनों समूह के लोग वह खाना खाते हैं, जो विश्वासयोग्य दास देता है।
8 महा-संकट के दौरान जब यीशु इस दुष्ट दुनिया का न्याय करने आएगा, तो वह विश्वासयोग्य दास को “अपनी सारी संपत्ति” पर अधिकार देगा। (मत्ती 24:46, 47) जिन अभिषिक्त मसीहियों से मिलकर विश्वासयोग्य दास बना है, उन्हें स्वर्ग में अपना इनाम मिलेगा। वे बाकी अभिषिक्त भाइयों और मसीह के साथ स्वर्ग में अधिकार पाएँगे। इसके बाद धरती पर कोई विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास नहीं होगा। मगर यहोवा और यीशु ‘हाकिमों’ के ज़रिए मसीहा के राज के अधीन रहनेवालों को निर्देश देंगे।—भज. 45:16.
‘जो हमारे बीच अगुवाई करते हैं, उन्हें क्यों याद रखें’?
9 ‘हमारे बीच अगुवाई करनेवालों को याद रखने’ और उन पर भरोसा करने की कई वजह हैं। इससे हमारा ही फायदा होता है। पौलुस ने कहा, “वे यह जानते हुए तुम्हारी निगरानी करते हैं कि उन्हें इसका हिसाब देना होगा ताकि वे यह काम खुशी से करें न कि आहें भरते हुए क्योंकि इससे तुम्हारा ही नुकसान होगा।” (इब्रा. 13:17) ये भाई हमारी निगरानी करते हैं ताकि परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता सलामत रहे और हम खुश रहें। इस वजह से हमें उनकी आज्ञा माननी चाहिए और उनके अधीन रहना चाहिए।
10 पहला कुरिंथियों 16:14 में पौलुस ने कहा, “तुम्हारे बीच सारे काम प्यार से किए जाएँ।” प्यार के बारे में 1 कुरिंथियों 13:4-8 में लिखा है, “प्यार सब्र रखता है और कृपा करता है। प्यार जलन नहीं रखता, डींगें नहीं मारता, घमंड से नहीं फूलता, गलत व्यवहार नहीं करता, सिर्फ अपने फायदे की नहीं सोचता, भड़क नहीं उठता। यह चोट का हिसाब नहीं रखता। यह बुराई से खुश नहीं होता, बल्कि सच्चाई से खुशी पाता है। यह सबकुछ बरदाश्त कर लेता है, सब बातों पर यकीन करता है, सब बातों की आशा रखता है, सबकुछ धीरज से सह लेता है। प्यार कभी नहीं मिटता।” यहोवा के लोगों के लिए जो भी फैसले किए जाते हैं, वे प्यार की वजह से ही किए जाते हैं। इस वजह से हम संगठन से मिलनेवाले निर्देशों पर बेझिझक भरोसा कर सकते हैं और बिना किसी डर के उन्हें मान सकते हैं। और-तो-और यह दिखाता है कि यहोवा को अपने लोगों से कितना प्यार है।
हमें उन भाइयों के अधीन रहना चाहिए जो इसलिए हमारी निगरानी करते हैं ताकि परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता सलामत रहे
11 पहली सदी की तरह आज भी यहोवा अपने लोगों की देखरेख के लिए जिन लोगों को नियुक्त करता है, वे परिपूर्ण नहीं हैं। देखा जाए तो यहोवा ने अकसर अपरिपूर्ण इंसानों के ज़रिए ही अपनी मरज़ी पूरी करवायी। जैसे, बीते समय में नूह ने एक जहाज़ बनाया और आनेवाले विनाश का ऐलान किया। (उत्प. 6:13, 14, 22; 2 पत. 2:5) यहोवा ने मूसा को चुना कि वह उसके लोगों को मिस्र से छुड़ाए। (निर्ग. 3:10) बाइबल लिखने के लिए भी अपरिपूर्ण इंसानों को पवित्र शक्ति से प्रेरित किया गया था। (2 तीमु. 3:16; 2 पत. 1:21) आज भी जब यहोवा अपरिपूर्ण इंसानों के ज़रिए प्रचार काम के बारे में निर्देश देता है, तो यहोवा के संगठन पर हमारा भरोसा कम नहीं होता। इसके बजाय, यह जानकर हमारा विश्वास और मज़बूत होता है कि इस संगठन को यहोवा ही चला रहा है। उसकी मदद के बिना संगठन इतने सारे काम नहीं कर सकता जो आज वह कर रहा है। विश्वासयोग्य दास ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, मगर इस सबसे यह साफ ज़ाहिर हुआ है कि परमेश्वर की पवित्र शक्ति सच में उसे निर्देश दे रही है। आज यहोवा के संगठन का जो हिस्सा धरती पर है, उस पर यहोवा की आशीष है। इस वजह से हम दिल से संगठन को सहयोग देते हैं और उस पर भरोसा रखते हैं।
हम यहोवा और उसके इंतज़ामों पर किस तरह भरोसा रख सकते हैं?
12 जब भाइयों को नियुक्त किया जाता है, तो वे खुशी-खुशी अपनी ज़िम्मेदारियाँ कबूल करते हैं और उन्हें अच्छी तरह निभाते हैं। इस तरह वे ज़ाहिर करते हैं कि उन्हें यहोवा और उसके इंतज़ामों पर भरोसा है। (प्रेषि. 20:28) राज के प्रचारक होने के नाते, हम जोश से घर-घर जाकर प्रचार करते हैं, वापसी भेंट करते हैं और बाइबल अध्ययन चलाते हैं। (मत्ती 24:14; 28:19, 20) विश्वासयोग्य दास के द्वारा तैयार किए गए खाने से हम पूरा फायदा पाना चाहते हैं, इसलिए हम सभाओं की तैयारी करते हैं और उनमें हाज़िर होते हैं। इन सभाओं में सम्मेलन और अधिवेशन भी शामिल हैं। सभाओं में भाइयों से मिलने-जुलने और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने से हमें बहुत फायदा होता है।—इब्रा. 10:24, 25.
13 दान देकर भी हम दिखाते हैं कि हमें यहोवा के संगठन पर भरोसा है। (नीति. 3:9, 10) जब हम देखते हैं कि हमारे भाई तंगी में हैं, तो हम फौरन उनकी मदद करते हैं। (गला. 6:10; 1 तीमु. 6:18) हम ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि हमें अपने भाइयों से सच्चा प्यार है। साथ ही, यहोवा और उसके संगठन ने हमारे साथ जो भलाई की है, उसके लिए हम अपनी एहसानमंदी दिखाने के मौके ढूँढ़ते हैं।—यूह. 13:35.
14 संगठन जो फैसले करता है, उनका साथ देकर भी हम दिखाते हैं कि हमें उस संगठन पर पूरा भरोसा है। इसका मतलब, हमें उन भाइयों के निर्देश मानने चाहिए और उनके अधीन रहना चाहिए, ‘जो हमारे बीच अगुवाई करते हैं,’ जैसे सर्किट निगरान और मंडली के प्राचीन। (इब्रा. 13:7, 17) हो सकता है, कभी-कभी हम पूरी तरह समझ न पाएँ कि उन्होंने कोई फैसला क्यों किया, फिर भी हमें यकीन है कि अगर हम उन फैसलों के मुताबिक काम करेंगे, तो हमारा ही भला होगा। यहोवा के वचन और उसके संगठन की हिदायतों के मुताबिक चलने की वजह से हमें यहोवा से आशीषें मिलेंगी। इस तरह हम दिखाएँगे कि हम अपने प्रभु यीशु मसीह के अधीन रहते हैं।
15 जी हाँ, विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास पर भरोसा रखने की हमारे पास ढेरों वजह हैं। इस दुनिया का ईश्वर शैतान, यहोवा के नाम और उसके संगठन को बदनाम करने के लिए पूरा ज़ोर लगा रहा है। (2 कुरिं. 4:4) कभी-भी उसकी घिनौनी चालों का शिकार मत बनिए! (2 कुरिं. 2:11) शैतान जानता है कि उसका “बहुत कम वक्त बाकी रह गया है” और वह जल्द ही अथाह-कुंड में डाल दिया जाएगा। उसने ठान लिया है कि वह यहोवा के ज़्यादा-से-ज़्यादा सेवकों को सच्चाई से दूर ले जाएगा। (प्रका. 12:12) लेकिन शैतान की कोशिशों को नाकाम करने के लिए हमें परमेश्वर के और भी करीब आना है। आइए हम यहोवा और विश्वासयोग्य दास पर पूरा भरोसा रखें जिसके ज़रिए वह आज अपने लोगों को निर्देश दे रहा है। ऐसा करने से हमारा भाईचारा और हमारी एकता मज़बूत होगी।