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  • मसीही विश्‍वास परखा जाएगा
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
w98 5/15 पेज 10-15

मसीही विश्‍वास परखा जाएगा

“हर एक में विश्‍वास नहीं।”—२ थिस्सलुनीकियों ३:२.

१. इतिहास कैसे दिखाता है कि सबमें सच्चा विश्‍वास नहीं?

इतिहास में हर समय पर ऐसे स्त्री, पुरुष, और बच्चे रहे हैं जिनके पास सच्चा विश्‍वास था। गुणवाचक शब्द “सच्चा” उचित है क्योंकि करोड़ों अन्य लोगों ने ऐसा विश्‍वास दिखाया है जो एक तरह का अंधविश्‍वास है, यानी बिना किसी ठोस आधार या कारण के विश्‍वास करने की तत्परता। ऐसे विश्‍वास में अकसर झूठे ईश्‍वर या उपासना के तरीके शामिल रहे हैं जो सर्वशक्‍तिमान, यहोवा और उसके प्रकट वचन से मेल नहीं खाते। इसलिए प्रेरित पौलुस ने लिखा: “हर एक में विश्‍वास नहीं।”—२ थिस्सलुनीकियों ३:२.

२. खुद अपने विश्‍वास की जाँच करना हमारे लिए क्यों अनिवार्य है?

२ लेकिन पौलुस की बात का यह मतलब ज़रूर निकलता है कि उस वक्‍त कुछ लोगों के पास सच्चा विश्‍वास था और उसी तरह आज भी है। इस पत्रिका को पढ़नेवाले ज़्यादातर लोग ऐसा सच्चा विश्‍वास रखना चाहते हैं और उसे बढ़ाना चाहते हैं—ऐसा विश्‍वास जो परमेश्‍वर की सच्चाई के सही ज्ञान के मुताबिक है। (यूहन्‍ना १८:३७; इब्रानियों ११:६) क्या आपके बारे में यह सच है? इसलिए यह ज़रूरी है कि आपको यह एहसास हो और आप इस सच्चाई का सामना करने के लिए तैयार रहें कि आपका विश्‍वास परखा जाएगा। ऐसा क्यों कहा जा सकता है?

३, ४. विश्‍वास की परीक्षाओं के मामले में हमें यीशु की ओर क्यों ताकना चाहिए?

३ हमें यह मानना चाहिए कि यीशु मसीह हमारे विश्‍वास का केंद्रबिंदु है। वाकई बाइबल उसके बारे में बताती है कि वह हमारे विश्‍वास का सिद्ध करनेवाला है। ऐसा यीशु की शिक्षा और काम के कारण और खासकर जिस तरह उसने भविष्यवाणियों को पूरा किया उसके कारण है। उसने उस आधार को मज़बूती दी जिस पर मनुष्य अपना सच्चा विश्‍वास कायम कर सकता है। (इब्रानियों १२:२; प्रकाशितवाक्य १:१, २) तो भी हम पढ़ते हैं कि यीशु “सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला।” (इब्रानियों ४:१५) जी हाँ, यीशु का विश्‍वास परखा गया था। लेकिन हमें निरुत्साहित करने या हममें शक पैदा करने के बजाय इससे हमें सांत्वना मिलनी चाहिए।

४ यातना स्तंभ पर मृत्यु सहने की हद तक कठिन परीक्षाओं से गुज़रकर, यीशु ने “आज्ञा माननी सीखी।” (इब्रानियों ५:८) उसने साबित कर दिया कि मनुष्य अपने ऊपर आनेवाली किसी भी परीक्षा के बावजूद सच्चे विश्‍वास द्वारा जी सकता है। यह एक खास महत्त्व धारण कर लेता है जब हम उस बारे में सोचते हैं जो यीशु ने अपने अनुयायियों के बारे में कहा था: “जो बात मैं ने तुम से कही थी, कि दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता, उसको याद रखो।” (यूहन्‍ना १५:२०) दरअसल, हमारे समय के अपने अनुयायियों के बारे में यीशु ने पूर्वकथन किया: “मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे।”—मत्ती २४:९.

५. शास्त्र कैसे दिखाता है कि हम परीक्षाओं का सामना करेंगे?

५ इस सदी की शुरूआत में न्याय परमेश्‍वर के घर से आरंभ हुआ। जैसे शास्त्र ने पूर्वबताया था: “वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्या अन्त होगा जो परमेश्‍वर के सुसमाचार को नहीं मानते? और यदि धर्मी व्यक्‍ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्‍तिहीन और पापी का क्या ठिकाना?”—१ पतरस ४:१७, १८.

विश्‍वास परखा गया—क्यों?

६. परखा हुआ विश्‍वास क्यों बेशकीमती है?

६ एक मायने में जो विश्‍वास परखा नहीं गया उसका कोई महत्त्व साबित नहीं होता है, और उसका गुण अज्ञात रहता है। आप इसकी तुलना उस चॆक से कर सकते हैं जिसे अब तक भुनाया नहीं गया है। आपने यह चॆक शायद अपने काम या आपने जो सामान दिलवाया उसके बदले में पाया हो, या फिर आपको किसी ने इनाम के रूप में दिया हो। यह चॆक असली दिखता है, लेकिन क्या यह असली है? क्या उस पर जितना पैसा लिखा है वह सचमुच मिल सकेगा? उसी तरह, हमारे विश्‍वास को भी सिर्फ दिखावे या दावे से अधिक होना चाहिए। अगर हम यह साबित करना चाहते हैं कि हमारे विश्‍वास में दम और असल गुण है, तो उसे परखा जाना चाहिए। जब हमारा विश्‍वास परखा जाता है तब हमें शायद यह पता लगे कि यह मज़बूत और कीमती है। साथ ही परीक्षा शायद यह प्रकट करे कि उसे निखारने और मज़बूत किये जाने की ज़रूरत है।

७, ८. हमारे विश्‍वास की परीक्षाएँ किस की ओर से आती हैं?

७ परमेश्‍वर हमारे ऊपर सताहट और विश्‍वास की अन्य परीक्षाएँ आने देता है। हम पढ़ते हैं: “जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्‍वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्‍वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है।” (याकूब १:१३) ऐसी परीक्षाओं के लिए कौन या क्या ज़िम्मेदार है? इनका ज़िम्मेदार शैतान, यह संसार, और हमारा अपना अपरिपूर्ण शरीर है।

८ हम यह मान सकते हैं कि शैतान इस संसार पर, इसके सोच-विचार पर और इसके मार्गों पर शक्‍तिशाली प्रभाव डालता है। (१ यूहन्‍ना ५:१९) और हम शायद यह अच्छी तरह जानते हैं कि वह मसीहियों के विरुद्ध सताहट भड़काता है। (प्रकाशितवाक्य १२:१७) लेकिन क्या हम यह भी पूरी तरह मानते हैं कि शैतान हमें भरमाने की कोशिश में हमारे अपरिपूर्ण शरीर को आकर्षित करता है, हमारे सामने सांसारिक प्रलोभन रखता है और आशा करता है कि हम फँस जाएँगे, परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ेंगे, और फिर यहोवा द्वारा अस्वीकृत कर दिए जाएँगे? निःसंदेह, हमें शैतान के तरीकों से चकित नहीं होना चाहिए, क्योंकि उसने यीशु को लुभाने की कोशिश में यही चालें चली थीं।—मत्ती ४:१-११.

९. विश्‍वास के उदाहरणों से हम कैसे फायदा उठा सकते हैं?

९ अपने वचन और मसीही कलीसिया के द्वारा, यहोवा हमें विश्‍वास के सकारात्मक उदाहरण प्रदान करता है जिनका हम अनुकरण कर सकते हैं। पौलुस ने सलाह दी: “हे भाइयो, तुम सब मिलकर मेरी सी चाल चलो, और उन्हें पहिचान रखो, जो इस रीति पर चलते हैं जिस का उदाहरण तुम हम में पाते हो।” (फिलिप्पियों ३:१७) पौलुस पहली सदी में परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त सेवकों में से एक था और वह बड़ी-बड़ी परीक्षाओं से गुज़रने के बावजूद विश्‍वास के काम करने में आगे रहा। २०वीं सदी के अंत में, हमारे बीच भी विश्‍वास के ऐसे ही उदाहरणों की कमी नहीं है। इब्रानियों १३:७ के शब्द आज उतने ही प्रबल रूप से लागू होते हैं जितने कि तब थे जब पौलुस ने उन्हें लिखा: “जो तुम्हारे अगुवे थे, और जिन्हों ने तुम्हें परमेश्‍वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उन के चाल-चलन का अन्त देखकर उन के विश्‍वास का अनुकरण करो।”

१०. हाल के समय में हमारे पास विश्‍वास के कौन-से खास उदाहरण हैं?

१० इस सलाह का खास असर तब होता है जब हम अभिषिक्‍त शेषजनों के चालचलन का नतीजा देखते हैं। हम उनके उदाहरण पर ध्यान दे सकते हैं और उनके विश्‍वास का अनुकरण कर सकते हैं। उनका विश्‍वास सच्चा था जो परीक्षाओं द्वारा निखारा गया था। दशक १८७० में छोटी शुरूआत से, एक विश्‍वव्यापी मसीही भाईचारा विकसित हुआ। तब से अभिषिक्‍त जनों के विश्‍वास और धीरज का फल, आज पचपन लाख से अधिक यहोवा के साक्षी परमेश्‍वर के राज्य के बारे में प्रचार कर रहे हैं और सिखा रहे हैं। जोशीले सच्चे उपासकों की वर्तमान विश्‍वव्यापी कलीसिया परखे हुए विश्‍वास का सबूत है।—तीतुस २:१४.

वर्ष १९१४ के मामले में विश्‍वास परखा गया

११. वर्ष १९१४ सी. टी. रसल और उनके सहयोगियों के लिए कैसे विशेष था?

११ पहला विश्‍व युद्ध छिड़ने से सालों पहले, अभिषिक्‍त जन घोषित कर रहे थे कि १९१४ बाइबल भविष्यवाणी में एक महत्त्वपूर्ण तारीख होगी। लेकिन, उनकी कुछ अपेक्षाएँ असमय थीं और भविष्य के बारे में उन्होंने जो सोचा था वह पूरी तरह सही नहीं था। उदाहरण के लिए, वॉच टावर सोसाइटी के पहले अध्यक्ष सी. टी. रसल और उनके सहयोगी देख सकते थे कि प्रचार का बड़ा कार्य बहुत ज़रूरी था। उन्होंने पढ़ा: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा। (मत्ती २४:१४) लेकिन उनका छोटा-सा समूह यह कैसे कर पाता?

१२. रसल के एक सहयोगी ने बाइबल सच्चाई की ओर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

१२ ध्यान दीजिए कि इसने, रसल के सहयोगी, ए. एच. मैकमिलन पर कैसा प्रभाव डाला। कनाडा में पैदा होनेवाले मैकमिलन की उम्र २० साल भी नहीं थी जब उन्हें रसल की पुस्तक युगों के लिए योजना (१८८६, अंग्रेज़ी) मिली। (यह पुस्तक बड़ी मात्रा में वितरित होनेवाले शास्त्र में अध्ययन का पहला खंड बनी और यह युगों के लिए ईश्‍वरीय योजना के नाम से भी जानी जाती है। दूसरे खंड, समय निकट है [१८८९, अंग्रेज़ी] ने १९१४ की ओर ‘अन्य जातियों के समय’ के अंत के रूप में संकेत किया।” [लूका २१:२४]) जिस रात मैकमिलन ने पढ़ना शुरू किया तभी से उन्होंने सोचा: “यह तो सच्चाई है!” वर्ष १९०० की गर्मियों में वे बाइबल विद्यार्थियों के अधिवेशन में रसल से मिले। यहोवा के साक्षियों को उस वक्‍त बाइबल विद्यार्थी पुकारा जाता था। जल्द ही मैकमिलन का बपतिस्मा हुआ और उन्होंने न्यू यॉर्क में संस्था के मुख्यालय में भाई रसल के साथ काम करना शुरू कर दिया।

१३. मत्ती २४:१४ की पूर्ति में किस कठिनाई को मैकमिलन और अन्य लोगों ने देखा?

१३ बाइबल के अपने अध्ययन पर आधारित, उन अभिषिक्‍त मसीहियों ने परमेश्‍वर के उद्देश्‍य में ऐतिहासिक मोड़ साबित होनेवाले वर्ष के रूप में १९१४ की ओर संकेत किया। लेकिन मैकमिलन और अन्य लोगों ने सोचा कि मत्ती २४:१४ में पूर्वबताया गया सब जातियों को प्रचार बचे हुए थोड़े-से समय में कैसे किया जा सकता था। उन्होंने बाद में कहा: “मुझे याद है कि मैं भाई रसल से अकसर इस बारे में बात करता था, और वे कहते, ‘देखो भाई, यहीं न्यू यॉर्क में जितने यहूदी हैं उतने यरूशलेम में भी नहीं हैं। यहाँ जितने आइरिश लोग रहते हैं उतने डबलिन में भी नहीं हैं। और यहाँ जितने इतालियन रहते हैं उतने रोम में भी नहीं हैं। तो अगर हम यहाँ उन तक पहुँच रहे होंगे तो इसका मतलब है पूरे संसार तक पहुँच रहे हैं।’ लेकिन इससे हमारे मन को तसल्ली नहीं मिलती थी। इसलिए फिर ‘फोटो-ड्रामा’ बनाने के बारे में सोचा गया।”

१४. वर्ष १९१४ से पहले, कौन-सी असाधारण योजना शुरू की गई थी?

१४ “फोटो-ड्रामा ऑफ क्रिएशन” क्या ही अनोखी योजना थी! इसमें चलती-फिरती तसवीरें और काँच की रंगीन स्लाइडों के साथ फोनोग्राफ रिकार्डों में बाइबल भाषण और संगीत भी डाला गया था। वर्ष १९१३ में, अरकान्सा, अमरीका में हुए अधिवेशन के बारे में प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) ने कहा: “सर्वसम्मति से यह मान लिया गया है कि अब बाइबल सच्चाइयाँ सिखाने के लिए चलती-फिरती तसवीरें दिखाने का वक्‍त आ पहुँचा है। . . . [रसल] ने कहा कि वे इस योजना पर तीन साल से काम कर रहे थे और अब सैकड़ों सुंदर तसवीरों के साथ उसे लगभग तैयार कर चुके हैं, ये तसवीरें बेशक बड़ी भीड़ को आकर्षित करेंगी और सुसमाचार की मुनादी करेंगी, और परमेश्‍वर पर लोगों का फिर से विश्‍वास जमाने में मदद देंगी।”

१५. “फोटो-ड्रामा” से किस तरह के नतीजे निकले?

१५ “फोटो-ड्रामा” ने जनवरी १९१४ में, अपने पहले ही उद्‌घाटन प्रदर्शन में ऐसा कर दिखाया। नीचे १९१४ के प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) से कुछ रिपोर्टें दी गई हैं:

अप्रैल १: “एक पादरी ने दो भाग देखने के बाद कहा, ‘मैंने फोटो-ड्रामा ऑफ क्रिएशन का आधा हिस्सा ही देखा है, लेकिन मैंने बाइबल के बारे में इतना कुछ सीख लिया है जितना मैंने अपने थियोलॉजिकल सेमिनरी के तीन साल के कोर्स में नहीं सीखा था।’ एक यहूदी ने इसे देखने के बाद कहा, ‘इसे देखने के बाद से मैं अच्छा यहूदी बन गया हूँ।’ अनेक कैथोलिक पादरी और ननों ने ड्रामा को देखकर बहुत तारीफ की। . . . ड्रामा के सिर्फ बारह सेट ही अभी पूरे हुए हैं . . . फिर भी हम इकतीस शहरों में जा चुके हैं और सेवा कर रहे हैं . . . हर दिन पैंतीस हज़ार से अधिक लोग देख रहे हैं, सुन रहे हैं, ताज्जुब कर रहे हैं, सोच रहे हैं और आशीष पा रहे हैं।”

जून १५: “इन तसवीरों ने सच्चाई फैलाने में मुझे ज़्यादा जोशीला बना दिया है और स्वर्गीय पिता और हमारे प्यारे बड़े भाई यीशु के लिए मेरा प्रेम बढ़ा दिया है। मैं रोज़ फोटो-ड्रामा पर और उसे पेश करनेवाले सभी लोगों पर परमेश्‍वर की बड़ी आशीष के लिए प्रार्थना करता हूँ . . . मैं प्रभु में आपका सेवक हूँ, एफ. डब्ल्यू. नोच।—आइओवा।”

जुलाई १५: “हम यह देखकर बहुत खुश हुए कि इन तसवीरों ने इस शहर में अच्छा असर डाला है और हमें पूरा विश्‍वास है कि संसार को साक्षी देने में इसका इस्तेमाल उन अनेक लोगों को इकट्ठा करने के लिए भी किया जा रहा है जो प्रभु के चुने हुए रत्न होने का प्रमाण देते हैं। हम ऐसे अनेक मेहनती बाइबल विद्यार्थियों को जानते हैं जो फोटो-ड्रामा की बदौलत आज हमारे साथ क्लास में संगति करते हैं। . . . प्रभु में आपकी बहन, एमा एल. ब्रिकर।”

नवंबर १५: “हमें पूरा विश्‍वास है कि यह जानकर आपको बेहद खुशी होगी कि लंदन ऑपेरा हाउस, किंग्सवे में फोटो-ड्रामा ऑफ क्रिएशन के द्वारा महान साक्षी दी गई है। इस प्रदर्शन की हर बात में प्रभु के मार्गदर्शन का इतना शानदार तरीके से सबूत मिल रहा है जिसे देखकर भाई बहुत ही आनंदित हो रहे हैं . . . हमारे दर्शकों में हर वर्ग और हर तरह के लोग हैं; हमने मौजूद लोगों में पादरियों को भी बैठे देखा है। एक पादरी ने . . . टिकट माँगी ताकि वह और उसकी पत्नी इसे दोबारा देखने आ सकें। चर्च ऑफ इंग्लैंड के एक रैक्टर ने ड्रामे को कई बार देखा, और . . . वह उसे देखने के लिए अपने कई दोस्तों को साथ लेकर आया। दो बिशप भी मौजूद थे और कई नामी लोग भी मौजूद थे।”

दिसंबर १: “मैं और मेरी पत्नी अपने स्वर्गीय पिता का उस महान और बहुमूल्य आशीष के लिए धन्यवाद करते हैं जो आपके ज़रिए हम तक पहुँची है। आपके सुंदर फोटो-ड्रामा की वज़ह से हमने सच्चाई को देखा और स्वीकार किया . . . हमारे पास आपके शास्त्र में अध्ययन के छः खंड हैं। इनसे बहुत ज़्यादा मदद मिलती है।”

उस वक्‍त परीक्षाओं का जवाब

१६. वर्ष १९१४ में विश्‍वास की परीक्षा कैसे हुई?

१६ तब क्या हुआ जब उन सच्चे और समर्पित मसीहियों ने पाया कि १९१४ में प्रभु के साथ उनके मिलन की आशा पूरी नहीं हुई? वे अभिषिक्‍त जन बेहद कठिन परीक्षाओं के दौर से गुज़रे। नवंबर १, १९१४ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) ने कहा: “आइए यह याद रखें कि हम परीक्षा के समय में हैं।” इसके बारे में, यहोवा के साक्षी—परमेश्‍वर के राज्य के उद्‌घोषक (१९९३, अंग्रेज़ी) पुस्तक कहती है: “१९१४ से १९१८ के साल बाइबल विद्यार्थियों के लिए सचमुच ‘परीक्षा का समय’ साबित हुए।” क्या वे अपने विश्‍वास को निखारने देते और अपने सोच-विचार में सुधार करते, ताकि सामने रखे बड़े काम का बीड़ा उठा सकें?

१७. वर्ष १९१४ के बाद भी पृथ्वी पर रहने के बारे में वफादार अभिषिक्‍त जनों ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

१७ सितंबर १, १९१६ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) ने यह उत्तर दिया: “हमने सोचा था कि कलीसिया [अभिषिक्‍त जनों] को इकट्ठा करने का कटनी-काम अन्य जातियों के समय के अंत से पहले पूरा हो जाएगा; लेकिन बाइबल ने ऐसा कुछ नहीं कहा। . . . क्या हमें खेद है कि कटनी-काम जारी है? . . . प्यारे भाइयो, हमारी वर्तमान मनोवृत्ति परमेश्‍वर के प्रति बड़े आभार की होनी चाहिए, जिस सुंदर सत्य को देखने और उसके साथ पहचाने जाने का विशेषाधिकार उसने हमें दिया है उसके लिए हमें बढ़ती कदरदानी दिखानी चाहिए, और दूसरों को वह सत्य जानने में मदद देने के लिए बढ़ता जोश दिखाना चाहिए।” उनका विश्‍वास परखा गया, फिर भी उन्होंने इसका सामना किया और खरे निकले। लेकिन हम मसीहियों को इस बात से अवगत होना चाहिए कि विश्‍वास की परीक्षाएँ कई और अनगिनत तरह की हो सकती हैं।

१८, १९. भाई रसल की मृत्यु के तुरंत बाद परमेश्‍वर के लोगों पर विश्‍वास की और कौन-सी परीक्षाएँ आयीं?

१८ उदाहरण के लिए, अभिषिक्‍त जनों पर एक और किस्म की परीक्षा भाई चार्ल्स टी. रसल की मृत्यु के कुछ ही समय बाद आयी। यह उनकी निष्ठा और विश्‍वास की परीक्षा थी। मत्ती २४:४५ का ‘विश्‍वासयोग्य दास’ कौन था? कुछ लोगों को लगा कि वह स्वयं भाई रसल थे, और उन्होंने नये संगठनात्मक प्रबंधों में सहयोग देने से इनकार किया। अगर भाई रसल वह दास थे, तो उनके मरने के बाद भाइयों को अब क्या करना था? क्या उन्हें किसी नये नियुक्‍त व्यक्‍ति के पीछे जाना चाहिए, या क्या अब इस बात को समझने का समय था कि यहोवा मात्र एक व्यक्‍ति को नहीं, बल्कि मसीहियों के एक पूरे समूह को एक साधन या दास वर्ग के रूप में इस्तेमाल कर रहा था?

१९ सच्चे मसीहियों पर एक और परीक्षा १९१८ में आयी जब सांसारिक अधिकारियों ने, मसीहीजगत के पादरीवर्ग के उकसाने पर, यहोवा के संगठन के विरुद्ध ‘कानून की आड़ में उत्पात मचाया।’ (भजन ९४:२०) उत्तर अमरीका और यूरोप दोनों जगहों में बाइबल विद्यार्थियों के विरुद्ध हिंसक सताहट की आग भड़कायी गई। पादरी-वर्ग द्वारा भड़काया गया विरोध मई ७, १९१८ में चरम पर पहुँचा, जब अमरीकी सरकार ने जे. एफ. रदरफर्ड और उनके कई घनिष्ठ साथियों की गिरफ्तारी के वॉरंट जारी किये जिनमें ए. एच. मैकमिलन भी शामिल थे। उन पर राजद्रोह का झूठा आरोप लगाया गया, और अधिकारियों ने उनके निवेदन ठुकरा दिये कि वे निर्दोष हैं।

२०, २१. जैसा मलाकी ३:१-३ में पूर्वबताया गया है, अभिषिक्‍त मसीहियों के बीच कौन-सा काम किया गया था?

२० एक शुद्धिकरण कार्य चल रहा था जबकि उस समय यह बात पहचानी नहीं गयी जैसा मलाकी ३:१-३ में बताया गया है: “उसके आने के दिन की कौन सह सकेगा? और जब वह दिखाई दे, तब कौन खड़ा रह सकेगा? क्योंकि [वाचा का दूत] सोनार की आग और धोबी के साबुन के समान है। वह रूपे का तानेवाला और शुद्ध करनेवाला बनेगा, और लेवियों को शुद्ध करेगा और उनको सोने रूपे की नाईं निर्मल करेगा, तब वे यहोवा की भेंट धर्म से चढ़ाएंगे।”

२१ जैसे-जैसे पहला विश्‍व युद्ध समाप्त होने को आया, कुछ बाइबल विद्यार्थियों ने विश्‍वास की एक और परीक्षा का सामना किया—कि क्या वे सांसारिक सैन्य मामलों में स्पष्ट तटस्थता रखेंगे या नहीं। (यूहन्‍ना १७:१६; १८:३६) कुछ ने नहीं रखी। इसलिए १९१८ में, यहोवा ने ‘वाचा के दूत,’ मसीह यीशु को अपने आत्मिक मंदिर प्रबंध में भेजा कि उसके उपासकों के छोटे-से समूह को सांसारिक दोषों से शुद्ध करे। जो सच्चा विश्‍वास दिखाने के लिए दृढ़संकल्प थे उन्होंने अनुभव से सीखा और वे जोश के साथ प्रचार करते रहे।

२२. विश्‍वास की परीक्षा के बारे में और किस बात पर गौर करना बाकी है?

२२ जिस पर हमने विचार किया वह सिर्फ इतिहास नहीं है। यह यहोवा की विश्‍वव्यापी कलीसिया की वर्तमान आध्यात्मिक स्थिति से सीधे संबंध रखता है। लेकिन आइए हम अगले लेख में कुछ ऐसी परीक्षाओं पर गौर करें जिन्हें परमेश्‍वर के लोगों ने आज झेला है और देखें कि हम कैसे उनसे सफलतापूर्वक निपट सकते हैं।

क्या आपको याद है?

◻ यहोवा के लोगों को यह अपेक्षा क्यों करनी चाहिए कि उनका विश्‍वास परखा जाएगा?

◻ वर्ष १९१४ से पहले परमेश्‍वर का संदेश फैलाने के लिए किस तरह के प्रयास किए जा रहे थे?

◻ “फोटो-ड्रामा” क्या था और इसके क्या नतीजे निकले?

◻ वर्ष १९१४-१८ के घटनाक्रम ने अभिषिक्‍त जनों को परखने का काम कैसे किया?

[पेज 12 पर तसवीर]

शताब्दी के अंत के आसपास अनेक देशों के लोग “मिलेनियल डॉन” श्रृंखला की सहायता से बाइबल का अध्ययन कर रहे थे, जिसे बाद में “शास्त्र में अध्ययन” कहा गया

[पेज 13 पर तसवीर]

सी. टी. रसल का एक पत्र जिसमें रिकार्डिंग के लिए प्रस्तावना है, जिसमें उन्होंने कहा: “‘द फोटो-ड्रामा ऑफ क्रिएशन’ आई बी एस ए—अंतर्राष्ट्रीय बाइबल विद्यार्थी संघ द्वारा प्रस्तुत किया गया है। इसका उद्देश्‍य लोगों को धार्मिक-वैज्ञानिक विचारधारा में उपदेश देना है और बाइबल का समर्थन करना है”

[पेज 15 पर तसवीर]

डमीट्रीयस पापाजॉर्ज ने “फोटो-ड्रामा ऑफ क्रिएशन” दिखाते हुए सफर किया। बाद में अपनी मसीही तटस्थता के कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया

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